2 MAD PART 1 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 1

Featured Books
Categories
Share

दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 1

दो पागल – कहानी सपने और प्यार की अंक १

   नमस्कार दोस्तों. मे वरुण पटेल आप के सामने बहुत ही प्यारी नवलकथा (कहानी) अंक स्वरुप पेश करने जा रहा हूँ ।

  यह कहानी बिलकुल काल्पनिक है । इस कहानी के पात्रो का असल जीवन में मेल खाना संजोगमात्र है ओर कुछ नहीं । इसे सिर्फ ओर सिर्फ मनोरंजन के लिए लीख गया है । हम कोइ भी घर्म या जाती का अपमान नहीं करते है

पात्र परिचय

१) जीज्ञा ( मुख्य भुमीका ओर कहानी की नायिका।) 

२) रुहान ( मुख्य भुमीका ओर कहानी का नायक। )

३) महावीर ( उपनाम जाडिया ओर रुहान का मित्र) 

४) रवी     ( रुहान का मित्र) 

५) पुर्वी    ( जीज्ञा के मामा की लड़की )

६) प्रमीलाबेन ( जीज्ञा कि माता )

७) गीरधन भाई ( जीज्ञा के पिता) 

८) संजय सिह  ( कहानी का मुख्य विलन )

९) मोहम्मद भाई ( रुहान के पिता) 

१०) चंपा बा  ( जीज्ञा के पडोसी उम्र ७० साल )

       यह उपर दिए गए हमारी कहानी के महत्वपूर्ण पात्र है । कहानी मे ओर भी कही पात्रो है जो कहानी को समर्थन देने का काम करते हैं जो आपसे कहानी के आगे बढने के साथ परिचत होंगे । तो ज्यादा बात न करते हुए शरुआत करते हैं हमारी एपीक प्रेमकथा ।

->  शरुआत 

        नमस्ते दोस्तों । मे जीज्ञा । मेरी हालत अभी वेन्टिलेटर पे रखे हुए इंसान जेसी ही है । क्योकि वेन्टिलेटर पे इंसान को तभी रखा जाता है जब वो अपनी मर्जी से सास ना ले सके । आप इससे एसा मत सोच लेना की मे अभी वेन्टिलेटर पे हु। ना ना मे वेन्टिलेटर पर नहीं हुं पर मेरी हालत उसपे रखे हुए इंसान से कम भी नहीं है । क्योकी मेरे हिटलर से भी पुरानी सोच रखने वाले पिता के कारण मे अपने जीवन का कोइ फेसला नहीं ले शक्ति । मुझ पे बहुत से फेसले जबरदस्ती थोपे जाते हैं । मेरे पापा के ओर समाज के पुराने और सडे हुए रितरीवाजो के कारण देश कि कई लडकीओ की तरह मेरी भी जिंदगी बरबाद होने की कगार पर है ।

       अब आपको मे क्या बताउ मेरे जीवन के बारे मे । अगर अभी की परिस्थिति की बात करु तो अभी मेरे घर में मेरी सगाई का माहोल चल रहा है और वो भी मेरी मांँ के गुजर जाने के ठीक पंदराह हि दिनो के बाद । इधर उधर बेठे हुए सभी अतीथी मेरी सगाई को लेकर एक-दम खुश हैं । अगर कोई नाखुश है तो वो सिर्फ पुर्वी और मे । नाखुश इसलिए की जिसे मे अभी सगाई कि अंगुठी पहेनाने वाली हु वो मेरा रुहान नहीं है और उसे मे उसके नाम के अलावा पहेचानती भी नहीं हुं । मेरा रुहान मेरा प्यार जो अभी बरोडा की किसी गली मे गटर के पास शराब पीके और किसीका मार खाके पडा हुआ है । मेरे से ज्यादा हालत उसकी खराब है। क्योकी मेने अपनी मर्जी से इस सगाई के लिए मंजुरी दी है और मेरा रुहान मेरे लिए इतना बावला है कि वो मेरी मरजी के विरोध के कुछ भी नही करेगा और हा मुझे मेरी सगाई पढाई के बिच मे हि करनी पड रही है । अभी मे कुछ भी नहीं कर शक्ति। मे इस सगाई को करने के लिए मजबुत नही बल्कि बहुत मजबुर हुं । अब यह परिस्थिति मुझे वेन्टिलेटर पे पडे हुए इंसान के दुःख से कम नहीं लग रही हैं । आप भी यह सोच रहे होंगे कि एसी परिस्थिति मेरे जीवन में आई केसे कि मेरी मा को स्वर्गवासी हुए अभी पंदरा ही दीन हुए हैं और मैं बरोडा मे अपनी पढाई, सपना और प्रेम सबकुछ छोडकर अपनी सगाई करने जा रही हु जीससे १००% मेरी लाईफ बरबाद होने वाली है और इससे बचने के लिए मे और मेरी बहेन कम दोस्त ज्यादा एसी पुर्वी भी कुछ नही कर रहे और ना तो हमारे दोस्त रुहान, महावीर और रवी कुछ कर रहे हैं । अंत में क्या होना था मेने उस आदमी को रींग पहेना ही दी जीसके नाम के अलावा मुझे उसके बारेमे कुछ भी मालुम नहीं है । साली पुरी लाइफ बरबाद होते हुए मुझे दीख रही थी । इस तरफ मेरी सगाई होने के बाद ना तो मेरे आसु रुक रहे थे और ना ही बरोडा मे मार खाके किसी गली में पडे रुहान के । अब हमे हमारे एक होने के सभी रास्ते बंध होते हुए दिख रहे थे । कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे । अब ख़्वाहिश तो बस इतनी ही थी की भगवान किसी और के जीवन में एसी समस्या कभी ना लाए । अब आप भी जानना चाहते होगे कि मेने मेरी कहानी बिच मे से हि शुरु कर दी मेने आपको यह तो बताया हि नहीं कि एसी परिस्थिति का निर्माण क्यो हुआ और केसे  ? ... और केसे हुआ मेरे और रुहान के बिच यह कोम्पलीकेटेड लव, हम सभी दोस्तो कि मस्ती और ढेर सारे हमारे कोलेज जीवन के राझ । तो जानिए सब कुछ शरुआत से ।

          लगभग पंद्रह महीने पीछे । मे अहमदाबाद कि एक बिंदास लड़की थी । पुरे अहमदाबाद मे किसी के भी बाप से मे नही डरती लेकिन मेरी अपने बाप के सामने एक भी ना चलती थी। मेरे पापा मेरे ख्याल से मेरे परदादा से भी पुराने खयलात वाले है और हिंदु संगठन के सभ्य है । मे आज भी उनकी वजह से इतना झेल रही हु जीतना दुध पीती करने के रीवाज के समय लडकिया झेलती थी ।

         आगे कहानी लेखक वरुण. एस. पटेल. के नझरीये से । लगभग दिन के 9:30 बज रहे थे । अहमदाबाद की जीस पोल में जीज्ञा रहेती है वहा अभी तो माहोल एकदम शांत है । बहार हमारी कहानी के हसमुख पात्र चंपा बा के अलाव कोई भी नहीं दिख रहा था । सभी अपने अपने घरो के काम मे व्यस्त थे। चंपा बा हाथ मे भगवान कि माला लिए भगवान का नाम ले रहे हैं । जेसे जेसे चंपाबा कि माला फिरती है वेसे वेसे समय भी बितता जा रहा था ।  आधा घंटा बितने के बाद ।

         हर सोसायटी मे एक फुलन गधाडी औरत जरुर होती हैं। फुलन गधाडी मतलब अपने घर में अगर कुछ भी अच्छा हो तो उसे सारी सोसायटी मे बताकर अपनी ओर से बडी बडी फेकना और दुनिया में वो ही सबकुछ है और उनसे आगे जाने कोई है ही नहीं एसा बर्ताव करने वाले को फुलन गधाडी बोलते हैं । ईस पोल में भी एक थी समताबेन । आज बारहवी कक्षा ( विज्ञान प्रवाह।) का परिणाम घोषित होनेवाला था और हमारी पोल मे दो स्टुडन्टस बारवी कक्षा में थे। एक समताबेन का लडका आशीष था और एक थी हमारी जीज्ञा । अभी तक तो पोल में शांति थी और बडे आराम से चंपाबा भगवान का नाम ले रहे थे लेकिन अभी वो शांति घोंघाट मे परिवर्तीत होने वाली थी। क्योकी हमारी कहानी की फुलन गधाडी अपने घर की बाल्कनी मे आज के समाचार लेकर प्रस्तुत हो चुकी थी ।

         अरे ओह प्रेमीलाबेन, मंजुबेन, शरदबेन जल्दी जल्दी बहार आओ एक बहुत बडी खुशखबर है मे तो मिठाईया बटवाउगी हा...समताबेनने एक ही सासमे सोसायटी वाली अपनी दो सहेलीया और जीज्ञा कि मम्मी को बुलाते हुए कहा ।

         अरे क्या हुआ समताबेन ... शरदबेन और मंजुबेनने एक एक करके बोला। 

         होगा कुछ अपने घर का नया बखेडा । पुरे गाव को बताने आ जाती हैं... चंपाबा ने समताबेन को ताना मारते हुए कहा ।

         आपको तो मेरे घर की खुशी कहा अच्छी लगती हैं चंपाबा... चंपाबा के ताने का उत्तर देते हुए समताबेनने कहा ।

         अरे आप उनकी तरफ ध्यान मत दो और अपनी खुशखबरी सुनाओ समताबेन... अपने घर कि बाल्कनी मे कपडे सुकाने का काम करते हुए प्रेमीलाबेनने वही से समताबेन को कहा ।

         प्रेमीलाबेन स्वभाव से सरल और प्रेमाभावी थे । 

         अरे हा वो तो बताना मे भुल ही गई । आज मेरे बेटे आशीष का बारवी का परिणाम आया है और उसे पुरे 76 टके मीले है... समताबेनने अपनी तीनो सहेलीओ को कहा ।

         आपको इन संवादो मे गुजराती भाषा कि झलक देखने को मील शक्ति है । क्योकी यह कहानी गुजरात कि है ओर इसे गुजरात मे ही दिखाया गया है ।

         अरे अभिनंदन अभिनंदन समताबेन... बारी बारी मंजुबेन और शरदबेनने कहा ।

         अरे खुब खुब शुभेच्छाओ आशीष को समताबेन... प्रेमीलाबेनने भी बधाई देते हुए कहा । 

         खुब खुब आभार आप सबको जी... समताबेनने अपनी तीनो सहेलीओ को कहा.

         उतने मे कपडे सुका रहे प्रेमीलाबेन के पास बाल्कनी मे अभी उठकर और अपनी आलस को मरोडते हुए जीज्ञा का प्रवेश होता है। 

         अरे क्या हुआ । यह फुलन गधाडी इतना क्यो चील्ला रही हैं । कही उसके घर पे मोदीजी तो नही आ गए ... जीज्ञाने अपनी मम्मी यानी प्रेमीलाबेन को कहा ।

         ओय मेने तुझे समताबेन को एसे नामो से बुलाने के लिए मना नही किया है ... प्रेमीलाबेनने जीज्ञा को धीमी डाट लगाते हुए कहा ।

          अब तुने अपना ढंढेरा पीट दीया हो तो अंदर जाके अपना काम कर प्रेमली... प्रेमीलाबेन का नाम लेकर समताबेन को ताना मारते हुए चंपाबाने कहा ।

          हा हा जाती हु चंपाबा आपकी इस जबान को भगवान भी ना माफ करे... फिरसे चंपाबा के ताने का जवाब देते हुए समताबेनने कहा ।

          वेसे प्रेमीलाबेन जीज्ञा का क्या परिणाम आया वो भी तो बारवी मे थी ना... शरदबेनने प्रेमीलाबेन से पुछते हुए कहा ।

          अरे हा प्रेमीलाबेन क्या हुआ जीज्ञा के परिणाम का। आप चींता ना करना अच्छा ही आया होगा । बिचारे आशीषने जीज्ञा से कहा था कि कोपी करले पर वो मानी ही नहीं । लेकिन कोई बात नहीं प्रेमीलाबेन पास तो हो ही जाएगी... समताबेनने अपने बच्चे का अपने वाक्य मे होदा उच्चा रखते हुए कहा। 

           तु अभी तक अंदर नही गई । कब से तेरा बेटा मम्मी मम्मी कर रहा है...एक बार बोलना शुरु करे तो फिर दो तीन वाक्यो तक रुकती ही नहीं है... चंपाबाने फिरसे वही टोन मे समताबेन को कहा । 

           अरे हा वो तो मे भुल ही गई शरदबेन की आज जीज्ञा का भी परिणाम है... जीज्ञा... शरदबेन के बोलने के बाद अपने पास खडी जीज्ञाको बोलने का प्रयास करते हुए प्रेमीलाबेनने कहा लेकिन तब तक जीज्ञा अपने घर मे अंदर जा चुकी थी।

           जीज्ञा के पीछे पीछे प्रेमीलाबेन भी बाल्कनी मे से अंदर अपने घर मे चले जाते है । ओर इस तरफ बहार। 

           चलो जीज्ञा भी पास तो हो ही जाएगी हमे क्या। बहुत काम पडा है घर में। मे चलती हु बाद में मीठाई भी लेने जाना है... इतना बोलकर समताबेन भी अपने घर मे चले जाते है । और बाद मे शरदबेन और मंजुबेन भी अपने अपने घरकाम मे व्यस्त हो जाते है । 

           हास भगवान चली गई महामाया। मेरी जीज्ञा को अच्छे टके देना भगवान ( टका (गुजराती शब्द) मतलब गुण % प्रतीसद)... चंपाबाने भगवान को प्राथना करते हुए कहा। 

           जीज्ञा बचपन से चंपाबा को बहुत ही प्यारी थी। अपनी बच्ची भले ही ना हो लेकिन चंपा बा उसे अपनी बच्ची ही मानते थे। जीज्ञा को अगर उसके पापा गीरघनभाई कि डाट से कोइ बचाता था तो वो सिर्फ चंपाबा थे। गीरघनभाई के गुस्से के सामने प्रेमीलाबेन भी कुछ नही बोलते थे। लेकिन हा जीज्ञा के इस कठीन जीवन को हरपल प्रेमीलाबेन सरल बनाने कि कोशीष जरुर करते थे ।

           प्रेमीलाबेन जीज्ञा को ढुडते ढुडते घर में जीज्ञा के रुममे जाते हैं। 

           जीज्ञा कहा हे तु । छोकरी पण इतनी देर मे कहा गायब हो गई... जीज्ञा को ढुडते ढुंडते प्रेमीलाबेनने कहा ।

           अरे मम्मी नहा रही हु ओर अगर तुम्हे मेरा परिणाम देखने कि इतनी ही जल्दी है तो मेरे टेबल पर मेरी रीसीप्ट पडी है जाकर आशीष को बोल वो अपने मोबाइल मे से देखकर बता देगा। वरना इंतजार कर मे नहा के और नास्ता करने के बाद देखती हुं ... जीज्ञाने अपने बाथरुम मे नहाते हुए कहा। 

           अब आप तो गुजराती औरत को जानते ही हो कुछ भी हो जाए लेकिन इनसे इंतजार नही होता है । कुछ भी पता लगाना है तो वो फटाफट लगाना हि है ।

           चल मे जाती हु । अब मुझे उस आशीष के पास जाकर ही तेरा रीझल्ट देखना होगा । हे भगवान इस लडकी का क्या होगा... जीज्ञा के टेबल से रिसीप्ट लेकर आशीष के पास जाते हुए प्रेमीलाबेनने कहा ।

          थोडा समय पसार होता है । जीज्ञा बाल बनाते हुए अपने घर के डाइनींग टेबल पर अपने भाई के पास आकर बेठती है । 

          आप को कितनी बार बोला है दीदी की यहा पे बाल मत बनाओ... जीज्ञा को उसके छोटे भाई वैभवने कहा ।

          अगर तु चुप नहीं हुआ ना तो मे तेरा किमा बनादुंगी ठीक है...  जीज्ञाने अपने छोटे भाई को प्यारी धमकी देते हुए कहा ।

          वैभव बारह साल का था । दोनो भाइ बहन भले ही लडते हो लेकिन दोनो के अंदर एक दुसरे के लिए बहुत प्यार था । 

           उतनी देर मे प्रेमीलाबेन घर वापस आ जाते है । प्रेमीलाबेन बहुत खुश थे मतलब जीज्ञा का रीझल्ट बहुत ही अच्छा आया था । 

           जीज्ञा... जीज्ञा मेरी बच्ची... जीज्ञा जीज्ञा बोलते हुए प्रेमीलाबेन अपनी बेटी को खुशीसे चुमने लगते हैं ।

          क्या हुआ मम्मा... जीज्ञाने सवाल करते हुए अपनी मम्मी से कहा ।

          तुझे पता है तुझे कितने प्रतिशत मार्क्स मिले है ... प्रेमीलाबेनने सवाल करते हुए जीज्ञा से कहा ।

          हा मुझे पता है कि मुझे 96.34% प्रतिशत मार्क्स मिले हैं... इतनी अच्छी खबर को जीज्ञाने बडे आराम से बोलते हुए कहा । 

          क्या तुझे तेरा परिणाम मालुम था... प्रेमीलाबेनने चोकते हुए कहा  ।

           हा मेने सुबह उठते ही देख लीया था... टेबल पर पडे बाउल में से अपना नास्ता निकालते हुए जीज्ञाने कहा ।

           तो फिर तुने मुझे उस फुलन गधाडी के पास क्यो भेजा... प्रेमीलाबेनने डाइनिंग टेबल पर जीज्ञा के पास बेठते हुए थोडे गुस्से से कहा । 

           वो इसीलिए कि उनको भी पता चले कि आदमी कितनी भी चोरी करले लेकिन वो महेनत करने वालो से कभी आगे नही बढ शक्ता । और फिर तुझे उनके पास जाकर मेरे रिझल्ट देखने के बाद के उनके बिगडे हुए चहेरे देखने का मझा भी तो आया होगा ना... बिंदास जीज्ञाने अपना नास्ता करते हुए कहा । 

          हा वो तो है । दोनो के चहेरे मरी हुइ गिलहरी जेसे हो गये थे...  आशीष और समताबेन की बात करते हुए प्रेमीलाबेनने कहा। 

         दोनो के चहेरे कि बात करने के बाद प्रेमीलाबेन और जीज्ञा दोनो हसने लगते हैं ।

         लेकिन सुबह सुबह तुने मुझे इतना दोडाकर अच्छा नहीं किया... प्रेमीलाबेनने एक निवाला अपनी बेटी जीज्ञा के मु मे रखते हुए कहा। 

         मेने आप से कहा था मम्मा की यह अब बिगड़ गई है । अपनी फ्रेन्ड को चोकलेट देती है पर मुझे कभी नहीं देती... नन्हें भाइने जीज्ञाकी खीचाई करते हुए कहा ।

         बे चुप रे नास्ता कर शांति से । मम्मा मे पुर्वी के साथ बहार गार्डन जा रही हु । मुझे आज नई कहानी लीखनी है... जीज्ञाने अपनी मम्मी से कहा ।

         हा पर दो मिनट तो खुश हो जा अपने परिणाम को लेकर... जीज्ञासे प्रेमीलाबेन ने कहा ।

         इस मे खुश क्या होना मुझे मालुम ही था कि इतने प्रतिशत आने हि वाले है । खुश तो तब होउगी जब मेरी कहानी पर या तो बुक छपे या तो फिल्म बने ... जीज्ञाने नास्ता करने के बाद अपनी बुके लेकर बेग में रखते हुए अपने सपने की बात को फिर से अपनी मा के सामने रखते हुए कहा। 

         बेटा तुझे कितनी बार समझाया तु यह सब छोड दे । अगर तेरे पापा को पता चल गया की तुने फिरसे लिखना शुरु कर दीया है तो वो फिर से तेरे पे महाभारत करेंगे... प्रेमीलाबेनने जीज्ञा को समझाते हुए कहा। 

         जीज्ञा के पापा गीरधनभाई लडकी के यह सब काम करने से बिलकुल खिलाफ थे। वो आज भी पुराने रीतरीवाजो में मानते थे। जीज्ञाके जीवन में एक ही सपना था और वो था या तो अपनी कहानी पर फिल्म बनाना या तो फिर बुक छापना । मतलब एक विख्यात लेखक बनना और अपने पापा को गलत साबित करना कि लडकिया सबकुछ कर शक्ति है। और इस बात को लेकर जीज्ञा के पिता इसके शख्त खिलाफ थे और वो बार बार जीज्ञाको एक ही धमकी देते थे कि या तो वोह जो बोले वो पढे या तो फिर शादी करले । अब जीज्ञा जानती थी की अगर उसने अपने पापा के ढुंडे हुए लडके से शादी करली तो उसकी जींदगी बरबाद होनी ही है। इसीलिए वो अपने पापा की दुसरी बात मानती और उसके पापा जेसे कहते जो भी कहते वोह पढने को तैयार हो जाती। और पापा नझरो के पीछे अपना लीखने का काम करती । अब जीज्ञा १२ पास हो चुकी थी। आगे क्या होनेवाला था वो सिर्फ गीरधनभाई ही जानते थे। 

         महाभारत से ज्यादा वो कर भी क्या सक्ते हैं। अब उनको बोल दो आगे मुझे इसी बारे मे पढना है। बाय शाम को मीलुंगी दोपहर को मे मामा के वहा खा लुंगी... इतना बोलकर जीज्ञा घर के बहार चली जाती है । 

        हे भगवान जीज्ञा के पापा कब जीज्ञा के सपनो को समझेंगे... प्रेमीलाबेनने भगवान को प्राथना करते हुए कहा। 

        जीज्ञा बहार जाते हुए चंपाबा को मीलकर अपना परिणाम बताते हुए जाती है। जीज्ञाभी चंपाबा को उतना ही प्यार करती थी जीतना चंपाबा उससे करते थे ।

        तो यह थी हमारी जीज्ञा । एक दम बिन्दास, होशियार और अपनी मम्मी कि लाडली। पर यह अपने पिता के सामने इतनी बिंदास नही थी। अपने पिता के सामने जीज्ञा का क्या हाल होता था वो आपको अगले अंक में जरुर पता चलेगा जब जीज्ञा और उसके पिता के बिच अपने सपनो को लेकर घमासान होगी। आगे जीज्ञा और रुहान जो अभी कहानी मे नही आया है  दोनो की लाईफ बहुत ही मजेदार और संघर्षमय होने वाली है । दोनो की दोस्ती और फिर प्यार केसे हुआ । और उसके बाद एसा क्या हुआ कि आज रुहान बरोडा की गलीओ मे किसी का मार खाके पडा हुआ है और इस तरफ जीज्ञा कि सगाई हो रही है । तो आगे क्या होगा वह जानने के लिए पढीए दो पागल का अगला अंक इसी ब्लोग पर। अगर आपको यह नवलकथा अच्छी लगे तो इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेर जरुर करे। 

TO BE CONTINUED NEXT PART

|| जय श्री कृष्ण ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY