Shaheed ki patni in Hindi Short Stories by निशा शर्मा books and stories PDF | शहीद की पत्नी

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शहीद की पत्नी

हैलो!बेटा कैसी हो?

मैं ठीक हूँ माँ,आप कैसे हो?

हमारा क्या है बेटा आज हैं, कल नहीं ।

अरे ऐंसे क्यों बोल रही हो माँ ?


बेटा एक बात है जो मैं काफी दिनों से तुमसे कहने की सोच रही थी मगर कह नहीं पा रही थी ।


हां,हां माँ बताइये न क्या बात है?


बेटा अब तुम दूसरी शादी कर लो,मैंने रोहन से भी बात की है,वो कियारा के साथ तुम्हें अपनाने को तैयार है और बेटा वो तुम्हारा एक बहुत अच्छा दोस्त भी है। वो तुम्हारी तकलीफ़ भी समझ सकता है ,अभी पिछले साल ही तो उसकी बीवी नीता की मौत हुई है ,तुम समझ रही हो न बेटा कि मैं क्या कह रही हूँ ।


हाँ माँ मैं आपकी फिक्र समझ सकती हूँ मगर मुझे जीने के लिए किसी के सहारे की जरुरत नहीं है और फिर मैं अकेली कहाँ हूँ, कियारा है न मेरे साथ,माँ मैं कुमार की यादों के साथ जी रही हूँ और प्लीज़ मुझे उन्हीं के सहारे जीने दीजिये, कम से कम मुझे इस जन्म में तो इसके सिवा और किसी चीज़ का सहारा नहीं चाहिए,मैं उनकी यादों, उनकी शहादत और उनकी शान के साथ ही ठीक हूँ ।


मम्मा... मम्मा ...


माँ कियारा आ गयी,अब मैं फोन रखती हूँ, बाय!


हां बेटा बोलो क्या बात है ?


मम्मा!आप रो रहे हो ?


नहीं बेटा, वो बस मम्मा की आइज़ में कुछ चला गया था,आप बताओ आज आपनें स्कूल में क्या किया ?


मम्मा आज मैं स्कूल में बहुत रोयी ।


क्यों , मेरी गुड़िया क्यों रोयी? क्या आपकी मैम ने आपको पनिशमेंट दी थी ?


नहीं मम्मा, वो जो मेरे क्लास में केतन है न उसनें कहा कि मेरे पापा मर गए हैं और वो कभी भी वापिस नहीं आयेंगे।बोलो मम्मा क्या मेरे पापा सचमुच मर गये हैं ?


नहीं बेटा, आपके पापा मरे नहीं हैं, वो तो शहीद हुए हैं बेटा!


माँ शहीद क्या होता है ?


बेटा शहीद का मतलब कि आपके पापा अमर हो गये हैं 'इम्मोरटल' और ये प्रकृति उनकी शहादत की कहानी सुना रही है, वो अमर हो कर इस प्रकृति के कोने कोने में ज़िन्दा हैं ।


माँ प्रकृति क्या होती है ?


आपको प्रकृति नहीं पता,चलो कोई बात नहीं, हम बताते हैं आपको और उसके लिए हमें गार्डन में जाना होगा,तो हम चलें प्रिंसेस, गार्डन में ?


हाँ मम्मा चलो,मुझे गार्डन बहुत पसंद है ।


ये देखो बेटा इस गार्डन के हर एक फूल की महक,उसकी ताज़गी आपके पापा की शहादत की कहानी कह रही है । इस घास के हरे रंग में, इस आसमान के शानदार नीले रंग में, इन चहचहाते पंक्षियों की चहचहाहट में,इस दमकते सूरज में, हर जगह,इस पूरी प्रकृति में अमर हो कर जीते हैं आपके पापा । अब आप समझ गयीं न कि आपके पापा अमर हैं और बाकी की बातें जब आप बड़ी हो जायेंगी और अपने पापा की तरह ही एक कमांडर बनेंगी, भारत माता की पहरेदार बनेंगी, तब समझ जायेंगी, ओके!

ओके मम्मा!

अच्छा तो अब अंदर चलते हैं आपके दूध पीने का टाइम हो गया है, चलने से पहले अपने पापा को जय हिंद बोलो ।

जय हिंद !

निशा शर्मा...