bhavukta ke nukshan in Hindi Short Stories by Pt Satya Sharma books and stories PDF | भावुकता के नुकसान

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भावुकता के नुकसान

नवीन एक बहुत ही भावुक व्यक्ति था,जो सेना से पेंशन आ जाने के बाद अपने गाव से दूर शहर मे रहता था और एक छोटी सी राशन की दुकान चलाता था। एक दिन उसके पास एक सीधा साधा दिखने वाला लड़का आया जिसने अपना नाम कृष्णा बताया और बोला की वह उसके गाव का रहने वाला है। और अपने पिता का नाम छोटे सिंह बताया जो कि नवीन का बचपन का दोस्त था। नवीन इतना भावुक इंसान था की उसने कृष्णा से और ज्यादा कुछ नही पूंछा और उसे अपने घर मे रख लिया और अपनी दुकान मे काम भी दे दिया, कृष्णा भी बहुत ईमानदारी से दुकान मे काम करता था और नवीन के घर मे परिवार के सदस्य की तरह रह रहा था। हर महीने के अंत मे कृष्णा नवीन से कुछ पैसे लेकर गाव अपनी माँ को भी भेजता था जिससे नवीन को यह पूर्ण रूप से विस्वास हो गया की कृष्णा उसके गाव का है और अच्छा लड़का है।
समय ऐसे ही गति से आगे बढ़ रहा था कि एक दिन कृष्णा नवीन से बोला कि चाचा जी मेरी माता जी बहुत बीमार है और उन्हे इलाज के लिए दिल्ली लेकर जाना है जहा ईलाज मे बहुत पैसा खर्च होगा और रोने लगा, उसने बताया कि उसका बड़ा भाई जो कि पिता जी के मर जाने के बाद पिता जी की जमीन खुद खेती करता है अपनी पत्नी और बच्चो के साथ अलग रहता है और माता जी और छोटी बहन जो अभी अविवाहित है उनकी कोई मदद नही करता है। इसलिए उसे अपनी पढ़ाई बीच मे बंद करके शहर आना पडा ताकि अपनी और बहन का पालन पोषण कर सके। किंतु मा कि तबियत ज्यादा खराब होने वह और चिंतित है। कृष्णा की बात सुनकर नवीन आत्मा से दुखी हो गया और कृष्णा का साहस बढ़ाते हुए बोला कि वह परेशान ना होये।
नवीन ने उसे एक लाख रुपये दिये और बोला की जाकर अपनी मा का उपचार दिल्ली ले जाकर ठीक से करवाकर वापस आ जाय। कृष्णा पैसे लेकर चला गया और चार महीने तक वापस नही आया तब नवीन कृष्णा के लिए और चिंतित होने लगा। नवीन की पत्नी ने उसे कहा कि अंजान लड़के पर विस्वास करके उसे इतना पैसा नही देना चाहिए और यह भी कहा कि गाव मे जाकर पता करे की कृष्णा की बात सच है या झूठ, दुकान मे आकर नवीन इस बारे मे विचार कर ही रहा था कि गाव मे किसी को फोन करके पूँछ ले ठीक उसी समय उसे एक अंजान नंबर से फोन आया और बात करने पर बताया कि वह कृष्णा है और अब माता जी। ठीक हो गयी है। छोटी बहन की शादी तय करने की वजह से वह व्यस्त था इस कारण नही आ पाया अब जल्दी ही आएगा।
एक हफ्ते बाद कृष्णा आया और बोला की चाचा जी आपकी की कृपा से मा तो ठीक हो गयी है पर अब बहन की शादी की वजह से चिंतित है। तब नवीन ने उसे 2 लाख रुपये और जौहरी से कुछ गहने दिलवा दिये और बोला घर जाकर बहन की शादी करो फिर आना सब ठीक हो जाएगा। कृष्णा पैसे और गहने लेकर गाव चला गया नवीन से बोला चाचा जी आप शादी मे जरूर आना यह सब काम आपकी ही वजह से हो रहा है। बहन की शादी के बाद वह मेहनत करके सब कर्ज उतार देगा और चाचा जी आपका आजीवन आभारी रहूँगा। जाते जाते फिर आग्रह किया की चाचा जी अापको शादी मे जरूर आना है। जिससे नवीन को कृष्णा के प्रति और सम्मान बढ़ गया।
बतायी गयी तारीख मे जब नवीन गाव गया ताकि कृष्णा की बहन कि शादी मे शामिल हो सके और बहुत दिन बाद अपने गाव गया गया था तो सबसे मिल सके। लेकिन जब नवीन गाव गया तो उसके होश उड़ गए क्योकि गाव जाकर पता चला कि कृष्णा गाव तो चार साल से आया हि नही और सात महीने पहले कृष्णा कि माँ भी मर चुकी है क्योकि उसका सही से उपचार नही हो पाया था। और कृष्णा का बड़ा भाई अपनी छोटी बहन और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बहुत ही दयनीय दशा मे रह रहा था क्योकि कृष्णा अपनी जमीन और मकान सब पहले ही बेंच चुका था और सरकारी बैंक से मा नाम जो जमीन थी उसमे कर्ज ले लिया था यह कहकर कि वह सहर मे बड़ा व्यवसाय करेगा जिसे समय पर ना देने की वजह से बैंक ने घर और बची हुई जमीन सब नीलाम कर दिया है। अब कृष्णा कि मा और छोटी बहन और बड़ा भाई और उसके पत्नी और बच्चों की हालात देखकर नवीन को बहुत दुःख हुआ और अफ़सोस भी कि बिना जांच पड़ताल किये कृष्णा की भावुक बातो मे आकर करीब तीन लाख रुपया और गहने और लूटवा लिए।।