जामुन वाली अम्मा
बहुत समय से मैं अपने पापा के साथ रविवार को छोड़कर रोज सुबह की सैर पर जाती थी हमारे सैर पर जाने के लिए हमने दो रास्ते तय किए थे जिसमें एक रास्ता जामुन वाली अम्मा के घर तक जाता था दूसरा रास्ता पहाड़ी के मंदिर तक वह मंदिर बहुत सुंदर था । मंदिर के द्वार पर मार्बल के दो हाथी मंदिर की रखवाली करते थे ।
जिस दिन मंदिर जाती है उसके दूसरे दिन जामुन वाली अम्मा से मिलने जाती दरअसल मैं अपने पापा के साथ पहाड़ी के मंदिर के रास्ते के ऑपोजिट मैदान वाले रास्ते से जाती जहां बहुत से लोग कसरत करते थे। मैदान से कुछ दूर चलने पर कुछ मकान थे उन मकानों में से एक बहुत बहुत आकर्षण था क्योंकि बहुत हरियाली और सुंदरता थी वह मकान जानू वाली अम्मा का था पहले कई बार मैं वह मकान देखकर वहां की हरियाली देखने के लिए रुक जाती थी और जैसे ही मुझे वह अम्मा दिखती मैं आगे बढ़ जाती पर एक दिन अम्मा ने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और प्यार से बोला बेटा मैं कई दिन से तुम्हें यहां आते देख रही हूं यह कहते हुए उन्होंने मुझे एक थैली पकड़ दी उस थैली में थे । काले और बहुत मीठे जामुन और बोली यह लो मीठे मीठे जामुन घर ले जाकर मजे से खाना और कभी कभी मुझसे मिलने आ जाया करो तुम्हें देख कर मुझे अपनी पोती की याद आती है जो अपने मम्मी पापा के साथ दूसरे शहर में रहती है मैंने कहा जी दादी मुझे अम्मा से मिलकर बहुत अच्छा लगा अब हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई हर दूसरे दिन सुबह मैं अम्मा से मिलने जाती वह कभी अपने कमरे की खिड़की मैं बैठी खिड़की पर बैठी रहती कभी आम के पेड़ की छाया में खटिया बिछाए धूप ताप रही होती एक दिन उन्होंने मुझसे बोला थोड़ी देर में पास बैठ जाना बेटा और मुझे बड़े प्यार से खटिया में बैठाया मैंने पापा से कहा कि थोड़ी देर बाद मुझे ले जाएं ।
मैंने अम्मा से पूछा दादी आपके घर में और कौन-कौन रहता है । अम्मा ने बताया आज तो मैं और तुम्हारे दादा जी इस घर में रहते हैं पर जब मैं इस घर में शादी करके आई थी पूरा यह घर भरा पूरा परिवार था दो नंदे और तीन भाई और मेरे सास-ससुर तुम्हारे दादाजी पांचों बच्चों में से सबसे में सबसे बड़े है ।
कुछ सालों मेरे बच्चे हुए एक बेटी दो बेटे उसके कुछ ही समय बाद दोनों नंदो की शादी अच्छे घरों में हो गई । उसके दो-तीन साल बाद मेरे दोनों देवरो की भी शादी हो गई । कुछ समय बाद मेरे सास ससुर चल बसे ।
कुछ समय बाद मेरे दोनों देवरो के बच्चे हो गए और उनकी अच्छी शिक्षा के लिए मेरे दोनों देवर भी दूसरे शहर में बस गए ।
जब अम्मा अपनी कहानी मुझे सुना रही थी तभी पापा आ गए और उन्होंने कहा बेटा घर चलो मम्मी बुला रही है इस पर मैंने अम्मा से कहा दादी मै चलती हूं मुझे आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा अम्मा बोली बेटा मुझे भी तुझसे बात करके बहुत अच्छा लगा कभी-कभी आ जाया कर मुझे बहुत अच्छा लगता है यह कहते हुए मुझे जामुन की एक थैली थमा दी मैंने कहा जी जरूर दादी घर पहुंच कर मैंने वह जामुन की थैली मम्मी को देते हुए अम्मा की सारी बातें बताई शाम को हम तीनों ने अम्मा के दिए वह जामुन बड़े मजे से खाएं मम्मी ने मुझसे कहा अब अगर तुम कल अपनी जामुन वाली अम्मा से मिलने जाना तो उनके लिए भी कुछ ले जाना मैंने मम्मी से पूछा क्या ले जाऊं मम्मी ने मुझे छोटे से डिब्बे में थोड़ा सा गाजर का हलवा रखकर दिया और कहा यह हलवा कल ले जाना आशा है अम्मा को हलवा पसंद आएगा ।अगले दिन मैं वह हलवा अम्मा के लिए ले गई मैंने अम्मा से कहा मम्मी ने यह हलवा आपके लिए भेजा है। अम्मा ने कहा ठीक है बेटा यह सिलसिला कुछ समय तक चलता रहा । एक दिन मैं अम्मा से मिलने गई तो मैंने दुखी मन से कहा दादी मुझे यह शहर छोड़ कर जाना होगा क्योंकि पापा का ट्रांसफर दूसरे शहर मैं हो गया है इस पर अम्मा ने कहा बेटा दुखी क्यों हो रही है मैं तेरे दादा जी भी अपनी पोती के यहां जाने वाली हूं वह हमें बुला रही है यह कहते हैं उन्होंने अपना मोबाइल नंबर मुझे दिया कभी कभी बात करना बेटा मैंने कहा ठीक है दादी दूसरे शहर जाने के कुछ दिन बाद मैंने अम्मा को फोन लगाया तो वे बहुत खुश थी अपनी पोती के घर में ।
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