prem do dilo ka - 11 in Hindi Fiction Stories by VANDANA VANI SINGH books and stories PDF | प्रेम दो दिलो का - 11

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प्रेम दो दिलो का - 11

नीरू ये समझती थी कि हमारा निर्मल से दूर रहना ही उचित है लेकिन राजा अपनी हरकतो से बाज नही आ रहा था ।उसका रोज नीरू को गाली देना तो ठीक था लेकिन अब वो हाथ उठाने लग गया था ।उसपे ना जाने कौन सा भुत सवार हो गया था।
एक बार जब विजय नीरू को लेने उसके घर गया तब पूरी बात जानने के बाद उसने राजा को समझाया ।
विजय ने राजा से कहा वो इस तरह की हरकते बन्द कर दे और अपने नौकरी के बारे मे सोचे जो निर्मल ने अपने दफ्तर में लगाने के लिये कहा है और जब निर्मल को ये बात पता चलेगी तो वह ये बिल्कुल बरदास नही करेगा ।
राजा को लालच आ गया ।इस रात विजय और राजा ने साथ में सराब पी, सुबह विजय नीरू को अपने घर ले आया ।
जब नीरू घर पहुची तो विजय ने निर्मल को संदेश भेजा की नीरू निर्मल से मिलना चाहती है और वह अपने ससुराल से घर आ गयी है ।जब निर्मल को ये बात पता चला की नीरू ने बुलाया है एक बार को तो उसे भरोसा ही नही हुआ फिर भी उसने दफ्तर से जल्दी छुट्टी ली और बहुत सारा समान नीरू और उसके छोटी बच्ची के लिये लीया ।जिसमे कपड़े मिठाईयाँ और खिलौने थे । वह सारा समान लेकर नीरू के घर पहुचा ।यह सब देख कर नीरू हैरान हो गयी की निर्मल को किसने बताया होगा की मै आई हूँ ।
रूमा (नीरू की माँ) बाहर आई अरे निर्मल तुम कब आये बैठो मै तुम्हारे लिये पानी लाती हूँ ।नीरू ने गुड़िया (नीरू कि लडकी जो अभी 6 महीने की है ) को रुबी को दिया रुबी उसे घर के बाहर लेकर चली जाती है।सुनसान कमरे में नीरू निर्मल अकेले है, कोई खास बात है जो तुमने सन्देसा भेज कर मुझे बुलाया (नीरू ने उस रोज पीली सारी,पीली बिन्दी जैसे कोई फुल हो) उसकी नजरे निर्मल की तरफ उठती है जो इतने देर से निर्मल आया हुआ था नीरू ने उसे देखा नही था । निर्मल भी नीरू को देखता रह जाता है वो दर्द जो नीरू के नजरो से झलक रहा था वो सीधा निर्मल के दिल में उतर रहा था पूरे नौ महीने हो गये थे वो दोनो एक दुसरे को देखें नही थे ।
निर्मल नजरे हटाते हुए मैने राजा की नौकरी की बात की है जल्द उसकी भी नौकरी लग जायेगी बडे साहब बाहर गये हुए है वापस आते ही मै बात आगे बढाता हूँ ।और सब कैसा है? नीरू बस चुपचाप बिना कोई जवाब दिये निर्मल की बात सुनती जा रही थी, निर्मल तेज आवाज में पूछा उत्तर दो, नीरू धीरे से हा ठीक है ।निर्मल पानी पीकर अपने घर चला जाता है ।सावन का महीना है रमा भी अपनी ससुराल से घर वापस आई है। रमा की भी सादी नीरू के बाद हो गयी थी ।रमा ने निर्मल से सादी इसलिए नही की थी क्योकी वह जानती थी की निर्मल उसको देख कर नीरू को और याद करेगा ।रमा ने जैसे जाना की नीरू आई है वह नीरू से मिलने नीरू के घर आ जाती है दोनो एक दुसरे से बाते करती है।नीरू ने रमा को सारी बाते बतायी की निर्मल आया हुआ था और भी बहुत सी बाते जो वो किसी और को नही कह सकती थी।
रमा को ये सब जान कर बहुत दुख होता है। वो सोचती है की वह निर्मल को सारी बाते बता कर ही चैन पायेगी,नीरू मना करती है लेकिन रमा को लगता है की एक निर्मल ही है जो नीरू के दुखो को दुर कर सकता है।
जैसे ही रमा बात करके घर पहुचती है वह तुरन्त निर्मल को बुला कर नीरू की हालत बताती है की नीरू अभी कुछ दिन ससुराल नही जाना चाहती है ।
निर्मल को बहुत बुरा लगता है की नीरू इतना भी निर्मल को अपनी जिन्दगी में जगह नही दे सकती की वो निर्मल को अपनी हालत बता सके।निर्मल सोचता है की नीरू से इन बातो का करण पूछेगा ।रमा बताती है नीरू ने उसे यह इसलिए नही बताया है क्योकी अब वो नही चाहती की उसकी वजह से तुम्हारी जिन्दगी में कोई परेसानी आये ।।यह सब बाते जानकर निर्मल को यह समझ नही आता की वह क्या करे ।
कुछ दिन बाद राजा आता है नीरू के घर और वह नीरू से माफी माँगता है ।निर्मल को एक बार फिर से ये लगने लगता है की नीरू कि जिन्दगी सवर गयी हो ।
राजा नीरू से कहता है की वह घर चले वो सहर जायेगा कमाने । वह कुछ काम करेगा और पैसे बनाएगा ।नीरू राजा के साथ ससुराल चली जाती है और सबकुछ अच्छा चलने लगता है ।राजा सहर चला गया, नीरू और गुड़िया घर में रहने लगी।नीरू को एक और लडकी हुई जिसे देखने से हर कोई कहता की वो निर्मल के जैसी है।