shorr in Hindi Fiction Stories by अर्चना यादव books and stories PDF | शोर... एक प्रेमकहानी

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शोर... एक प्रेमकहानी

शोर
एक कैफे कराओके क्लब जहाँ सैकड़ों भीड़ जमा हैं हर किसी के चहरे पर मुस्कान हैं और कुछ देर बाद चहरे के भाव बदल जा रहे हैं कभी हँस रहे तो कभी थोडा शांत हो जा रहे हैं साथ ही ताली भी बजा रहे हैं. सामने एक पचीस छब्बीस साल का नवयुवक नरेन्द्र अपनी कविताएँ बड़े मज़े से सुना रहा है. नरेन्द्र एक कवि है उसका एक यूट्यूब चैनल भी है – “द वाईस ऑफ़ हार्ट”. वो एक ओपन माइक इवेंट का ओनर है जो महीने में दो बार ओपन माइक इन्वेंट करवाता है महीने में दो बार इवेंट होते है यूट्यूब पर उसके पांच मिलियन से जादा फोलोवर्स हैं |
उसके घर के सामने एक लड़की रहती है नाम है श्यामली. नाम के अनुसार ही श्यामली का कलर भी सांवला है और देखने में बहुत ही औसत नयन नक्श की है. वो नरेन्द्र के कविताओ को बहुत पसंद करती है और साथ ही नरेन्द्र को भी. अपने कमरे की खिड़की से उसे हमेशा देखते रहती है और जब नरेन्द्र की नज़र उसपे पड़ती है तो परदे के आड़ में छिप जाती है. इस समय वही कविता वो यूट्यूब पर देख रही होती की सामने खिड़की से नरेन्द्र दिखता है. वो उसे देखने लगती है तभी उसकी माँ की आवाज आती है – श्यामली ...इधर आओ. वो कहती है –आई माँ. और भागते हुए अपने कमरे से बाहर चली जाती है.
नरेन्द्र अपने लैपटॉप में देख रहा है की लास्ट वाली विडियो तो वायरल हो रही है वो खुश होता है अपने दोस्त को फ़ोन लगाता है कहता है - यार विडियो तो वायरल हो रही है. उसका दोस्त बोलता है- हाँ मैंने भी देखा अब तो पार्टी बनती है, नरेन्द्र कहता है - हाँ हाँ क्यों नहीं.
वो लैपटॉप बंद करता है बाइक की चाभी लेकर निकलता है बहार हाल में आता है, उसकी मम्मी बैठी टीवी देख रही है वो पूछती है - इतनी जोरशोर से कहाँ जा रहे हो, नरेन्द्र कहता है- बहार जा रहा हूँ एक काम से. वो हँसते हुए पूछती है - अरे किस कम से, नरेन्द्र बताता है- दोस्त पार्टी मांग रहे हैं... वो लास्ट वाली वीडियो वायरल हो रही है ना इसीलिए. ये तो बढ़िया बात है... ठीक है जाओ... लेकिन जादा देर मत करना, उसकी मम्मी बोली. नरेन्द्र ने कहा- हाँ हाँ बिलकुल आप फिक्र ना करो... ठीक है... आता हूँ. कह कर बहार निकलता है गैराज से बाइक निकल कर बाहर आता है अचानक से नजर सामने ऊपर खिड़की पर जाती है तो पर्दा हिल रहा है, फिर बाइक स्टार्ट करके चला जाता है श्यामली अपनी खिड़की से नरेन्द्र को जाते हुए देखती है.
शाम के समय नरेन्द्र की मम्मी सब्जी लेने बहार जाती है फिर सब्जी लेकर लौट रही होती है रास्ते में एक बाइक से धक्का लग जाता है वो गिर जाती हैं सारी सब्जियां बिखर जाती है उन्हें चोट भी लग जाती है कुछ लोग दौड़ते हुए आते है और उन्हें उठाते है और बाइक वाले पर चिल्लाते है - अरे देख कर नहीं चला सकते हो, तो दूसरा आदमी कहता है- साले दिन में भी पी कर चलाते हैं जैसे सड़क इनके बाप की है. तब बाइक वाला रुक जाता है जब हेलमेट उतरता है तो लोग पीछे हट जाते है - कौन बोला बे...? कहता हुआ तेज़ उर्फ़ तेजा भाई नरेन्द्र की मम्मी के पास आकर खड़ा होता है- गलती तुम्हारी है जो बीच सड़क पर चल रही हो.... बीच सड़क पर चलोगी तो क्या होगा...धक्का नही लगेगा. नरेन्द्र की मम्मी को भी गुस्सा आता है वो बोलती है- कहाँ बीच सड़क पर चल रहे है तुम्ही अंधे हो गये हो दिखाई नही दिया या शराब पीकर चल रहे हो. ऐसे ही कहा सुनी होने लगती है और तेज़ उन्हें एक थप्पड़ जड़ देता है.
तेज़ चला जाता है बाकी सब देखते रहते हैं. मम्मी सब की तरफ देखती हैं किसी के पास तेज़ के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं है.