यह कहानी मेरे बच्चपन की है। सिर्फ मेरा ही नहीं कई लोगों के साथ इससे मिलती घटनाएं हो चुकी होंगी। आप लोगों से निवेदन है कि आप इस कहानी को अवश्य पढ़ें और कहीं भी त्रुटि होने पर मुझे क्षमा करने का कष्ट करें।
ये बात उन दिनों की है जब हम लोग स्कूल जाया करते थे। उस दिनों स्कूल जाना भी कांटों पर चलने जैसा रहता था। रोज़ रात को सोने से पहले कुछ ना कुछ बहाना सोच के ही सोते थे कि कल स्कूल कैसे ना जाएं । जिद्दी तो बच्चपन से थे ही बिना एक दो हाथ लिए स्कूल नहीं जाता था। जाने से पहले छोटे भाई को जब 1रुपए मिलते तो मुझे आठाना मिलता । छोटे भाई का तो पढ़ने में मन नहीं लगता था इसलिए उसको मुझसे ज्यादा ही पैसा देते थे ताकि इसी बहाने स्कूल चला जाए। बढ़ा भाई तो अब बाहर पढ़ने लगा था। लेकिन जब वह स्कूल जाता था तो स्कूल के सामने रिक्सा पहुंचने पर वह रिक्से को जोर से पकड़ लेता। लाख मानने पर भी वह रिक्से से ना उतरता। रिक्से वाला कई बार तो उसको वैसे ही घर वापस ले भी गया।......
हलकी ठंडी का मौौसम था अंधेरी रात थी। रात को
गांव में जल्ददी ही खा पी के सो जाााते। करीब 1 बजे रात को गाांव मेंे चोर कूद पड़े । अब एक घर में चोरों का आगमन हुआ । अब आप तो जााानते ही होंगे कि गांव में एक दो लोग होते हैं जो चोरों से लड़ें होते हैैं । अब उन ही वीीीीरों में से एक वीर जग रहा था।
उसको सिर्फ इतना पता था कि चोर उसी के घर में आए हैं। कुछ समय तक तो वह लेटा रहा। अब जब उसको कुुछ आवाज सुनाई नहीं दी तो चुपके से उठा। आंगन से होकर बाहर के दरवााजे पर बढ़ा जब बाहर पहुंचा तो उसने
एक सफेद कपड़े पहने आदमी को देखा । अंधेरी रात अब भी अंधेरी ही थी । अब उसने इसके आगे बिना कुछ सोचे उस आदमी को जो चोर था दबोच लिया फिर जाके चिल्लाया चोर!चोर! ..
अचानक से गांव की नींद टूट गई। आस पास के लोग इकट्ठा हुए। अब उस भीड़ में से एक के पास सऊदी वाली टॉर्च थी उसने जब लाइट मारी तो पता चला कि ये तो बाबा जी हैं।
लोग तो उसे विश्वास दिलाने लगे की ये तो तेरे दादा हैं।
अब आप तो जानते ही होंगे कि घर के छोटे सदस्य घर के अंदर और बुजुर्ग लोग घर के बाहर सोया करते हैं । वहीं दादा जी अपने खाट से उठे ही होंगे मुत्रविसर्जन करने । बस वही से दर दबोच लिया होगा उनका बेटा। खैर तब तक दादाजी की गर्दन अकड़ चुकी थी।
जब सुबह हुई तो ये बात गांव में फैल गई। उसी समय एक और बात पता चली कि एक बाबा जो गांव के पूरब टोला के निवासी थे । वे भी मुत्रविसार्जन करने उठे थे। ताखे पर रखे चिराग की रोशनी से अपनी परछाई को देख के जोर से चिल्लाए .....मार डाला र!!!!
सायद उनको भी लगा होगा कि कोई चोर है।