BABY - 2 - 3 in Hindi Thriller by Dhruv oza books and stories PDF | BABY - 2 - 3

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BABY - 2 - 3

Screening 3

(पाकिस्तान का एक गाँव - मंजीत)

खुदाबक्श - अरे रहीम,(चिल्लाके) ओ रहीम यहां आना ।

रहीम - जी भाईजान , बताईये क्या हुआ ।

खुदाबक्श - अरे में ये पूछ रहा था कि कितने साल से हो तुम यहाँ ?

रहीम - जी जनाब जबसे ये गाव बना है तबसे , पहले जी मे बॉर्डर के उस पार एक गाँव है धोरडो, जो कि कच्छ में आता है वहां रहता था, जब से ये बॉर्डर बनी है में इस तरफ आ गया मेरे रिश्तेदार उस तरफ,

खुदाबक्श - अच्छा; तो कभी मिलना नही हुआ तुम्हारा उनसे ? कभी गए नही बॉर्डर पार करके ।

रहीम - जी वो भाईजान मिलना तो होता रहता है , कभी वो यहा आते है कभी हम वहां जाते है शादी-बिहा में ज़्यादा होता है ।

वेसे आप क्यों पूछ रहे है भाईजान क्या आपको भी जाना है ?

खुदाबक्श - नही रहीम नही हमें वहां नही लेकिन किसको यहां लाना है । तुम नही समजोगे ।

अच्छा में ज़रूरी बात तो बताना भूल ही गया, देखो हमारे कुछ साथी आये है कुछ दिनों के लिए यही रहेंगे उनके खाने और रहने का इंतज़ाम करोगे ?

रहीम - जी जरूर भाईजान यहां पास ही एक घर है जो वेसे तो ढह गया है , बम-मारी में लेकिन उसके आंगन में आप सब सो सकते है , वहाँ कोई नही रहता ।

खुदाबक्श - बहोत अच्छा ठीक है ये लो रख्खो कुछ पैसे और खाने का कोई अच्छा सा इंतेज़ाम करो ।

(दिल्ही हाई कमांड सेंटर )

(कॉन्फ़्रोन्स रूम के अंदर मिस्टर प्रेसिडेंट के साथ, मिस्टर खैरनार , मिस फारूकी, मिस्टर वाइस प्रेसिडेंट ओर चीफ़ अस्सिस्टेंट ओर इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑफिसर बैठे है)

कुमार - सर ये रही मेरी टीम जो ये काम करेगी ।

मिस्टर प्रेसिडेंट - ओर हमारा प्लान क्या होगा इसके लिए ?

कुमार - सर हमारा मुख्य निशाना होगा निज़ार, क्योंकि वही है जो हमे सारे स्लीपर सेल्स की इन्फॉर्मेशन दे सकता है, ओर खबर के मुताबिक वो इसवक्त अहमदाबाद में है,

अगर हम उसे पकड़ ले तो सारे स्लीपर सेल्स को नाही सिर्फ कंट्रोल कर सकते बल्कि उनको रोक भी सकते है, इसके लिए मेरी टीम को मेने रवाना कर दिया है गुजरात के लिए आपकी परमिशन चाहिए कोई भी एक्शन से पहले ।

मिस्टर प्रेसिडेंट - ठीक है , मिस्टर जेसवाल आप गुजरात के मुख्यमंत्री से बात करके इनकी वहा पूरी मदद करने को कहिये, ओर ये भी कहियेगा ये फील्ड ड्रिल है सिर्फ ताकि किसको पता ना चले हम नही चाहते इसके बारे में कोई जाने , ये मिशन यहाँ मौजूद मेंम्बर्स के अलावा किसको पता नही चलना चाहिए,

ओर कुमार , तुम्हारे पास सिर्फ चौबीस घंटे है उसे पकड़ के सबकुछ उगलवाने के लिए हम कल दोपहर को वापस मिलेंगे तब तक मुजे कुछ अच्छी रिपोर्ट देना, गुड लक ।
● मीटिंग इस ओवर

(गुजरात - अहमदाबाद)

● रात के दो बजे

(कुमार के ऑफिस में रख्खा फोन बजता है)

विश्वाश - सर मिशन सक्सेसफुल , नाज़िर हमारी गिरफ्त में है , ओर कामत टीम के साथ पुछताथ में होटल के रूम में है ।

कुमार - ठीक है मुजे मेसेज करो जैसे ही काम खत्म होता है, ओर विश्वाश तुम जानते हो तुम्हे क्या करना है, सब खत्म करके वहां से सुबह की फ्लाइट है तुम्हारी ओर कामत की , बाकी के लिए ट्रेन ओर बस की टिकिट तुमको मेल कर दी है और काम खत्म करके सलीम को बोलना अंडरग्राउंड हो जाये मैं उसे मेसेज करूँगा ।

विश्वाश - ठीक है सर ।


(होटल हयात :- रूम नंबर 4001)

कमात - नाज़िर क्या करने आया है तू यहाँ ? सब सच सच बता ।
क्या मिशन है तेरा में जानता हूं तू अल-मजीद का सिपाही है ।
तूने वही से जिहाद शिखा है ना, सन 2002 फक्र है , क्यों ?
सही कह रहा हु की नही हाँ ? देख तेरे तो उस संस्था के बारे में सबकुछ में जानता हूं और तुजे उससे जोड़ने के लिए मुजे ज़्यादा मेहनत भी नही करनी पड़ेगी ,
ओर तू ही सोच अगर हम दो बार तेरे पाकिस्तान में घुसके तुम लोगो को मार सकते है , तो तेरा यहाँ हिन्दुस्तान में एनकाउंटर करना कितना आसान है; हमे तो मैडल भी मिलेगा ।

नाज़िर - मौत का खोफ दिखा रहा है कामत, अबे मौत तो एक तोहफा है मेरे लिए उससे भी बत्तर ज़िन्दगी जी है मेने ।

ओर तुजे क्या लगा यू हमारे देश मे घुसकर कुछ बम गिराकर आपने आपको बड़े मशीहा समज रहे हो । अबे कुत्तो से भी गए गुज़रे हो तुम लोग । हमारे तो चंद सिपाही शहीद हुए है लेकिन अगर इसबार पूरा हिन्दुस्तान को इसकी कीमत चुकानी ना पड़ी तो मेरा नाम नाज़िर नही ।

कामत - अच्छा बता चल क्या कीमत चाहिए तुजे इसबार, अभी तो ये लंबी लड़ाई है बता इसबार क्या चाहिए ।

नाज़िर - जो चाहिए वो हम खुद ही ले लेंगे तुजे बताने की ज़रूरत नही है ।

हाँ वेसे इतना जानले जो होगा वो इस ईद पे होगा जा तेरे पास चौदह दिन है पता लगाले ।

(नाज़िर इतना बोलके जिस कुर्शी में बैठा है वहाँ से दौड़के सामने लगी खिड़की से कूद जाता है और अपनी जान दे देता है)

(वक़्त देखते हुए पूरी टीम भी वहां से निकल जाती है और अलग अलग होते हुए बम्बई पहोचती है )

(सब एक जगह कुमार को मिलते है और बताते है जो नाज़िर ने बताया है उसको , कुमार कहता है उतना तो उसे भी पता है , उसे कुछ और जानना है लेकिन टीम की लापरवाही से सब खत्म हो गया अब ये बात न्यूज़ के ज़रिए पाकिस्तान तक आसानी से पहोच जायेगी ओर वो ज़्यादा चौकन्ने हो जाएंगे )


【आगे की कहानी अगले द्रष्टांत में 】
【आपको केसी लगी कॉमेंट करके ज़रुर बताये धन्यवाद 】