भाग ४ -
२०२० की यह न्याय सभा विशेषतापूर्ण थी। इस श्रेणी के सभी सितारे यद्यपि पिछली तीन श्रेणी के सितारों से संख्या में कम थे किन्तु इनके मन में एक महत्वपूर्ण प्रश्न था कि इतनी एहतियात के बावजूद उन्हें इस संकट को क्यों झेलना पड़ा? आखिरकर उनका दोष क्या था?
सभा की कार्यवाही प्रारम्भ हुई। हमेशा की तरह सभी औपचारिकता पूर्ण की गयी।
मुख्य न्यायाधीश ने सम्मान भरे स्वर में कहना प्रारम्भ किया, "सर्वप्रथम मैं और मेरे सभी सहयोगी आपका अभिनन्दन करते हैं। आपने धरती पर पिछले चार पाँच माहों में आये हुए संकट के समय जो अभिन्न सेवायें दी हैं, उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। आपके अभिनन्दन और धन्यवाद ज्ञापन के लिए विश्व के विभिन्न देशों ने अलग अलग तरीके अपनाये। तालियाँ व थालियाँ बजाकर, शंखनाद करके, मोमबत्तियाँ जलाकर, हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा एवं प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा कवरेज करके आपके प्रति आभार व्यक्त किया। आपने अपने जीवन की परवाह न करते हुए दिन रात अथक अपना कर्त्तव्य पालन किया। अपने परिवार की भी चिंता नहीं की। आप में से कुछ नवविवाहित थे। कुछ नर्सेज गर्भावस्था में भी कार्य करती रहीं। आप में से कई कर्मियों के छोटे छोटे बच्चे थे जिन्हें आप दादा-दादी, नाना-नानी के पास छोड़कर आते थे एवं घर पहुँचकर भी सिर्फ दूर से ही देख पाते थे। आपकी फाइल आपकी निःस्वार्थ सेवा, त्याग, और कर्तव्यपरायणता से भरी हुई है।"
कुछ सितारों ने अश्रुपूर्ण नेत्रों एवं भरे गले से अपना प्रश्न सामने रखा, "इतना सब करने के बाद भी हम आज आपके सामने क्यों खड़े हैं?"
मुख्य न्यायाधीश ने उनकी पीड़ा को समझते हुए अपना उत्तर दिया, “२०२० का इतिहास जब भी लिखा जायेगा, आपकी सेवा तथा त्याग को स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया जायेगा। परन्तु यह भी सार्वभौमिक सत्य है कि किसी भी कृत्य का यथोचित समय पर दंड या पुरस्कार अवश्य ही मिलता है, इसलिए ऐसे भयानक प्रकोप के समय में इतने बचाव के बावजूद भी आप अछूते नहीं रह पाए। आप में से कोई और अपनी बात कहना चाहता है तो वो आगे आ सकता है।"
कुछ सेवाकर्मी सितारे आगे आये और कहा, "श्रीमान! आपके इन कृपालु शब्दों के लिए हम आपका कोटि कोटि धन्यवाद करते हैं। हम तो इस संकट के समय में अपनी क्षमतानुसार अपने देशवासियों की सेवा कर रहे थे और आगे भी करना चाहते थे परन्तु नियति को शायद यही मंजूर था। हम बस यही विनती करते हैं की अगर फिर से हमे धरती पर जाने का मौका मिले तो हम पुनः इसी किरदार में वापस जाकर अपना सेवाकार्य आगे बढ़ाना चाहेंगे।"
इस सार्वभौमिक सत्य को समझने के बाद सभी सितारों के मुख पर संतुष्टता के भाव थे।
एक सहायक न्यायाधीश ने मुख्य न्यायाधीश से निवेदन किया, "श्रीमान! आज की सभा समय से पूर्व ही समाप्त हो गयी है। क्या अगली श्रेणी के सितारों को आज ही आमंत्रित कर सकते हैं?"
मुख्य न्यायाधीश - "अगली श्रेणी में धरती के बहुत ही महत्वपूर्ण सितारे हैं। उनके लिए हम कल का दिन निर्धारित करते हैं। अब सभा स्थगित की जाए।"
अंतिम भाग -
द्वारपाल ने देखा की धरती ग्रह से अभी भी सितारे उड़ कर आ रहे हैं किन्तु अब संख्या और आने की गति कुछ धीमी पड़ती जा रही है। शायद धरती पर सभी देशों में लॉकडाउन, प्रत्येक देश में परस्पर सीमा बंदी, कई देशों में जिलों और प्रदेशों में सीमा बंदी, रेल, हवाई, सड़क आवागमन पर रोक, स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता, मास्क, सेनिटाइज़र तथा हैंड वाश का प्रयोग, शारीरिक व सामाजिक दूरी, पारिवारिक मूल्यों की सुखद अनुभूति, विलासिता और आवश्यकताओं के बीच प्राथमिकता की समझ, तथा अनावश्यक संग्रह प्रवृति के कारण पैसों के पीछे की चूहा दौड़ में कमी - ये सब कारण सिद्ध हुए हैं नियंत्रण लाने में। "जान है तो जहान है" यह मूलमंत्र अब लोगों को धीरे धीरे ही सही किन्तु समझ में आने लगा।
द्वारपाल आदेश की प्रतीक्षा में था। अंदर से संकेत मिलते ही घोषणा की, "वे सभी सितारे अंदर प्रस्थान करें जिन्हें प्रसवकाल में तथा बाल्यावस्था में शरीर छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा।"
सभा की कार्यवाही निर्धारित पद्धति से प्रारम्भ हुई किन्तु आज मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीश भावुक थे। कुछ सितारों ने धरती पर पहला कदम रखा था। कुछ ने अभी अभी करवट लेना सीखा था। कुछ ने पहली बार अपनी माँ को पुकारा था। बाहर की दुनिया से ये नौनिहाल एकदम बेखबर थे। I.C.U. अथवा Ventilator क्या होता है, वे जानते भी नहीं थे। ज़िन्दगी और मौत के झूले में झूलते, वे परिवार और माता पिता से दूर हो गए थे। उनके मृत शरीर को उनके परिवार को देने की इजाजत नहीं थी। मुख्य न्यायाधीश के समक्ष वे तर्क वितर्क कर सके अभी उनकी बुद्धि इतनी विकसित नहीं हुई थी। किन्तु ये सितारे स्पर्श और प्रकंपन की भाषा बहुत अच्छे से समझ सकते थे। इसी भाषा में उन्हें समझने का प्रयास किया गया।
मुख्य न्यायाधीश - "आप सबको अपने बीच पाकर हम सब अत्यंत भावुक हैं। आप धरती पर अधखिले फूल और भविष्य के निर्माता थे। परन्तु कुदरत नहीं चाहती थी कि ऐसे दूषित वातावरण में आपका पालन पोषण हो। आप में से कुछ सितारों के शरीर में अनुवांशिक दोष भी थे जो इस महामारी को झेलने में असमर्थ थे इसलिए कुदरत को यह कठोर कदम उठाने पड़े। जब प्रकृति स्वच्छ और संतुलित हो जाएगी तब आपको पुनः धरती पर भेजा जायेगा, तब तक आप यहीं विश्राम करें।"
मुख्य न्यायाधीश और इन सितारों के बीच स्पर्श और प्रकंपन द्वारा प्यार का आदान प्रदान हुआ।
अंततोगत्वा न्यायप्रक्रिया संपन्न हुई। अब निर्णय सुनाने का समय आ गया था। मुख्य न्यायाधीश ने सभी बाहर खड़े सितारों को अंदर आने का आदेश भिजवाया। सब क्रमबद्ध दिल थाम कर खड़े थे।
मुख्य न्यायाधीश - "आप सभी धरती से आये झिलमिल सितारों का आकाश के पार आकाश में स्वागत है। आप सभी न्याय पाने की प्रतीक्षा में हैं। हमारे दल ने आपकी फाइल का पूर्ण रूप से अध्ययन करने के बाद सर्व सम्मति से निर्णय लिया है। आपको अपनी गलतियों का एहसास है। आपने पश्चाताप् करके क्षमायाचना भी की है। पृथ्वी पर वापस जाने की इच्छा जाहिर की है, किन्तु प्रकृति ने अब इतना बोझ उठाने में अपनी असमर्थता जताई है। प्रकृति के पांचो तत्व प्रदूषण की पराकाष्ठा पर पहुँच गए हैं। सारे तत्व संतुलन व स्वच्छता में व्यस्त हो गए हैं। अतः अभी आप सब यहीं रहकर प्रतीक्षा करें। आपकी तरह ही कुछ सितारे धरती पर प्रकृति परिवर्तन और नव विश्व निर्माण कार्य में संलग्न हैं। उपयुक्त समय आने पर पुनः आप सबको धरती पर वापस भेजा जायेगा ताकि आप नवनिर्मित विश्व का आनंद ले सके। "
सभी न्यायाधीशों के निर्णय से सारे सितारे सहमत और संतुष्ट थे। सभी सितारे सम्मिलित स्वर में जय जयकार व धन्यवाद करते हुए अपनी अपनी जगह पर स्थित हो गए और उनकी चमक से सम्पूर्ण आकाश झिलमिलाने लगा।