Rahashyo se bhara Brahmand - 1 - 1 in Hindi Science-Fiction by Sohail K Saifi books and stories PDF | रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड - 1 - 1

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रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड - 1 - 1

रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड

इस किताब के माध्यम से हमने कुछ विभिन्न प्रकार की थ्योरीस को आपके लिए प्रस्तुत किया है इस किताब में कुल तीन कहाँनी है।

प्रथम

इस किताब की पहली अद्भुत कहाँनी प्री- पैराडॉक्स थ्योरी पर आधारित है जो बेहद ही सरल और रोमांचकारी रूप से लिखी गई है। वैसे तो हम सब जानते है। यदि हमें समय यात्रा सम्भव करनी है। तो हमें प्रकाश(लाइट) की गति से चलने वाला यंत्र बनाना होगा जिसका अर्थ है। दो लाख निन्यानवे हजार सात सौ बानवें किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चलने वाले यन्त्र कि आवश्यकता है। जबकि संसार की सबसे तेज गति का उपकरण अभी हमारे पास जो है। वो तीन लाख पैंसठ हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की क्षमता रखता है। तो सम्भावना है कि हम भविष्य में लाइट स्पीड की गति से चलने वाली मशीन का आविष्कार कर सके। खेर प्री-पैराडॉक्स थ्योरी के अनुसार यदि भविष्य में समय यात्रा करना सम्भव होगा तो घटनाओं का क्रम काफी उलझ जाएगा यानी कौन सी घटना कब घटी है। इसको बताना अत्यंत कठिन होगा। इसी थ्योरी को सरलता से हमने अपनी प्रथम कहाँनी पहेली में समझाया है।

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इसके बाद हमारी दूसरी कहाँनी पैरलल यूनिवर्स और बटरफ्लाई इफ़ेक्ट से प्रेरित है। पहले हम पैरलल यूनिवर्स की बात करते है, पैरलल यूनिवर्स के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी के अनेकों प्रतिभिम्ब मौजूद हैं। दूसरी भाषा में कहें तो जिस प्रकार मनुष्य के जुड़वा होते है। ठीक उसी प्रकार से ग्रहों के भी जुड़वा होते है। बस अंतर केवल इतना है। के हमारी मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के अधिकतम 7 हमशक्ल तक हो सकते है। किंतु ग्रहों के जुड़वाओ की कोई सीमा नहीं होती और ये समय के अलग अलग आयाम में होते है। इस थ्योरी के अनुसार अलग अलग समय में रह रहे प्रतिभिम्ब कि चीजे तो एक समान हो सकती है मगर उनमें रह रहे लोगों के निर्णयों में अंतर मिलता है यानी जो निर्णय हमारे पृथ्वी के लोगों ने लिए है|

ज़रूरी नहीं ब्रह्माण्ड में हमारे पृथ्वी के प्रतिभिम्ब में रह रहे लोगों द्वारा भी लिए गए हो। उनके निर्णय हमारे निर्णय जैसे हो भी सकते है और नहीं भी।

दूसरी तरफ

बटरफ्लाई इफ़ेक्ट एक ऐसी थ्योरी है जिसने प्रमाणित किया है के संसार के एक कोने में घटी घटना संसार के दूसरे कोने में होने वाली बड़ी घटना का कारण बन सकती है इसको सरलता से समझाने के लिए एक उदाहरण देता हूँ।

आजकल हमारे घरों में आने वाला दूध एक प्लास्टिक के पैकेट में आता है। जिसका उपयोग करने के लिए हम उस पैकेट का एक छोटा कोना काट कर कूड़े में फेंक देते है। जिसे अधिक छोटा होने के कारण रिसाइकिल नहीं किया जाता और कुछ महान व्यक्तियों द्वारा उसको समुद्र में फेंक दिया जाता हैं जिसे समुद्र की छोटी मछलियां निगल जाती है। और जब मछवारा मछलियों को पकड़ता है तो कई बार उनमें वो प्लास्टिक का टुकड़ा खाई हुई मछली भी होती है फिर उस मछली को खाने वाले व्यक्ति को कैंसर होने की सम्भावना तक होती है जिसके कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। अब सोचिए हमारे द्वारा काटी गई छोटी सी प्लास्टिक किस प्रकार से एक मनुष्य के प्राण छीन सकती है। इसी को बटरफ्लाई इफ़ेक्ट कहते हैं।

इन दो थ्योरी को मिला कर हमारी दूसरी कहाँनी आत्मा का निर्माण हुआ है। जो हर पल आपको अचंभित करेगी।

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अंत में रहस्य और रोमांच से भरपूर एक चमत्कारी और जादुई दुनिया पर आधारित हमारी अंतिम कहाँनी है। जिसमें समय समय पर दुर्लभ और अद्भुत घटनाएँ घटित होती है। जो आपके होश उड़ा देगी और आपकी जिज्ञासा को प्रति क्षण जागरूक रखेगी इस अंतिम कहाँनी में आपको विभिन्न प्रकार के प्रसिद्ध मान्यताओं का मिश्रण मिलेगा जो आपका मनोरंजन करने के साथ साथ संसार के कुछ दुर्लभ ज्ञान से भी परिचित कराएंगी। इस कहाँनी का नाम है। वसुंधरा

पहेली

अध्याय 1

खण्ड1

एक दिन दिसम्बर के महीने में एक पार्क में हरीश गुमसुम सा बैठा धूप सेक रहा था तभी उसकी नज़र अपने सामने दूर खड़े व्यक्ति पर पड़ी जिसको देख कर हरीश चोंक उठा क्योंकि वो व्यक्ति हरीश का हमशक्ल था और सबसे भयानक बात ये थी कि वो एकदम शांत स्थिति में खड़ा हरीश को ऐसे देख रहा था जैसे वो हरीश के लिए ही वहाँ आया हो और जब हरीश अपनी जगह से उठ कर उसकी और चला तो वो व्यक्ति अपनी जगह पर रुका नहीं रहा बल्कि आगे की ओर बढ़ चला,

हरीश निरंतर अपने हमशक्ल का पीछा करता जा रहा था जैसे जैसे हरीश उसको पकड़ने के लिए अपनी गति तेज करता वैसे वैसे ही वो हमशक्ल अपनी रफ्तार भी बढ़ाता जाता इसी बीच वो हमशक्ल एक सुनसान गली में घुस गया, हरीश भी उसके पीछे उस गली में घुस गया मगर जैसे ही हरीश उस गली में घुसा तो उसने उस गली को खाली पाया गया वो गली तीनों तरफ से ऊंची ऊंची दीवारों से बंद थी उन दीवारों को इतनी जल्दी लांघना किसी भी इंसान के लिए सम्भव नहीं था फिर भी वो हमशक्ल वहाँ से एक रहस्य की तरह गायब हो गया हरीश इस बात से काफी हैरान था तभी हरीश की नज़र सामने वाली दीवार पर पड़ी उस पर एक पर्चा लगा था जब हरीश ने उसको नजदीक से देखा तो उसपर हरीश की खुद की राइटिंग में लिखा था

समय आ गया

तिथि 31/3/1990

एक अज्ञात व्यक्ति एक सुंदर नवजात शिशु को कुमार फैमिली के घर के दरवाजे पर छोड़ जाता है।

इस पूरी कुमार फैमिली में केवल एक अधेड़ उम्र का जोड़ा रहता है। उनके विवाह को तीस वर्षों से भी अधिक हो चुके थे किंतु अभी तक वो संतान के सुख से अपरिचित थे। उन्होंने अनेकों चिकित्सालय के चक्कर लगाए कई पंडितों और हकीमो के यहाँ हाथ फैलाए परंतु सब कुछ व्यर्थ सिद्ध हुआ जैसे जैसे समय बीतता वैसे वैसे उनकी संतान प्राप्ति की लालसा भी बढ़ती जाती इसलिए जब उनको अपने घर के बहार एक शिशु दिखा तो उनके भीतर की ममता और स्नेह उमड़ आया उन्हें,लगा ईश्वर ने उनकी भक्ति और लग्न से प्रसन्न हो कर उनको वरदान दिया है। बस इसीलिए ईश्वर का प्रसाद मान कर उन्होंने उस नन्हे बालक को रख लिया। और अपनी सगी सन्तान की तरह उसका पालन पोषण किया, मगर एक चीज़ उनको खटकने लगी असल में वो नहीं चाहते थे कि कभी भी बच्चे को सौतेली संतान होने का पता चले जो मौजूदा स्थान पर असंभव सा लगने लगा था क्योंकि आस पास के लोगों में इसका पता था कि कुमार फैमिली जिस शिशु की परवरिश कर रही है वो उनकी सगी संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने निवास स्थान को बदल कर एक नए स्थान में जा कर बसेरा कर लिया।

कुमार दम्पत्ति ने उसका नाम हरीश कुमार रखा, आगे चल कर हरीश एक तीक्ष्ण बुद्धि का स्वामी बना, उसकी कुशलता और यौग्यता का अनुमान हम इस बात से लगा सकते है। के उसने बारहवीं कक्षा में इस संसार को दो बड़े आविष्कार दिए पहला स्मार्ट फोन दूसरा होलोग्राफी मगर उसने धन लोभ में आ कर अपने आविष्कार मोटे दामों में मल्टी नेशनल कंपनियों को बेच दिए। लोभ एक ऐसी बीमारी है जिसके प्रभाव से बड़े से बड़े ज्ञानी की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यही हरीश के साथ हुआ और इस बात का हरीश को तब एहसास हुआ जब किसी भी रूप में उसको इन सब का श्रेय नहीं मिला अरे श्रेय तो बहुत दूर की बात है यदि वो किसी को ये बताता भी के ये आविष्कार उसने किए है। तो लोग उसका खूब मजाक बनाते इन सब अनुभव ने उसको एक चीज़ के लिए मजबूत कर दिया, और वो ये के हरीश अपने अगले आविष्कार का श्रेय नहीं खोएगा और उसका नया आविष्कार आने वाली सदी का सबसे महान आविष्कार है। उसका अगला आविष्कार समय यात्रा यन्त्र था जो उसने साल 2010 से बनाना शुरू किया, और साल 2016 के आरम्भ में उसने आविष्कार को लगभग बना ही लिया था के तभी उसपर पहाड़ टूट पड़ा उसका जीवन में ऐसे दुखो का सैलाब आया कि वो टूटे मोतियों की माला समान बिखर पड़ा।

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