muje vaapas bula lo in Hindi Moral Stories by Rishi Sachdeva books and stories PDF | मुझे वापस बुला लो

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मुझे वापस बुला लो

"शब्द मेरे हैं पर भाव शायद आपके मन के भी वहीं हो जो मेरे मन के"

आनंद मूवी में राजेश खन्ना का एक डॉयलोग था बाबू मोशाय "जिंदगी और मौत उपर वाले के हाथ में है जहांपनाह, जिसे ना आप बदल सकते हैं ना मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर उपर वाले के हाथ बंधी हैं, कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं जानता।"

मौत तू एक कविता है मुझसे इक कविता का वादा है मिलेगी मुझको डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे...

तो इस डोर को खींचने का अधिकार आपको या मुझे किसने दिया

आनंद मरा नहीं… आनंद मरते नहीं,

सुशांत भी यहीं कहीं आसपास होगा काश वो मुझे सुन पाता पर उस व्यथा को जो वो आज भोग रहा होगा मैंने शब्द देने का प्रयत्न किया है जिसमे पता नहीं मैं सफल हुआ या असफल

मुझे वापस बुला लो,
एक बार गले लगा लो,
नहीं रहना मुझे यहाँ,
एक बार, बस एक बार मुझे वापस बुला लो ।।

हुई गलती मुझसे मानता हूँ,
कुछ तो करो,
क्षणिक आवेश में कर बैठा जो नहीं करना था,
प्लीज् - प्लीज मुझे वापस बुला लो ।।

यहाँ अब माँ भी नहीं रहती,
अब न जाने कहाँ है वो,
पापा आप तो वहीं हो,
कुछ तो करो,
चाहे दो थप्पड़ लगा देना,
नाराज़ होना - गुस्सा करना,
बेशक बात मत करना,
पर मुझे वापस बुला लो ।।

न यार मेरा कोई यहाँ,
न महफ़िल सजी यहाँ कोई,
मैं हो गया अकेला यहाँ भी,
कुछ तो करो दोस्तों माना हुई गलती,
तुम कहते थे कुछ भी हो जाये सब संभाल लोगे,
सब लफड़े, सब झगड़े मैनेज कर लोगे,
अब करो कुछ तुम ही, मुझे वापस बुला लो ।।

दीदी मुझसे गलती हो गयी,
मैं बिन बताए दूर बहुत दूर निकल आया,
इस जहाँ में कोई पहचान नहीं मेरी,
कोई स्टारडम नहीं,
कोई पहचानता ही नहीं मुझे,
अकेला बहुत अकेला पड़ गया हूँ यहाँ,
कान पकड़ लेना चाहें, डपट लेना जितना चाहे,
पर कुछ तो करो दीदी, मुझे वापस बुला लो ।।

मेरी नहीं गलती तुम सबकी है,
कोई तो समझाता मुझे,
कोई तो रोकता मुझे,
करो अब कुछ भी करो,
नहीं रहना मुझे यहाँ,
एक बार, बस एक बार,
आख़री बार, कुछ भी करके,
मुझे वापस बुला लो, मुझे वापस बुला लो ।।

बहुत मुश्किल होती होगी न मरने के बाद कि ज़िन्दगी ??

कितना खालीपन होता होगा वहाँ ?

वहाँ जहाँ कोई आपको पहचानता नहीं, जानता नहीं, कुछ गलत फैसले, जिनको आप बदल नहीं सकते ।।

मौत के बाद कि ज़िन्दगी का ये जो फलसफा है, फिलॉसफी है, आपको मेरा पागलपन लग सकता है।

पर अगर आपको लगे कि कोई यह गलती कर सकता है, करने जा रहा है ज़रा भी महसूस हो तो उसे प्लीज अकेला मत छोड़िएगा, क्योंकि वो वहाँ पछताएगा और हम यहाँ।

ज़िन्दगी रेगिस्तान की उस प्यास जैसी है जो मरीचिका की तरह है कि आदमी चला जा रहा है, चला जा रहा है इस इंतज़ार में की आने वाले कल को जीएंगे, आज काम कर लें,

ना मालूम कल हो न हो दोस्तों, तो आज से ही ज़ी भर कर जी लो ज़िन्दगी ।।

अजीब शय है ये ज़िन्दगी, है तो भी मुश्किल, नहीं है तो और भी मुश्किल ।

चलिये फिर मिलेंगे, आपके कॉमेंट्स का इंतज़ार रहेगा, बातें करते रहिये दोस्तों, मुलाकातें करते रहिए, हमेशा मुस्कराहट बिखेरते रहिये। ज़िन्दगी जिंदादिली से जियें।

आभार
ज़िन्दगी ज़िंदाबाद ।

✒️ ऋषि सचदेवा
📨 हरिद्वार, उत्तराखंड ।
📱 91 9837241310
📧 abhivyakti31@gmail.com