PYAAR SE FIR MIL JANA in Hindi Love Stories by Priyamvada Dixit books and stories PDF | प्यार से फिर मिल जाना

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प्यार से फिर मिल जाना

जिंदगी भी कितनी अजीब होती है। कभी-कभी हमारे पास खोने को कितना कुछ होता है। लेकिन कभी-कभी हमारे पास कुछ खोने के लिए कुछ भी नही होता। कई बार कुछ चीजों से या अपने हालातों से दूर भागने के लिए। हम खुद को मशरूफ कर लेते हैं।

जिससे हमारे अंदर का दर्द और शोर कहीं दब जाए। जैसे कि पूजा कर रही थी। वह काम की तलाश में जगह-जगह जाती और काम मांगती। काम की तलाश आज उसे मुंबई के मशहूर फाइव स्टार होटल तक ले आई थी।

सड़क किनारे उस बड़े से होटल में घुसते ही उसने रिसेप्शन पर बैठे मैनेजर से कहा कि वो वहां वेट्रेस का काम मांगने आयी है। मैनेजर ने उसको एक-टक देखा। फिर कुछ देर देखने के बाद उसने धीरे से कहा।

"माफ करिएगा लेकिन हमारे यहाँ स्टाफ की अभी जरुरत नही। इतना बोलते हुए उस मैनेजर ने पूजा को वहां से जाने के लिए कहा।

अपने होटल के दुसरे मेनेजर को कहा की 30 से ज्यादा की उम्र की औरतों को काम नहीं देते।

पूजा पलट कर मैनेजर को यह बताने ही वाली थी कि वह 30 की नही बल्कि 25 साल की युवती है। पर वो जैसे ही पलटी उसने सुना कि मैनेजर पास ही खड़े दुसरे मैनेजर को बोल रहा था। “उससे पहले उसने होटल के मैनेजर को यह बोलते हुए सुन लिया। अगर ऐसी युवतियों को काम पर रखेगे तो ग्राहक उनका चेहरा देख कर भाग जाएगा।"

पूजा कुछ बोलने ही वाली थी कि उससे पहले उसकी नजर रिसेप्शन के सामने लगे बड़े से शीशे पर पड़ी। खुद को देख कर वो खुद भी डर गई । उसने देखा कि शीशे में झुर्रियों में कैद एक औरत खड़ी थी।

खुद को ऐसा देख कर वो अपनी आंखो पर यकीन नही कर पा रही थी। उसकी आँखें जिनमे कभी जमाने की चमक हुआ करती थी। वही आँखे आज सुनी थी। उसके चेहरे की चमक कहीं खो गई थी। उसके काले लंबे बाल भी अब सफेदी कि चादर ओढ़ चुके थे। उसके चेहरे को देख कर कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि वह 25 साल की है बल्कि उसको खुद को देखकर यह लगा कि वह 10 साल बूढ़ी हो गई है।

खुद को ऐसा देखकर पूजा स्तब्ध खड़ी रही। उसने अपनी हालत के लिए खुद को ही जिम्मेदार माना। वह किसी और को भी जिम्मेदार मानती पर हर चीज के लिए वक्त को जिम्मेदार मानना उसकी आदित्य नहीं थी। खुद को ऐसा देखकर हो चुपचाप होटल से बाहर आरही थी कि उसकी नजर उस तेज चमचमाती गाड़ी पर पड़ी जो तेजी से होटल की तरफ आ रही थी। उस बड़ी सी गाड़ी की जगमगाती रोशनी को देखकर उसकी आंखें गाड़ी से आती रोशी पर रुक गई। वह होटल के गेट के पास खड़ी हो गई। वह नीली गाड़ी को देख ही रही थी।

गाड़ी रुकी। गाड़ी का गेट खुला तो 2 जोड़ी कदमो की आहट हुई। पूजा की नज़रे उस शख्स के जूतों पर पड़ी। धीरे-धीरे जब उसकी नहरें जूते से ऊपर गयी तो नीली रंग की पैंट और उसपर काले रंग की शर्ट पहले कोई होटल ली तरफ आ रहा था।

पूजा ने जैसे ही उस शक़्स का चेहरा देखा। तो उसको लगा कि वो चेहरा कुछ जाना पहचाना सा है। जैसे ही उसकी नजर उस चेहरे पर पड़ी तो मानो उसके सारे दुख और दर्द उसको फिर मिल गए हो और वो फिर उसी जगह आ गई हो। जहां से 3 साल पहले वह भागी थी।

पूजा मौन सी आंखें लिए। उसी शख्स को देखती रही। पूजा के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। वह लड़का कोई और नही बल्कि आदित्य था।

आदित्य पूजा को देखता उससे पहले गाड़ी का दूसरा गेट खुला और अनु गाड़ी से उत्तरी। अनु और आदित्य को साथ देखकर सपना को बीता हर लम्हा याद आ गया। उस समय उसको ऐसा लग कि किसी ने उसके जख्मों पर समुद्र के खारा पानी के छिड़क दिए हो।

3 साल में जो भी पल पूजा ने आदित्य की यादों के साथ बिताया था। वह मानो एक लम्हे में उसने फिर से जी लिया। आदित्य और अनु को साथ में 3 साल हो गए थे। उनका साथ उसदिन से बना जिस दिन आदित्य ने अपनी पत्नी, यानी पूजा के साथ सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। इतना बोलते हुए उस मैनेजर ने पूजा को वहां से जाने के लिए कहा।

यह वह पल था जब आदित्य ने शादी की पर पूजा को तीसरी anniversary पर गिफ्ट में पूजा को तलाक के कागज दिए थे।

आंखों में आंसू लिए पूजा वहां से आदित्य से नजरें चुरा के जा ही रही थी। आदित्य की नजरें पूजा पर पड़ी। वह पूजा को गौर से देखने लगा। मानो उसको यह लग रहा हो कि पूजा की हालत का जिम्मेदार खुद है। वह पल पूजा के लिए किसी युद्ध से कम ना था। उसके सामने उसका रहीस पति 'आदित्य' और उसकी बेहद खूबसूरत माशूका 'अनु' खड़ी थी।

यह देख पूजा होटल से दूर

ऐसे जा रही थी। मानो वह आदित्य से दूर भाग रही हो। वह चुपके से जा ही रही थी। पीछे से आदित्य की आवाज आई।

"पूजा, पूजा", पूजा ने पलट कर यह कहना चाहा कि वह पूजा नहीं है। क्योंकि उसके मन में यह चल ही रहा था कि अब वह आदित्य की पत्नी पूजा नही।

सवालों और जवाबों में खुद को बांधे हुए।पूजा ने पलट कर आदित्य से यह बोला कि वह पूजा नहीं। पर आदित्य की आंखें फिर भी यह मानने को तैयार नहीं थी कि वह पूजा नहीं।

इतना बोल कर पूजा तेजी से सड़क की तरफ चल दी पीछे से आदित्य इतने जोर से चिल्लाया कि ध्यान से पर पूजा के दिमाग में बस भागना था आदित्य से दूर। वो भाग रही था जैसे वह पिछले 3 साल से भाग रही थी। तभी एक गाड़ी तेजी से पूजा की तरफ आगई। जब तक वह गाड़ी वाला ब्रेक लगाता। गाड़ी पूजा के पैरों से टकरा गई। पूजा ज़ोर से सड़क पर गिर गई। इतना देखकर आदित्य और अनु उसकी तरफ भागे लेकिन पूजा का सिर सड़क के किनारे एक पत्तर से जा लगा।

"पूजा", उसने यह बोलते हुए आदित्य को सुना। आदित्य ने पास आकर पूजा को उठाने की कोशिश की।

"धीरे धीरे पूजा की आँखे बंद होने लगी। सिर पर चोट लगने से वो सड़क पर बेसुद सी आदित्य की बाहों में मीठी नीदं में सो गई।