ladkiyo ka padhana jaruri hai kya in Hindi Women Focused by H M Writter0 books and stories PDF | लड़कियों का पढ़ना जरूरी है  क्या ?

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लड़कियों का पढ़ना जरूरी है  क्या ?

सुबह के 7 बजे थे । मोबाइल फोन की तेज आवाज़ से विद्या नींद से जागकर फोन में कहती है । कि हेलो , रुचि क्या हुआ ? इतनी सुबह फोन किया । तो रुचि उसे बोलती है कि विद्या तेरा सिलेक्शन हो गया IIT कॉलेज में । ये सुनकर विद्या बहुत खुश हुई । वो इतनी खुश थी जैसे उसका सपना पूरा हो गया। कुछ ही देर में उसने घर के आँगन में पूरे परिवार की शोर मचाकर बुला लिया ।
उसकी माँ बोली - क्यों विद्या इतना शोर मचाया है क्या हुआ है ?
विद्या ने बोला - आप सब लोगो के एक बात बतानी है । मैं सेलेक्ट हो गई IIT कॉलेज में एडमिशन हो गया । विद्या को लगा था। कि सब उसकी बात सुनकर उसके जैसे ही खुश होंगे । लेकिन ऐसे नहीं हुआ । सबने उसकी बात को अनसुना किया ।
तभी पीछे से उसके पिता जी आ गए । और बोले - अरे इतने सुबह सब एक साथ आँगन में सब कुछ ठीक तो है ना ।
तभी बहुत ही खुशी से विद्या ने बोला - हाँ , पिता जी सब ठीक है। मेरा सिलेक्शन हुआ IIT कॉलेज में यही बात बताने के लिए मैंने सबको यहाँ बुलाया ।
ये सुनकर उसके पिता जी बोले - अरे , इतना पढ़ लिया विद्या बहुत अपने अब । वैसे भी लड़कियों का पढ़ना जरूरी है । क्या ?? आगे घर ही देखना है । ये कहते हुए विद्या के पिता जी अपने कमरे में चले गए । ये अपने पिता की ये बात सुनकर विद्या की खुशी गम में बदल गई । उसे ये लग रहा था कि जिस पिता ने बचपन से उसे अच्छे से रखा आज वही पिता उसे उसके सपने पूरे करने से रोक रहा है ।
ये तो केवल एक कहानी थी । लेकिन ऐसे हकीकत में होता है । कि इस प्रश्न के आगे " लड़कियों का पढ़ना जरुरी है क्या ?? " लड़कियों के कई सपने बिखर जाते है ।

"लड़कियों का पढ़ना जरूरी है क्या ?"
हाँ ! ये लाइन हर किसी ने कहीं न कहीं सुनी जरूर होगी । मतलब पढ़ना तो हर किसी के लिए ज़रूरी है । तो फिर विशेष कर ये प्रश्न लड़कियों पर ही क्यों ? हमारे भारत देश में देखा जाए तो सोसाइटी वाले वर्ग को अब 2020 तक ये समझ आ गया । की एक सफल जीवन बिताने के लिए शिक्षा कितना महत्व रखती है । लेकिन भारत देश में आज भी ग्रामीण क्षेत्र के बहुत लोग खासकर गाँव में रहने वाले लोग मध्यम विचार के है । जो ये समझते है । की उनकी लड़कियों या बेटी को पढ़ाई की क्या ज़रूरत उनको तो आगे चलकर घर ही संभालना है , कौन सा उन्हें नौकरी करनी है । हमारी मध्यप्रदेश सरकार ने कई सारी योजना बनाई है । जिसके तहत गाँव की बेटी निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकती है । इस योजना का नाम गाँव की बेटी है । इस योजना में बेटी को पूरा कॉलेज की पढ़ाई निःशुल्क और गाँव से कॉलेज आने जाने का किराया भी दिया जता है । लेकिन सरकार के इतने प्रयास के बाद भी आज यही स्थिति है । कि गाँव मे लोग अपनी बेटियों की पढ़ाई को लेकर जागरूक नहीं है। तभी ऐसे प्रश्न
"लड़कियों का पढ़ना जरूरी है क्या ?" हमारे सामने आते है । हमारे देश के मध्यम वर्ग लोगों को ये समझना होगा । कि पढ़ाई जितनी लड़कों के लिए ज़रूरी है , उतनी ही लड़कियों के लिए है । क्योंकि लड़के शिक्षित हो, कर केवल जॉब या व्यापार करते है । लेकिन एक लड़की शिक्षित हो कर न केवल जॉब करती है । बल्कि आगे चलकर अपने दूसरे घर जिसे हम लोग ससुराल कहते है। वहाँ भी समझदारी के साथ अपने परिवार को और बच्चों को शिक्षित बनाती है । और लड़की के शिक्षित होने पर समाज मे उसे उसके हक का मान सम्मान और इज़्ज़त दी जाती है ।और समाज में उसकी एक अलग पहचान बनती है जो उसके नारित्व को दर्शाती है । ठिक इस तरह से फिर पूरा एक वर्ग शिक्षित बन जाता है। लेकिन हमारे गाँव मे 2020 साल में भी लोगो के विचार बिल्कुल अलग है । मध्यम वर्ग में लड़कियों को स्कूल भी बहुत मुश्किल से भेजा जाता है । अगर लड़की ने 12 क्लास कर ली पूरी तो उसका एडमिशन कॉलेज में नही होने दिया जाता है । सिर्फ ये बोल कर की "लड़कियों का पढ़ना जरूरी है क्या ?" आगे चल कर लड़की को तो घर ही संभालना है । " और अब 18 साल की उस लड़की को अपने माता पिता की बात सुनना ही पड़ता है । नहीं तो फिर पूरे गाँव कहता है, उस लड़की को की लड़की पढ़ लिख कर चालक हो गई । इसके बाद उस 18 साल की लड़की की शादी कर दी जाती है । और लड़की को कुछ बनने और जॉब करने के सपने को तोड़कर कर शादी करनी ही पड़ती है क्योंकि ये हमारे संस्कार भी है कि माता पिता की बात नहीं काटते । ठीक इसी तरह से आज गाँव की या मध्यम वर्गों की ज्यादातर लड़कियों पढ़ी लिखी नहीं होती । क्योंकि वो इसी प्रश्न का सामना की हुई होती है । लड़कियों का पढ़ना जरूरी है क्या ? ये प्रश्न कभी कभी ये भी दिखाता है । कि आज के समाज में भेदभाव है । एक ही परिवार में दो बच्चों के माँ बाप एक को IAS ऑफिसर बनाते है, और दूसरे की शादी कर दी जाती है । पता क्यों सिर्फ इसलिये जो IAS ऑफिसर बना वो उनका लड़का था , और जिसकी शादी की उन्होंने वो उनकी लड़की थी । जो उनकी एक जिम्मेदारी थी । और माँ बाप ने जल्दी ही शादी कर के अपनी जिम्मेदारी निभा दी ।
इस भेदभाव को खत्म करने के लिए और लड़की है पढ़ लिख कर क्या कर लेगी ।? आगे चल कर इसे घर मे ही रहना है । ऐसे प्रश्नों को खत्म करने हम सभी को एक होना होगा। इस भेदभाव के खत्म होने के बाद ही समाज पूरी तरह से विकसित हो पायेगा । और हर बेटी को उसका अपना हक मिलेगा । और उसके सपनों को एक अलग पहचान मिलेगी ।

धन्यवाद