Fir milenge kahaani - 9 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 9

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 9

यह कहकर सब एक दूसरे के गले मिलने लगे आफताब बहुत खुश था जैसे उसको अभी से जन्नत नसीब हो गई हो तभी आफताब का फोन बजा फोन उठाया तो उसकी छोटी बहन का था जब उसको पता चला आफताब जलसे में गया हुआ है तो वह बहुत नाराज हुई और बोली, “क्या भाई जान तुम्हें जरा भी इल्म् है कि तुमने यह क्या किया? अरे तुमने मौत को अपने मुंह से लगा लिया या अल्लाह मेरे नासमझ भाई की गलती माफ करना, यह बीमारी धर्म जात या अमीर गरीब नहीं देखती, यह तो किसी को भी हो सकती है, तू बस घर आजा जल्दी भाई जान और सुनो अपनी ज़ांच जरूर करा लेना, और घर जाकर कुछ दिन बाहर ही रहना, या अल्लाह ये हमारी कौम के ही कैसे लोग हैं जो हमारी कब्र तैयार करा रहे हैं और इस बीमारी को नजरअंदाज कर रहे हैं और गैर जिम्मेदार हरकतें कर रहे हैं” |

आफताब - “ मुझे क्या करना है क्या नही मैं सब जानता हूं, और हां तू अपने शौहर और बच्चों की देखभाल कर समझी, जो तेरा काम है, ज्यादा दखल अन्दाजी मत कर” |

ये कहकर आफताब ने गुस्सा कर फोन काट दिया और खुशी खुशी सबसे गले मिलकर घर के लिए रवाना हुआ |

कुछ दिन बाद....


“मम्मी मुझे पापा से बात करनी है” ध्रुव ने मंजू से कहा |

मंजू - “ बेटा अभी पापा बहुत बिजी होंगे, तुम कल बात कर लेना” |

ध्रुव - “रोज यही कहती हो, खुद बात कर लेती हो मुझे नहीं कराती, ध्रुव रो रो कर जिद करने लगा तो मंजू ने मंजेश को फोन लगा दिया |

मंजेश - “हां मंजू बोलो क्या हुआ”?
ध्रुव - “पापा कब आओगे? मुझे यहां अच्छा नहीं लगता, प्लीज पापा आ जाओ” |

मंजेश (भावुक होकर)- “डोंट वरी बेटा, मैं जल्दी ही आऊंगा पर आप मम्मी की बात मानना, घर से बिल्कुल मत निकलना, अच्छा फोन रखो मुझे बहुत से मरीजों को देखना है” |

ध्रुव - “अच्छा पापा.. बाय.. लव यू ..” |
मंजेश - “लव यू बेटा..” |

देश के हालात धीरे-धीरे और बिगड़ गए थे, सरकार, डॉक्टर, पुलिस आर्मी सब अपनी जी जान लगाकर इस महामारी से लड़ रहे थे, उधर राजनैतिक पार्टियां इस कठिन परिस्थिति में मदद करने की बजाय महामारी की सुलगती आग में रोटियां सेक रही थी, स्तिथि बड़ी भयावह होती जा रही थी |

एक दिन बैंक में…

“अरे क्या हुआ मोहित? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है” ? मोहित के पास वाले काउंटर पर बैठे बैंक कर्मी ने कहा |

मोहित - “हां मैं ठीक हूं, बस थकान लग रही है” |
बैंककर्मी - “लेकिन तुम्हें तो पसीना आ रहा है” |

मोहित - “हां लगता है बुखार भी हो रहा है” |

मोहित का शरीर टूट रहा था, वह कुछ काम आगे बढ़ाता कि तभी उसे खांसी और छींकें आने लगी हालांकि मोहित मास्क लगाया था पर बैंक के सब लोग टेंशन में पड़ गये और कोरोना हेल्पलाइन पर फोन करके एंबुलेंस बुलाई गई, मोहित का कोरोना टेस्ट हुआ जिसमें वह पॉजिटिव निकला, उसे तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया, मोहित बिल्कुल टूट गया उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि उसने इतनी सुरक्षा रखी उसके बावजूद यह कैसे हो गया |

मोहित ने अपने बूढ़े मां बाप को बताया तो वो बेचारे छाती पीट पीट कर रोने लगे, उन्हें तो बस इतना पता था कि कोरोना कितनी जाने ले चुका है और अब उनका बेटा भी इसकी चपेट मे है | पूरी बैंक को सेनीटाइज़ किया गया और सब की जांच कराई गई जिसमें सब नेगेटिव है थे, बस मोहित को छोड्कर |


आगे की कहानी अगले भाग में