Bhadukada - 47 in Hindi Fiction Stories by vandana A dubey books and stories PDF | भदूकड़ा - 47

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भदूकड़ा - 47

कुंती ने जब छोटू से शादी बावत बात की तो वो एकदम बिफर गया।
"अम्मा, हमें भैया न समझना। उनको तो घेरघार के तुमने शादी कर दी, पर हमारे लिए अभी कुछ न सोचना। परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, सो कर लेने दो। तुम का चाहतीं, एक और जनी आ जायँ, और हर खर्चे के लिए तुम्हारा मूं देखे? और फिर तुम उसे पैसे पैसे को मोहताज करके, अपनी नौकरानी बना लो? भाभी के साथ तुमने जो किया, हमने देखा नहीं है या देख नहीं रहे? ये पूरा किस्सा अब दोबारा रिपीट न होने देंगे हम अम्मा। अबै तुम गम्म खाओ तनक।"
इतने लंबे चौड़े भाषण को सुन के कुंती का मुंह खुला का खुला रह गया। जे लड़का हम पे पड़ गया का!! मन ही मन सोचा कुंती ने। छोटू की कमज़ोरी जानती थी कुंती। उसे मालूम था कि अगर कोई बेहद खूबसूरत लड़की इसके सामने खड़ी कर दी जाए, तो फिर ये लड़का इनकार नहीं कर पायेगा। उसने कई बार दूसरों से उसे कहते सुना था कि हमारे लिए तो माधुरी दीक्षित जैसी लड़की ढूंढियो ।
छोटू के साफ इंकार के बाद भी कुंती लड़की की खोज करती रही। अपने स्टाफ में भी उसने सबसे कह के रखा था कि भले ही बिल्कुल ग़रीब घर की हो, लेकिन अगर ख़ूबसूरत होगी तो वो बिना किसी दान दहेज के बस तीन कपड़ों में उसे घर ले आएगी। शादी में भी जो खर्चा होगा वो कुंती ही चुपचाप कर देगी।
हमने पहले भी आपको बताया था, अभी फिर दोहरा रहे हैं कि कुंती खुद को चाहे कितना ही बदकिस्मत क्यों न कहे, थी वो बहुत अच्छी क़िस्मत वाली। जो इच्छा करती थी, बस चंद दिनों में ही पूरी हो जाती थी। ये इच्छा भी बहुत जल्दी पूरी होती नज़र आ रही है।
कुंती के गांव से बस दस किलोमीटर दूर के गाँव में रहते थे शास्त्री जी। कुंती के स्कूल में अभी जो नए हैडमास्टर आये हैं न, वो उन्हीं के रिश्तेदार हैं। कुंती की पारिवारिक पृष्ठभूमि से सब वैसे भी प्रभावित रहते ही थे, बिना दहेज की शादी के उसके अभूतपूर्व प्रस्ताव ने तो जैसे उसके चारों ओर प्रभामण्डल बना दिया। सब नतमस्तक से हो रहे थे उसके आगे। इतना नेक ख़याल, गरीब लड़की की इतनी परवाह कौन करता है भला?
शनिवार के दिन स्कूल की आधी छुट्टी हो गयी तो कुंती ने हैड मास्साब के साथ शास्त्री जी के घर जाने का प्लान बनाया। हैडमास्साब भी तैयार हो गए। कुंती ने तुरन्त चपरासी को घर भेजा। किशोर को जीप सहित तलब किया। किशोर, छोटू से कोई ज़िक्र नहीं करेगा, ये कुंती जानती थी। तो जीप पर सवार हो के कुंती, हैड मास्साब और किशोर चल दिये ठाठीपुरा गांव। शास्त्री जी ने पर्याप्त आवभगत की। चाय नाश्ता ले के जब उनकी बेटी सामने आई तो कुंती थोड़ी देर तो विस्मित सी देखती ही रह गयी। इतनी खूबसूरत भी कोई हो सकता है क्या? लम्बे बालों वाली ये लम्बी सी लड़की, जिसकी नाक भी थोड़ी ज़्यादा लम्बी है, लेकिन वो भी उसकी खूबसूरती को बढ़ा ही रही है। बेहद खूबसूरत बोलती सी आंखें और मुस्कुराते होंठ।