Tasvir ka sach - 2 in Hindi Horror Stories by Saroj Verma books and stories PDF | तस्वीर का सच - २

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तस्वीर का सच - २

समृद्धि कार से उतरी और आकर बोली,देखो तो मैं क्या क्या लाई हूं!! लेकिन समीर का चेहरा देखकर उसका सारा उत्साह खत्म है गया।।
उसने पूछा,क्या हुआ समीर ऐसा उतरा हुआ सा चेहरा क्यो है?
तभी,सारांश बोल पड़ा,मम्मा मैं बताता हूं,पता है पापा को वहम हो गया था कि उनकी उंगली कट गई और फर्श पर खून बिखरा पड़ा है, मुझसे नैपकिन लाने को कहा और मैं ने देखा वहां कुछ भी नहीं था, उंगली पर पापा ने रूमाल लपेटा था, रूमाल हटाया तो कोई भी चाकू से कटे का निशान नहीं था।।
समृद्धि में सुनकर हंस पड़ी बोली, तुम भी समीर!!
समीर ने उस समय तो झूठी मुस्कान बिखेर दी लेकिन वो अब भी असमंजस में था कि आखिर किचन में जो हुआ वो वहम था या सच।।
समृद्धि बोली,चलो अब जो सामान मैं लाई हूं,वो देखते हैं देखो कितना पुराना है, राजा-महाराजाओं के समय का और महंगा भी,
कुछ कुर्सियां, कुछ स्टूल,एक बड़ा सा आइना, कुछ पुरानी पेंटिंग थी, उनमें से एक पेंटिंग ऐसी थी जो कि एक परिवार थी,उस पेंटिंग में भी चार सदस्य थे, मां-बाप, बेटी और बेटा,उस तस्वीर की खासियत थी कि किसी भी दिशा में खड़े होने उसकी ओर देखने पर ये लगता था कि उस तस्वीर में खड़े सदस्यों की आंखें हमें घूर रही है,इसी खासियत की वजह से समृद्धि उसे खरीदकर लाई थी।
फिर समृद्धि और समीर ने कुछ समान अनपैक किया और किचन का तो सारा सामान सेट भी कर दिया।।
समृद्धि ने अच्छी सी जगह देखकर उस तस्वीर को लगा दिया, समृद्धि अपने साथ खाने के लिए रात का खाना भी ले आई थी,पैक करवा कर,आते समय, सबने खाना खाया और सोने चले गए क्योंकि अभी टीवी फिक्स नहीं हुआ था।।
एक कमरे में समीर और समृद्धि और दूसरे कमरे सारांश और कृतज्ञता और दोनों का बिस्तर अलग-अलग था।।
कृतज्ञता वो गुड़िया भी अपने बगल में लेकर सोई, थोड़ी देर तक कृतज्ञता गुड़िया से बात करती रही फिर सो गई उधर सारांश अपने बिस्तर पर स्टोरी बुक पढ़ रहा था तभी अचानक वो गुड़िया धम्म से सारांश के सीने पर जा गिरी,सारांश ध्यानमग्न होकर पढ़ रहा था, गुड़िया के ऐसे अचानक सीने पर गिरने से डर गया, उसे लगा ये गुडिया कृतज्ञता ने फेंकी है उस पर।।
उसने फ़ौरन कहा,ये कैसा मजाक है कृतु !!
उसने फिर से कृतज्ञता को आवाज दी लेकिन कृतज्ञता गहरी नींद में थी वो नहीं उठी फिर सारांश बिस्तर से उठा और पास जाकर देखा लेकिन कृतज्ञता तो गहरी नींद में सोई हुई थी फिर ये गुडिया कैसे आई मेरे ऊपर... फिर उसने किताब में ध्यान लगा लिया फिर उसे नींद आ गई।
दूसरे दिन सब उठे, समृद्धि ने चाय बनाई और समीर को आवाज देकर बुलाया कि चाय पी लो।।
दोनों लोग बालकनी में बैठकर चाय पीने लगे, तालाब के ऊपर उगते हुए सूरज की लाली बहुत ही सुंदर लग रही थी।।
समृद्धि बोली,अब मुझे लगता है तुमने ये घर खरीद कर अच्छा ही किया,कम से कम रोज उगता हुआ सूरज तो देखने को मिलेगा।।
तब तक दोनों बच्चे भी जग गये और साथ ही बालकनी में आ गये।।
कृतज्ञता के हाथ में गुड़िया थी, उसने समृद्धि से कहा कि मैं बतख देखने तालाब पर जाऊं।।
समृद्धि ने कहा,सुबह सुबह बेबी।।
हां, मम्मा जाने दो ना अभी आती हूं, कृतज्ञता बोली।।
समृद्धि बोली , ठीक है जाओ लेकिन जल्दी आना।।
यस मम्मा , इतना कहकर कृतज्ञता चली गई।।
समृद्धि तैयार होकर किचन में नाश्ता बनाने लगी,जब नाश्ता बना गया तो उसने सबको बुलाया,समीर और सारांश तो आ गये लेकिन कृतज्ञता नहीं आई।।
समृद्धि ने पूछा,कृतु कहां है?
दोनों ने कहा हमें नहीं मालूम।।
अच्छा तो तबसे कृतु लौटी ही नहीं,तुम लोग खाना शुरू करो,मैं कृतु को लेकर आती हूं,सुबह से बतखों के साथ खेल रही है, समृद्धि इतना कहकर बाहर आ गई।।
उसने दूर से तालाब की ओर देखा तो कृतु किसी लड़की के साथ तालाब के किनारे बैठी है,दोनों ही पीठ करके बैठी थी किसी का चेहरा नहीं दिख रहा था,बस उस लड़की के लम्बे लम्बे बाल दिख रहे थे, समृद्धि धीरे धीरे उनकी ओर बढ़ने लगी तभी अचानक समृद्धि के पैर में कुछ चुभा,उस समय वो स्लीपर भी पहने थी तब भी,अब उसका ध्यान पैर ओर गया और वो झुककर देखने लगी,देखा तो कुछ भी नहीं था उसका ध्यान फिर कृतज्ञता की ओर गया उसने देखा कि वहां अब वो दोनों वहां नहीं है, उसने मन में सोचा अभी तो यही थीं,एक पल में कैसे गायब हो गई।।
तभी उसे पीछे से कृतज्ञता ने आवाज दी,मम्मा आप यहां, मैं तो आने वाली थी।।
समृद्धि ने पूछा और वो दूसरी लड़की कौन थी?
अरे,वो दीदी जिसने कल मुझे ये गुड़िया दी थी,वो तो आज आई ही नहीं, कृतज्ञता बोली।।
अच्छा ठीक है और ये पुरानी सी गुड़िया,इसे यहीं छोड़ दो,मैं तुम्हें नई गुड़िया ला दूंगी, समृद्धि ने कृतज्ञता से कहा।।
और गुड़िया को वहीं तालाब के किनारे छोड़कर चली गई,मां बेटी चली गई।।
लेकिन समृद्धि सोच रही थी आखिर वो दोनों कौन थीं?
फिर दोपहर के समय सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में आराम करने चले गए लेकिन समृद्धि बोली मैं किचन के काम निपटा कर आती हूं।।
थोड़ी देर बाद समृद्धि किचन से होती हुई उसी कमरे से गुजरी जहां वो पुरानी तस्वीर टंगी हुई थी उसने गौर किया तो तस्वीर में से एक सदस्य कम था वो थी लड़की जो कि इस समय उसे तस्वीर में नहीं दिख रही थी उसने फ़ौरन समीर को आवाज दी,
समीर दौड़कर आया और पूछा कि क्या हुआ?
समृद्धि ने कहा इस फोटो में से लड़की गायब है।।
समीर ने तस्वीर देखी, बोला नहीं तो तुम्हें कोई वहम हुआ है।।
समृद्धि ने फिर से तस्वीर की ओर देखा वो लड़की अब वहां मौजूद थीं,अब समृद्धि को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।।
समीर वहां से चला गया, समृद्धि ने तस्वीर देखी तो उसे लगा कि वो लड़की उसे देखकर मुस्कुरा रही है।।

क्रमशः__
सरोज वर्मा__