सुहानी 6 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी । बावजूद इसके, वो घर में सबकी लाड़ली भी थी।भले ही घर का माहौल थोड़ा कड़ा था लेकिन बच्चों को प्यार भरपूर मिलता था। उसको ज़रा सा सर्दी-ज़ुकाम होने पर ही सब परेशान हो जाया करते थे । बच्चों में सबसे बड़ी होने के कारण माँ-बाबा को अब उसके ब्याह की चिन्ता भी होने लगी थी।
ये उस समय की बात है जब इक्कीस बाईस साल में लड़की का ब्याह होना भी काफी बड़ी बात हुआ करती थी। रिश्तेदारी में सुहानी से दो - तीन साल छोटी उसकी बहनों की भी शादी हो चुकी थी। रिश्तेदार, आस पड़ोसी अक्सर घरवालों से पूछ लिया करते थे, "सुहानी के लिए लड़का नहीं देख रहे हैं क्या?लड़की 24 की हो गई है। उम्र निकली जा रही है।" लड़की के बड़े होते ही मां बाप पर उसकी शादी करने का दवाब तो रहता ही है लेकिन इससे भी ज़्यादा समाज के ताने, उनकी अनर्गल बातें, लोग क्या कहेंगे, क्या सोचते हैं... इन सबकी चिंता ज़्यादा होती है। हो भी क्यों न...!! आखिर रहना तो हमें इस समाज में ही है। कब तक लोगों की बातों को नजरंदाज करते रहेंगे। कब तक सबको समझाते रहेंगे। और भला आज तक कभी लोग, समझाने पर कुछ समझे हैं क्या?? वो तो चार बातें बनाने का कोई मौका कभी छोड़ते ही नहीं है। सुहानी के माता पिता को भी अब उसकी शादी की चिंता खाए जा रही थी।
बेटी के जन्म के साथ ही मां बाप उसकी शादी का सपना देखने लग जाते हैं। मां तो बचपन से ही दहेज जोड़ना शुरू कर देती हैं। सोने के कंगन, पाजेब, कानों की बालियां गले के हार और ना जाने क्या क्या गहने बचपन से ही सहेजे जाने लगते हैं। मां बाप का एक ही तो सपना होता है, उनकी बिटिया को अच्छा परिवार मिले। जीवन में उसको सारी खुशियां मिलें। फिर वो भी तो उसकी शादी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते । सुहानी के घर का माहौल भी अब इन्हीं बातों से भरने लगा था। जिन्हें सुनकर वो कभी कभी चिड़चिड़ा भी जाती थी।
आज जब बाबा घर आए तो उनके चहरे के भाव थोड़ा अलग थे। खाने के वक़्त बाबा ने मां को बताया, "एक रिश्ता आया है अपनी सुहानी के लिए।" पहले जब भी कभी कोई बाबा से सुहानी के रिश्ते की बात करता था तो बाबा ये बोलकर मना कर देते थे कि अभी तो उसकी पढ़ाई बाकी है। बाबा की इन्हीं बातों पर सुहानी को भरोसा हो चला था कि वो उसकी पढ़ाई खत्म होने से पहले तो उसकी शादी नहीं करेंगे। मगर आज जब बाबा ने खुद आकर मां को बताया तो उसके जैसे सांप ही सूंघ गया। अरे, अभी तो उसने सपने देखना शुरू किया था। अभी तो ठीक से सोच भी नहीं पाई थी कि अपने सपनों को कैसे जीएगी!!
बाबा को उसकी शादी के लिए गंभीर होता देख, उसे धक्का सा लगा था। मन में आया, अभी बोल दे कि बाबा.."मुझे नहीं करनी है कोई शादी वादी। मुझे तो अभी आगे पढ़ना है। अपने सपनों को पूरा करना है ।"