""""अरे काजल बेटा अभी तू तैयार ही नही हुई , देख कितना समय हो गया । लड़के वाले आते ही होंगे । अच्छे से तैयार होकर उनके सामने आना । वैसे तो मेरी बिटिया रानी को भगवान ने वैसे ही खूबसूरती दी है ,भगवान किसी की नज़र ना लगे । देखना उनको पहली ही नज़र में पसन्द आ जायेगी । जिस घर मे जायेगी खुशहाली लायेगी । """"...काजल की माँ सुलोचना भगवान के हाथ जोड़ती हुई बोलीं ।.....
इतने में दरवाज़े की घण्टी बजी । सुलोचना जी ने दरवाज़ा खोला तो बाहर काजल के भैया अजय खड़े थे । हाथ मे खाने पीने का सामान लिए अंदर प्रविष्ट हुए ।.....
"""" लो माँ जो जो तुमने बोला वो सब ले आया हूँ , स्वागत में किसी प्रकार की कोई कमी ना रह जाये । अपनी गुड़िया रानी को राजकुमारी की तरह विदा करूंगा , पूरा संसार देखेगा की अजय ने अपनी बहन को कैसे विदा किया । बस एक बार ये रिश्ता हो जाये । """"........ अजय काजल की तरफ देखता हुआ अपनी माँ सुलोचना से बोला ।......
""" भैया आपलोग क्यों इतना परेशान होते हो , मुझे अच्छा नही लगता बिल्कुल भी । में जैसी हूँ वैसी ही ठीक हूँ । जो मेरे मन को पढ़ेगा में उसी को अपना जीवन साथी चुनूँगी । जबसे पापा गए हैं तबसे आपने ही एक पिता की तरह मेरा कितना ख्याल रखा है , क्या में नही जानती , अपनी इक्छाओं की बलि देकर आपने मेरे लिए हर खुशी जुटाई है । बस भैया अब बहुत हो गया , अब मेरा वक़्त आया है आपलोगों के लिए कुछ करने का , तो आप मुझे घर से निकाल देना चाहते हो । """.....काजल रुआंसी होकर बोली, और अपने भैया से लिपट गई।.....
""""अरे नही पगली, जब तक तेरा भाई जिंदा है तुझे किसी बात की कोई चिंता करने की जरूरत ही नही । और तूने भी क्या कम किया है हमारे लिए । में ज्यादा पढा लिखा तो नही जो तेरी तरह बड़ी बड़ी बाते करूँ , लेकिन इतना समझता हूं एक भाई की लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है एक कर्तव्य होती है छोटी बहन । नर्सिंग की पढ़ाई कर तू नॉकरी करती है मुझे वही अच्छा नही लगता। मेरी इक्छा तो तुझे डॉक्टर बनाने की थी । पर मजबूरियों ने हाथ बांध दिए । मेरा सबसे बड़ा सपना तुझे सफेद कोट में गले मे आला लटकाए बड़ी शान से चलते हुए देखने का था । ......हाशssssss....पर खैर कोई बात नही , में तो जैसे तैसे करके पैसे की जुगाड़ करके तुझे डॉक्टर बना देता, पर तूने ही अपनी कसम देकर मना कर दिया । """....आंखों में किसी सपने की टूटन का दर्द लिए अजय नीचा सर करते हुए काजल से बोला ।.....
""""अरे भैया क्या हुआ में डॉक्टर नही बन पाई । हमलोगों की इतनी हैसियत नही थी कि इतने पैसे लगाएं , इसलिए मैंने ही पांव पीछे कर लिए । पर भैया में अपने काम से बहुत खुश हूँ । एक नर्स भी डॉक्टर से कम नही होती । बस मन मे सेवा की भावना होनी चाहिए । आपने और माँ ने क्या किआ है मेरे लिए ये में ही जानती हूँ । माँ ने सिलाई कड़ाई कर करके दिन रात एक करके हमदोनो को बड़ा किया । आज के समाज मे जहां लड़कियों को बोझ समझा जाता है , उनको इस संसार मे आने से पहले ही मार दिया जाता है । ऐसी दुनिया मे आप जैसे भैया और इनके जैसी माँ मिलना किसी ईश्वरीय आशीर्वाद से कम तो नही । ""....इतना कहकर काजल माँ और भैया दोनो से लिपट गई ।.....
अजय पारिवारिक जिम्मेदारी संभालने की वजह से आगे पढ़ नही पाया । और हायर सेकेंड्री कर पुलिस में हवलदार के पद पर भर्ती हो गया । वो और उसकी माँ ने बड़ी मेहनत करके काजल की पढ़ाई कभी रुकने नही दी । पर अजय को एक कमी सी महसूस होती थी। वो अपनी बहन को डॉक्टर के रूप में देखना चाहता था । ऐसा लगता था जैसे ये कसक उसके हृदय में हमेशा के लिए एक फांस बन चुभकर रह गई हो ।
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कुछ देर बाद घर मे लड़के वालों का पदार्पण होता है । अपने माता और पिता के साथ इंजीनियरिग की पढ़ाई करने वाला सुशील जो देखने में किसी हीरो से कम नही लगता था , अंदर आकर काजल की माँ और भैया को प्रणाम कर सभी सोफे पर बैठ जाते हैं । सुशील अच्छे खाते पीते घर का एक होनहार मेहनती लड़का था। जो इंजीनियरिग फाइनल ईयर की पढ़ाई शहर के नामी कालेज में कर रहा था । .....
"""" आपलोगों को कोई कष्ट तो नही हुआ घर ढूंढने में ??...""".....अजय ने हाथ जोड़ते हुए पूछा ।.....
""" अज़ी ज्यादा कुछ तो नही , पर आपकी कॉलोनी शहर से एक तरफ कोने में पड़ती हैना, रास्ते भी घूमे फिरे हैं , तंग गलियां और लोगों की भीड़ से बचते बचाते आ रहे हैं । हमारी गाड़ी यहाँ की तंग गलियों में आ नही पाई , सो बाहर मेन रोड पर ही खड़ी कर आना पड़ा । """".....सुशील के पिताजी पसीना पोछते हुए बोले ।......
"""" क्षमा चाहता हूँ सर , आपलोगों को इतनी दिक्कत हुई । बहुत पहले जब पिताजी ने यहाँ मकान बनाया था तो चारों तरफ खुला माहौल था । बाद में लोग आते गए और वो खुला हवादार माहौल अब गलियों में तब्दील हो गया । """"......अजय मुस्कुराते हुए बोला ।....
अब बारी थी सुशील की माताजी की , सो वो भी सोफे पर बड़े आराम से पीछे टिकते हुए बोलीं..."""'' हमने तो जब इस शहर में आये तभी सब कुछ सोचकर पहले से ही ऐसी जगह मकान बनाया, जहाँ अच्छे पढ़े लिखे और सामाज में अपनी अलग पहचान रखने वाले लोग रहते थे । पड़ोसियों से ही आपकी पहली पहचान होती है । मज़ाल कोई इस तरह बाहर फालतू भटकता हुआ मिल जाये , सभी अपने काम से निकलते हैं और काम खत्म होते ही घर मे । आवारा लड़को को तो हमारी कॉलोनी का वॉचमेन अंदर ही नही घुसने देता । वहाँ का माहौल एक दम साफ स्वच्छ है । """.....
सुलोचना और अजय ये सुनकर थोड़ा शर्मिंदा हो जाते हैं । .....
कुछ देर कमरे में खामोशी छाई रहती है । फिर अजय बातचीत को आगे बढाते हुए सुशील से उसके पढ़ाई और भविष्य को लेकर बाते करने लगता है , इतने में उसके पिताजी बीच मे ही टोककर अपनी बात रख देते हैं.....
""""' अज़ी इतना पैसा लगाया है हमने अपने लड़के की पढ़ाई पर , इसको बचपन से कभी किसी चीज़ की कमी नही होने दी । बिल्कुल राजकुंवर की तरह रहा है हमारा सुशील । ना कोई गलत संगत , ना कोई बुरी आदत , इसके सभी दोस्त भी अच्छे पैसे वाले पढ़े लिखे खानदान से ताल्लुक रखते हैं । बस अब इस साल इसकी पढ़ाई खत्म , फिर बढ़िया कम्पनी में जॉब लग जायेगी । और नही भी लगी तो हमने जो कमाया वो किसके काम आएगा । एक लड़का ही हैं हमारा इकलौता । सब इसी का तो है , वो तो इसकी इक्छा थी सो इंजीनियरिग करा दी , वरना हमे कोई जॉब वाब की जरूरत नही । आराम से खाओ पियो और जिंदगी का आनंद उठाओ । रखा ही क्या है इसके सिवा जीवन मे ।.."""".......सुशील के पिता ओम प्रकाश हंसते हुए बड़े गर्व से बोले ।......
तभी कमरे में काजल का प्रवेश होता है । सबका ध्यान मेहरून कलर की सुंदर सी साड़ी में लिपटी काजल पर जाता है । काजल उस साडी में मासूमियत लिए ज्यादा कोई बनाव श्रृंगार नही , सादगी और खूबसूरती में किसी परी से कम नही लग रही थी । सुशील तो एक टक देखता ही रह गया ।.....
सुशील की माँ रेखा उसे देखकर बोलीं...."""" लड़की तो एक दम राजकुमारी है । जैसे बिल्कुल हमारे सुशील के लिए ही बनी है। काजल के लिए हमारे सुशील से बेहतर रिश्ता कोई हो ही नही सकता । हमको तो पहली नज़र में ही लड़की पसन्द आ गई । """.....
इतना सुनते ही अजय और सुलोचना के चेहरे पर एक खुशी छा जाती है । वे मन ही मन भगवान का धन्यवाद करने लगते हैं । जैसे जन्मों की तपस्या आज फलीभूत हुई हो । सभी आपस मे बातें करने लगते हैं । काजल और उसकी पढ़ाई लिखाई को लेकर बातें होतीं हैं । सभी अपने विचार और दृष्टिकोण एक दूसरे के समक्ष रखते हैं । ओमप्रकाश जी और रेखा को काजल का नर्स की नॉकरी करना पसंद नही था । वे इसे अपने स्टेटस के खिलाफ मानते थे । उन्होंने शादी के बाद काजल को एक ग्रहणी के रूप में स्वीकारने की इक्छा ज़ाहिर की। सुशील के माता पिता की कुछ बातों से अजय और सुलोचना निरुत्तर हो जाते हैं । पर लड़की वाले जो ठहरे , चेहरे पर उन भावों को सबके सामने परिलक्षित किये बिना बस मुस्कुराते रहे । लेकिन लड़के वाले कि बातों को सुनकर काजल अंदर ही अंदर कुछ नाखुश सी थी । सभी औपचारिक बातों के बाद सुशील के माता पिता अब विदा लेने की बात कह उठ कर खड़े हो जाते हैं । दोनो हाथ जोड़कर अजय और सुलोचना जी से विदा लेकर आगे की बाते बाद में करने का कहकर सुशील के पिता अपने पुत्र और पत्नि के साथ खुशी खुशी अपने घर की और प्रस्थान करते हैं।.....
सबके जाने के बाद अजय काजल को अपने पास बुलाकर कहता है...""'' मेरी गुड़िया को लड़का कैसा लगा ??....हैना एक दिन फिल्मी हीरो की माफिक । उस घर मे तुझको कभी किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही होगी । ऐसा मेरा मन कहता है , देखना तेरी खूबियों और तेरे अंदर की सच्ची सेवा भावना से तू सबका दिल जीत लेगी । अब मेरी चिंता खत्म समझो । मेरी बरसो की तपस्या का ईश्वर ने इतना अच्छा फल दिया , मुझे और कुछ नही चाहिए अब । पर मेरी गुड़िया इस होने वाले रिश्ते से खुश तो हैना ??...""""'' .....अजय काजल की ठोड़ी को हाथ से उठाता हुआ उसका झुका हुआ चेहरा उपर करते हुए बोला ।.....
पर काजल कुछ असमंजस में थी , भैया की बात का क्या उत्तर देती , बस उनसे इतना बोली......
"""" भैया मुझे किसी से कोई शिकायत नही । सुशील भी खूबसूरत पढा लिखा समझदार लड़का है । अच्छे घर से है । पर उसके माता पिता की कुछ बाते मुझे अच्छी नही लगी । उनकी बातों को सुनकर ऐसा लगता है , कि उनके मन मे कहीं ना कहीं अहंकार है अपने रसूख को लेकर। आपने देखा नही उनकी माँ किस तरह सिर्फ स्वयम का ही गुणगान किये जा रही थीं । मेरी नॉकरी को लेकर उसके पिताजी ने जो बाते कहीं मुझे कुछ अच्छी नही लगी ।
ठीक है में शादी के बाद नॉकरी छोड़ दूंगी । पर किसी काम को लेकर उनके ऐसे विचार , ऐसी थिंकिंग , मुझे कुछ ठीक नही लगी । काम कोई भी छोटा या बड़ा नही होता भैया । उस काम को करने की भावना ही इंसान को छोटा बड़ा बनाती है । वो किस भाव से कितने समर्पण के साथ अपने कर्तव्य को निभाता है यही सब मायने रखता है । इंसान का काम ही उसकी पूजा है । नर्स को सब लोग पता नही क्यों इतना छोटा समझते हैं। जबकि नर्स कितनी मानव सेवा करतीं है । माना वो डॉक्टर के निर्देशन में रहकर सब करती है । पर जो भी करती है उसमें कभी कोई कमी नही रखतीं । एक मरीज का ख्याल अपने परिवार के सदस्य की तरह रखना आसान नही होता ।आजकल इंसान जब जन्म लेता है तो वो माँ से पहले नर्स के हाथों में ही आता है । उस एक क्षण में उसके हृदय में जो ममत्व जो प्रेम उतपन्न होता है , भले ही उसकी माँ के प्रेम से बराबरी ना कर पाये , पर किसी मायने में कम भी नही होता । एक तरह से नर्स और डॉक्टर भगवान का ही रुप होते हैं । में ऐसी बातें करके स्वयम की बढ़ाई नही करती , पर मुझे अपने काम से उतना ही लगाव है जितना एक भक्त को अपने भगवान से होता है । मेने अपनी आजतक की नॉकरी में कभी किसी मरीज को भेदभाव की नज़र से नही देखा भैया । जो भी आया सबका बराबर एक ही भाव से इलाज किया सेवा की । फिर क्यों कुछ लोग हमको तुच्छ समझते है, यही समझ नही आता ।""......
काजल की बात सुनकर अजय की आंख में आंसू आ जाते हैं । पर एक परिपक्व इंसान की भांति खुद को सम्भालकर काजल को सीने से लगाकर उससे धीरे से कहता है.....
""""अरी पगली , तू क्या समझती है क्या ये सब बातें तेरा भैया नही जानता । मूर्ख होते हैं वो लोग जो किसी का उसके काम उसके ओहदे को देखकर ही सम्मान करते हैं । में भी एक हवलदार हूँ , लेकिन कभी अपने फ़र्ज़ से पीछे नही हटा । अपनी सीमाओं में रहकर अपना कर्तव्यपालन बखूबी करता आया हूँ आजतक । दामन पर एक भी दाग लगने नही दिया । मेरे सभी सीनियर और जूनियर मेरी बहुत इज़्ज़त करते है । पर तुझे उसके माता पिता की बातों से उनके विचारों से क्या लेना । तुझे तो सुशील के साथ जीवन बिताना है । कोई तुझे समझे ना समझे पर वो जरूर तेरी भावनाओं की कद्र करेगा । मुझे पूर्ण विश्वास है । """.......
"""" भैया किसी को इतनी जल्दी कैसे समझ लिया आपने !!! उसने तो इस बारे में एक शब्द तक नही कहा । बस दूसरी बातें ही करता रहा । किसी पर इतनी जल्दी विश्वास कर लेना ठीक नही भैया ।""..... काजल अजय से बोली ।......
""" मुझे किसी पर नही सिर्फ अपनी गुड़िया पर विश्वास है । पूरा यकीन है कि मेरी गुड़िया सबके विचार अपने सदकर्मो और नेकनीयती से बदल देगी । कभी किसी को सम्पूर्ण जहां नही मिलता । कही ज़मीं तो कही आसमां नही मिलता । जीवन कभी भी आसान नही होता मेरी गुड़िया । उसमें तो जिंदगी की चुनोतियों और कठिनाइयों से गुज़कर उनका हर परिस्तिथि में यथा सम्भव हल निकालकर बड़े धैर्य बड़ी समझ बूझ से रास्ता बनाना पड़ता है । स्वयम ईश्वर के लिए भी मानव अवतार कभी आसान नही रहा ।...
"" हाँ भैया आपने बिल्कुल सही कहा । इसलिये तो आप सिर्फ मेरे भाई नही बल्कि एक पिता एक गुरु भी हैं । आपकी और माँ की दी हुई शिक्षा का कभी निरादर नही करूंगी और ना कभी होने
दूंगी । ..""".....काजल ने पूरे आत्मविश्वास से कहा ।......
ये सब सुलोचना जी भी खड़ी खड़ी सुन रहीं थीं । आज़ उन्हें अपने दोनों बच्चों पर गर्व हो रहा था । वो अपने आंसू पोछते हुए काजल से बोलीं ........
"" पर बेटा तुझे तो अपने काम से बहुत प्यार है। कैसे रह पायेगी शादी के बाद नॉकरी छोड़कर ??...""""......
"" तो क्या हुआ माँ , जिस भी रुप में मेरी आवश्यकता होगी में अवश्य उस जिम्मेदारी को पूरी लगन से निभाऊंगी । एक ग्रहणी का जीवन भी आसान नही होता । जो लोग ये समझते हैं कि घर मे रहने वाली महिलाएं , कामकाजी महिलाओं से कम होती हैं , वे शत प्रतिशत गलत हैं । जिस तरह बाहर रहकर जॉब करना और उन चुनोतियों को पूर्ण करना जो हमे हमारे काम मे आतीं हैं आसान नही होता । ठीक उसी तरह से एक घरेलू महिला का जीवन भी आसान नही होता है । वहाँ भी कठिनाइयों और चुनोतियों की भरमार होती हैं । सबको एक साथ खुश रखना कभी आसान नही होता । बल्कि हम जैसी कामकाजी महिलाओं को तो सप्ताह में एक दिन छुट्टी भी मिल जाती है , पर एक घरेलू महिला को उसकी जिम्मेदारियों से कभी अवकाश नही मिलता । उसका अवकाश तो अपने परिवार को खुश देखकर ही पूरा होता है । बिना कमाई की ये ऐसी जिम्मेदारी है जिसे हर ग्रहणी खुशी से निभाना चाहती है । जिस तरह से मैने एक नर्स के रूप में सबकी सेवा की सबका ख्याल रखा , उसी भावना और समर्पण के साथ पूरे परिवार को खुश रखने का उनकी सेवा करने का प्रयास करूंगी । और फिर आपको देखकर ही तो सीखा है , आपने तो दोनो जिम्मेदारी एक साथ बड़ी समझदारी और कुशलता से निभाई है । पापा के गुज़र जाने के बाद आपने भैया और मुझे किस तरह पाला वो सब बहुत नजदीक से अनुभव किया है मेने । घर के कामों के साथ साथ आजीविका चलाना आसान नही होता । हर कदम पर हर मोड़ पर घर और बाहर सबको साथ लेकर समन्वय बनाकर चलना पड़ता है । और फिर जो चुनोतियों से घबरा जाए वो आपकी काजल हो ही नही सकती ।"".....
काजल ने बड़ी सहजता से इतनी बड़ी बातें कह दी अजय और सुलोचना देखते रह गए ।.....
""" आज तू वाक़ई में बड़ी हो गई मेरी बच्ची । ईश्वर तुझे हर कदम पर कामयाब करे , एक माँ की हमेशा यही दुआ है ।"".......सुलोचना जी के हृदय ने गद गद हो उसे आशीर्वाद दिया ।.....
धीरे धीरे काजल और सुशील घण्टो फोन पर बात करने लगे । उनमें अपने भविष्य को लेकर खूब बातें होतीं । काजल ने भी सुशील को लेकर सपने बुनना शिरू कर दिया ।
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कुछ दिनों के पश्चात अजय की सुशील के पिता से फोन पर बात होती है । बात होने के पश्चात अजय कुछ गम्भीर हो जाता है । सुलोचना जी दूर खड़ी खड़ी ये सब देखती रहतीं हैं । .....
""" क्या बात है बेटा.... तू अचानक से इतना गम्भीर हो गया । कोई चिंता वाली बात तो नही??..."""""....सुलोचनाजी ने अनजान आशंका से ग्रस्त हो अजय से पूछा ......
"" नही माँ इतनी चिंता वाली बात नही , सुशील के बाबूजी का फ़ोन आया था अभी अभी , मेरी उनसे बात हुई उनसे । बाकी सब तो ठीक है , पर......!!! """"""".....
"" "पर"..क्या ...???.....
"" वो कह रहे थे कि उनको ऐसे तो कुछ नही चाहिए पर अपने समाज मे उनकी इज़्ज़त बनी रहे इसलिए 5 लाख कैश और सुशील के लिए एक कार की डिमांड की । और शादी किसी बड़े होटल में उनकी हैसियत के अनुसार करने का बोले । उनका कहना था कि शादी एक बार होती है और सभी मेहमानो की नज़रों में एक बार ही मौका मिलता है अपनी इज़्ज़त बनाने का । उनका कहना है कि ये सब वो अपने बेटे बहु के लिए ही मांग रहे हैं । उनको कुछ लालच नही । दहेज़ के सख्त खिलाफ हैं , पर समाज की इज़्ज़त की भी बात कर रहे थे । मेने जब उनको अपनी हैसियत बताई तो वे बोले की हमने पहले ही बहुत सी बातों में समझौता किया है । और हमारा बेटा इंजीनियर बनने वाला है । उसके लिए रिश्तों की कोई कमी नही । पर आपकी बहन की खूबियाँ देखकर हम सुशील के आगे मजबूर हुए । उसे काजल बहुत पसंद है । इतना तो आपको करना ही पड़ेगा , और करना भी चाहिए । आखिर आपकी इकलौती बहन है ।""...उनकी कही बातें बड़े चिंतित स्वर में अजय अपनी माँ को बताते हुए बोलता है । .....
"" जिस बात का डर था वो हो ही गई , रिश्ता तो बहुत अच्छा है अपनी काजल के लिए , और उसे भी सुशील पसन्द है । हम तो अपनी क्षमता अनुसार वो सब करते ही जो हम कर सकते हैं , पर इतना सब हमारे बस का नही । सालों से जितना जोड़ा है वो सब मिलाकर भी इतना नही हो पायेगा । अब क्या होगा बेटे??..."""""' .......प्रश्नवाचक नज़रों से अजय की तरफ देखते हुए सुलोचना जी बोलीं ।.....
"" अरे तू क्यों चिंता करती है माँ , अभी उसका भाई बैठा हैना । में कुछ ना कुछ अवश्य कर लूंगा । कोई ना कोई रास्ता निकल ही आयेगा । ""......अजय ये सब बोल ही रहा था कि दूसरे कमरे से काजल निकलकर आई । उसने ये सब सुन लिया था ।.....
""" नही भैया आपको कोई रास्ता निकालने की जरूरत नही । पहले ही आपने क्या कम किया है मेरे लिए । जो अब और ,, नही नही..मेरे पीछे आपने अब तक शादी नही की ताकि मेरी परवरिश में कोई कमी ना रह जाएं । अपनी हर खुशी का बलिदान किया , सिर्फ और सिर्फ मेरी खुशियों को पूरा करने के लिए । आपको और झुकने की कोई जरूरत नही । जो होना है हो जायेगा। मुझे तो उसी दिन उनकी बातों उनके विचार सुनकर शक हुआ था । पर आपकी बाते सुनकर चुप रही ।"""....काजल भौंहों पर तनाव देते हुए गुस्से वाले लहज़े में आकर बोली ।......
"" ऐसी बातें नही करते पगली , ये सब तो होता ही है । संसार की रीत ही यही है । आज बाबूजी भी होते तो यही बोलते जो में बोल रहा हूँ । हम इस संसार से अलग तो नही । और फिर सुशील जैसा रिश्ता नही मिलेगा । और बाते भी देखनी पड़ती हैं मेरी गुड़िया । सिर्फ एक ही दृष्टिकोण से नही सोचना चाहिए । और तू सिर्फ तैयारियां कर, बाकी चिंता अपने इस भाई पर छोड़ । क्या तुझे मुझपर भरोसा नही???"""".....
""" नही भैया बात भरोसे की नही । भगवान से ज्यादा भरोसा है आपपर , और हमेशा बना रहेगा । लेकिन अब और नही । आपको और तकलीफ देकर में स्वयम की नज़रों में गिरना नही चाहती । आपने ही सिखाया था न कि इंसान की सबसे बड़ी पूंजी उसका स्वाभिमान उसका आत्म सम्मान होता है । इंसान ठोकर खाकर तो सम्भल सकता है पर स्वाभिमान खोकर कभी जी नही सकता । और आप मुझसे मेरे जीने का अधिकार तो मत छीनो भैया । जब मेरी अंतरात्मा ही मेरा सम्मान नही करेगी तो दुनिया क्या खाक करेगी । ""....काजल अजय के कंधे पर सर रखते हुए बोली।.....
अजय के पास काजल के इन सवालों का कोई उत्तर नही था । वो चुप चाप खड़ा रहकर आज अपनी मज़बूरी अपनी किस्मत को कोस रहा था ।.....
उधर काजल ने एक बार सुशील से बात करनी चाही इस बारे में । उसने फोन कर सुशील को एक पार्क में बुलाया । और जब दोनों मिले तो उसने उसके पापा की फोन वाली बात उससे कही । सुशील सब सुनता रहा । पर सब कुछ सुनने के बाद भी उसपर जैसे इन सब बातों का कोई असर हुआ ही नही ।
उल्टा वो काजल से बोला .....
"" तुम क्यों चिंता करती हो । ये सब हमारे बड़े जाने । उनकी बातों में क्यों पड़ना । ये सब तुम्हारे भैया का टेंशन है । वो किसी भी तरह मैनेज कर लेंगे । हमे तो अपने भविष्य का सोचना चाहिए , जो दोनो बाहें फैलाये हमारी बाट जोह रहे है । सब हो जायेगा तुम चिंता मत करो।""......
काजल सुशील के मुंह से ऐसी बात सुनकर अवाक रह गई । उसे गुस्से के साथ साथ सुशील की सोच पर तरस भी आया । आज उसे लगा कि पढ़ाई इंसान को शिक्षित और समाज मे पेट भरने लायक तो बना देती है । पर व्यवहारिक और मानसिक तौर पर सुशील जैसे इंसान ताउम्र अपाहिज ही रहते हैं । जो सही गलत में भेद नही कर सकता , जो सिर्फ अपनी खुशियों का ही सोचता हो , ऐसा इंसान आगे चलकर क्या उसका साथ दे पायेगा??....सिर्फ चेहरे की ही खूबसूरती मायने नही रखती, जबतक दिल से इंसान सुंदर ना हो तब तक वो सम्पूर्ण नही होता । अच्छा हुआ आज उसे ये पता चल गया कि वो एक ऐसे लड़के से शादी करने जा रही थी जो हैसियत में तो उससे कहीं आगे था , पर विचारों और दिल से एक दम गरीब ।
""" देखो सुशील तुम अपने माता - पिता के बारे में क्या सोचते हो ये में नही जानती । पर मेरी नज़र में भैया मेरे लिए सबकुछ हैं । उन्होंने वो सब किआ है मेरे लिए जो वो नही कर सकते थे । मुझे पूरा यकीन है आपके पिताजी की हर एक बात वो किसी भी तरह कुछ भी करके पूरी कर ही देंगे । पर में इन सबके लिए खुद को कभी मुआफ़ नही कर पाऊंगी । में ये कभी नही चाहती । उन्होंने हर दुख तकलीफ उठाकर मुझे जमाने की दुख परेशानियों से दूर रखा है । में उनको और धर्म संकट में नही डाल सकती । ""......
""" ऐसा भी क्या कर दिया उन्होंने , ये तो उनका फ़र्ज़ था , जो सभी करते हैं । और अब तक मैं इसलिए चुप था कि मुझे तुम पसन्द हो । पर तुम्हारी इतनी घटिया सोच है बिल्कुल अपने मोहल्ले की तरह । मैंने तुमको सब जानते हुए तुम्हारे परिवार की हालत देखते हुए भी स्वीकार किया क्योंकि में तुमको पसन्द करता हूँ । बिना ये सोचे कि मेरे सभी दोस्त और रिश्तेदार मुझे कितना ताना मारेंगे । कहाँ तुम्हारा परिवार और कहाँ हमारा खानदान । लगता है गलती हमसे ही हुई जो फर्श को अर्श बनाने चले थे । क़िस्मत संवर जाती तुम्हारी यदि ये रिश्ता कुबूल कर लिया होता तो"""........सुशील घमंड में आकर ऊंचे स्वर में बोला।.....
काजल सुशील के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर गुस्से से भर गई । आज उसे खुद पर अफसोस हुआ कि उसने सुशील को समझने में कितनी बड़ी गलती की । उसे गुस्सा तो बहुत आया पर वो चुपचाप रही , और वहाँ से उठकर घर आ गई । लेकिन उसने ये बात घर मे किसी को नही बताई । .....
अगले दिन सुशील के पिता का फोन अजय के पास आया । और उन्होंने काजल वाली बात को लेकर खूब गुस्सा जाहिर किया । बहुत बुरा भला बोले । अजय का उसकी माँ का और काजल का बहुत अपमान किया । रिश्ते की बात को यहीं खत्म करते हुये उन्होंने फोन काट दिया ।
सबके पूछने पर अजय ने सिर्फ इतना बताया कि """अच्छा हुआ माँ उनकी मानसिकता का पता समय रहते चल गया । वरना मेरी गुड़िया का जीवन नरक से भी बदतर हो जाता वहाँ । हम हालात के आगे मजबूर जरूर हैं पर लाचार नही । मेने अबतक अपनी गुड़िया को सिर्फ खुशी ही देना चाही है । और जबतक जिंदा हूँ उसके पास किसी दुख को फटकने भी नही दूंगा । भगवान की जो भी इक्छा है मुझे मंजूर है । भूल जाएंगे हम इस रिश्ते की बात को । ईश्वर ने चाहा तो हज़ार रिश्ते खुद चले आयेंगे मेरी गुड़िया के लिए । यदि मैं अपनी गुड़िया को डॉक्टर बनाने लायक होता तो शायद आज ये सब नही होता । आज खुद पर बहुत शर्म आती है माँ, उसमे डॉक्टर बनने लायक हर योग्यता थी । पर में ही इस लायक नही निकला ।
काजल दरवाज़े की आड़ से सब देखसुन रही थी । अपने भैया की मजबूरी को देख आज उसकी आँखों से अश्रुधारा रूक नही रही थी । उसने आज़तक अपने भैया को इतना लाचार कभी नही देखा था ।
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समय अपनी गति से गुजरता रहा । कुछ साल ऐसे ही बीत गए । काजल भी सब भूलकर सिर्फ अपने काम को पूजा समझ कर पूरी कर्तव्यनिष्ठा से उसमे सलंग्न रही । उसके काम की कुशलता और निष्ठा को देख उसे हेड नर्स बना दिया गया । धीरे धीरे सभी उसका बहुत सम्मान करने लगे ।
पिछले कुछ दिनों से उसके अस्पताल में अजीब सी बीमारी की चर्चा हो रही थी । चीन देश से फैले कोरोना वायरस की । सभी जूनियर और सीनियर डॉक्टर की एक मीटिंग हुई । जिसमें इस बीमारी के बारे में और उसकी रणनीति के बारे में चर्चा हुई ।
इन्ही सब के बीच एक दिन शाम को काजल अपने भैया के साथ TV देख रही थी । क्योंकि आज प्रधानमंत्रीजी का राष्ट्र के नाम सम्बोधन आ रहा था । वे पूरे संसार मे फैल रही कोरोना वायरस की महामारी के सम्बंध में बता रहे थे । और 1 दिन के जनता कर्फ्यू का आह्वान कर रहे थे । ये सब देख सुनकर अजय मन ही मन कुछ घबरा सा गया । उसे अपनी माँ और काजल की चिंता थी । परन्तु सबने अपने प्रधानमंत्री जी के इस देशव्यापी आह्वान का ईमानदारी से पालन किया । ...
लेकिन दूसरे देशों में तेज़ी से अपने पैर पसार रही इस महामारी को देखकर पूरे 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन घोषित हो गया । किसी को भी अपने घर से निकलने की इजाज़त नही थी । चूंकि अजय पुलिस विभाग में था इसलिए उसकी ड्यूटी बाहर सड़को पर लगी थी । और काजल एक नर्स थी , अतः उसकी भी ड्यूटी अस्पताल में लगी थी । जो जरूरी आवश्यक सेवाओं की गिनती में आता था । काजल की माँ को अपने दोनों बच्चों को लेकर बहुत चिंता थी । और दोनो बच्चों को घर पर अकेली बैठी अपनी माँ की ।
लेकिन फ़र्ज़ के आगे बाकी सारे कर्ज़ महत्वहीन थे । काजल और अजय दोनो ही दिन रात इस लोककल्याण और जनसेवा रूपी महायज्ञ में अपना योगदान दे रहे थे । व्यक्तिगत सुख सुविधाओं को परे रख दिया गया था और मुसीबत की इस घड़ी में सभी एक दूसरे के साथ खड़े नजर आ रहे थे । अपनी जान को जोखिम में डालकर औरों की जान बचाने वाले ये धरती के फरिश्ते किसी से पीछे नही थे । हर सम्भव प्रयत्न किए जा रहे थे जिंदगियों को बचाने के , पर हालात दिन पर दिन बिगड़ते ही जा रहे थे , क्योंकि लोगो की नासमझी और अज्ञानता ने इस बीमारी को भयावह रूप देना शिरू कर दिया था। काजल और उसका पूरा स्टाफ जी जान से संक्रमित लोगो की सेवा को समर्पित था । दिन रात बस जिंदगियों को बचाने का यत्न चल रहा था । जिस विश्वास और साहस से देश के प्रधानमंत्री जी ने जो जज़्बा दिखाया था जो आह्वान किया था , ये धरती के भगवान उस जज़्बे को सलाम करते हुए उनके एक आह्वान पर अपने कर्तव्य निर्वहन में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे थे । सबका एक ही ध्येय था किसी भी तरह इस महामारी को खत्म करना ।
कोरोना वारियर्स बनकर पुलिस विभाग , स्वास्थ्य विभाग , बैंककर्मी , सफाई कर्मचारी , और जरूरी आवश्यक सेवाओ में आने वाले सभी सरकारी विभागों में इस रोग से लड़ने का जज़्बा उफान पर था। बीमारी जितना उग्र रुप ले रही थी , उससे दुगुने साहस हौसले और हिम्मत से ये फरिश्ते अपने अपने कर्तव्यों को पूर्णतः ईमानदारी से अंजाम दे रहे थे ।
प्रयासों में किसी भी तरफ से कोई कमी नही हो रही थी । पर वायरस का शिकंजा कसता ही जा रहा था । काजल अपनी पूरी टीम के साथ कोरोना वारियर्स बन लड़ रही थी । सबने कसम खाई थी कि जब तक जान है किसी की भी जान को नुकसान नही होने देंगे । धर्म संप्रदाय जाति पाती से ऊपर उठकर सिर्फ इंसान को बचाने , इंसानियत को बचाने के कोशिशें हो रहीं थीं । भूख प्यास सब भूलकर रुकते भारत की सांसे बचाने के लिए जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष जारी थी । कोई हार मानने तैयार न था । संकट की इस घड़ी में सभी भगवान से प्रार्थना कर रहे थे , और धरती के इन भगवानो की हौसला अफजाई कर रहे थे । घरों में कैद लोग आशा और उम्मीद से डॉक्टर्स नर्सेज़ और अन्य स्टाफ की तरफ देख रहे थे , दुआ कर रहे थे ।
अजय घर सिर्फ दिन में 1 बार खाना खाने ही आ पाता था । बाहर आंगन से ही खाना खाकर दूर से माँ को देखकर उनके हाल जानकर वापस अपने कर्तव्यपथ पर चल जाता । जब उसकी माँ उससे कहती कि तू अकेला नही और भी कितने पुलिस के लोग हैं , 1-2 दिन थोड़ा आराम कर ले । तुम लोग इतनी लगन से ड्यूटी कर रहे हो फिर भी कुछ लोग तुम्हारे बारे में ग़लत बातें कर रहे हैं । पुलिस की ज्यादती बताकर चिल्ला रहे हैं । मुझे ये सब अच्छा नही लगता बेटा । इधर तू और उधर तेरी बहन दोनो समाज के लिए अपना जीवन दांव पर लगाये हुए हैं , लेकिन जब कुछ लोगो के मुंह से ऐसी बाते सुनती हूँ तो मन मे डर सा लगा रहता है । यहाँ सभी लोग अपने परिवार के साथ हैं , एक दूसरे के सामने हैं , पर मेरे बच्चे मेरी नज़र से दूर हैं । पता तक नही रहता कि कुछ खाया भी होगा या नही ।
यह सुन अजय अपनी माँ से कहता है....
""" यदि में ऐसा सोचने लगूं या इस जीवन संघर्ष में लगा हर जवान ऐसा सोचने लगे तो भारत माँ की सांसों को कौन बचायेगा माँ । लोग बाहर फालतू न घूमें , ताकि ये बीमारी एक से दूसरे में ना फैले । जरा सोचो माँ जहां दुनिया के बड़े बड़े सक्षम देश इस बीमारी के आगे घुटने टेक चुके हैं , वहीं हमारा देश अभी भी पूरे हौसले के साथ लड़ रहा है इस महामारी से । यदि जरा सी भी चूक हुई तो पूरा शहर श्मशान होते देर नही लगेगी । मेरा कर्तव्य है कि सड़क पर किसी को फालतू बेवजह न निकलने दूँ । हमलोगों को भी कोई ऐसा करते मज़ा नही मिलता , पर थोड़ी सख्ती करनी पड़ती है , और फिर ये सब सबके भले के लिए ही तो हो रहा हैना माँ ।
यदि एक तरफ हमें गालियां देने वाले लोग हैं तो दूसरी तरफ हमे प्यार करने वाले भी तो हैं । जो हमारे लिए दिन रात दुआ करते हैं , उन्ही से हिम्मत मिलती है माँ । और तूने ही तो सिखाया है कि "" रोज़ रोज़ कहाँ ढूंढेंगे सूरज चांद सितारों को, आग जलाकर हम रौशन कर लेंगे अंधियारों को । "".....इस वक़्त जो भी हमारे पास है उसी से ये जंग लड़नी भी है और जीतनी भी है । अच्छा अब चलता हूँ माँ, बहुत देर हो गई । तू अपना ख्याल रखना और घर में ही रहना । में फोन करता रहूंगा , और किसी प्रकार की कोई चिंता मत करना । ईश्वर सब ठीक करेंगे । ...
ये कहता हुआ अजय तेज़ी से घर से निकल गया । सुलोचना जी ये सब खड़ी खड़ी देखतीं रहीं । उनको अपने बेटे की ये बातें सुन एक अलग ही प्रकार के गर्व और आनंद की अनुभूति हो रही थी ।...
अभी अंदर आई ही थी कि काजल का फ़ोन आ गया...""...माँ कैसी हो , सब ठीक हैना । मेरी चिंता मत करना, यहां सब व्यवस्था है रुकने और खाने की । बीमारी के संक्रमण को देखते हुए किसी को घर जाने की इज़ाज़त नही है । कोई यदि नही करना चाहे तो कोई बाध्य नही है । वो ड्यूटी छोड़ घर जा सकता है । पर यदि ड्यूटी करना है तो नियमो का पालन करना ही पड़ेगा । आज देश को हमारी जरूरत है । घर से दूर रहना मज़बूरी है माँ , हम लोग यहाँ संक्रमित मरीज़ों की देखभाल में लगे हैं । किसी तरह की कोई दिक्कत नही है । आप कोई भी चिंता मत करना , बस अपना ख्याल रखना । """......
""" एक माँ से पूछती है कि वो अपने बच्चों की चिंता ना करे , अरे पगली यदि भगवान भी आकर एक माँ से ये कह दें कि तेरे बच्चे ठीक है तब भी वो माँ जब तक खुद अपनी आंखों से अपने बच्चों को ना देख ले उसे चैन नही मिलता । लेकिन तू चिंता मत कर बेटा , तू बेफिक्र होकर अपना फर्ज निभा । मेरी दुआ और आशीर्वाद तुझपर और तुझ जैसे हर उस इंसान के साथ है जो इस घड़ी में भी अपनी जान की परवाह किये बगैर औरों की उखड़ती सांसे लौटा रहे हैं । ये बहुत नेक काम है बेटा । अभी तेरा भैया भी आया था , वो भी यही सब बोलकर गया है । सभी एक दूसरे को ढांढस बंधा रहे हैं , पर अंदर से डरे हुए भी हैं । फोन करती रहना । "".......सुलोचना जी ने अपने आंसू पोछते हुए काजल से बोला ।...
""" बस माँ आपके आशीर्वाद की ही जरूरत है , स्टेज 3 में नही आने देना है ये बीमारी । वरना फिर बहुत मुश्किल हो जायेगी , क्योंकि उसमें संक्रमण फैलाने वाले असल व्यक्ति का पता नही लग पायेगा । अच्छा माँ अब रखती हूं , बहुत याद आ रही थी तो लगा लिया फोन , आप बिल्कुल भी चिंता मत करना । जीत हमारी ही होगी । "".......इतना कहकर भारी मन से काजल ने फोन काट दिया ।.......
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अजय अपने साथियों समेत चौराहे पर मुस्तेद था । तभी उसके पास कंट्रोल रूम से एक फोन आया । फोन पर उसी इलाके में एक घर मे किसी बुजुर्ग की तबियत खराब होने और उस घर में कोई सक्षम व्यक्ति ना होने की सूचना मिली । उन बुजुर्ग को कुछ जरूरी जीवन रक्षक दवाइयां चाहिए थीं । बीमारी और बुढ़ापे की वजह से वो कहीं भी आने जाने में अक्षम थे । उसको फौरन उस घर मे जरूरी दवाइयां पहुंचाने और हर सम्भव मदद करने का आर्डर मिला । जैसे ही वो उस घर मे पहुंचा उन बुजुर्ग को देखकर उसके पांव यकायक ठिठक गए।
ये वही ओमप्रकाश जी थे , जो कुछ साल पहले अपने लड़के के रिश्ते के लिए आये थे । वो भी अजय को दरवाज़े पर देख एक पल को ठिठक गए । सारा गुज़रा हुआ पल उनकी आंखों के सामने तैर गया । वो अजय से नज़र नही मिला पा रहे थे । आत्मग्लानि के भाव ने उनकी जुबान पर जैसे ताला जड़ दिया था । बार बार अजय के पूछने पर उनकी तन्द्रा टूटी । अजय ने सहज होकर उनसे दवाई का पर्चा मांगा , और बाजार से उनको सभी जरूरी दवाइयां लाकर दीं । जब वो दवाई देकर बाहर से ही वापिस आने लगा तभी अंदर से किसी के खांसने की आवाज़ आई । उसने रहा नही गया और उसने उनसे पूछ लिया.....
"" ये खांसने की आवाज़ किसकी है, कोई बीमार है क्या??."""'
"" ओम प्रकाश जी क्या जवाब देते , इतने में अंदर से श्रीमती रेखा जी बाहर आईं , और बोलीं ...""" बेटा ये खांसने की आवाज़ किसी और कि नही बल्कि सुशील की है । लॉकडाउन लगने के कुछ दिन पहले ही बाहर से आया था । बाहर दूसरे शहर में जॉब करता है । आने के कुछ दिन बाद से ही तबियत खराब है , तबसे खुद को एक कमरे में बंद कर बैठा है । किसी को अपने पास नही आने देता । हमे तो कुछ सूझ ही नही रहा कि क्या करें । सुशील ने भी किसी को कुछ ना बताने का कहकर खुद को किस्मत के हवाले छोड़ दिया । हमसे उसकी दुख तकलीफ देखी नही जाती बेटा । दिन पर दिन मर्ज बढ़ता जा रहा है । उसे बचा लो बेटा । हेल्प लाइन को फोन करने से भी डरते हैं कि पता नही क्या होगा !!! "".....
"" अरे नही नही माताजी , यदि ऐसा था तो आपको फ़ौरन कर हेल्थ डिपार्टमेंट को सूचित करना था । ये बीमारी संक्रमण से फैलती है । पर एक बात अच्छी हुई कि उसने शंका होते ही खुद को सबसे अलग कर लिया । में फौरन सूचित करता हूँ । कुछ देर में टीम आ जायेगीं । आप बिल्कुल भी चिंता ना करें । सब ठीक हो जायेगा । "".....इतना कहकर अजय वहाँ से चला गया। .....
उसने काजल को फौरन फोन कर सारी बात बता दी । कुछ देर में अस्पताल से एक टीम आकर उसको कवर करके अस्पताल ले गई । जहाँ उसका टेस्ट हुआ , और वो कोरोना संक्रमित पाया गया । उसको वहीं आइसोलेशन वार्ड में रखा गया , उसके माताजी और पिताजी का भी टेस्ट किया गया , लेकिन उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई । उनको जरूरी दिशा निर्देश देकर घर पहुंचा दिया गया । लेकिन सुशील को वहीं आइसोलेशन वार्ड में रहना था कुछ दिन । .....
काजल जो अब डॉक्टर काजल बन चुकी थी , उसका इलाज कर रही थी । और उसकी देखभाल सभी स्टाफ ने पूरी लगन से की । सिर्फ उसकी ही नही बल्कि उसके जैसे और भी संक्रमित मरीज़ों का इलाज बहुत गम्भीरता से किया जा रहा था । उन सभी मरीजों में जीवन आशा जगाने वाले उनको निराशा से उबारने वाले सभी लोग इस ईश्वरीय काम को पूजा समझकर अंजाम दे रहे थे । .....
धीरे धीरे सुशील की तबियत में सुधार होने लगा । काजल ने दिन रात पूरी लगन से उसकी देखभाल की । बाद में उसका दोबारा टेस्ट किया गया तो उसकी रिपोर्ट अब नेगेटिव आई थी । संक्रमण के सभी लक्षण ठीक हो चुके थे । सांस लेने में कोई समस्या नही आ रही थी । जब वो ठीक होकर वापिस अपने घर जाने लगा , तो काजल से बोला.....
"""" मुझे माफ़ कर देना काजल , आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ । यदि आज नही कह पाया तो कभी खुद को मुआफ़ नही कर पाऊंगा , मेने तुम्हारे साथ बहुत गलत किआ । तुमको कितना ग़लत समझा , कितना खराब व्यवहार किया । तुम्हारे जैसी लड़की तो मुझे अब कभी नही मिल सकती । तुमसे रिश्ता नही जुड़ पाना मेरा ही दुर्भाग्य था । मेने जिस लड़की से शादी की , वो बहुत पैसे वाली है , उसके पिता जाने माने बिज़नेसमैन हैं । उनकी ही कम्पनी को संभालाता था मैं । लेकिन बाद में मुझे बात बात पर ताने सुनने पड़ते । अपने श्वसुर द्वारा अपमानित होना पड़ता । और तो और मेरी पत्नि ने भी कभी मेरा सम्मान नही किया । मेरे घर में एक ग्रहणी बनकर आना तो दूर उल्टा उसने मुझे अपने ही परिवार से दूर कर दिया । में भी उसकी बातों में आकर अपने माता पिता से दूर उसके साथ उसके घर में घर जमाई बनकर रहने लगा । पैसे की चकाचोंध ने मुझे अंधा कर दिया था , लेकिन अब सब खत्म हो गया है । एक दिन मैं रोज़ रोज़ के अपमान से तंग होकर उससे सारे रिश्ते तोड़ वापस अपने घर आ गया । और फिर कुछ दिन बाद दूसरे शहर एक कम्पनी में जॉब लग गई , लेकिन वहाँ भी मेरे दुर्भाग्य ने मेरा पीछा नही छोड़ा । जब कम्पनी वालों को मेरे ससुराल का पता चला तो वो उनके परिचित निकले । मेरे श्वसुर ने मुझे वहाँ से भी निकालवा दिया । में निराश होकर घर आ गया । और कुछ दिन बाद से बुखार जुकाम और सांस लेने में तकलीफ होने लगी । मेने डर के मारे किसी को कुछ नही बताया , और खुद को सबसे दूर कर लिया । बाकी का हाल तो तुम जानती ही हो । इस दोगले इंसान को हो सके तो माफ कर देना काजल । ""..........
काजल सुशील की बातें बड़े गौर से सुनती रही । उसकी नफरत अब खत्म हो गई थी । बस वो सुशील से इतना बोली ..."""" कभी किसी को उसके काम से छोटा बड़ा नही समझना चाहिए । संसार मे सबसे कठिन यदि कोई धर्म है , कोई कर्तव्य है तो वो एक सेवा करने वाले का । """..
सुशील जब फोन कर अपने माता - पिता को अपने ठीक होकर घर आने की सूचना देता है तो उसके पिता बताते हैं कि यहॉं सभी उनके कॉलोनी में रहने के खिलाफ हैं । वो यहॉं ना आयें । कॉलोनी के लोगों ने तो उनका भी सामाजिक बहिष्कार कर दिया है । अपने पिता की ये बातें सुनकर सुशील का चेहरा आशंकाओं और भय के भावों से ग्रस्त हो गया । जब काजल ने उसे परेशान देखा तो उसके यूँ अचानक गम्भीर होने का कारण पूछा। सुशील ने सारी बात बता दी ।
काजल ने सब सुनकर मन ही मन एक निर्णय किया, और अपने सीनियर्स से कुछ बात की । वो अपनी टीम के कुछ लोगों के साथ उसे छोड़ने उसके साथ घर तक गई । और जब वहां पहुंची तो देखा कि उसके कॉलोनी वाले अब उनके परिवार को वहां रहने देने के पक्ष में नही थे । सभी पड़ोसी उनका सामाजिक बहिष्कार करने की बात कर रहे थे । उन सबको डर था कि सुशील भले ठीक हो गया हो लेकिन एक बार तो कोरोना संक्रमित हो ही चुका है । इसलिए वो कोई भी खतरा लेना नही चाहते थे। लोगो की इस अज्ञानता और डर ने उनका समाज मे रहना तक मुश्किल कर दिया था । जिस दिन से सुशील के पॉजिटिव होने का पता चला उसी दिन से उसके माता पिता का सामाजिक बहिष्कार होना चालू हो गया था । जिन पड़ोसियों पर ओमप्रकाशजी को इतना गर्व हुआ करता था , आज वही उन्हें उस कॉलोनी से निकालने पर आमादा थे । .....
यह सब देखकर काजल मन ही मन सोचने लगी । ये समस्या सिर्फ सुशील और उसके घर वालों की नही थी , बल्कि हर उस इंसान की थी जो इस वायरस से तो जंग जीत गया था , पर अपने ही समाज अपने ही लोगों से हार गया था । लोगों के डर ने ऐसे लोगो का दोबारा उसी समाज मे रहना मुश्किल कर दिया था । .....
काजल ने वहाँ लोगो को समझाया । उनको बताया कि इस बीमारी से सावधानी रखिये , खुद की सुरक्षा कीजिये। लेकिन उन लोगों के साथ ऐसा व्यवहार मत कीजिये , जो इस बीमारी से लड़कर बाहर आये हैं । ये बीमारी किसी को भी हो सकती है । आज हम उनलोगों के साथ ऐसा कर रहे हैं , भगवान ना करे कल को हमें , आपको ये बीमारी लगे तो आपके साथ भी यही होगा । क्या आपको अच्छा लगेगा । हमको सबको एक साथ मिलकर लड़ना है इस बीमारी से । हम और आप अलग अलग नही ।
ये कोरोना तो एक दिन चला जायेगा , लेकिन याद रह जाएंगी ऐसी कड़वी यादें । कृपया इन यादों को कड़वा न होने दें , बल्कि आपसी समझ और सहयोग से इस बुरे समय मे भी एक मिठास घोल दें । यही समय है जब हम सबको देश के लिए खड़ा होना है । देशभक्ति सिर्फ सरहद पर जान देने को ही नही कहते , हम और आप अपने आस पास नियमो का पालन कर एक दूसरे का सहयोग करें तो ये भी एक बहुत बड़ी देश सेवा ही होगी । जरा सोचिए यदि सभी डॉक्टर्स सभी पुलिस के जवान , सभी सफाई कर्मचारी , आवश्यक सेवाओ से जुड़े सभी लोग आपलोगों जैसा करना शिरू कर दें तो फिर क्या होगा इस देश का??...देश हम आपसे ही तो है । बीमारी से डरिये नही बल्कि सावधान रहिये । बचाव के उचित तरीके अपनाइए । नियमो का ईमानदारी से पालन कीजिये ।
एक दूसरे से तन से दूरी बनाइये , मन से नही । ये समय निकल जायेगा , याद रहेगा तो हमारा व्यवहार , हमारी सोच हमारे अच्छे काम । अपनो की मदद कीजिये । उनसे मुंह मत मोड़िये । """........
काजल बोले जा रही थी और सभी चुप होकर सुन रहे थे । सबको समझ आ चुका था कि इस महामारी से डरना नही बल्कि सबको साथ मिलकर अपने घरों में रहकर नियमो का पालन कर इसका सामना करना है , लड़ना है । और हर हाल में सिर्फ एक ही विकल्प है * जीत* , और उन लोगो का सम्मान करना है , हिम्मत दिलानी है , जो ठीक होकर घर वापिस आये हैं ।
आज सुशील के माता - पिता को लग रहा था कि वो कितने बदकिस्मत हैं , जो काजल जैसी लड़की का रिश्ता ठुकरा दिए ।
काजल सबको समझाकर वहाँ से वापिस आ गई , फिर उसी लड़ाई में अपना योगदान देने , जिसमे भारत को हर हाल में जीतना ही पड़ेगा ।
और जीतेंगे भी । सबके मन मे पूर्ण विश्वास था । जो जीतने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे । ऐसे मौकों पर "द बर्निंग ट्रैन " फ़िल्म का विनोद मेहरा का वो संवाद हमेशा स्मरण हो आता है ...
"""जब मौत सामने खड़ी हो तो जिंदगी हमेशा हारती बाज़ी लड़ती है और जीतती है । """"...
कोरोना जैसे जानलेवा वायरस ने जहाँ एक और भयावह तांडव मचाया हुआ था, वहीं दूसरी और कइयों को जीवन के दूसरे पहलू से भी अवगत करा दिया था । जिंदगी जब लॉकडाउन के बाद वापिस अपनी राह पर लौटेगी, तब बहुत कुछ बदलने वाला था । जीवन मृत्यु के इस संग्राम में जिंदगी ने वो अनुभव किये थे जो अब तक सबकी सोच से भी कोसों दूर थे । इस माहौल ने कइयों को आत्ममंथन करने पर विवश कर दिया था । जिंदगी की भागदौड़ में जो मूल्य , सिद्धांत , पीछे छूट गए थे, आज सभी को उन मूल्यों की महत्ता समझ आ रही थी । आपदा चाहे कितनी ही विकट क्यों ना हो , ये जिंदगी की खासियत है कि वो अपना रास्ता ढूंढ ही लेती है ।
काजल के इस सामाजिक दायित्व और जनचेतना के कार्य की सूचना धीरे धीरे सोशल मीडिया पर चारों तरफ फैल गई । हर कोई उसके इस अद्धभुत कार्य की प्रशंसा कर रहा था । धीरे धीरे ये बात जब प्रदेश के मुख्यमंत्रीजी तक पहुंची तो उन्होंने स्वयम फोन पर काजल से बात कर उसको बधाई दी । और उसके जैसे उन सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का हृदय से सम्मान और धन्यवाद दिया । बाद में स्वयं प्रधानमंत्रीजी ने भी उससे फोन लगा बात की, उसको बधाई और शुभकामनाएं दीं ।काजल को उसके इस कार्य के लिए पुरुस्कृत करने की घोषणा भी की । सभी समाचार चेनल्स पर उसके इस कार्य की प्रशंसा हो रही थी । ये सब देख अजय की आंखों में खुशी के आंसू रुक नही रहे थे । आज उसे अपनी बहन पर बहुत गर्व हो रहा था । अब उसे अपने सपने के पूरा ना होने का कोई मलाल नही रह गया था । आज उसका सीना गर्व से 56 इंच चौड़ा जो हो गया था । काजल ने उसे स्वयम की नज़रों में सम्मान दिलाकर उसको जो गुरुदक्षिणा दी थी , उसका पूरे संसार मे कोई मूल्य नही था ।
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दो शब्द चलते चलते -: - मैं सभी डॉक्टर्स और नर्सेज़ सभी
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं , पुलिस विभाग , बैंक कर्मचारियों एवम सफाई कर्मियों को हृदय से कोटि कोटि नमन करता हूँ , धन्यवाद देता हूँ । जो अपने परिवार को छोड़ इस आपातकाल में दिन रात निरन्तर हमसबकी सेवा सुरक्षा में लगे हैं । और उन सभी लोगों को जो किसी ना किसी रुप मे अपनी सेवाएं सम्पूर्ण मानवताहित एवम ईश्वरीय स्वरूप कार्यों हेतु प्रदान कर रहे हैं । पूरे भारत वर्ष की तरफ से सबका अभिनंदन करता हूँ । हमे पूरा विश्वास है हम इस संकटकाल से विजयी होकर निकलेंगे । सम्पूर्ण भारत की धरती एक बार फिर खुशियों की फसल से लहलहायेगी । हर उदास मुरझाए चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान जरूर आयेगी ।
अपनी कहानी को इस गाने के बोल के साथ अब यहीं पूर्णविराम देता हूँ..... """ रोज़ रोज़ कहाँ ढूंढेंगे सूरज चांद सितारों को, आग जलाकर हम रौशन कर लेंगे अंधियारों को । """...
#घर_मे_रहें_सुरक्षित_रहें
जय हिंद ... जय भारत...👍
Atul Kumar Sharma