kabristhan ka rahashy in Hindi Horror Stories by आयुषी सिंह books and stories PDF | कब्रिस्तान का रहस्य

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कब्रिस्तान का रहस्य

"अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे चैनल का दिवाला निकल जाएगा। हमने पूरी 2018 में मेहनत की मगर कोई फायदा नहीं, अब 2019 आने तक टीआरपी इतनी गिर चुकी है.... आखिर होगा क्या?" विशाल ने वाइन का एक ग्लास पकड़े हुए कहा।

"विशाल अब ऐसे काम नहीं चल सकता, हमें कुछ अलग सोचना होगा, कुछ नया सोचना होगा, कुछ ऐसा दिखाना होगा जो बाकी न्यूज़ चैनल्स नहीं दिखाते... उम्म कोई खतरनाक लाइव कवरेज... या किसी हॉन्टेड जगह का पर्दाफाश करना या कोई जगह हॉन्टेड है या नहीं इसकी सत्यता की जांच करना?" कैसा आइडिया है? विशाल की पत्नी ने कहा।

"आइडिया तो ऑसम है, रॉकिंग है। मैं कल ही एक टीम बनाता हूं और उन्हें किसी हॉन्टेड जगह भेजता हूं" विशाल ने कहा।

"मगर एक छोटी सी ही टीम भेजना क्योंकि अगर वाकई किसी हॉन्टेड जगह पर कुछ गडबड हुई तो हम "मामला हल्के में ही निपटा सकें" विशाल की पत्नी ने एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ कहा।

चार दिन बाद एक कैमरामैन, एक रिपोर्टर, एक प्रोड्यूस, एक न्यूज डायरेक्टर, एक एडिटर, कुछ सहायक आदि मिलाकर कुछ दस युवा लोगों की एक टीम गठित की गई जिन्हें गोवा के एक कब्रिस्तान का रहस्य सुलझाना था। कहा जाता है कि उस कब्रिस्तान में रात तो रात अगर दिन में भी कोई जीवित व्यक्ति अकारण ही चला जाए तो वह फिर कभी लौटकर नहीं आता। वहां चलती फिरती मौत रहती है.....

*********

वह टीम गोवा के एक होटल में रुकी हुई थी।

"देखते हैं आज शाम को क्या होता है।" रिपोर्टर भैरवी ने कैमरामैन आदित्य की ओर देखकर कहा।

"तुम लोगों का तो फिर भी ठीक है, आसान काम है मगर हमें तो बहुत माथापच्ची करनी पड़ती है.... भई सब जरूरतों का बोझ है, पैसा क्या न कराए।" एडिटर राज ने कहीं खोए हुए कहा।

"वैसे क्या यह जगह सच में हॉन्टेड है?" भैरवी ने मज़ाक उड़ाने के लहजे ने ठहाका लगाते हुए पूछा।

"हम्म सुना तो यही है। यहां आने से पहले अपने स्तर पर पता करवाया था , बताया तो यही है।" इस बार जवाब न्यूज़ डायरेक्टर डेनिस ने दिया।

"हम किसी भी नकली जगह कुछ डरावना करके एक अच्छी खासी मसालेदार खबर तैयार कर सकते थे मगर अपने विशाल साहब को सब कुछ रियल लोकेशन पर चाहिए था तो को भई आ गए रियल लोकेशन पर।" प्रोड्यूसर रेहान ने कहा।

"अब भई जो होगा सो होगा अपनी रोजी रोटी के लिए उनको कुछ मसालेदार खबर चाहिए और हमारी रोजी रोटी के लिए हमें वह खबर बनानी है.... हम्ममम" आदित्य ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा।

"चलो जल्दी से सब तैयार हो जाओ अभी अंधेरा भी होने वाला है ऐसे में शूट अच्छा होगा।" डेनिस ने कहा।

"हम्म और कर भी क्या सकते हैं" रेहान ने कहा और इसके आधे घंटे बाद सभी एक मिनी बस में उस कब्रिस्तान के रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे। कुछ ही समय बीता था कि तभी आसमान में निकला हुआ चांद काले बादलों में जाकर छिप गया। बस की खिड़कियों से जो हल्की हल्की ठंडी हवा अंदर आ रही थी वह अचानक रुक गई। सड़क पर लगे पेड़ों की लहराती हुई शाखाएं अचानक से शांत हो गईं। पूरे वातावरण में अजीब सा सन्नाटा पसर गया।

"यह क्या हुआ?" राज और डेनिस एकसाथ बोल पड़े।

"अरे कुछ नहीं हुआ है, मौसम है कभी भी बदल सकता है" आदित्य ने कहा मगर सबके चेहरों पर एक शिकन नजर आ रही थी सिवाय भैरवी के, बाकी सभी को देखकर लग रहा था कि जैसे वे आदित्य के जवाब से संतुष्ट न हों। प्रतीत होता था पूरी टीम में सिर्फ भैरवी ही थी जो सबसे ज्यादा बहादुर थी।

"कमॉन गायज़ क्यों न अंदर जाने से पहले एक एक चाय हो जाए" भैरवी ने चाय की टपरी को देखकर आंखों में चमक लाते हुए कहा। डेनिस ने जब भैरवी की आंखों में चमक देखी तो वह भी हां में हां मिलाने लगा। वह शुरू से ही भैरवी को पसंद करता था मगर भैरवी की पसंद आदित्य था। आदित्य शक्ल सूरत व्यवहार, हर चीज़ में डेनिस के मुकाबले उन्नीस ही था मगर भैरवी को उसका हमेशा सच बोलना ही पसंद था।

"तुम लोग इतनी रात को उस ग्रेवयार्ड के रास्ते पर कायको जाना चाहता है?" चाय की टपरी के मालिक उस बूढ़े गोवानी ने पूछा।

"अंकल हम लोग मीडिया वाले हैं उस कब्रिस्तान का रहस्य पता करने आए हैं" भैरवी ने कहा।

"एंड यू थिंक तुम लोग उधर जाके पता लगा लेगा? तुम लोग को नहीं पता, उधर का मिस्ट्री कोई सॉल्व नहीं कर पाता। तुम लोग से पहले भी इधर बहुत लोग आया और मारा गया मगर उधर का मिस्ट्री.... उधर का मिस्ट्री कोई सॉल्व नहीं कर पाया। अरे तुम लोग कायको अपना जान डेंजर में डालता है?" उस बूढ़े गोवानी ने उन्हें चेताते हुए कहा।

"इट्स ओके अंकल, हमारा काम ही यही है। हो सकता है जो कोई नहीं कर पाया, वह हम कर दें, हो सकता है वहां कोई आत्मा हो ही न और हम इस भ्रम को तोड पाएं" भैरवी ने चाय का कप एक और रखते हुए कहा।

"नहीं बेटा, तुम गलत सोचता है। मैं भी कभी यही सोचता था मगर एक दिन उस ग्रेवयार्ड के बाहर से ही मैं उधर डैथ को देखा। उस दिन पीटर जीते जी मर गया था। मैंने डैथ को अपना आइज से देखा है।" बूढ़े गोवानी ने एक अंतिम कोशिश कर सबको रोकना चाहा।

"अच्छा वहां की कहानी क्या है?" राज ने पूछा।

"मेरेको भी कुछ खास नहीं पता, मैं बचपन से इधर ही हूं मगर मैं कभी उधर अंदर जाने का ट्राय नहीं किया। हां उधर के बारे में जितना मैं सुना है उतना तुम लोग को बता सकता है। जानने का है की नहीं?" उस बूढ़े गोवानी ने पूछा।

"हां हां" सभी का सम्मिलित स्वर निकला।

"दैन लिसन क्वाइटली... इधर एक ब्रिटिशर जॉर्ज रहा करता था अपनी वाइफ पामेला के साथ। बहुत स्ट्रगल किया बेचारा इधर अपना बिजनेस जमाने को मगर कोई चेंज नहीं आया और इस सबका गुस्सा वो पामेला पे निकालता था। जॉर्ज अपने लॉस से और पामेला जॉर्ज के बेहवियर से, दोनों लोग घुट घुट के जीता था। फिर एमा आया... उनका डॉटर था ऐमा, वो जब उन दोनों का लाइफ में आया तो उनका लाइफ भी बोले तो लाइन पे आ गया। उनका रेस्टोरेंट बिजनेस चलने लगा इधर और उसके रेस्टोरेंट का कई ब्रांचेज पूरा गोवा में फैल गया, जॉर्ज और पामेला का लड़ाई भी रुक गया। सब कहते ऐमा गॉड का भेजा हुआ एक एंजेल है जिसने सब ठीक कर दिया। जॉर्ज का एक हेल्पर था आशा, उसका अपना कोई चाइल्ड नहीं था, बोले तो उसके लिए ऐमा ही उसका अपना डॉटर था। धीरे धीरे ऐमा बड़ा हो रहा था और आशा का उसके लिए लव भी अब एक ऑब्सेशन के जैसा बढ़ रहा था। एक दिन जॉर्ज ने बताया कि वो विद फ़ैमिली लंदन शिफ्ट होने वाला है। अब आशा को ये अच्छा नहीं लगा, बोले तो वो ऐमा को किसी भी कंडीशन पे अपने से अलग नहीं करना चाहता था। वो ऐमा को किडनैप करके उस ग्रेव यार्ड में लेकर आ गया। आशा अपने साथ वो तुम्हारे में क्या बोलता है... हां तांत्रिक, आशा अपने साथ उस ग्रेव यार्ड में ट्वेंटी वन तांत्रिक को लेकर आया सो दैट वो ऐमा को हिप्नोटाइज कर के उसके सोल में ये बात बैठा दे कि ऐमा आशा का डॉटर है और इसलिए उसको लंदन नहीं जाने का। उधर जॉर्ज और पामेला भी ऐमा को ढूंढता हुआ उस ग्रेव यार्ड में पहुंच गया। जब जॉर्ज और पामेला ने देखा तब आशा अनकॉन्शियस ऐमा को लेके वो ट्वेंटी वन तांत्रिक के साथ ब्लैक मैजिक परफॉर्म कर रहा था। ये देखकर जॉर्ज ने गुस्से में उधर रखा ब्लैक मैजिक का सारा सामान खराब कर दिया बोले तो तोड़ दिया। जॉर्ज सोचा था कि ऐमा कॉन्शियसनेस रीगेन कर लेगा मगर इसका अपोजिट रिजल्ट निकला, ऐमा का डैथ हो गया और एमा के साथ साथ वो ट्वेंटी वन तांत्रिक और आशा का भी डैथ हो गया, वो सब एकसाथ मिलकर ही तो ब्लैक मैजिक परफॉर्म कर रहा था... ब्लैक मैजिक उल्टा पड़ गया था। अपना आईज के आगे अपना डॉटर का डैथ, जॉर्ज और पामेला एक्सेप्ट नहीं कर पाया और वो भी चला गया हमेशा के लिए। उस ग्रेव यार्ड में एकसाथ ट्वेंटी फाइव डैथ हुआ था, वो जगह पूरा खराब हो गया है। उन सबका सोल आज भी उधर ही है। आपस में फाइट करता है उधर रात के टाइम। उधर जाने वाला पर्सन के ग्रुप को देख के जॉर्ज और पामेला के सोल को लगता है कि वो उनसे उनका ऐमा छीनने आया है जैसे आशा एक बड़ा ग्रुप के साथ आया था और इसलिए वो उधर आने वाले सब लोग को मार देता है और दूसरी तरफ आशा को हर अकेला पर्सन देख के लगता कि वो जॉर्ज और पामेला की तरह ऐमाा को उससे दूर लेके जाएगा और वो उस अकेला पर्सन को मार देता है। वो तांत्रिक का सोल्स भी उधर ही है, वो अब मरने के बाद भी डेविल को ह्यूमन का सैक्रिफाइस करता है।" बूढ़े गोवानी ने पूरी कहानी बताई जिसे सुनते वक़्त भैरवी, आदित्य, राज , डेनिस, रेहान सबको लग रहा था जैसे सब उनकी आँखों के सामने ही हो रहा हो।

सबको चुप देखकर वह बूढ़ा गोवानी खुद ही बोला "अब भी जाने का है तुम लोग को उधर?"

"नहीं", "हां" रेहान और डेनिस एकसाथ न बोल पड़े जबकि भैरवी और आदित्य ने हां बोला, राज अपनी आदतानुसार चुप ही था।

"साहब मैं तो कहता हूं मत जाइए" टीम के साथ आए सहायक दयाल ने कहा।

"मैं भी यही कहती हूं साहब अरे क्या करना रे बाबा ऐसे पैसे का जब जान ही नको बचे" विमला ने कहा।

"हां हां दीदी मत जाइए उधर" वृंदावन और जयकिशन ने एकसाथ कहा।

"विमला ताई , दयाल दादा, आप लोग ज़रा सोचने तो दीजिए,यहां हमारा तीन दिन का शेड्यूल था और आप लोग पहले दिन ही हिम्मत हारने लगे।" भैरवी ने थोड़ा गुस्से में कहा।

"गायज़ हम इतनी दूर अकर हार नहीं मान सकते, एंड एक्सेप्ट इट, वी डोंट हैव एनी अदर चॉइस। विशाल सर को यह अच्छे से पता है कि हम सब लोगों का फाइनेंशियल स्टेटस ज्यादा अच्छा नहीं है। ऐसे में हम न कह ही नहीं सकते थे, न कहते तो यह जॉब भी जाती। उन्होंने हमारी मजबूरी का ही तो फायदा उठाया है और हम भी यह अच्छे से जानते हैं कि हम अपने स्ट्रगल के दिनों में एक बड़े न्यूज चैनल में काम करके ही कुछ कर पाएंगे। हमें विशाल सर की शर्त तो माननी ही थी।" जब भैरवी ने सबको सच्चाई का आईना दिखाया तो अब किसी के पास न कहने का कोई विकल्प ही नहीं था।

वे सब वापस अपनी मिनी बस में बैठकर उस कब्रिस्तान की ओर बढ़ने लगे। अब वह कब्रिस्तान उन सबकी आंखो के ठीक सामने था, उन्होंने जैसे ही कब्रिस्तान में प्रवेश किया, हवा का एक तेज़ झौंका आकर मानो उनकी बस को रोकने आ गया। सभी सकपका गए थे मगर अपनी घबराहट दिखाना कोई नहीं चाहता था।

"जयकिशन जी, दयाल दादा आप लोग सामान निकालिए एक एक कर के और विमला ताई आप एक जगह बैठने लायक साफ कर दीजिए प्लीज़" डेनिस सबको निर्देश देता जा रहा था।

"साहिब मैं आता है" वृंदावन ने अपनी छोटी उंगली उठाते हुए कहा।

"हां जाओ तुमको तो काम चोरी का बहाना चाहिए" डेनिस ने खिसियाते हुए कहा।

वृंदावन गुनगुनाता हुआ अपना काम खत्म करके पीछे मुड़ा ही था कि तभी उसकी चीख निकल गई। उसके सामने लाल साड़ी पहने हुए, माथे पर एक बड़ी सी बिंदी और आंखों में गहरा काजल लगाए एक औरत खड़ी थी। बालों का कसकर जूडा बंधा होने कर भी उसके कुछ बाल हवा में उड़ रहे थे। "मैं अपनी ऐमा नहीं दूंगी" उस औरत ने भयानक लहजे में कहा। इतना कहते ही चारों ओर हवा का वेग बढ़ चुका था एक ज़ोरदार बवंडर उठा और उसमें वृंदावन सहित वह औरत भी समा गई।

"अरे कहां गया यह वृंदावन?" रेहान ने खीजते हुए कहा।

"अरे जाने दो उसको कहीं दो पेग लगा कर के पड़ा होगा, चलो सब रेडी है। भैरवी तुम्हें लाइंस याद हैं न और रेहान, राज देखो तुम लोग भी, आदित्य रेडी ?" डेनिस ने पूरी बागडोर संभाली हुई थी।

भैरवी ने माइक पकड़ा और बोलने लगी "हमारे प्रोग्राम पर्दाफाश में, मैं भैरवी मलिक आज आप सबको गोवा के उस कब्रिस्तान का रहस्य बताने जा रही हूं जिसके बारे में लोग कहते हैं कि यह एक हॉन्टेड जगह है। लोग तो यह भी कहते हैं कि यहां कुछ आत्माएं भटकती हैं इर अपनी मौत का इंतजाम लेती हैं तो कुछ आत्माएं होती हैं किसी के इंतजार में तो कुछ हार दिन दोहराती हैं अपनी ही मौत के किस्से। आइए जानते हैं कितनी सच्चाई है इन बातों में। मैं फिलहाल उसी कब्रिस्तान में हूं और जैसा कि आप देख पा रहे हैं यहां अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिससे कहा जा सके कि यहां कोई आत्मा....."

"कट इट" बीच में ही आदित्य ने कैमरा बन्द करते हुए कहा जिससे की भैरवी की बात भी पूरी नहीं हो पाई थी।

"क्या हुआ? सब सही तो था।" भैरवी ने कुछ नाराज़गी में कहा।

"मैंने कैमरे में कुछ देखा है।" आदित्य ने एक एक कर सबको देखते हुए कहा।

"ऐसा कुछ नहीं है आदित्य, उस गोवानी की बातें तुम्हारे दिमाग में घुस चुकी हैं, वापस शुरू करते हैं, एवरीबडी प्लीज़ टेक योर पोजीशंस" रेहान ने कहा।

" फिलहाल उसी कब्रिस्तान में हूं और जैसा कि आप देख पा रहे हैं यहां अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिससे कहा जा सके कि यहां कोई आत्मा....." भैरवी इतना ही बोल पाई कि तभी उसके पास से सर्रर की कोई आवाज़ हुई, उसने आस पास जाकर देखा तो कुछ भी नहीं था।

"अरे यार अब क्या हुआ?" इस बार डेनिस भी चिढ़ गया।

"नथिंग... लेट्स कंटिन्यू" कहकर भैरवी वापस माइक लेकर कैमरा के सामने पहुंच गई।

" फिलहाल उसी कब्रिस्तान में हूं और जैसा कि आप देख पा रहे हैं यहां अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिससे कहा जा सके कि यहां कोई आत्मा है। तो फिर क्या लोगों ने अफवाह फैलाई है? अगर हां तो क्यों? और अगर नहीं तो क्या वे आत्माएं हमारे सामने आएंगी देखने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ..." भैरवी ने अपनी लाइंस खत्म की।

"विमला ताई मेरा टचअप का सामान..." भैरवी ने उस ओर देखकर कहा जहां विमला ताई कुछ देर पहले बैठी हुई थी।

"पहले वृंदावन और अब यह विमला ताई, जा कहां रहे हैं सब एक एक कर के?" रेहान ने गुस्से में कहा।

"काल्म डाउन गाइज़ आते होंगे अभी" आदित्य ने कहा। और तभी एक भयानक चीख वातावरण में गूंज उठी। सब हक्के बक्के होकर चारों तरफ देख रहे थे, कहीं कोई नज़र नहीं आया था।

" तो वह चीख किसकी थी?" जयकिशन ने डरते हुए कहा।

"दयाल दादा कहां हैं?" भैरवी ने चिल्लाते हुए पूछा।

"अ... अ... ब.... अ... जयकिशन हकलाने लगा था।

"ये क्या अ... ब... लगाए हो जयकिशन? कुछ पूछा मैंने कहां हैं दयाल दादा?" भैरवी ने जयकिशन पर चिल्लाते हुए कहा।

"दीदी अभी तो यहीं थ... थ... " जयकिशन पूरी बात कहने के बाद भैरवी के पीछे देखकर अंत में हकलाने लगा था।

"अब क्यों हकला रहे हो?" भैरवी ने गुस्से से कहा तो जयकिशन ने डरते डरते भैरवी के पीछे की ओर इशारा किया। अब तक जयकिशन को घूर रहे सभी लोगों सहित जब भैरवी ने अपने पीछे देखा तो सबकी एकसाथ चीख निकल पड़ी। भैरवी के पीछे लगे दो पेड़ों में से पहले पर पर वृंदावन की लाश उल्टी लटक रही थी और उसके गले से टपकता हुआ खून काला पड़ चुका था, दूसरे पेड़ पर विमला ताई की लाश को टहनियों के बीच उलझी हुई थी जिससे चपर चपर की आवाज़ें आ रही थीं। जब राज ने थोड़ा आगे बढ़कर, पेड़ से हल्का सा बाईं और बढ़कर देखा तो उसकी भी ज़ोरदार चीख निकल पड़ी। दयाल दादा काली कोटर सी आंखें किए विमला ताई की लाश के एक हाथ का पूरा मांस खा चुके थे, सिर्फ हड्डी बची थी और अब उनके हाथ में विमला ताई का दूसरा हाथ था जिसे वे चपर चपर की आवाज़ से बड़े मज़े से खाए जा रहे थे। राज के देखने की दिशा में ही जब सब लोग उस तरफ आए तो सबकी चीख निकल गई, कोई कुछ नहीं बोल पा रहा था। सबकी चीख निकलते ही पिशाच बन चुके दयाल दादा का ध्यान उस ओर गया और वह विमला ताई की लाश को छोड़कर रेहान पर झपट पड़ा और सबकी पलकें झपकते ही, अगले ही पल में जहां रेहान खड़ा था वहां अब हड्डियों का ढांचा पड़ा हुआ था। यह देखकर सब उस पिशाच से उल्टी तरफ भागने लगे। जयकिशन चिल्लाता हुआ कब्रिस्तान के बाहर की ओर भाग रहा था मगर तभी उसके सामने एक लंबा चौड़ा करीब आठ फुट लंबा एक अंग्रेज़ आकर खड़ा हो गया और उसे हवा में उठाकर एक पेड़ से दे मारा। जयकिशन के मुंह से खून की एक धार फूट पड़ी। अब राज, डेनिस, भैरवी और आदित्य ही बचे थे, चारों ने एक दूसरे के हाथ पकड़े और जहां वह खड़ा हुआ था, चीखते, चिल्लाते, सब उससे उल्टी दिशा में भागने लगे। वे कब्रिस्तान की दीवार के पास पहुंच चुके थे जिससे आगे जाने का अब कोई रास्ता नहीं था। वे दर से पीछे की ओर मुड़े और उसके बाद को खौफ़नाक मंज़र उनकी आंखों ने देखा वह शायद ही किसीने देखा या सुना होगा। एक ओर एक अंग्रेज़ पति पत्नी थे और दूसरी ओर एक भारतीय महिला और कई सारे तांत्रिक थे। कभी वह अंग्रेज़ दंपति उस महिला और तांत्रिकों पर भारी पड़ता तो कभी वह महिला और तांत्रिकों का झुंड अंग्रेज़ दंपति पर भारी पड़ता। इस लड़ाई में वहां कब्रिस्तान की दीवारों से पंक्तिबद्ध तरीके से लगे पेड़ों को वे किसी पौधे कि तरह उखाड़ उखाड़ कर फेंक रहे थे। ऐसा ही एक पेड़ हवा में उड़ता हुआ आया और राज के ऊपर गिर पड़ा। अगले ही पल राज को एक खून कि उल्टी हुई ओर अब वह शांत था। डेनिस, आदित्य और भैरवी तीनों चीख पड़े। उनके चीखने से एक बार फिर उन सब आत्माओं का ध्यान उनकी ओर गया और अब वे सभी एक साथ उनकी ओर बढ़ रहे थे।जॉर्ज, पामेला, आशा, दयाल दादा, विमला ताई, इक्कीस तांत्रिक, राज, रेहान, जयकिशन एवम् कुछ अनजान चेहरे, अनजान लोग, सब एक पंक्ति में थे यह देखकर भैरवी आदित्य और डेनिस की सांसे उखड़ने लगी। वे सब दीवार से सटकर कैसे भी आत्माओं के उस झुंड से दूर जाना चाहते थे। मगर तेज़ चलती आंधी उन्हें कुछ भी साफ नहीं देखने दे रही थी। तभी आशा की आत्मा ने आदित्य का गला पकड़ लिया और एक झटके में ही उसके सर को धड़ से अलग कर दिया "मैंने कहा न मैं अपनी एमा नहीं दूंगी" उसने भयानक तरह से गरजते हुए कहा। आदित्य की यह हालत देखकर भैरवी के पैरों की मानो सारी जान ही निकल गई थी। उधर पामेला डेनिस को उठाकर कहने लगी "आई वॉन्ट लेट ऐनीवन हार्म माय डॉटर" , "मैं एमा को नुक्सान पहुंचाने नहीं आया हूं" डेनिस ने कहा मगर पामेला पर जैसे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा उसने फिर वही वाक्य दोहराया, "आई वॉन्ट लेट ऐनीवन हार्म माय डॉटर" और इतना कहकर पामेला ने डेनिस को उठाकर दूर फेंक दिया।

अब भैरवी की हिम्मत जवाब दे चुकी थी। आशा की आत्मा ने उसका एक हाथ पकड़ लिया और दूसरा हाथ जॉर्ज की आत्मा ने पकड़ लिया, दोनों ही आत्माएं पूरी ताकत से भैरवी को "एमा" संबोधित करते हुए अपनी अपनी ओर खींचने लगी। "ऐमा मेरी बेटी" , "एमा माय डॉटर" दो आवाज़ें एकसाथ वातावरण में गूंजी और भैरवी की आखिरी चीख निकली, उसका शरीर दो हिस्सों में बंट चुका था।

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एक साल बाद दो लड़के अपने पीठ पर बैग टांगे उस कब्रिस्तान के सामने खड़े हुए थे मगर इस बार उन्हें चाय की टपरी एक खंडहर के रूप में नजर आई। जिसमें टूटा हुआ एक फोटो लगा हुआ था जिसके नीचे लिखा हुआ था - "पीटर" 1907 - 1966..... वातावरण में एक बार फिर उस बूढ़े गोवानी की आवाज़ गूंजी "उस ग्रेव यार्ड में नहीं जाने का" मगर तब तक वे लड़के अंदर जा चुके थे...

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फिलहाल डेनिस एक मेंटल असायलम में था जहां वो हमेशा चिल्लाता रहता "गोवानी रोकता रह गया था हम नहीं माने" "मैं एमा को नुक्सान पहुंचाने नहीं आया हूं" "सबको मार दिया" "हाहाहाहा"

कब्रिस्तान का रहस्य हमेशा अनकहा ही रहा...