suhagin ya vidhva - 4 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | सुहागिन या विधवा - 4

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सुहागिन या विधवा - 4

उसकी राधा के छोटे भाई की पत्नी बन जाने पर उसे गहरा सदमा लगा था।उसे एक ही बात कचोटती रहती।राधा ने इस निर्णय का विरोध क्यो नही किया?राधा की यादों को दिल से निकालने के लिए उसने शराब का सहारा लिया।वह रात दिन शराब के नशे में डूबा रहने लगा।
राधा के मा बाप भी इससे चिंतित हो उठे।वह चाहते थे।राघव फिर से शादी करके घर बसा ले।लेकिन उसने दूसरी शादी करने से साफ इंकार कर दिया।राघव के इस फैसले से राधा को भी दुख हुआ।
दुनिया की नज़रों में राधा अब राघव की पत्नी नही रही थी।लेकिन राधा का विवाह राघव से ही हुआ था।।अब चाहे उसकी न रही हो,लेकिन वह उसके लिए चिंतित रहने लगी।
वह राघव से मिलकर उसे समझाना चाहती थी।लेकिन घर मे सब रहते थे,इसलिए उसे मौका ही नही मिलता था।एक दिन उसे राघव से बात करने का मौका मिल ही गया।वह राघव के कमरे में जा पहुँची।
"तुम यंहा क्यो आयी हो?"राधा को अपने कमरे में देखते ही वह भड़क गया था।
"जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ।यह समझ लो हम मिले ही नही थे।मै तुमहारी जिंदगी में आयी ही नही थी।"राधा,राघव को समझाते हुए बोली थी।
"गलती तुमने की और नसीहत मुझे दे रही हो।"राधा की बाते सुनकर राघव गुस्से में बोला,"तुमने तो मेरे साथ जीने मरने की कसम खायी थी।फिर तुम दूसरे की क्यो हो गईं?"
"जो कुछ हुआ उसके लिए मुझे दोष मत दो।मैं देवर को पति नही बनाना चाहती थी।मैं तो तुमहारी यादों के सहारे पूरा जीवन गुजार देती।ऐसा नही है, मैंने विरोध नही किया?किया था।लेकिन मेरे विरोध के बावजूद मुझे ज़बरदस्ती देवर के साथ बांध दिया गया।"राधा ने अपने साथ बीती राघव को सुनाई थी।
"तो रहो न उसके साथ।मैं कहाँ रोक रहा हूँ।कन्हा मना कर रहा हूँ।"
"मज़बूरी है अब रहना है लेकिन तुम अपने को क्यो बर्बाद कर रहे हो?शादी कयो नही कर लेते?"
"शादी------राधा से शादी की बात सुनकर विद्रूप सी हंसी हंसते हुए बोला"कि तो थी तुमसे शादी।देख लिया औरते कितनी पतिव्रता और वफादार होती है।औरतो को वफ़ा बदलने में जरा भी समय नही लगता।औरत से बढ़िया तो शराब है।जो कमसे कम वफादार तो बनी रहती है।"
राधा ने राघव को बहुत समझाने का प्रयास किया।वह चाहती थी,राघव दूसरी शादी कर ले।लेकिन राधा के लाख समझाने पर भी उसकी बात मानने से साफ इंकार कर दिया था।
राघव रात दिन शराब में डूबा रहता था।और यह शराब ही उसे एक दिन निगल गई।
राघव अपनी युद्ध के मैदान में नही मरा जर्मनी की जेल में कठोर यातना झेल कर भी जिंदा रहा वह बंधी है इसकी भी खबर नही थी।दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद युद्ध बंधी छोड़े गए थे उनमें से राघव भी एक था।
राघव को मरा हुआ मान लिया गया था लेकिन कई सालो बाद ज़िंदा घर लौट आया था ।कितना खुश था वे घर लौटते समय। राधा जब उसे जीवित देखेगी तब उसकी खुशी का ठिकाना नही रहेगा।परंतु जैसा उसने सोचा वैसा नही हुआ था उसकी पत्नी राधा अब उसके छोटे भाई माधव की पत्नी बन चुकी थी इस बात को जानकर राघव को गहरा सदमा लगा था और एक दिन इसी सदमे ने एक दिन उसकी जान लेली।
राघव की मौत का जिम्मेदार राधा अपने को मानती थी। अगर उसने दूसरी शादी नहीं की होती तो राघव की मौत नहीं होती
केसी विडंबना थी।राघव जब मरा नही तब उसे विधवा बनाना पड़ा था।लेकिन जब राघव मर गया तब राधा सधवा थी।
राघव इस दुनिया से चल गया था।फिर भी वह सधवा थी।माधव सही सलामत था।दुनिया की नज़रों में वह सधवा थी।लेकिन दिल से वह आने को विधवा महसूस कर रही थी।