Faisla - 2 in Hindi Women Focused by Sunita Agarwal books and stories PDF | फैसला - 2

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फैसला - 2

अभी तक आपने पढ़ा...

अनन्या की शादी अमित से हो जाती है। अमित SBI में असिस्टेंट मैनेजर है।शुरुआत में सब अच्छा था। दोनों अपनी शादी में बहुत खुश थे। दोनों में खूब प्यार था। लेकिन थोड़े समय बाद ही परिवार में दिक्कतें होने लगीं। अनन्या की उसकी सास और ननद से रोज खिट पिट होने लगी। दिक्कतें इतनी बढ़ गई कि अनन्या ने अमित से ये तक कह दिया कि वो अब इस घर में और नहीं रह सकती। लेकिन अमित ने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया । अब दोनों के बीच सिर्फ झगड़े और तकरार ही बाकी थे।

अब आगे...

बचपन से जिद्दी अनन्या को अमित की ये बातें नागवार गुजरीं।उसे लगा कि अमित को उसकी कोई परवाह नहीं है।उसने इसे अपने ईगो का प्रश्न बना लिया और एक ऐसा फैसला लिया जिसने उसकी जिंदगी का रुख ही बदल दिया।वह अमित से लड़ झगड़कर अपने मायके आ गई और आते समय अमित से कह आई कि जब तक वह अलग घर का बंदोबस्त करके उसे लेने नहीं आता वह इस घर में कदम नहीं रखेगी।कई माह बीत गए न अमित अनन्या को लेने गया न अनन्या आई।उसकी माँ ने कई बार बहु को लाने के लिए कहा तो अमित ने मना कर दिया कहा खुद ही लड़कर गई है खुद ही आएगी।

जब माँ ने नाराज होकर खाना पीना छोड़ दिया तब विवस होकर अमित अनन्या को बुलाने गया।पर अनन्या तो जिद पर अड़ी थी उसने साफ़ कह दिया पहले अलग घर लो फिर उसे लेने आना। अनन्या के घरवालों ने भी अनन्या को समझाने की कोशिश की लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी।भारी मन से अमित खाली हाथ लौट आया।देखते ही देखते एक बर्ष बीत गया अमित की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न होते देख अनन्या ने अमित को तलाक का नोटिस भेज दिया।

उसे उम्मीद थी कि नोटिस देखकर अमित की माँ अमित को अलग रहने को राजी कर लेगी और अमित उसे लेने आ जाएगा।पर ऐसा नहीं हुआ कागज देखकर अमित का ईगो जाग उठा और उसने भी कागजों पर हस्ताक्षर करके वापस भेज दिए।कागजों को देखकर अनन्या सकते की सी हालत में थी ।वह ऐसा तो नहीं चाहती थी वह तो सिर्फ अपनी जिद के आगे अमित को झुके देखना चाहती थी।वह क्या कर बैठी थी अपने घर में अपने हाथों से आग लगा बैठी थी।

लेकिन अब क्या हो सकता था।वह अमित की नजरों से गिर चुकी थी अब सिवाय पछतावे के वह कुछ नहीं कर सकती थी।इसी तरह कई बर्ष बीत गए उसने एक प्राइवेट स्कूल में नोकरी कर ली ।उसके भाई रोहन की भी शादी हो गई थी।
अपनी भाभी के साथ भी उसकी नहीं बनती थी और घर में सदैव तनाव का माहौल रहने लगा था।उसकी माँ भी उसके गम में बीमार रहने लगी थी।
अनन्या अपनी सुध बुध खोकर पूरी तरह खयालों में खो गई थी। जल्दी नीचे चलो अनन्या शालिनी विदा हो रही है बुआ की आवाज सुनकर जैसे अनन्या नींद से जागी हो तुरंत उधर चल दी जहाँ औरतों से घिरी शालिनी की विदाई हो रही थी।शालिनी के साथ वह भी रो रही थी अपनी किस्मत पर ।उसकी अश्रुपूरित आँखे अमित को ढूँढ रही थीं वह उसे आखिरी बार जी भर देख लेना चाहती थी।

शालिनी को कार में बिठाया गया अमित और उसकी पत्नी भी कार में सवार हुए अमित ने खिड़की से उसे देखा दोनों की नजरें मिली कार धीरे धीरे रवाना हो रही थी और अनन्या अमित को अपनी नजरों से दूर जाते देख रही थी।वह उसे चाहकर भी रोक नहीं सकती थी ।जो अमित कभी उसकी जिंदगी हुआ करता था वह आज फिर से उसकी नजरों से उसकी जिंदगी से दूर जा चुका था।