muskurate huye chehare duniya ki aabse khubsurat ummid hote hain in Hindi Philosophy by Amit Singh books and stories PDF | मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं।

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मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं।

"मुस्कुराते हुए चेहरे दुनिया की सबसे सबसे खूबसूरत उम्मीद होते हैं "

कहते हैं कि ये दुनिया उम्मीदों पर टिकी है | लेकिन इस उम्मीद की बुनियाद किस पर टिकी है ? वह तहखाना कहाँ है, जहाँ उम्मीद का खजाना दबा पड़ा है ?

हर कोई इस उम्मीद को अपने-अपने तरीके से तलाशता है | सबके अपने उपकरण, अपने औजार होते हैं, जिसके जरिए वे उम्मीद की नींव को जमाते और भविष्य के सुनहले दीवारों वाला सपनीला महल आँखों ही आँखों में खड़ा करते हैं |

अगर इस महल का धरातल दुनियावी सुख-सुविधाओं की भुरभुरी मिट्टी का हो, तो उसका काल के थपेड़ों से ढह जाना लाज़िमी है | लेकिन वहीँ अगर उसके तार मन के हारमोनियम से जुड़े हों तो उसे चाहें जितना भी छेड़ो कोई धुन ही निकलेगी |

मन की धुन को कभी बजते सुना है, आपने ! जरा गौर कीजिए तो कब, कहाँ, कैसे और कितना सुना था मन के झंकार को पिछली दफ़ा! क्या किसी मॉल में, किसी ऊँचे और बड़े मंच की अटारी पर या नित बढ़ते शून्य के बैंक पासबुक में....! कब, कहाँ, कितना ?

जरा याद कीजिए वह एक सुबह जब काम पर जाने की हडबडाहट के बीच सुस्त कदम से स्कूल जाते किसी बच्चे को यूँही निहारकर आपने मुस्कुरा दिया था और बदले में जो चहकती हुई हँसी मिली, क्या वो किसी बेशकीमती हीरे से कम थी !

कभी किसी तपती-झुलसती गर्मी में जब आप ट्रैफिक जाम के चिल्ल-पों में फँसकर दुनियाभर की मुश्किलों के लिए दुनियाभर की मलामतें भेज रहे थे, तब उसी जाम में फँसी किसी स्कूल बस में मस्ती करते और खिड़कियों से झाँकते किसी बच्चे ने यूहीं टाटा का इशारा कर दिया हो |

अब जरा मन के उलझे तारों के एक सिरे को ऐसे ही और कई खूबसूरत संयोगों से जोड़कर देखिए | आप पायेंगे कि ऐसे में जो कुछ मिला, वह बेमोल मिला | लेकिन बेमोल-से लगते इन एहसासों ने जो ख़ुशी दी वह अनमोल है | यही अनमोल खजाना तो वह चीज है, जो हममें उम्मीद जगाती है |

यह उम्मीद हम इंसानों ने कई मामलातों में ईश्वर से जोड़ रखा है, और ईश्वर ने भी हम इंसानों से | तभी तो किसी कवि ने कहा है कि ईश्वर का बच्चों को धरती पर भेजना यह साबित करता है ईश्वर इंसानों से अभी नाउम्मीद नहीं हुआ | यानी उम्मीद ही वह धुरी है जिसके बिना पर पूरी सृष्टि का पहिया घुम रहा है |

नाउम्मीदी निराशा का संकेत है | जिसका रंग घने काले अंधेरी रात-सा है | जिसमें चिंता, दुःख और अवसाद की भयावह कालिमा भी समाहित है | वहीँ उम्मीद रोशनदान से छनकर आते प्रकाश-पुंज की तरह एक लकदक चमचमाता शब्द है | जिसके उजले रंग में खिलखिलाहट की गूँज और मुस्कुराती बुलाती सहज आकर्षण का जादू है |

मुस्कुराते हुए चेहरे अपने रंग में रंग लेने का खुला आमंत्रण होते हैं | वे अपने आस-पास के हरेक को मुस्कराहट के रंग में सराबोर कर देने का मुक्त भाव मुफ़्त में लुटा देने के आकुल होते हैं | ऐसे में सामने वाले पर निर्भर करता है कि वह इसकी ओर एक कदम भी बढ़ाने को उत्सुक है या नहीं |

उसने अगर इस ओर थोड़ी भी पहल कर दी तो जरूर ही पूरा का पूरा मुस्कुराहटों के रंगों-आब में सराबोर होने को मजबूर हो जायेगा | क्योंकि मुस्कान चेहरे की माँसपेशियों का बस एक खिंचाव ही नहीं बल्कि अपने-आप में उम्मीद है, जो में दुनिया में सबसे खूबसूरत है |

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मौलिकता की घोषणा

मैं अमित कुमार सिंह यह प्रमाणित करता हूँ कि यह मेरी मौलिक रचना है |

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मेरा परिचय

नाम- अमित कुमार सिंह

पता- अमित कुमार सिंह, पी.जी.टी.(हिंदी), केन्द्रीय विद्यालय (क्रमांक-१), वायुसेना स्थल गोरखपुर ,पिन- 273002 (उत्तर प्रदेश)

मोबाइल- 8249895551

email- samit4506@gmail.com

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