यूँ ही राह चलते चलते
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वहीं पर एक टाइलोरियन पिलर था।मीना श्रेष्ठ जिन्होंने काफी समय से अपने ज्ञान का ढिंढोरा नही पीटा था कहा ’’सुमित मुझे पता है इसे टाइलोरियन पिलर क्यों कहते हैं ‘‘
सुमित ने कहा ‘‘ बताइये ।‘‘
’’जर्मनी से कुछ किलोमीटर पर एक राज्य था बवेरिया उसने 1703 में यहाँ आक्रमण कर दिया था तब टाइलोरियन ने विजय प्राप्त की थी उसी की स्मृति में यह खंभा बना अतः इसे टाइलोरियन पिलर कहते हैं।‘‘
‘’गुड वेरी गुड ’’निमिषा ने सुमित के कुछ बोलने से पहले कहा।उसके कहने के तरीके पर सब हँस पड़ें ।
‘‘वहाँ से थेाड़ी दूर पर ट्रायमफेट गेट है जो इस शहर का अन्दर आने का द्वार है जिसका नाम सन्त जार्ज गेट है ’’ सुमित ने बताया।
सब ने भारतीय रेस्ट्रां साहिबा में रात्रि का भेाजन किया । उस रेस्टंरा की मालकिन एक भारतीय महिला थी । उनके स्वयं आ कर एक एक से पूछ कर उन्हे खाना खिलाने से सुस्वादु खाने का स्वाद आत्मीयता की छौंक से और भी स्वादिष्ट हो गया ।
शाम को सभी लोग इन्सब्रक की सड़कों पर टहलते रहे और वहाँ विद्युत से जगमगाते बाजार की जगमगाहट में चकाचैांध होते रहे।
अगले दिन इस यात्री समूह को आस्ट्रिया के एक और महत्वपूर्ण शहर वाटन्स जाना था। वाटन्स का सबसे बड़ा आकर्षण था स्वरोस्की क्रिस्टल का शेारूम। डेनियल स्वरोस्की पोलिश था तथा क्रिस्टल की कटिंग करके उसने उसे इतना सुन्दर रूप दिया कि उसे उसके नाम से ही जाना जाने लगा।1985 में वाटन्स में पर्याप्त स्त्रोत के कारण वह यहीं बस गया । उसने काँच में 30 प्रतिशत लेड मिला कर उसकी कटिंग और पालिश करके उसे क्रिस्टल का रूप दिया। सबसे अच्छे बाइनोकुलर के लेंस क्रिस्टल से ही बनते हैं ।इसके अतिरिक्त आस्कर अवार्ड, ग्रामी अवार्ड, आभूषण, यहाँ तक कि कपड़ों में भी उपयोग होता है ।
जब वो स्वोरोसकी क्रिस्टल के सबसे बड़े शोरूम में पहुँचे तो पहाड़ की रम्य वादियों के बीच प्रकृति में उकेरा उसका बाहय रूप देख कर संशय हुआ कि वो किसी क्रिस्टल के शोरूम में जा रहे हैं या ग्रीन हाउस देखने । उसका मुख्य द्वार पर एक चेहरा बना था जिसकी आँखें क्रिस्टल की थी और मुँह से पानी का झरना निकल रहा था ।
महिम ने कहा डार्लिंग ’’यहाँ तो हम कम से कम बीस फोटो लेंगे।‘‘
मान्या आज गुलाबी टाप और सफेद शार्ट्स में खिल रही थी फिर इतना रमणीय वातावरण, आज तो बीस फोटो लेना बनता था । मान्या क्या आज तो हर कोई हाल में अन्दर प्रवेश करना भूल कर फोटो लेने में लग गया । रजत ने भी सात आठ फोटो तो अनुभा की भी ले ही ली ।
ऋषभ ने कहा ’’अंकल आप प्लीज हमारा पेयर ले लेा फिर हम आप का ले लेंगे। ‘‘
’’अरे हाँ क्यों नहीं ’’ रजत फोटो लेने लगे ।
अनुभा ने देखा अर्चिता ने आज काली ड्र्र्रेस पहनी है और उसकी नाजुक देहयष्टि उस परिधान में और भी आकर्षक लग रही थी। उसके कमर तक खुले बाल और बड़े गागल्स उसे किसी माडल सा लुक दे रहे हैं । अर्चिता का हाव-भाव बता रहा है कि उसे अपने आकर्षक रूप का पूरा अहसास है।
उसने यशील के पास आ कर कहा ’’मेरी एक फोटो ले लेा प्लीज‘’।
’’हाँ हाँ क्यों नहीं आज तुम इतनी शार्प लग रही हो कि एक क्या दस ले लूँ।‘‘
अर्चिता के गाल लाल हो गये उसने विजयी भाव इधर-उधर देखा कि क्या वान्या ने सुना पर उसे निराशा का सामना करना पड़ा, वान्या दूर थी। यद्यपि वह देख उन्हीं को रही थी पर इतनी दूर थी कि वह यशील की बात सुन नहीं पायी होगी। हाँ उनके हाव-भाव ने उसे इतना तो बता ही दिया था कि यह विश्वामित्र इस समय उर्वशी के सौन्दर्य के प्रभाव से बच नहीं पाया है।
वान्या ने अपनी आई लता से कहा ’’आई आप हमें ड्र्रेस नहीं पहनने देतीं जब देखेा वही बोरिंग जींस ।‘‘
संकेत जो पास ही खड़ा था बोला ‘‘ वैसे वान्या मुझे तो तुम्हारी ही ड्र्रेस अच्छी लग रही है अर्चिता की ड्र्रेस में कितना एक्सपोजर है खुली-खुली टाँगें कोई अच्छी लगती है क्या’’?
वान्या बिगड़ गयी उसने उसे उपेक्षा से देखते हुए कहा ‘‘ यू माइंड युअर बिजनेस। ’’
लता को तो यूँ ही संकेत फूटा आँख नहीं भाता था ।
और कोई समय होता तो लता अपने पक्ष में बहस करतीं तर्क रखतीं पर लता ने भी अर्चिता और यशील की बातें सुनी थीं और इस समय उनके कारण उनकी बेटी वान्या को मात खानी पड़ रही थी उस पर करेला नीम चढ़ा संकेत का बोलना । वो बोली ’ ’डोन्ट वरी बेटा अगर कहीं शापिंग के लिये रुके तो तुम्हें ले देंगे ।‘‘
वान्या को विश्वास नहीं हुआ कि आई इतनी उदार हो जाएँगी उसने अभी का प्रकरण भूल कर खुश हो कर आई का गाल चूम लिया।
संकेत वान्या के इस व्यवहार से आहत हो गया, उसने तो वान्या को प्रसन्न करने के लिये कहा था पर उसका प्रयास तो उल्टे उसे नाराज कर गया। उसने मानव से पूछा ‘‘ क्या तुम्हारी सिस ऐसे ही हर समय नाराज रहती है ।’’
मानव को भी आजकल वान्या प्रायः ही घुड़क देती थी, वह भी चिढ़ा हुआ था अतः मुँह बना कर बोला ‘‘ वो तो है ही नकचढ़ी पर आज कल तो उसका मूड समझ ही नहीं आता ।’’
संकेत ने समझ लिया कि यदि वान्या के समीप आना है तो बहुत सँभल कर पाँव रखना होगा।
तभी सुमित ने कहा ’’फोटो ग्राफी बन्द करिये सब लोग अन्दर आइये, एक अद्भुत संसार आपके स्वागत को बेचैन है।‘‘
अन्दर जाने पर सबसे पहले एक प्रवेश हाल था जो अन्दर का पूरा हाल बयां कर रहा था । जब आगाज इतना अच्छा है तो अंजाम कैसा होगा।यहाँ पर विश्व का सबसे छोटा क्रिस्टल था जो 0.7 मिलिमीटर का और 17 तलों का है तथा एक सबसे बड़ा क्रिस्टल है 3000000 कैरेट का 100 तल वाला है जो 1995 में इस के 100 वर्ष पूरे होने को दर्शाता है । यह देख कर सबका हदय गर्व से भर गया कि यहाँ पर हमारे देश का ऐतिहासिक घोड़ा चेतक भी बना है। काला चेतक क्रिस्टल के आभूषणों से सुसज्जित अभूतपूर्व लग रहा था । एक ओर विशाल 42 बाई 11 मीटर की दीवार बनी है जो 12 टन क्रिस्टल से बनी थी। इसी प्रकार मशाल लिये एक औरत क्रिस्टल एडोर्नड नाना ओपेरा सेलीब्रेशन के लिये बना स्टेल आदि अनेक चीजें थीं पर सबसे अभूतपूर्व थी एक घड़ी जिसका शीर्षक था इलैप्सिंग टाइम जो ऐसे बनी थी जैसे पिघल रही हो और प्रतीक थी कि समय अमूल्य है और एक सा नहीं रहता । अन्दर क्रिस्टल के विभिन्न रूपों को 16 कक्षों में अलग अलग थीम में प्रस्तुत किया था । कहीं मेकैनिकल थियेटर था तो कहीं विन्टर ड्रीम।मिलियन क्रिस्टल्स, क्रिस्टेलोस्कोप, कैलिग्राफी आइस पैसेज, डोम आदि अदभुत थे । पर वहाँ की चमक इतनी थी कि फोटो लेना मुश्किल था।
एक कक्ष में 590 दर्पण का विभिन्न कोणों से परावर्तित रंगीन प्रकाश और ब्रायन इनो का संगीत एक जादुई प्रभाव उत्पन्न कर रहा था ।मिलियन क्रिस्टन में 55 मिलियन क्रिस्टल, अनेक कलाकारों एवं संगीतकारों ने मिल कर अद्भुत प्रभाव उत्पन्न किया था ।
इसके बाद सबसे रुचिकर कक्ष में पहुंचे यानि कि दुकान में वहाँ तरह-तरह के छोटे बड़े क्रिस्टल रखे थे। किसी ने अँगूठी, किसी ने पेन्डेन्ट, किसी ने पेन, तो किसी ने क्रिस्टल खरीदे । आज का दिन निश्चय ही रुचिकर ओैर सब दिनों से अलग था इतने दि नों तक ऐतिहासिक शहरों में प्राचीन युग को अनुभव करने के बाद आज क्रिस्टल के चकाचैांध की रंगीन दुनिया ने सबका मूड ही बदल दिया था । सब अनायास ही आधुनिक युग की रंगीनी में खो गये थे।अनुभा ने एक पारदर्शी भूरे रंग का पेन्डेन्ट और स्टड पसन्द किया जो किसी बिल्ली की भूरी आँखो जैसा पारदर्शी था । उसने उसका मूल्य पूछा तो 156 यूरो था जो लगभग दसः हजार रूपये के बराबर था । उसका इतना दाम सुन कर अनुभा पीछे हट गई उसने कहा ’’ इतने में तो अपने इंडिया में सोना आ जाये।‘‘
इस पर रजत ने कहा ’’पर स्वरोस्की अलग चीज है सबसे बड़ी बात है कि यह आस्ट्रिया की यादगार है, कौन सा रोज-रोज आना है। ‘‘
मन तो अनुभा का भी था, वह था ही इतना सुन्दर अतः रजत के प्रोत्साहित करने पर उसने लेने का मन बना ही लिया।
रजत को भी एक लाल रंग की बड़े से नग की अंगूठी अच्छी लगी अन्ततः अनुभा ने भूरे रंग का सेट, रजत ने अंगूठी और कुछ उपहार देने के लिये सफेद क्रिस्टल के पेन ले लिये।
यशील ने एक सुन्दर सी लेडीज अँगूठी उठायी तो उसके आस-पास घूम रही अर्चिता ने उसके पास आ कर कहा ’’ वाउ कितनी सुन्दर अँगूठी है किसके लिये ले रहे हो‘‘?
यशील ने कहा ‘‘तुम्हे पसंद हो तो तुम्हे दिला दूँ ।’’
यषील का कहना ही अर्चिता के लिये बहुत था उसने इतरा कर कहा ‘‘नहीं-नहीं अभी नहीं किसी आकेजन पर लूँगी’यशील यह सुन कर शरारत से मुस्कराता हुआ आगे बढ़ गया।
तभी श्रीमती चन्द्रा आ गई उन्होंने अर्चिता से कहा ’’ बेटी तुमने क्या पसन्द किया? ‘‘
अर्चिता ने प्रसन्न होते हुए कहा ’’कुछ नहीं लेना मुझे ।‘‘
उसे विश्वास था कि यषील ने वह अँगूठी उसी के लिये ली है। उसका मूड देख कर श्रीमती चन्द्रा समझ गई कि अर्चिता और यशील के मध्य कुछ हुआ है। तभी निमिषा ने अनुभा के पास आ कर कहा ’’ आंटी ये देखिये कितना प्यारा पेन्डेन्ट है।‘‘
’’हाँ है तो प्यारा ’’अनुभा ने कहा ।
’’पर सचिन कह रहे हैं कि बहुत महंगा है? मैं तुम्हे इंडिया में इतने में सोने का दिला दूँगा । इसकी तो रिटर्न वैल्यू भी नहीं है। ‘‘
अनुभा ने चुप रहना ही ठीक समझा यदि इस समय वह रजत का तर्क उसके सामने रखती तो उसका मूड आफ हो जाता और एक बार जो निमिषा रूठती तो कम से कम पूरे एक दिन के लिये उनका मूड खराब रहता। इसीलिये उसने कहा ’’ हाँ ठीक ही कह रहा है।‘‘
’’फिर आपने क्यों लिया‘‘? निमिषा ने जवाब तलब किया, उसका लेने का मन था और वह अनुभा से अपने पक्ष में सहमति चाहती थी। उसे कुछ समझ न आया तो उसने बहाना बनाते हुये कहा ’’ अरे मैं तो खुद ही यही कह रही थी पर रजत ने बिना बात ही ले लिया।‘‘
तभी अनुभा देखा कि मान्या एक डिब्बी में अनेक रंगों के क्रिस्टल लिये है उसने पूछा ’’यह किस लिये लिया है, यह तो बहुत महंगा होगा ।‘‘
’’नही आंटी ये तो आप चाहें तो इसका पेन्डेन्ट टाप्स आदि कुछ भी बनवा लीजिये और गिफ्ट के लिये भी अच्छा है, बहुत महंगा भी नहीं है । ये आयडिया सभी को अच्छा लगा और लगभग सभी ने एक एक पैक ले लिया।
क्रमशः-----------
अलका प्रमोद
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