khabbu veer in Hindi Moral Stories by Priyan Sri books and stories PDF | खब्बू वीर

Featured Books
Categories
Share

खब्बू वीर

इस पावन भूमि भारत में समय-समय पर महापुरुषों ने जन्म लिया है। जो अपने चमत्कारों द्वारा इस नश्वर संसार में भी अमर हो जाते हैं और आने वाली पीढ़ियाँ उनकी गुण-गाथा गाती हैं...

ऐसे ही एक महापुरुष थे "खब्बू वीर"... अब आप पूछेंगे कि उनका असली नाम क्या था? तो भईया, वो अपनी पेट पूजा की अद्वितीय क्षमता के कारण आस-पड़ोस के कई गांवों में इसी नाम से विख्यात थे। "थे" मतलब... वे हमारे जन्म से कई वर्ष पूर्व दिव्य लोक को प्रस्थान कर चुके थे और यह हमारे लिये व्यक्तिगत क्षोभ का विषय है कि हम उस महामानव के दर्शन लाभ से वंचित रह गए किंतु आज भी उनके चमत्कार यदा-कदा चर्चा का विषय बन जातेे हैं। अतः हम भी इस बहती गंगा में डुबकी मारकर स्वयं को धन्य समझ लेते हैं।

उनकी ऐसी ही एक अद्भुत कथा लेकर आपके समक्ष उपस्थित हूँ। पाठकों से अनुरोध है कि हाथों में फूल - माला लेकर बैठ जाएं एवं इस मोक्षदायिनी कथा का श्रवण करें...

एक बार की बात है। श्री खब्बू वीर जी एक बारात में निमंत्रित हुए। लड़की वालों ने जमकर आवभगत की। खब्बू वीर जी के लिए विशेष व्यवस्था की गयी थी... तो श्री खब्बू वीर जी, नाम के अनुरूप काम करके अन्य बारातियों के साथ विराजमान हुए। उन्हीं में से कुछ ने विचार किया कि खब्बू वीर जी की तफ़रीह लेनी चाहिए। वो ये बात भलीभांति जानते थे कि खब्बू वीर जी बस अभी - अभी पेट पूजा करके लौटे हैं अतः यही सही समय है उनकी क्षमता के वास्तविक मूल्यांकन का... तो उन्होंने 25 गुलाब जामुन मंगवाए और कहा कि - भाई खब्बू वीर, अगर आप ये सारे गुलाब जामुन चट कर जाओ तो मानें कि आप असली खब्बू वीर हैं।

ये सुनकर खब्बू वीर सोच में पड़ गए कि अच्छी तरकीब निकाली इन्होंने... उन्हें सोच में डूबा देख बाकी बारातियों में भी उत्सुकता जागी। पीछे से कुछ एक आवाजें भी आईं कि इनसे न हो पाएगा। इन बातों ने खब्बू वीर की हिम्मत बढ़ा तो दी लेकिन उन्होंने कुछ वक्त मांगा और बाहर निकल गए। जब तक लोगों में ये खुसुर-पुसुर हुई कि खब्बू वीर कहाँ गए..!! उतने में वो लौट आए और सारे गुलाब जामुन चट कर गए। अब तो माहौल जम गया...

अबकी बार 50 गुलाब जामुन की शर्त लगी। खब्बू वीर जी फिर बाहर गए। ये देखकर लोगों ने तुक्के लगाने शुरू किए कि कहीं पेट खाली करने तो नहीं गए..!! इतने में वो लौटे और पचासों गुलाब जामुन चट कर गए। अब तो और भी लोग इकट्ठा होने लगे।

इस बार 75 गुलाब जामुन की शर्त लगी और फिर खब्बू वीर बाहर निकले। इस पर कुछ लोगों को संदेह हुआ कि कहीं उल्टी करके पेट में जगह बनाने तो नहीं गए..!! तब तक खब्बू वीर लौटे और 75 गुलाब जामुन चट। अब तो बात फैलने लगी और अच्छा - ख़ासा मजमा जुटने लगा।

कुछ विचार - विमर्श के पश्चात 100 गुलाब जामुन की शर्त लगी। ये सोचकर कि अब तो खब्बू वीर को हार माननी ही पड़ेगी, खुसुर-पुसुर तेज होने लगी। किंतु इन अफ़वाहों से परे खब्बू वीर बिना कुछ कहे फिर बाहर निकल गए। कुछ लोगों ने मज़े लेते हुए कहा कि अब तो लगता है कि खब्बू वीर जी न लौटेंगे...!!! पर थोड़ी ही देर बाद वे फिर हाज़िर और सारे गुलाब जामुन चट...

चारों ओर वाह - वाह मच गई। शर्त लगाने वालों ने भी हार मान ली। पर एक सवाल सबके मन में अब भी था कि गुलाब जामुन खाने के पहले आख़िर वो जाते कहाँ थे..?? सो पूछने पर परम प्रतापी श्री खब्बू वीर जी ने रहस्योद्घाटन किया कि - बंधुओं, इतने सारे गुलाब जामुन की शर्त ने एक बार तो हमें भी संशय में डाल दिया था। इसलिए हर शर्त से पहले मैं बाहर जाकर उतने गुलाब जामुन खाकर देख लेता था कि मैं खा भी सकता हूं या नहीं। फिर यहाँ आकर शर्त के गुलाब जामुन खा लेता था।

ये सुनकर सबने श्रद्धा से हाथ जोड़ लिए। इधर खब्बू वीर की वाह - वाह हो रही थी और उधर हल्ला मचा कि लड़की का बाप भंडार के सारे गुलाब जामुन ख़त्म होने पर गुस्से में हाथ में सोंटा लिए शर्त लगाने वालों को ढूंढ रहा है...

अथ श्री खब्बू वीर जी कथा इति समाप्त... 🙏

वैसे सच - सच बताईयेगा, कहीं आप ही ने तो शर्त नहीं लगाई थी 🤔😃

आपको भी किसी खब्बू वीर के दर्शन हुए हों तो कमेंट करके अवश्य बताएं 🙏