BOYS school WASHROOM-2 in Hindi Moral Stories by Akash Saxena "Ansh" books and stories PDF | BOYS school WASHROOM-2

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

BOYS school WASHROOM-2

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे स्कूल बस में कुछ लड़के विहान को परेशान करने लगते हैं और विहान अपने बड़े भाई यश को आवाज़ लगा देता है,

अब आगे

"यश भईया।" "यश भईया।"विहान के बुलाते ही सब लड़के फटाफट अपनी सीट पकड़ कर बैठ जाते हैं। यश बस में आगे बैठा होता है और आवाज़ सुनते ही अचानक खड़ा होकर विहान से पूछता है 'क्या हुआ विहान? कोई परेशानी?' और पूछता हुआ विहान की तरफ बढ़ता है, जो कि पीछे बैठा हुआ होता है, 'क्या हुआ अब?'यश बड़बड़ाता हुआ विहान के पास जाकर बैठ जाता है।
यश-बोलो क्या हुआ? मेरे सुपरमैन को, बड़े प्यार से विहान से पूंछता है,पर विहान थोड़ा डरा हुआ सा होता है तो कोई जवाब नहीं देता। कुछ पल में 'क्या हुआ बोल भी अब,कोई दिक्कत है क्या?' यश की फिर आवाज़ आती है (कुछ सेकंड की शांति के बाद) विहान थोड़ा डरते हुए 'नहीं भईया कुछ नहीं,बस ऐसे ही' यश-चल ठीक है,अभी बीस मिनट है,कोई प्रॉब्लम हो तो मेरे पास आ जाना(इतना कह कर यश जाने लगता है कि तभी उसकी नज़र विहान के टिफ़िन पर पड़ती है)अरे विहान तेरा टिफ़िन बाहर कैसे?
तूने आज ब्रेकफास्ट नहीं किया था क्या? तेरी तबियत तो ठीक है...'यश टिफ़िन उठाते हुए बोलता है',इतने सारे सवाल सुन कर छोटा सा विहान परेशान हो जाता है,और समझ नहीं पाता क्या कहे? क्या करे?...इधर यश टिफ़िन खोलने ही वाला होता है कि एक आवाज़ आती है "यश यार कुछ नहीं वो इसका बैग नीचे गिर गया था,तो बस तभी
टिफ़िन बाहर गिर गया"...यश पीछे मुड़कर देखता है तो,'सूरज' 'हर्षित' और 'विशाल' विहान की बगल वाली सीट पर ही बैठे होते हैं और हर्षित फिर यश को देख कर कहता है 'यश! भाई इसका बैग नीचे गिर गया था और कुछ नहीं'....
इसी बीच सूरज विहान को आंखें दिखा कर डरा देता है और विहान जल्दी से सीट पर खड़ा होकर यश से टिफ़िन छीनते हुए 'हाँ भईया वो बैग गिर गया था मेरा'.....तू तो ठीक है ना यश विहान को एक नज़र ऊपर से नीचे तक जांचता है...'हाँ में ठीक हूँ'.....'हाँ ये बिल्कुल ठीक है'(पीछे से विशाल की आवाज़ आती है)...
अच्छा अपना टिफ़िन अंदर रखो और अगर कोई प्रॉब्लम हो तो आगे आ कर बता देना अभी बीस मिनट है स्कूल पहुंचने में,ठीक है(यश विहान को समझा कर बिठा देता है) और तुरंत पीछे विशाल की तरफ मुड़ते हुए"वैसे सीनियर्स की सीट्स आगे हैं तो तुम लोग यहां पीछे कैसे,क्या में जान सकता हूँ?".....(थोड़ा अटकते हुए)...'तू..तू है कौन ये पूछने वाला चल काम कर अपना' विशाल यश को जवाब देता है।
'स्कूल हेड बॉय'(यश सख्त आवाज़ में)...हर्षित-क्या..क्या बोला?
स्कूल हेड बॉय हूँ और एस आ बस इंचार्ज तुम बताओ ज़रा की तुम यहाँ पीछे कर क्या रहे हो?(यश तीखी आवाज़ में)

'सुन बोहत हो गया तेरा चल अब जा, जा जाकर चुप चाप सीट पर बैठ जा'(राहुल यश के आगे खड़े होकर यश को बोलता है)।
अच्छा अच्छा ठीक है जाता हूँ,यश अपनी सीट पर पहुंचता है और बस अचानक रुक जाती है....बस में शोर शुरू हो जाता है और यश फिर से उन लड़कों के पास जाता है लेकिन इस बार बस इंचार्ज टीचर के साथ।
क्या हुआ? तुम लोग पीछे कैसे बैठे हो(टीचर झल्लाते हुए उन तीनों से पूंछता है...एक पल में ही पूरी बस में सन्नाटा छा जाता है)
पीछे बैठे बच्चों को डरता देख यश टीचर के कान में कुछ फूंसफुसाता है,इस सब के बीच डरा हुआ विहान ये सब देख कर और सहम जाता है।
टीचर-यहां से उठो तीनों और अभी इसी वक्त आगे चल कर बैठो।
विशाल चुप चाप उठ कर आगे चला जाता है,लेकिन हर्षित और राहुल वहीं अपनी अपनी सीटों पर जमें रहते हैं...
बच्चों को डरता हुआ देख टीचर गहरी सांस लेते हुए तुम उठते हो या नहीं...इतना कहने के बाद भी दोनों टस से मस नहीं होते लेकिन विहान उठ कर यश का हाथ पकड़ लेता है।
विहान यश के साथ आगे चला जाता है और टीचर भी फिर बिना कुछ बोले उन्हीं के पीछे चल देता है।
काफी गर्म गर्मी के बाद फिर से चल देती है और लगभग तीस मिनट बाद स्कूल के गेट पर रुकती है।


आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए। और review ज़रूर दें।