अन्जान रिश्ता - 2 in Hindi Fiction Stories by suraj sharma books and stories PDF | अन्जान रिश्ता - 2

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

अन्जान रिश्ता - 2

इतना कहकर रानी जमीन पर गिर गई।। कुछ देर की लिए तो सब स्तब्ध रह गए, किसिकी हिम्मत नहीं हो रही थी उसके पास जाकर उसे उठाकर पूछे कि आखिर उसे हुआ क्या है, क्या बोल रही थी वो और क्यों ।। दादी को तो मानो जैसे धक्का लग गया, उनकी तो आवाज़ निकालना बंद हो गई ।। कोई समझ नहीं पा रहा था कि आखिर रानी को हुआ क्या है. माँ ने जल्दी से जाकर अपने बेटी को छाती से लगाया और रोते रोते पूछा क्या हुआ लाडो तुझे, ये सब क्या बोल रही थी ।।
पापा ने कहा उसे अंदर ले जाओ, कल सुबह बात करते है और सब अपने अपने रूम ने चले गए, पूरी रात मानो सब के लिए एक कभी ना भूलने वाली रात बन कर रह गई , पर वो कहा जानते थे अभी तो और भी बहुत कुछ होना बाकी था, जो एक ही पल में सबकी ज़िन्दगी तबाह कर सकता था।। सबकी खुशियों को दुःख में बदल सकता था…
।।। "ये कमबख्त रात कट ही नहीं रही", बोलते हुए मामाजी ने २-४ बार रूम में चक्कर लगा ली, घर के सारे मेहमान अपने अपने बच्चो को सुलाने की कोशिश करते पर बच्चे जब भी आंखे बंद करते उन्हें रानी का वो डरावना चेहरा आंखो के सामने घूमने लगता और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए कहता " "अभी हिसाब बाकी है बुढ़िया" बच्चे डर से फिर उठ जाते..
आखिर एक लम्बी रात के बाद सुबह हुई, सब लोग जैसे इतने डर गए थे कि बस अभी घर छोड़कर जाना चाहते थे पर शादी का माहौल था, आखिर इतने सालो बाद कुछ अच्छा होने वाला था, और फिर सबके मन मे सवाल भी था कि आखिर रानी ने ऐसा क्यों कहा।।
सब हॉल में जमा हो गए और एक दूसरे से बाते करने लगे कि तभी रानी उसके पापा के साथ खेलते खेलते नीचे आ रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं या फिर उसे कुछ पता ही नहीं ।। सबने पूछना चाहा पर रानी के पापा ने ये कहकर माना कर दिया की कुछ नहीं उसकी थोड़ी तबीयत खराब है, आज डॉक्टर के पास जाएंगे तो ठीक हो जाएगी।। वो जानते थे घर में शादी है और अभी इस बात का सही वक़्त नहीं,, २ दिन बाद शादी हो जायेगी फिर रानी से बात करेंगे सोचकर वो भी चुप हो गए…
रानी अपनी गुड़िया के साथ जैसे तैसे नजदीक आती, घर के बाकी बच्चे उसे देख कर दूर भाग जाते, रानी समझ नहीं पा रही की ये सब क्या हो रहा है।। रोज बच्चे उसे डराते थे आज वो खुद कैसे डर रहे,…ओरी सुनती हो।।।जैसे ही दादी कि आवाज़ रानी के कानों में पड़ी उसने फिर दादी के पास देखा, पर अब दादी का बर्ताव रानी के लिए नरम हो गया था।।
दादी भी पता नहीं क्यों रानी को देख उसकी आवाज़ सुन कर डर जाती थी, दादी ने चुपचाप पूजा घर में जाना ही ठीक समझा और दादी हात में माला लेकर राम राम करने लगी।।सब लोग नाश्ता कर रहे थे, मामाजी बोले "अच्छा किया जो शादी के लिए बाहर फंक्शन हॉल नहीं लिया, अपना घर ही इतना बड़ा है और वैसे भी शादी में ज्यादा लोग तो आयेगे नहीं तो फिर क्यों पैसा बर्बाद करना।।मामाजी की कोशिश थी कुछ बात करके सबका ध्यान रानी पर से हट जाए पर सबको मानो जैसे रानी ने खुदके वश में किया था।।सब रानी के पास डर की नजर से देख रहे थे, कि तभी....