Prem - 1 in Hindi Fiction Stories by प्रवीण बसोतिया books and stories PDF | प्रेम - दर्द की खाई (भाग -1)

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प्रेम - दर्द की खाई (भाग -1)

, बचपन के आँसू

मैं आठ वर्ष की थी जब मेरे बाबा बीमार पड़ गए वे काम नहीं काम कर पाते थे ।क्योंकि वह चल नही पाते थे। और में भी काम नहीं कर पाती थी क्योंकि मैं तो बहुत छोटी थी। सिर्फ आठ वर्ष की ।।

मैं हूँ ‘’ वंदना ”हूँ। मेरे बाबा कहते है जब मैं पैदा भी नहीं हुई थी ।उससे पहले से ही मेरी माँ ने मेरा नाम सोच कर रखा हुआ था। मेरी माँ तो मुझसे मेरे जन्म से ही दूर हो गई। इस बात की मैं जिम्मेदार ऐसा लोग कहते है। में बहुत बड़ी कलमुंही हूँ। ये भी लोग कहते हुए पीछे नहीं होते।। गांव में लोग मुझे बहुत बुरी बुरी बातें बोलते हैं। पैदा होते ही अपनी माँ को खा गयी। और वैसे भी मरना और जीना तो भगवान के हाथों में है आप सोच रहे हो ये सब मुझे कैसे पता।। मेरे बाबा ने मुझे बताया।। मेरे बाबा मुझे बहुत प्यार करते हैं।उन्हे गांव के किसी भी आदमी से कोई फर्क नहीं पड़ता।। माँ के जाने का वो खुद जिम्मेदार ठहराते हैं क्योंकि डॉक्टर ने कहा था।।आपकी पत्नी शरीर रुप से कमजोर है। उन्हें अच्छा संतुलित भोजन देना अति आवश्यक हैं अन्यथा उनकी डिलीवरी में परेशानी हो सकती है।। बाबा अच्छा भोजन कैसे जुटा पाते वे कर्ज़ में बुरी तरह फँसे हुए थे।। जिस वजह से वो माँ की मौत का जिम्मेदार खुद को मानते है। मगर मैं जानती हूँ वे बहुत अच्छे हैं।।मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ।।आज मुझे बाबा के एक दोस्त के घर जाना है।। जिस कारण आज मैं स्कूल नहीं जाऊंगी।

मैं 5 दिन से स्कूल नहीं जा रही हूं। क्योंकि बाबा की तबीयत बहुत खराब हैं।।मैं उन्हें अकेला कैसे छोड़ सकती हूँ। इन 5 दिनों में बाबा की सारी बचत, जो वह मेरी पढ़ाई के लिए जमा कर रहे थे।। वो सब उनकी बीमारी में ख़र्च हो चुकी है। डॉक्टर अंकल बोलते है बाबा टी. बी. की बीमारी हुई है जिसका इलाज गांव में नहीं है बाबा को इलाज के लिए शहर जाना पडेगा।

बाबा रात भर खाँसते रहते है ।मुझे उनकी बहुत फिक्र होती है बाबा मुझे हमेशा खाना बना कर खिलाते थे। और अब मैं उनके लिए

टेड़ी-मेड़ी रोटियां बनाती हूँ सब्जी तो खाने लायक तक नहीं होती मगर मेरे बाबा दुनिया के सबसे अच्छे बाबा है मेरे द्वारा बनाये गए खाने की वो हमेशा प्रसन्नता करते है।

सुबह हो गयी है बाबा ने मुझे आवाज लगाई है।वन्दू उठ जा बेटा।। तुझे प्रकाश के पास भी जाना है। प्रकाश अंकल बाबा के बहुत अच्छे दोस्त है। वो जब भी घर आते है मेरे लिए कुछ न कुछ खाने के लिए हमेशा लाते है। बाबा ने कहा है।वन्दू प्रकाश के पास जाओ और बोलना बाबा ने कुछ पैसे मंगवाये है प्रकाश अंकल गांव के नुकड़ पर ही रहते हैं। मैं पहले नाश्ता बनाऊंगी। उसके बाद बरतन धोने के बाद जाऊंगी।।

मुझे बाबा को ऐसी हालत में देखकर कर रोना आता हैं।।मैं सोचती हुँ।काश मैं बाबा को ठीक कर पाती। अब मैं अंकल के घर जा रही हुँ।मेरे स्कूल में चोथी कक्षा की परीक्षा शुरू हो गयी।मगर मैं स्कूल नहीं जा सकती बाबा को अकेले नहीं छोड़ सकती।।

प्रकाश अंकल ने कहा है।वो बाबा से घर पर ही मिलने आयेंगे। अंकल जब घर आये और उन्होंने बाबा को देखा तो बहुत परेशान हुए । और बोला हम कल ही शहर जाएंगे। हिम्मत रख यार ‘’मैं हूं ना” अंकल सुबह आएंगे ।

कल सुबह मुझे जल्दी उठकर सब काम करना होगा। और तैयार भी होना पड़ेगा। कल पापा को अस्पताल लेकर जाना हैं अगली सुबह हम निकल गए। मैं पहली बार शहर आई हूं ।पापा मेरे सब कुछ है। भगवान मेरे पापा को जल्दी ही ठीक कर दो। अंकल ने कहा डॉक्टर बोल रहे थे । पापा टी.बी. की बीमारी से ग्रसित है। और उनको कुछ दिनों के लिए अस्पताल में ही दाखिल रखना पड़ेगा। मुझे पापा की बहुत फिक्र हो रही है। प्रकाश अंकल ने कुछ पैसे दिए हैं। उन्होंने कहा है अस्पताल सहकारी है दवा और बेड निशुल्क है। ये कुछ पैसे रख लो ‘वन्दू’ अपने लिए और पापा के लिये ।बहार से खाना ले आनाअब मैं चलता हूँ कल आऊंगा । अपने पापा का ध्यान रखना । पास में एक होटल है मगर रोड ध्यान से पार करना। पापा रोने लग गए। और कहने लगे प्रकाश अगर मुझे कुछ हो जाये। तो वन्दू का ख़्याल रखना। प्रकाश अंकल पापा का डाँटते हुए कहते है ये मेरी भी बेटी है। और तुझे कुछ नही होगा। कल तेरी भाभी से तुम दोनों के लिये ।पोषक आहार बनवा कर ले आऊंगा। अंकल चले जाते है। अगर अंकल न होते तो हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता ये सब,हमारे कोई भी रिश्तेदार हमसे नही मिलते। पापा और मम्मी ने प्रेम विवाह किया था। जिस वजह से सभी हमसे नाराज़ और दूर रहते है पापा अपने भाइयों को बहुत याद करते हैं मगर उनके भाई सिर्फ उन्हें नफरत करते है। कभी-कभी मैं पापा से कहती हूँ। कि आप उनके लिए क्यों रोते हैं जो आपको बिल्कुल भी प्यार नही करते। पापा कहते है मैंने सबकी मर्जी के खिलाफ शादी की गलती मेरी हैं। में उन्हें कहती हूँ ।आपने कुछ गलत नही किया। गलत वो लोग हैं जो आपको समझ नहीं पाए। इसमें हमारा क्या कसूर पापा,मेरे पापा मेरे सर को सहला कर मेरी बातों पर सिर्फ मुस्करा देते है।मुझे उनकी मुस्कराहट बहुत प्यारी लगती है कभी कभी तो मैं जान बूझकर ऐसी बात कर देती हूं।जिसे पापा मुस्करा देते हैं।मेरे सिवा पापा का और उनके शिवा मेरा कोई नही है। अस्पताल में पापा के साथ रहना पड़ेगा ।ये मेरी मजबूरी है । जिस वजह से मैं अपनी चौथी कक्षा की परीक्षा नहीं दे पाऊंगी। मेरे पापा की कोई भी परीक्षा मेरे पापा से जरूरी नहीं है।दो दिन बीत चुके है पापा की तबीयत में भी सुधार हुआ है।पापा अस्पताल से घर जाने की बात करते है मगर डॉक्टर घर जाने से मना कर देते है । डॉक्टर कहते है अगर घर जाओगे तो तुम्हारी तबीयत दुबारा बिगड़ सकती हैं अभी तुम 3 दिन और घर नही जा सकते । मैं पापा से कहती हूँ । पापा बस तीन दिन की ही बात है । मगर पापा सिर्फ इस लिये परेशान है क्योंकि उनके पास अब पैसे नही है। और प्रकाश अंकल से भी वो बहुत कर्ज़ा ले चुके है। तीन दिन बाद पापा को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती हैं ।जैसे ही मैं और पापा घर आते है उसी वक़्त प्रकाश अंकल आ जाते है। प्रकाश अंकल के हाथ में एक थैली है जिसमें मुझे अंगूर साफ साफ दिखाई दे रहे हैं उन्हें देखकर मेरा दिलमिचलाने लगता है।मल मैंने सुबह से कुछ भी नही खाया है। मेरी नजर जैसे थैली से हट नही रही है मैं प्रकाश अंकल के लिए पानी लेने जाती हूँ।और जब लौट कर आती हूँ तब भी मेरी नजर थैली पर ही होती है प्रकाश अंकल ने शायद ये बात जांच ली है। अंकल बोले बेटा ये अंगूर अंदर ले जाओ । और पापा ओर मेरे लिए चाय बना लाओ। मैं हां में सर हिला कर रसोई में चली जाती हूँ।वहाँ जाकर मुझे पता चलता है। चाय बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है मुझे बहुत शर्म आने लगती है। आखिर अब मैं क्या करूँ मैं पास की दुकान पर जाती हूँ ।और सब समान ले लेती हूं ।मगर जैसे ही दुकान वाला मुझे पैसे देने को बोलता है में उसे कहती हूँ ।अंकल मेरे पापा आपको दे देंगे अभी काम पर जाने लगेंगे तो आपको वो पैसे दे देंगे ।दुकान वाला अंकल मेरी पूरी बात भी सुनता और समान छीन लेता है ।उसकी आँखों में गुस्सा देखते ही मेरी आंखों में आसुँ आ जाते ।मैं उदास होकर लौटती हूँ। मेरा चेहरे को देखकर अंकल समझ जाते है । शायद उन्हें चलना चाहिए और वो मुझे कहते है बेटा अँगूर कहा लेना और पापा को भी खिला देना। चाय मैं कल पिलूँगा। अभी मुझे थोड़ी जल्दी है। प्रकाश अंकल पापा को कुछ पैसे देकर चले गए। अंकल के जाते ही मैं पापा के गले लग कर बहुत रोने लगी ।पापा ने मुझे चुप कराया ।और पूछा क्या हुआ मेरी बच्ची। मैंने वो बात छुपा ली ।और कहा पापा मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं । पापा ने उत्तर देते हुए कहा मैं जानता हूं मेरी बच्ची। और मेरा सर सहलाने लगे। पापा पूरी तरह ठीक तो नहीं हुए थे मगर वो अब काम पर जाना चाहते थे ।मैंने उन्हें रोका मगर वो नहीं रुके। और कुछ दिन दवा लेते रहने की वजह से पापा बहुत जल्द ठीक हो गए। मुझे बहुत खुशी थी ।इसके साथ मुझे एक दुख भी था। क्योंकि परीक्षा न देने की वजह से मेरे एक वर्ष खराब हो चुका था मगर मुझे उसका दुख ज्यादा न था। मुझे ज्यादा ख़ुशी पापा के ठीक होने की थी।

प्रकाश अंकल घर जब भी आते है मेरी तारीफ करते हुए कहते । तू बहुत भाग्यशाली है जो तुझे इतनी प्यारी बेटी भगवान ने दी है किस्मत वालो को ही ऐसी बेटी नसीब होती हैं। इस को खुब पढ़ाना । देखना एक दिन ये तेरा नाम आसमान में लिख आ जायेगी। पापा मेरी पढाई को लेकर काफी चिंता में रहते हैं क्योंकि वो सोचते है अगर मैं पढ़ लिख गयी तो मेरी शादी अच्छे और बड़े घर में होगी। पता मैं क्या सोचती हूँ भगवान मुझे एक लड़का बना कर इस दुनिया में पैदा करता तो मुझे अपने पापा से कभी दूर न होना पड़ता ।और ज़िंदगी भर अपने पापा के साथ रहता। खुद काम करता और पैसे कमाता उनको काम नहीं करने देता ।जितनी मुश्किल से वो मेरे लिए काम करते है में उनको कभी न करने देता। ,,

इस शनिवार को मेरा जन्म दिन है और मैंने पहले ही सब सोच लिया है। पापा से खीर बनवा कर खानी है। मगर पापा आज मेरे उठने से पहले ही घर से काम के लिए चले गए। उन्होंने मेरे लिए खाना बना लिया है शायद। आज तो मुझे स्कूल जाना ही नहीं है क्योंकि आज तो दूसरा शनिवार है और दूसरे शनिवार की छुट्टी होती है। शाम को पापा आए और मैंने उनसे झूठी नाराजगी दिखायी मुझे लगा उन्हें मेरा जन्म दिन याद नहीं है फिर उन्होंने कहा मेरी बच्ची को मेरे हाथ से बनी खीर खानी है। आज मेरी ये गुड़िया 9 साल की गयी। मैं शर्माते हुए ।आपको याद था पापा। पापा हँसने लगते है तुझे तो लगा मुझे याद नहीं होगा। बाप हूँ तेरा।।

फिर पापा ने मुझे चम्मच से खीर खिला कर जन्मदिन की बधाई दी और आंखें बंद करने को बोला। मैंने आंखें बंद की और खोली तो। देखा वो एक नोट बुक थी। वो कहने लगे । तेरे पापा ग़रीब हैं मगर इतने गरीब नहीं कि तुझे एक नोट बुक न दिलवा पाए। रोज अपने टीचर से नोट बुक के लिए मार खाकर आती है मगर एक दिन भी नहीं बोली पापा नोटबुक चाहिए। आगे से अगर तूने ऐसा कभी किया तो मुझसे बात न करना ।पापा झूठे गुस्से में बोले । मैं पापा के गले लग कर रोने लगी। जब भी मैं ऐसे करती हुँ । मुझे सुकून मिलता है। पापा मेरे लिए कुछ और भी लाये थे ।वो एक ड्रेस भी लाये थे। मेरे पास कोई नई कपड़े नही थे। पापा बोलते है। तू इन कपड़ों में बिलकुल राजकुमारी लगेगी। मेरे पापा में मुझ एक ही दिन में इतनी सारी खुशियाँ दे दी। आखिर पापा किसके है। आज रात मुझे खुशी से नींद नहीं आ रही। मुझे नहीं पता था ।मेरी ज़िंदगी में एक और ख़ुशी बहुत जल्द ही आने वाली है। मैं अगले दिन स्कूल जाती हूँ। और फिर मुझे मेरी क्लास में से टीचर बुलाते है। जैसे ही मैं बाहर आती हुँ। मेरे सामने मुख्य अध्यापक जी होते है उनको देखकर मैं डर जाती हूँ। फिर वो मुझे कहते है मेरे ऑफिस में आओ। मैं उनके ऑफिस में जाती हुं। उनकी नाक की नोक पर उनका चश्मा था और नीचे नजर करते हुए बोले तुमने एग्जाम क्यों नहीं दिए। मैंने कहा मेरे पापा बीमार थे । इस लिए sir जी। वो मुझे कहने लगे क्या तुम्हें ये बात हमे बतानी जरूरी नही समझी। मैंने sorry बोला और फिर जो हुआ ।मैँ यकीन ना कर सकी। उन्होनें कहा कल से तुम पांचवीं क्लास मे बैठना। मैंने थैंक्यू बोला और बहार आकर नाचने लगी। आज मैं बहुत खुश थी। ये बात मैं जब पापा को बताऊंगी। उनको भी बहुत खुशी होगी। मैं घर आई ।बस पापा का इंतजार करने लगी। पापा घर आये मैं बहुत खुश थी और इतनी खुश थी पापा का हाथ पकड़ कर बोला पापा चलो जल्दी अंदर मुझे आपको कुछ बताना । मैंने पापा को जब ये बात बताई ।उनको ख़ुशी हुई। मगर उतनी नहीं जितनी मुझे लगा था होगी। मैं समझ गई थी ये सब पापा ने ही करवाया। है। मैं पापा को कहने लगी । मैँ बहुत lucky हूँ जो आप मेरे पापा है पापा बोलते है चल अब ज्यादा माखन मत लगा खाना बनाना है। पापा को मिलने गांव का एक आदमी आया। और वो हम दोनों को खुश देख कर पूछने लगा क्या हुआ भाई। बाप बेटी बहुत खुश हो। पापा ने बताया। तो वो इंसान कहने लगा। तुम पागल तो नहीं हो गए। आजकल लड़कियां कौन पढाता हैं लड़कियां क्या करेंगी पढ़ लिखकर खाना बनाना घर की सफाई इन सब में पढ़ाई की क्या जरूरत, और आजकल माहौल कितना खराब चल रहा है लड़कियां सुरक्षित नहीं है। इस समाज में हमारी बहन बेटी का सुरक्षित रहना बहुत मुश्किल हो गया है। मेरी मानो तो बिटिया को मत पढ़ाओ। पापा उसकी बातों से चिंतित हो जाते हैं मगर मेरे समझाने से वो मान जाते है। मैंने उन्हें कहा पापा दुनिया में और भी लड़कियां पढाई कर रही है। और अगर सभी समाज के डर से अपनी बेटी पढ़ाने से रोक ले तो । हमारे देश में शिक्षा का स्तर घठ जाएगा और ऐसे समाज को सुधारने के लिए शिक्षा अनिवार्य है। प्रत्येक वर्ग में शिक्षा अनिवार्य है। हर क्षेत्र में शिक्षित व्यक्ति को ही पद् मिलता है। अशिक्षित व्यक्ति सिर्फ मजदूरी ही करता है। हर इंसान का जीवन सुखी हो सकता है अगर वो शिक्षित हो जाये। मेरी बातों से पापा का दिल बदल गया और उन्होंने निश्चित किया वो मुझे हर हाल में पढ़ाना हैं मुझे उनकी बात से बहुत अच्छा लगा।