shivatva ko sadev jhahar hi pina padta hai in Hindi Letter by મનોજ જોશી books and stories PDF | शिवत्व को सदैव झहर ही पीना पड़ता है

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शिवत्व को सदैव झहर ही पीना पड़ता है


मोरारीबापु को भी झहर प्रभु प्रसाद समझकर सृष्टि के हित के लिए झहर पी लिया

जय सियाराम, बापू🙏
आपके प्राकट्य के पांच कारण बताए थे आपने!
में इसका जो अर्थ समझा हूं, वह विनम्र भाव से व्यक्त करने की अनुमति चाहता हूं।🙏
आपने पहला कारण बताया - *"सहन करने के लिए। "*
सही है बापू। जिसका प्राकट्य ही अवतार कार्य के लिए हुआ है, वह सहन ही करेगा! भगवान कृष्ण जन्म से लेकर मृत्यु तक सहते रहे। क्योंकि उन्होंने धर्म संस्थापना हेतु अवतार धारण किया था। और कृष्ण प्रेमावतार है। "रामहि केवल प्रेम पियारा"- ऐसे राम भी प्रेम स्वरूप परमात्मा है। राम ने भी कम सहा है क्या? तो जो राम और कृष्ण के गुणगान गाने के लिए, उनके सत्य- प्रेम- करुणा के संदेश को बहाने के लिए, उसे तो सहना ही पड़ेगा!
श्रीराम सूर्य वंश के है। और सूर्यको खुद को जलना पड़ता है- औरों को उजाला और जीवन देने के लिए! - जो आप कर रहे है।
श्रीकृष्ण चंद्र वंश के है। चंद्र को ग्रसित होना पड़ता है- राहु से। और चंद्र के जीवन में अमावस आती ही रहती है, फिर भी वह बिना रुके- प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक - खीलता ही रहता है, जगत को शीतल उजास देता ही रहता है! - और बुद्ध पुरुष चंद्रमा ही तो है! तो उसकी शीतल चांदनी को ग्रसित करने के लिए कोई न कोई राहु तैयार ही बैठा होगा!
दूसरा कारण - *"हारने के लिए।"*
सही है बापू, जिसस ने कहा है - " *जो प्रेम करेगा, वह पीछे ही रहेगा।"*
जितना उसे होता है, जो स्पर्धा करता है। अहंता औरों को पीछे छोड़कर आगे जाने में राजी रहेगी! जब *समता भरी ममता, प्रेमवश पीछे रहकर प्रसन्नता पाएगी!* मा बच्चे के साथ खेलती है, तो जान बूझकर हार जाती है! जिसमें मातृत्व है, वह हार कर राजी रहेगा। क्योंकि वह हार जीत के द्वंद्व से उपर उठ चूका है। और संत जैसा मातृत्व किस में होगा?
तीसरा कारण - *"जहर पीने के लिए"*
सही है ना बापू! जहर तो शिवत्व को ही पीना पड़ेगा, ताकि सृष्टि सलामत रहे । औरों की खुशी के लिए, भूतमात्र के कल्याण के लिए *त्रिभुवन गुरु ने जहर पिया, तो त्रिभुवन पुत्र को भी तो जहर पीना ही पड़ेगा !*
चौथा कारण - *"क्षमा मांगने के लिए।"*
हां बापू, क्षमा वीरस्य भूषणम्। और भक्त जैसा वीर और कौन हो सकता है?
साधु, स्वभाव से अवश्य ही रांक होते है। हमेशा हाथ जोड़े ही भक्ति करनी होती है। लेकिन साधु- संत - भक्त का पंथ, वीरों का पंथ है। उस पर चलना कायर का काम नहीं है। और ऐसे साधु सदा क्षमाशील ही होते है। जो सदैव सबको क्षमा ही करते है, वही क्षमा मांग सकते है।क्योंकि *क्षमा मांगना ही सबसे बड़ा क्षमा दान है।* और पांचवा कारण-
*हरि स्मरण के लिए।*
अब यह बात तो जगजाहिर है कि आपका प्राकट्य हरि स्मरण करने के लिए और करवाने के लिए ही हुआ है।आपने ही तो कहा है कि दादाजी ने अंतिम समय आपको जो संज्ञा बताई थी, वह यह थी कि - "अब, यह रामकथा का प्रसाद जो, मैंने तुम्हें दिया है, वह पूरे जगत में बांटो।
और *आप हरि का स्मरण करते है, हर का भी स्मरण करते है और हरिहर भी करवाते है।*
हर, हरि और हरिहर करवाने में डूबे रहने वाले संत के जन्म के जीवन का हर पल सुमिरन में ही व्यतीत होगा। उसके रोम रोम में राम और सांस सांस में सुमिरन रहेगा। यह भी आपसे ही हमने सीखा है। और सुमिरन करनेवालों को सत्य- प्रेम- करुणा के पथयात्री को दूनिया बुरा कहेगी, गालियां देगी, अपमानित करेगी,जहर पिलाएगी............ 😪😪😪
तो बापू! आप के अवतार कार्य में ही यह पांचो कारण सम्मिलित है।
एक बात और भी है, कि यह जो पांच कारण आपके बारे में आपने बताएं, उसी पर चलने का संदेश भी आपसे पाकर हम भी धन्य हुए है। उसी मार्ग पर चलने की कोशिश भी करते है- सफल होते है या नहीं, यह और बात है लेकिन कोशिश अवश्य रहती है।
और एक बात बताऊं बापू? आप के प्राकट्य का छट्ठा कारण है प्रसन्न रहना और सब को प्रसन्न रखना। बापू, यहाँ तो मुर्दों का नगर है। मुर्दों की बस्ती में आप हमें प्रेम और प्रसन्नता पिलाकर हमें जिंदगी देना चाहते है। हमारा सडा हुआ मुर्दा घर ही हमें रास आता है। ऐसे में हम आपकी प्रसन्नता सह नहीं सकते। हमने ही तो कृष्ण प्रेममें डूबी मीरा को जहर दिया था। हमने ही तो भक्तिभाव में नाच रहे नरसिंह का उपहास करने में कमी नहीं छोड़ी थी। हम ही वह चांडाल है जिन्होंने बुद्ध को माधुकरी में झहर दिया था। महावीर के कानों में खीले ठोंके थे। जिसस को शूली पर हमनें लटकाया था। सुकरात को जहर पिलाया था। गांधी को गोली दागी थी... क्योंकि वे सभी मानवता के मसीहा थे। हम मूर्दें लोग ऐसी जीवनदायी प्रसन्न चेतना को कैसे सह सकते है!!
तो बापू! यह जो मेरी समज में आया, वह मैंने व्यक्त किया। और यह समज आप से ही पायी है। बच्चा अपनी तोतली बोली में बाप से ही तो बात करेगा न ?
अगर अनधिकार चेष्टा हो गई हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ। 🙏
जय सियाराम🙏
🌹व्यासपीठ का फ्लावर 🌹
(मनोज जोशी)