यूँ ही राह चलते चलते
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सुबह-सुबह सब लोग ठीक आठ बजे सर्दी का सामना करने के लिये पूरी तरह लैस हो कर तैयार थे। सभी ने कोट जैकेट मफलर, दस्ताने पहन रखे थे। ठंडा मौसम और वो वादियाँ अनुभा के होंठो पर बरबस ही ये पंक्तियाँ आ गई ’ ये वादियाँ ये हवाएँ बुला रही हैं हमें .............‘
रजत यह सुन कर धीरे से बोले ’’हुम्म आज तो बड़े मूड में हो ‘‘ और अनुभा सकपका कर चुप हो गई।
सब लोग कोच से जंगफ्रो रेलवे स्टेशन गये जो दुनिया का सबसे ऊँचाई पर बना रेलवे स्टेशन है। सब लोग ट्रेन में बैठ गये।आज उ न्हें जंगफ्रो की पहाड़ियों का आनन्द लेना था जो बर्नीस एल्पस की प्रमुख और तीसरी सबसे ऊँची चोटी है। ट्रेन में लगातार इस रेलवे का इतिहास और जिन जगहों से वो गुजर रहे थे उसके बारे में माइक पर बता रहे थे। हर कोच में टीवी स्क्रीन भी लगा था जिस पर वो जिस जगह के बारे में भी बता रहे थे उसके चित्र भी आते जा रहे थे।
अर्चिता अनुभा के सामने बैठी थी कुछ ही पलों में यशील और चंदन भी अपने लिये सीट ढूँढते आ गये। अर्चिता के बगल वाली सीट खाली देख कर यशील ने पूछा ‘‘अर्चिता यहाँ मैं बैठ सकता हूँ क्या, कोई बैठा तो नहीं है ?‘‘
अंधा क्या चाहे दो आँखें अर्चिता ने कहा ‘‘माई प्लेजर, ‘’फिर एक किनारे हो कर उन दोनों के लिये जगह बना दी।
यशील बता रहा था ’’ जब मैं कालेज में था तो मेरी एक क्लास मेट ने एक बार गलत जवाब दे दिया तो हमारे प्रोफेसर ने कहा ‘’आप को मूर्ख कहें तो मूर्ख बुरा मान जाएगा ।‘‘
’’सो रूड आफ हिम, इस तरह कैसे किसी लड़की को ह्यूमिलेट कर सकते हैं ।‘‘
‘‘अरे लड़की हो या लड़का जो मूर्खता करेगा उसे मूर्ख ही कहा जाएगा।‘‘चंदन ने कहा।
‘‘पर लड़कियों के लिये कुछ तो रिस्पेक्ट होनी चाहिये’’ अर्चिता ने विरोध किया।
‘‘वाह भई ये तो कोई बात नहीं हुई, वैसे तो लड़का-लड़की बराबर पर जब ऐसी कोई सिचुएशन आये तो लड़कियो कों स्पेशल प्रिफरेंस चाहिये ’’चंदन ने कहा।
अर्चिता ने तैश में आ कर कहा ‘‘हमें कोई प्रिफरेंस नही चाहिये पर रिस्पेक्ट तो चाहिये ही।’’
‘‘वो तो हमें भी चाहिये’’ चंदन बोला।
‘‘हाँ तो हम कब कह रहे हैं कि तुम्हे रिस्पेक्ट नहीं चाहिये बताओ यशील मैंने ऐसा कहा क्या ?‘‘
यशील निर्णायक स्वर में बात को विराम देने के उद्देश्य से बोला ‘‘भई जब तुम दोनों एक ही बात कह रहे हो तो झगड़ा किस बात का दोनों बराबर है और दोनों को रिस्पेक्ट चाहिये।’’
‘‘इसीलिये मैं कहती हूँ कि यशील बहुत समझदार है ’’ अर्चिता ने यशील को देखते हुए कहा।
‘‘और मैं बुद्धू ?’’चंदन ने मुँह बनाते हुये कहा।
अर्चिता को उसका मुँह देख कर हसी आ गई उसने बिना किसी हिचक के कहा ‘‘नहीं भई तुम बुद्धू नहीं हो पर ये तो फैक्ट है कि यशील इटेलिजेंट ज्यादा है ।’’
‘‘हाँ भई मैं यशील जैसा होता तो सारी लड़कियाँ मेरी भी फैन न होतीं ’’चंदन ने कुछ अधिक ही बेचारगी से कहा।
यह सुन कर यशील और अर्चिता एक दूसरे को देख कर मुस्करा दिये।
ट्रेन में चल रहे टीवी पर बताया जा रहा था कि 20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में जंगफ्रो पर रेलवे का स्टेशन बना जहाँ से इस चोटी तक रेल जाती हैं यह स्टेशन लगभग 3454 मीटर की ऊँचाई पर बना यूरोप का सबसे ऊँचा रेलवे स्टेशन है, जो पहाड़ियों के बीच से हो कर जाता है । यह16 वर्षों में बन कर तैयार हुआ । जंगफ्रो का अर्थ स्त्रीत्व या कौमार्य होता है अर्थात जिसे कोई जीत नहीं सकता। पहले कोई यहाँ तक पहुँच नहीं पाता था। 3 अगस्त 1811में दो मेयर बन्धु और दो केमोइस शिकारी इस पर पहुँचे थे । जंगफ्रो को 2001 में राष्ट्रीय हेरिटेज बना दिया गया । मुरेन से जंगफ्रो की चोटी और लाउटरब्रूनेन की खाड़ी को देखा जा सकता है।
बाहर का दृश्य किसी दूसरे लोक का लग रहा था दूर तक फैली वादियों में यहाँ वहाँ बर्फ जमी दिखाई पड़ने लगी थी, जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढ़ रही थी बर्फ बढ़ती जा रही थी ऐसा लग रहा था मानों सफेद रूई के फाहे पूरी वादी में बिखरा दिये हों ।अर्चिता चंदन और यशील को भले अपनी दुनिया अधिक रूचिकर लग रही हो पर वयस्क अनुभा तो खिड़की से चिपकी बैठी थी कि कहीं एक भी दृश्य से वंचित न रह जाए वह उन दृश्यों को अपनी आँखों में बसा लेना चाहती थी।
रास्ते में कई स्टेशन पड़ते है प्रत्येक स्टेशन पर वादियों की ओर कुछ खिड़कियाँ बनी है जहाँ से घाटियों का दृश्य देखा जा सकता है । सभी स्टेशनों पर कुछ मिनटों के लिये रेल रुकती, वहाँ सब लोग दौड़ कर उतरते वहाँ के दृश्यों को कैमरे और अपनी आँखों में कैद करते। समय इतना सीमित होता कि यह निश्चय करना कठिन हो जाता कि दृश्यों को मन मस्तिष्क में कैद करें कि कैमरे में कैद करें । रास्ते में वेंगरनैप, आइगरवांच, आइसमर स्टेशन पड़े।
अन्ततः सब जंगफ्रो पहुँच गये जो लगभग 10000 फीट की ऊँचाइयों पर है। इतनी ऊँचाई पर स्वाभाविक है कि हवा का दबाव कुछ कम था फिर वहाँ इतना 4-5 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान था उस पर बर्फीली हवाएँ चल रही थीं। तभी रवि श्रीनाथ अचानक ही बेहोश हो गये ।श्रीमती श्रीनाथ घबरा गयीं और चिल्लाने लगीं ‘‘ अरे कोई देखो इन्हें क्या हुआ ।’’
सबके उत्साह का उफान अचानक थम गया।सबसे पहले यशील बढ़ कर रवि के पाँव को रगड़ने लगा । उसे देख कर रजत भी उनके हाथों की मालिश करने लगे।
तभी सुमित वहाँ आ गया उसने कहा ‘‘घबराइये नहीं ऐसा हो जाता है, यहाँ हवा का दबाव कम है और ठंड बहुत अधिक, सब लोग इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं ।’’
सुमित ने तुरंत वहाँ उपस्थित डाक्टर से संपर्क किया, डाक्टर ने रवि का उपचार किया और कुछ ही देर में रवि श्रीनाथ होश में आ गये।उनके होश में आते ही कुछ देर को रुका उत्साह पुनः उफनने लगा।रवि श्रीनाथ को डाक्टर ने वहीं रुक कर आराम करने की सलाह दी।बाकी सब सुमित के साथ आगे बढ़े।सुमित ने बताया कि जंगफ्रो में 24 किलोमीटर का एलिड्स ग्लेशियर है, आबसरवेटरी है, रिसर्च स्टेशन, स्काई स्कूल, पलेटू, स्विंग टेरेस, दो रेस्ट्रां और आइसपैलेस है। यह सुन कर निमिषा चिल्लायी ‘‘हुर्रे आज तो मस्ती का पूरा इंतजाम है। ’’
‘‘ केवल मस्ती का नहीं नालेज बढ़ाने का भी बहुत सामान है ’’ मीना ने बहुत दिनों से जमा अपनी भड़ास निकालते हुए कहा।
निमिषा कहाँ चुप रहने वाली थी उसने संजना से कहा ‘‘ यार कुछ लोग जीवन भर स्कूल ही जाते रहते हैं उन्हे जीवन जीना नहीं आता ।’’
संजना ने उसका हाथ दबाते हुए बात को दूसरा मोड़ दे दिया ‘‘अरे वो देखो कितना प्यारा सीन है ’’ उसका प्रयास सफल रहा, सब अपना-अपना तर्क-वितर्क छोड़ कर उस दृश्य में खो गये।
सुमित ने कहा ‘‘अब आप लोग यहाँ का आनन्द उठाइये पर ध्यान रहे चार बजे तक यहीं पर एकत्र हो जाइयेगा अगर हम लोग चार बजे तक नहीं लौटे तो देर हो जाएगी। ’’
सब अपना-अपना समूह बना कर विभिन्न दिशाओं में चल दिये। अनुभा, रजत, संजना, ऋषभ, निमिषा और सचिन प्रायः साथ ही रहते थे इसीलिये सब साथ-साथ आगे बढ़े ।
यशील ने अर्चिता का हाथ पकड़ कर कहा ‘‘कम आन अर्चिता हम लोग सबसे आगे चलते हैं ’’।
‘‘अच्छा मुझे छोड़ दोगे’’ चंदन ने यशील की पीठ पर धौल जमाते हुए कहा।
‘‘अरे नहीं यार तुम तो साथ रहोगे ही, ये तो अंडरस्टुड है। मैं तो अर्चिता से कह रहा था कि वो भी साथ आये’’ यशील ने सफाई दी।
‘‘वैसे अगर तुम्हे मुझसे प्राब्लम हो तो मै अलग अकेला भी घूम सकता हूँ’’ चंदन ने गंभीर होते हुए कहा।
‘‘कम आन यार क्या भाव ले रहा है’’ यशील ने चंदन को हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा और वो तीनो हँसते हुए आगे बढ़ गये।
‘‘वान्या नहीं दिखाई पड़ रही है ’’ निमिषा ने संजना से कहा।
‘‘लगता है वो सरेंडर कर गया’’ संजना ने कहा।
‘‘मुझे नहीं लगता कि वो इतनी आसानी से सरेंडर कर देगी और वो करना भी चाहे तो लता आंटी उसे करने देंगी भला, देखा नहीं था उस दिन कैसे यशील के चोट लगने पर तुरंत मौके का फायदा उठा कर अपना पीछे बैठ गई और उसे वान्या के बगल में बैठा दिया’’ निमिषा ने कहा।
‘‘अरे वो ही क्या यहाँ तो पूरा साउथ इंडियन ग्रुप वान्या और यशील को मिलाने में इंटरेस्टेड है ’’संजना ने मुँह बनाते हुए कहा।
‘‘अगर तुम किसी को दिल से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे मिलाने में लग जाएगी’’ निमिषा ने अदा से कहा तो संजना ने कहा पर यहाँ दिल का मामला कम हार जीत का मामला ज्यादा हो गया है।’’
‘‘देखा नहीं उस दिन रामचन्द्रन अंकल किस तरह यशील को सुना कर बिना बात के वान्या की तारीफ कर रहे थे ।‘‘
‘‘ पर मुझे तो लगता है यशील अर्चिता को ही पसंद करता है तभी तो उसका हाथ पकड़ कर उसके साथ गया’’ संजना ने कहा।
तभी रजत ने कहा ’’ देखो वो है आइस पैलेस चलो हम लोग यहीं से देखना शुरू करते हैं ‘‘।
आइस पैलेस देख कर सब उत्साहित हो गये। सब लोगों ने आइस पैलेस के प्रवेश द्वार से प्रवेश किया। वहाँ का दृश्य ही अद्भुत था। एक लम्बा सा गुफानुमा मार्ग था। दीवार छत फर्श सब बर्फ से बना था, इतनी फिसलन थी कि सँभल-सँभल कर किनारे लगी रेलिंग पकड़ कर चलना पड़ रहा था । आइस पैलेस में गलियारे बने थे जिसमें बर्फ से ही बनी मूर्तियाँ थीं कहीं भालू तो कहीं बाज तो कहीं मिकी माउस। इन मूर्तियों पर जगह-जगह रंगीन प्रकाश बर्फ पर पड़ रहा था जिससे बर्फ की मूर्तियां अद्भुत चमक से जगमगा रही थीं ।पार्श्व में संगीत बज रहा था जो वातावरण को स्वप्न लोक सा बना रहा था। एक गलियारे में मेरा जूता है जापानी की धुन बज रही थी।यह सुन कर सब साथ में गाने लगे।इतनी दूर पराये देश में अपने देश के गीत की धुन सुन कर सभी खुश हो गये और यह सोच कर गर्व की अनुभूति हुई कि भारत का भी इनकी दृष्टि में कोई महत्व है।
तभी रजत बोले ‘‘इसको कहते है बिजनेस, जब भारतीय यात्री आये तो उन्हे प्रभावित करने के लिये भारतीय धुन लगा दी। ’’
अनुभा को न जाने क्यों इस समय अपनी क्षणिक गर्व की अनुभूति में यह व्यवधान नहीं भाया उसने निरर्थक ही बहस की ‘‘ क्या पता उनकी नजर में यह धुन इतनी अच्छी हो कि वो रोज बजाते हों ?’’
रजत ने चुटकी लेते हुए कहा ‘‘ ओ के मैडम मान लिया आप का देश महान है। ’’
‘‘ मेरा ही क्यों क्या आपका नहीं है? ’’
‘‘ अरे है भाई मैं तो मजाक कर रहा था ।’’
अब पैलेस आफ आइस से निकल कर वो सब लोग लिफ्ट से और ऊँचाई पर गये । उस स्थान की ऊंचाई 3571 मीटर थी, वहाँ लिखा था ‘टाप आफ यूरोप’ जिसे देखो उस बैनर के साथ फोटो खिंचवाना चाहता था यह स्वाभाविक भी था ।वह बैनर इस बात का साक्ष्य था कि कोई यूरोप के सबसे ऊँचे स्थान पर खड़ा है।वहाँ एक लम्बी कतार थी सभी इस प्रतीक्षा में थे कि उनकी बारी आये वहाँ फोटो खिंचवाने की।
मान्या फोटो खिंचवाने खड़ी हुई तो महिम ने उसके न जाने कितने पोज ले डाले आखिर जब निमिषा का धैर्य चुक गया तो उसनेे कहा ‘‘महिम जी अगर आप का फोटो सेशन खतम हो गया हो तो मैं भी कुछ फोटो खिंचवा लूँ? ’’
यह सुन कर मान्या झेंप गई और तुरंत ‘‘यस श्योर ’’कहती हुई वहाँ से हट गई।
रजत ने कहा ‘‘ अनुभा खड़ी हो तुम्हारी भी फोटो ले लूँ ’’तो सचिन ने कहा ‘‘ अंकल ऐसी जगह अकेले क्या खड़े होना आप भी आइये मैं ले लेता हूँ फोटो’’ रजत अनुभा के कंधे पर हाथ रख कर खड़े हो गये।
क्रमशः------
अलका प्रमोद
pandeyalka@rediffmail.com