Tasvir ka sach - 4 in Hindi Horror Stories by Saroj Verma books and stories PDF | तस्वीर का सच - ४

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तस्वीर का सच - ४

उस बूढ़े को किचन में ना देखकर समीर के तो जैसे होश ही उड़ गए, उसने एक बार फिर सबसे पूछा कि सच में तुम लोगों ने किसी बूढ़े को नहीं देखा।।
सबने कहा हां.... नहीं देखा....
लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है,जिसे मैंने देखा उसे कोई क्यो नही देख पाया, बहुत ही उलझन में था समीर यही सोचकर।।
थोड़ी देर बाद शाम हुई हल्का हल्का अंधेरा सा था,समीर और समृद्धि बालकनी में चाय पीने बैठे और दोनों बच्चे तालाब किनारे खेल रहे थे,समीर बोला बहुत ही अच्छा लग रहा, मैं कैमरा लेकर आता हूं और समीर ने रिकोर्डिंग शुरू कर दी, उसने कैमरे में देखा कि तालाब के किनारे बहुत से चमगादड़ उड़ रहे हैं उसनेे बिना कैमरे के देखा तो उसे चमगादड़ नहीं दिखे, उसने समृद्धि से कहा कि लो तुम भी रिकॉर्ड करो समृद्धि रिकोर्डिंग करने लगी,समीर ने सोचा कि इसका मतलब है समृद्धि को चमगादड़ नहीं दिखे।।
अंधेरा ज्यादा गहरा हो गया था,समीर ने दोनों बच्चों को वापस बुला लिया,सब अंदर चले गए लेकिन समीर वहीं बालकनी में बैठा रहा उसने सोचा एक बार फिर कैमरे से रिकोर्ड करता हूं उसने रिकॉर्ड करना शुरू किया अब की बार उसे एक खुले बालों वाली एक बच्ची सफेद कपड़ों में दिखाई दी फिर समीर ने बिना कैमरे के देखा लेकिन वह नहीं दिखी, फिर से समीर ने कैमरे से देखा वो वहां पर खड़ी थी फिर से समीर ने बिना कैमरे के देखने की कोशिश लेकिन वो लड़की नहीं दिखी फिर समीर अंदर जाने के लिए जैसे ही मुड़ा वो लड़की एकदम से अचानक आकर गायब हो गई।
समीर बहुत जोर से चीखा, सभी लोग भागकर बालकनी की ओर आए, सबने पूछा कि क्या हुआ,समीर ने सब कह सुनाया।।
समृद्धि बोली, मैंने कहा था ना समीर कि यहां कोई ना कोई है, हमें ये घर छोड़ देना चाहिए।।
समीर बोला, हां कल ही वापस चलते हैं।।
रात को सब खाना खाकर सो गए,करीब रात को दो बजे एकाएक तस्वीर जो कि समृद्धि लाई थी, दीवार से गिर पड़ी इतनी तेज आवाज हुई जैसे लगा कि कोई पटाखा फूटा हो,सब जाग गये और भागकर हाल की ओर आए, बच्चे भी जग गए थे।।
समीर ने देखा कि तस्वीर फर्श पर उल्टी पड़ी है और जगह जगह कांच फैला है,समीर ने तस्वीर उठाई और सीधी कि तस्वीर देखकर सब हैरान रह गये क्योंकि तस्वीर में वो परिवार नहीं था,वो चारों लोग गायब थे।।
तभी समृद्धि ने कहा, मैंने कहा था ना, ऐसा करो खिड़की के बाहर देखो,समीर ने खिड़की के बाहर देखा, उसे कोई नहीं दिखा और वो जैसे ही मुड़ा, बहुत ही घिनौने हाथों ने उसका गला पकड़ लिया,वो छुड़ाने की कोशिश करने लगा तभी समृद्धि ने समीर के दोनों पैर जोर से पकड़ कर हनुमान-चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया, घिनौने हाथों ने समीर का गला छोड़ दिया।
समृद्धि और समीर दोनों बच्चों को लेकर बेडरूम की ओर भागे,सब एक साथ ही बेडरूम में थे, दरवाजा अंदर से बंद कर लिया लेकिन थोड़ी देर बाद सारे घर की लाइट चली गई,अब समीर को बाहर आना ही पड़ा कैण्डल लेने, उसने समृद्धि से कहा तुम यहीं बच्चों के साथ रूको मैं कैण्डल लेकर आता हूं, ऐसा करो तुम अपने फोन की लाइट ओन कर लो, समृद्धि बोली ठीक है।।
और समीर ने अपने फोन की लाइट ओन की और धीरे-धीरे,हाल की ओर गया बहुत ही अंधेरा था खिड़की अभी भी खुली हुई थी,समीर ने खिड़की की ओर नहीं देखा और वो किचन की ओर धीरे धीरे डरते हुए गया उसने फोन की रोशनी से कैण्डल ढूंढने की कोशिश की लेकिन कैण्डल कहीं नहीं मिली।।
उसका ध्यान किचन की कपबोर्ड को ओर गया उसने कपबोर्ड खोलकर कैण्डल ढूंढनी चाही, उसने जैसे ही कपबोर्ड खोली,तभी कपबोर्ड में वो बुड्ढा दिखाई दिया, उसने समीर का हाथ जोर से पकड़ लिया,समीर बहुत डर गया और अपना हाथ छुड़ा कर बेडरूम की ओर भागा।।
बेडरूम में जाकर देखा कि जब शांत है और डर के मारे ऊपर कमरे की छत की ओर देख रहे हैं,समीर ने भी देखा, देखते ही उसके होश उड़ गए,एक भयानक चेहरे और बड़े बालों वाली औरत छत से पीठ के बल चिपकी थी और मेंढक की तरह उकडू बैठी थी उसके हाथ बहुत ही घिनौने और बहुत ही बड़े पंजे थे मुर्गियों की तरह ,उस औरत ने धीरे धीरे अपना हाथ बढ़ाना शुरू किया और समृद्धि की ओर बढ़ाने लगी।।
उसने जैसे ही अपना हाथ समृद्धि के गले में रखा समीर ने सारांश से कहा कि सारांश अपने गले का शंकर जी वाला लोकेट उसके हाथ पर लगा दो,सारांश ने ऐसा ही किया और वो हाथ उस औरत सहित धुएं के साथ गायब हो गया।।
रात भर डर के मारे कोई भी नहीं सोया ऊपर से सारे घर मे अंधेरा पसरा था।।
सुबह हुई, सब देर से उठे, समृद्धि उठकर हाल में आई तो देखा वो चारों फिर वापिस तस्वीर में थे, समृद्धि ने समीर को आवाज लगाई__
समीर....समीर....जरा जल्दी इधर आओ.....
समीर को लगा फिर कुछ हुआ है और वो भागकर आया,
पूछा कि क्या हुआ...
समृद्धि ने तस्वीर की ओर इशारा किया__
समीर तस्वीर देखकर परेशान हो गया ,उस तस्वीर में अब चारों लोग मौजूद थे,समीर ने कहा यहां से चलते हैं अपने पुराने घर और उन्होंने वापस जाने की तैयारी कर ली।।
वो एक पल के लिए वहां नहीं ठहरना चाहते थे।
उन्होंने सारा सामान वहीं छोड़ा और चले आए अपने पुराने घर लेकिन अभी मुसीबत खत्म नहीं हुई थी।।
फिर रात होने पर, समृद्धि को लगा कि शायद कृतु किसी से बातें कर रही हैं उसने बाहर आकर देखा कि कृतु सच में किसी से बातें कर रही थी लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था, उसने और नजदीक जाकर देखा कि दीवार की ओट में कोई तो खड़ा था लेकिन जैसे ही उसने देखने कोशिश की वो वहां से गायब हो चुकी थी।।
उसने कृतज्ञता से पूछा,कौन था,तुम किससे बात कर रही थी,
कृतज्ञता बोली, वहीं बड़े बालों वाली दीदी थी....
ये सुनकर समृद्धि बहुत ज्यादा परेशान हो गई।।

क्रमशः ___
सरोज वर्मा___