बंधन जन्मोका - प्रकरण 3
( पुनर्जन्म की कहानी... प्रकरण -2 में हमने देखा कि सोना के साथ हुई दुर्घटना के बाद सोना और सूरज एक-दूसरे के करीब आ गए हैं, और एक- धूसरे कद चाहने लगे हैं । अब आगे... आपको ये कहानी कैसी लगी ? आपका अमूल्य अभिप्राय अवश्य लिखे,,,,, मातृभारती, ओडीटोरियल टीम का बहुत ही धन्यवाद । )
बंधन जन्मोका - प्रकरण 3
सूरजने स्टीयरीँग घूमाके गाडी का बड़ा टर्न लिया, क्योंकी रास्ता गोलाई पर जा रहा था। और सूरज विचारोंमें इतना मग्न था कि उसे पता ही न चला कि कब वह घोलाई वाले रास्ते पर चढ गया। गाडीको योग्य मोड़ देकर वह फिरसे सोचने लगा।
जब प्रेसीडन्सी कोलेज के गार्डनमें दोनों बैठे थे,और सोच रहे थे कि छूट्टीयों के दिनमें कहीं घूम आए, तब सोना कितनी खुश थी ,, सूरजने सोनासे पूछा कि कहां का इरादा हैं,,,सोनाने कहां था की मैं तो दार्जिलिंग जाना चाहती हूँ, सूरजने इस बातका समर्थन किया था, और बोला था कि हम सब साथमें जाएंगे दार्जिलिंग एक सप्ताह बिताएंगे,,,दार्जिलिंगकी वादीयोंमें हमारा प्यार और खिल उठेगा ।
सोनाने कहा, सूरज तुझे घरसे छूट्टी मिल जाएगी,,,, सूरजने कहा, अफकोर्स मिल जाएगी,,,क्यों नहीं,,,मुझे रोकनेवाला कोन हैं,,, सोनाने कहां,तुम्हारी माँ ,,,तुझे अकेला आने देगी,,, हा , सोना ये बात तो हैं,,, लेकिन मेरी माँ , मुझे बहुत चाहती हैं,,, और घर पर ज्यादातर वह अकेली होती हैं, इसीलिए वह मुझे अपनी आँखोँसे दूर नहीं जाने देना चाहती,पिताजीको तो बीझनेससे फूरसत ही कहां हैं,,,सूरजके पिता का बड़ा बीझनेस हैं,, जो कलकता से लेकर मस्कत तक फैला हुआ हैं। सूरजने कहा, की पिताजीको ये जाननेकी जरूरत भी नहीं हैं की उसका बेटा कया कर रहा हैं,,, कहा घूम रहा हैं,,,इत्यादी,,, सबकुछ माँ ही तो मेनेज कर रहीं हैं। और एक दिन सूरजने माँ को मना लिया, सूरजने कहा, माँ मैं छूट्टीयों में दोस्तोके साथ घूमने जा रहा हूँ,, जाऊ,,,माँने कहा,,,पूछ रहा हैं, या बता रहा हैँ,,, नहीं माँ,,,मैं पूछ रहा हूँ,,,सूरजने कहा,, माँने कहा अगर प्रोग्राम पहलेसे ही फिक्स हैं, फिर पूछने की क्या जरूरत हैं,,,जब तु दोस्तोसे बात कर रहा था,तब मैंने सब सून लिया था,,,माँ,,,,कहकर सूरजने माँ की गोदमें अपना सर रख दिया। माँ,,किसीकी बात चोरी छूपे सूनना क्या अच्छी बात हैं,,, तू ने ही तो सीखाया हैं,,,अच्छा बाबा, अब नहीं सुनूंगी,,,बस,,माँने कहा,,, ये तो बता, यह,सोना कौन हैं,,,कौन सोना , माँ,,,सूरजने कहा,,, माँने कहा,,ज्यादा बन मत,,,,सीधा,सीधा मैं जानना चाहती हूँ,,,,उसे मिलना चाहती हूँ,,,,उसे घरलेआ,,मैं भी देखु तो सहीं की मेरे बेटे की सपनों की राजकुमारी कैसी हैँ,,,,,,
सूरजने कहा,,क्या माँ,,,तू भी कोई हो तो बताऊँ ना,,, फिर कहा,,,अच्छा तुझे पता लग ही गया हैं,,,तो कभी सोना को घर ले आऊँगा,,,,ओ.के..... माँने कहा,, कभी नहीं,तेरी दार्जिलिंग की टूरसे पहले ही उसे घर लाना,,,,,ओ.के...डन...माँ...ये कहकर सूरज कोलेज जाने को निकला,,,,,,
आज कोलेजमें प्रोफेसर कृष्णकांन्त त्रिवेदी इंग्लीशमें शेक्सपियरकी –रोमियो-जुलियेट पढानेवाले थे।सारा कलास फूल था। जब सूरज कलासमें दाखिल हूआ तो सोना भी आ गई थी । एक नजर उस पर डालकर वह भी अपनी सीट पर बैठ गया। प्रोफेसर साहब आए और बोले,,,बच्चो, आज मैं आपको महान ड्रामाटीस्ट शेक्सपीयर के बारेमें बताऊँगा। उस्के लिखे हुए ड्रामाने युरोपमें धूम मचाई थी,,,,,,इन्डीयामेंभी एक नाटककार हुआ था,,, आप मेंसे कीई इनका नाम बताएगा,,,थोडी क्षण के लिए क्लासमें सन्नाटा छा गया। बादमें सोनाने अपना हाथ उपर किया,,,प्रोफेसर बोले,,यस, सोना तुम बताओ,,,सोनाने कहा, सर, इनका नाम कालिदास,,,उनहोने संस्कृतमे अभिज्ञान शाकुंतल लिखा था,,,वह बड़ा फेमस हुआ था। जर्मन कवि गेटेने तो उनकी भूरी भूरी प्रशंसा की थी। उसे नोबल प्राइज भी मिला था। वाह,,,शाबाश,,,सोना,,,बेटा,,,बहुत अच्छा,तुम्हे कैसे पता,,,सर मैने पढा था, सोनाने बताया,, पूरा कलास कलेपींगसे गूंज उठा,,,,,,,,प्रोफेसरने कहा, हा बच्चो, तो मैं शेक्सपीयरका रोमियो-जुलियेट पढाने जा रहा हूँ। और मेरी बात ध्यानसे सूनो,,,इस साल हमारे कोलेज-एन्युअल फंकशनमें हमे ये ड्रामा प्रेझन्ट करना हैं।
क्लास पूर्ण हुई,,,सब बाहर निकले रोमियो-जुलियेट,और प्रोफेसरकी पढनशैलीके बारेमें सब चर्चा कर रहे थे,,,प्रोफेसर त्रिवेदी छात्रों लोकप्रिय थे। कोलेजका एन्युअल फंक्शन भी आ रहा था, और एक्झाम भी सर पर था,,, सब लोग पहले फंक्शन की तैयारीमें लग गए,,,,
प्रिन्सीपाल डो.जोनसनने सूरज और सोनाको अपनी चेम्बरमें बुलाये, सभी दोस्त घबरा गए थे,,,,चेम्बर में जब सोना और सूरज गए तो प्रोफेसर त्रिवेदी भी वहाँ मौजूद थे,,,,प्रिन्सिपालने कहा,आओ,सोना,,सूरज,,,आप दोनोंको एन्युअल फंक्शनमें रोमियो-जुलियेट ड्रामामें पार्टीसीपेट होनेके लिए बुलाए हैं। त्रिवेदीजीने आप दोनों के नाम नोमीनेट किये हैं,,,क्या आप इसके लिए राजी हो,,, रेडी हो,,सोनाने कहा, हाजी, सर, आई केन डु इट,,,एन्ड यू सूरज,,,आई केन ओल्सो डू इट,,,,, वेरी गूड,,,,प्रिन्सीपालसरने कहा,,,लेट्स गो एन्ड डू प्रेक्टीस,,,आजसे ही प्रीपेरेशन शुरू कर दो। प्रोफेसर त्रिवेदीजीकी ओर देखकर प्रिन्सिपालश्रीने कहा उनको उनके डायलोग समझा दो,,, ओ.के.सर,,,त्रिवेदीजीने कहा,,,,,,,( क्रमशः )