Baalshram in Hindi Human Science by Rajesh Kumar books and stories PDF | बालश्रम

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बालश्रम

पूरे विश्व में बाल श्रम को रोकने के कड़े से कड़े कानून बनाये गए, बहुत से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाल श्रम के खिलाफ जनजागरण किया बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आए और उनके इस कार्य के लिए दुनिया का सबसे ऊंचा #नोबल_पुरस्कार भी मिला।
परन्तु जमीनी हकीकत ये कि आज भी दुनिया भर में करोड़ो बच्चे अपनी नन्ही सी उम्र में कठोर मजदूरी करने के लिए विवश है बहुत लाखों बच्चे कठोर श्रम से उत्तपन्न शारीरिक कमजोरियों के चलते अपना जीवन पूर्ण कर लेते है। अब जरा सोचिए इतनी हृदयविदारक परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार कौन है?
माँ-बाप लगभग सभी सामान्य जनों का उत्तर हाँ होगा, कोई एक दो अपवाद को छोड़ दे तो ऐसा नही है।
कुछ मामलों में बच्चों को अगवा कर श्रम कराया जाता, विकलांग बनाकर भीख मंगवाई जाती है उसके लिए मनुष्य रूप धारण किये राक्षस लोग जिम्मेदार है और प्रसाशन जो उन पर अंकुश नही लगा पता।
लेकिन यहां बात सामान्य घरों के बच्चों द्वारा कराए जा रहे श्रम के बारे में है।
अनुभव करिए कि आप यदि आर्थिक रूप से इतने सक्षम हो कि दिन में दो बार पेट भर भोजन कर सकें तो मैं पूर्ण विश्वास से कह सकता हूँ कि आप अपने बच्चे को मजदूरी के लिए तो दूर की बात घर से बाहर तनिक भी श्रम के लिए नही भेज सकते तो फिर अब आप उन घरों के बारे में, उन मां-बापों के बारे में ये कैसे सोच लेते है कि वो अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेजेंगे या विवश करेंगे।
उनके साथ वो जटिल मजबूरियां जुड़ी होती है जिनके कारण वो स्वयं अपने बच्चों सहित मजदूरी करते हैं।
ऊपर से राजनीतिक ताना बाना, नई आर्थिक नीतियां और पूंजीवाद के घोर षड्यंत्र जिनमें फंसकर ऐसे लोग आभाव में जन्म लेते है आभाव में मर जाते है।
ऐसे बच्चे जो बालश्रम करने के लिए मजबूर है उनके माता-पिता के पास दो रास्ते
1.बच्चों को पढ़ाए सरकारी स्कूल में(निजी स्कूलों में उनकी हैसियत नही) जहां शिक्षा देने का स्तर कैसा है सब जानते है।
2.अपने बच्चे को वही सिखाये जो आगे उसके उसके पेट भरने का माध्यम बने।(जैसे जो सक्षम लोग है अपने बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा दिलाते है जिसे वो कोई रोजगार ढूंढ ले और जिंदगी को बिना आर्थिक तंगी से जिये।)
परिस्थितियों के हिसाब से दोनों उचित ही कर रहे है लेकिन कानून एक को सजा दूसरे को प्रोत्साहन?
बालश्रम अमानवीय है,शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार है, बालश्रम निषेध हो मैं भी चाहता हूँ। सरकार हर वर्ष गरीबी उन्मूलन की अनेकों योजनाएं बनाती है लेकिन राजनेताओं व अफसरशाहों की लुटखोरी और बंदरबाट ऐसे लोगों को गरीब बनाएं रखती है राजनीति जो करनी है। आगे भी लुटखोरी जो करनी है।
तो सबसे पहले इन लुटखोरी को ही रुकना होगा गरीबी का वास्तविक उन्मूलन हो तब कहीं बालश्रम निषेध हो पायेगा। केवल कानून बनाकर एक दिन हल्ला गुल्ला कर के बालश्रम नही रुक सकता।

इसके उलट इस कानून के आधार पर जरा उन परिवारों पर गौर करिए जो बच्चों सहित कठोर परिश्रम कर अपनी आजीविका चला पाते है। जिन बच्चों के ऊपर कोई एक सहारा हो वो भी श्रम करने में असमर्थ हो शारीरिक विकलांगता(दुर्घटनावश) वहां सम्बंधित बच्चा ही स्वयं और उस अविभावक का सहारा हो तो वहां बालश्रम निषेध कानून तो अभिशाप सिद्ध हो जाएगा।

जो लोग स्वयं के कारखानों में बच्चों से कठोर परिश्रम(चूड़ी उद्योग) करते है वो भी कहते है बालश्रम निषेध होना चाहिए तो जरा सोचिए कैसे हो पाएगा।

सर्वसमाज को आगे आकर सबसे पहले एकदूसरे का शोषण रोकना होगा जिससे गरीबों का उन्मूलन हो और बालश्रम जैसे अमानवीय कार्यों को रोका जा सके।