यूँ ही राह चलते चलते
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आज का लक्ष्य वेनिस था, वही वेनिस जिसे शेक्सपियर के बहुचर्चित उपन्यास ’मर्चेन्ट आफ वेनिस‘ ने लोकप्रिय बना दिया था। पानी पर बसा यह शहर दुनिया का अनोखा और एकमात्र शहर था । सुमित के साथ सब फ्लोरेंस से पियाजेल रोमा पहुँचे और वहाँ से वैपोरेट अर्थात छोटे पानी के जहाज पर बैठ कर ग्रैंड कैनाल आफ वेनिस के रास्ते से पानी पर बसे शहर वेनिस की ओर चले । संजना बोली ’’ये लोग भी अजीब हैं धरती छोड़ कर पानी पर बसना कुछ समझ नहीं आया।‘‘
सुमित ने बताया ’’ बिना बात के या मात्र शौक में ये पानी पर नहीं बस गये, यहाँ की मिटटी ऐसी नहीं है कि उस पर मकान बनाया जा सके । इसीलिये विवशता में पानी में लकड़ी के बड़े बड़े लठ्ठे डाल कर उस पर तैरते हुये मकान बनाये जाते हैं । ‘‘
निमिषा बोली ’’क्या सुमित हर समय क्लास लगाये रखते हो अरे हम यहाँ घूमने आये हैं कि हिस्ट्री ज्याग्रफी पढ़ने।‘‘
तभी मेहता ने कहा ’’चलो अंत्याक्षरी खेलते हैं‘‘।
निमिषा उत्साह से बोली ’’हाँ ये बढ़िया आइडिया है।‘‘
अर्चिता ने कहा ’’चलो शुरु हो जाओ समय बिताने के लिये करना है कुछ काम शुरु करो अंत्याक्षरी ले कर हरी का नाम ।‘‘
वान्या को ये आइडिया कुछ भाया नहीं, वह गा नहीं पाती थी इसीलिये वो बोली ’’अरे हम लोग यहाँ वेनिस देखने आये हैं अंताक्षरी ही खेलना था तो इतने पैसे खर्च करके वेनिस आने की क्या जरूरत थी। ‘‘
अर्चिता अच्छा गाती थी और यशील को प्रभावित करने कोई अवसर खोना नहीं चाहती थी । वह बोली ’’अरे वेनिस तो देखेंगे ही पर रास्ते में एन्जायमेन्ट भी तो घूमने का ही हिस्सा है, तुम मत खेलो‘‘ फिर यशील से बोली ’’कम आन यशील हम लोग खेलते है तुम मेरी टीम में रहना । ‘‘
यशील ने अर्चिता से दृष्टि बचा कर वान्या को देख कर कंधे उचका कर विवषता जतायी मानों वह चाहता तो नहीं पर अर्चिता के आग्रह पर शिष्टाचार वश खेल रहा है। वह अर्चिता के पास आ कर बैठ गया और अर्चिता से सिर झुका कर बोला ’’ओ के मी लार्ड आपका आर्डर सिर आँखों पर। ‘‘
उसकी इस अदा पर अर्चिता हँस पड़ी, वह दूसरी टीम से बोली ’’ चलो तुम लोग ‘म’ से गाओ । ‘‘
निमिषा ने गाया ’’ मेरी जिंदगी में आते तो कुछ और बात होती ........‘‘
अर्चिता ने यशील को देखते हुये गाया ’’तेरी मेरी मेरी तेरी प्रेम कहानी है मुश्किल........
निमिषा ने गाया’’ले गई ले गई ......
अर्चिता ने गाना शुरु किया ‘‘इतना न मुझसे तू प्यार जता .....‘‘तभी अर्चिता की टीम की आशा मेहता बोल पड़ी ये तो लगता है कि अंत्याक्षरी केवल अर्चिता और निमिषा की हो रही है, कायदे से बारी-बारी से सबको गाना चाहिये, हाँ वो न गा पाये तब उसकी टीम वाले हेल्प कर दें।‘‘
सभी ने इस बात का समर्थन किया।अंत्याक्षरी पूरे जोर-शोर से चल रही थी क्या बड़े क्या छोटे सभी अपनी आयु भूल कर बराबर से खेल रहे थे दूसरी टीम के कहीं पर रुक जाने पर गिनती प्रारम्भ करने में रामचन्द्रन सबसे आगे थे।
अब जब अर्चिता की टीम की बारी आयी तो निमिषा ने बात पकड़ ली और बोली ’’ सब गा चुके हैं सिवाय यषील के, इस बार यशील को गाना है। ‘‘
उन्हे ‘इ’ से गाना था, वह सोच रहा था’’ इ......ई....... ।‘‘ निमिषा ने गिनना शुरु कर दिया ’’वन........ टू ...................... थ्री.............‘‘
चंदन बोला ’’अरे रुको भाई कुछ टाइम तो दो। ‘‘
तभी यशील बोला हाँ रुको मैं गाता हूँ ’’इंसा्फ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के ............................‘‘।
’’क्या यार गाया भी तो बच्चों वाला गाना अरे मौका था दिल की बात कहने का कोई रोमांटिक गाना गाते‘‘ चंदन ने उसका मजाक बनाते हुये कहा।
’’अरे तो तुम याद दिलाते न ‘‘‘‘ यशील ने चंदन पर नाराज होते हुए कहा।
इधर अंत्याक्षरी चल रही है उधर श्रीमती लता मातोंडकर श्री मातोंडकर से कह रही थी ’’तुम ने देखा अर्चिता कैसे यशील के करीब जाने की कोशिश कर रही है । ’’
’’तो करने दो कोशिश तुम क्यों परेशान हो रही हो।‘‘
’’अरे तुम तो कुछ समझते ही नहीं श्रीमती चंद्रा तक हर समय यशील के पीछे लगी रहती हैं पर तुम्हे तो दुनिया की किसी बात से मतलब ही नहीं है। यशील कितना हैंडसम है ओैर जाब भी बहुत अच्छा है।‘‘
’’ तो ‘‘?श्री मातोंडकर ने कुछ न समझते हुए कहा।
’’ मैं तो कहती हूँ ऐसा लड़का ढूँढने से भी नहीं मिलेगा औेर सबसे बड़ी बात है कि अपनी वान्या भी उसको पसंद करती है ।‘‘
’’मतलब ?‘‘
’’मतलब क्या हम लोग उसकी और वान्या की मैरिज के बारे में सोच सकते हैं। ‘‘
’’हम उससे क्यों करें अपनी लड़की की शादी, हम अपने महाराष्ट्रियन समाज में करेंगे।‘‘
’’इतना अच्छा लड़का आसानी से नहीं मिलने वाला फिर सबसे बड़ी बात है कि वो जन्म से मुंबई में रहा है तो उसका कल्चर भी हमारा जैसा ही होगा न, हमारे समाज वाले तो कितने ट्रेडिशनल होते हैं ।‘‘
’’तुम्हारा मतलब है हमारे समाज में अच्छे लड़के नहीं होते ‘‘ मिस्टर मातोंडकर ने तैश में आते हुए कहा।
’’अरे मेरा ये मतलब नहीं है पर मेरे सामने इतना अच्छा लड़का कोई ले जाये और मेरी बेटी देखती रहे ये हमे बर्दाश्त नहीं ‘‘लता जी बोलीं।
’’तुम लेडीस की यही प्राब्लम है, दूसरे को देख कर बिना सोचे नकल करने लगती हो ।कोई कुछ करे हम अपनी बेटी अपने महाराष्ट्रियन में ही देंगे‘‘ मिस्टर मातोंडकर ने निर्णय सुनाते हुए कहा।
’’चाहे ढूँढते ढूँढते उम्र निकल जाये‘‘ मिसेस मातोंडकर ने मुँह बना कर कहा और नाराज हो कर वहाँ से चली गयीं ।
श्रीमती मातोंडकर जहाज के एक किनारे खड़ी हो कर पानी की उठती गिरती लहरों को देखने लगीं । श्रीमती श्रीनाथ उनके पास आ कर बोलीं ’’ क्या बात है लता तेरा मूड कुछ आफ लग रहा है ।‘‘
‘‘अब तुमसे क्या छिपाएँ तुम तो मेरी ताई आई मीन सिस्टर जैसी हो गई हो मैं वान्या के लिये दुखी हूँ।‘‘
’’क्या हुआ वान्या को? ‘‘
’’ मुझे पता है वान्या को यशील पसंद है, सच तो यह है कि वह मुझे भी पसंद है मुंबई का है अच्छा जाब है ‘‘ लता ने अपने मन की बात कही।
’’ हाँ है तो अच्छा, तो प्राब्लम क्या है क्या उसे वान्या पसंद नहीं?‘‘
’’नहीं वो तो वान्या से खूब फ्रेंडली है पर तुमने देखा नहीं वो नार्थ की अर्चिता हर समय उसके आगे पीछे घूमती रहती है तुम तो जानती हो ये नार्थ के लोग कितने चालू होते हैं ‘‘लता ने मन की भड़ास निकाली।
’’हाँ पर यशील को कौन पसंद है‘‘ मिसेज श्रीनाथ ने पूछा।
’’अरे वो बेचारा क्या करे कर्टसी में बोल लेता है, कोई पीछे पड़ जाये तो लड़का क्या करेगा । ‘‘
’’आप तो जानती हैं हमारी वान्या तो बस पढ़ने लिखने में है, मन ही मन उसे चाहती है पर उस नार्थ इंडियन की तरह तेज नहीं है न‘‘ लता बोलीं ।
तब तक मीना और विनीत श्रेष्ठ भी आ गये जब उनको बात पता चली तो मीना तो जोश में आ गई ’’अरे कोई मजाक है कि आपणों मुंबईच मुला कोई और ले जाये आप देख लेना हम उसकी और वान्या की शादी कराएंगे ।‘‘
कुछ दूर खड़ी अनुभा उनका वार्तालाप सुन रही थी, दक्षिण के लोगों को एकजुट होते देख कर, उत्तर भारत की होने के कारण अन्जाने ही उसकी सहानुभूति अर्चिता से हो गयी थी। उसका मन हुआ कि उन लोगों से पूछे कि आप लोगों में से किसी ने ये भी जाना है कि यशील भी ऐसा कुछ सोच रहा है कि आप लोगों ने अपने मन से ही खयाली पुलाव पका लिये पर बिना बात दाल भात में मूसरचन्द बनने का विचार उसे उचित नहीं लगा।
उनका जहाज वेनिस पहुँचने वाला था । सन्त मारिया चर्च, सन्त मार्कस चर्च, गोल्डेन ग्लोब रास्ते में दूर से ही दिखाई देने लगे।
जब वो लोग वेनिस की धरती पर पहुँचे तो अलग सी दुनिया थी वहाँ की। रोमन स्थापत्य कला का अदभुत नमूना था वेनिस, जहाँ एक ओर बीच में धरती थी जिस पर पैदल घूम सकते थे तो दूसरी ओर गलियों की जगह पानी के कैनाल थे जिसमें नावें चलती थीं और कहीं जाना हो या सामान ले जाना हो तो नावों का प्रयोग करते थे । सैर करने के लिये एक ओर आधुनिक मोटर बोट थीं तो दूसरी ओर पारम्परिक नावें थी जिन्हे गोंडोला कहते हैं और जिसमें नाविक खड़े हो कर अपना लोक गीत गाते हुये नाव चलाते हैं ।
’’याद है अनु इसका रेप्लिका मलेशिया में जेन्टिंग में रखा हैं‘‘ रजत ने अनुभा से कहा। आज असली गोंडोला देख कर रजत को फिल्म ‘द ग्रेट गैम्बलर’ में ’दो लफजो की है दिल की कहानी ........... गीत गाते हुये अमिताभ और जीनत अमान याद आ गये और स्वयं गोंडोला की सैर करके कुछ देर के लिये उनका भी वो गाना गुनगुनाने का मन हो गया ।
अनुभा बोली ’’चलो हम लोग भी गोडोला पर चलें‘‘।
रजत बोले ’’ पता है गोंडोला का टिकट ढाई हजार रु0 प्रति व्यक्ति है‘‘।
’’कितनी देर के लिये ?‘‘
’’लगभग आधे घंटे के लिये ‘‘
अनुभा निराश हो कर बोली ’’फिर तो रहने ही दो, ढाई हजार में आधे घंटे की बोटिंग ‘‘।
निमिषा बोली ’’आंटी ये लोग टूरिस्ट को लूटते हैं ।‘‘
रजत ने कहा ’’अरे भाई वो सब ठीक है पर जिंदगी में ऐसा मौका फिर नहीं मिलने वाला ।‘‘
ऋषभ बोला’’ अंकल बिल्कुल ठीक बोल रहा है।‘‘
अंततः सब लोगों ने गोंडोला में जाना तय कर लिया । सभी लोगों को इतना महँगा टिकट लेना अखर रहा था पर एक दूसरे को देख कर अधिकांश लोगों ने गोंडोला की सैर के पक्ष में ही निर्णय लिया।टिकट ले कर सब एक पंक्ति में खड़े हो गये। एक गोंडोला में छः लोग ही बैठ सकते थे ।
एक गोंडोला में श्री एवं श्रीमती चन्द्रा अर्चिता बैठे फिर मान्या महिम और, यशील बैठे।, चंदन बैठने को बढ़ा तो गोंडोला वाले ने कहा ’’ यू कम इन नेक्स्ट‘‘ ।
चंदन के पीछे खड़ी वान्या व्यग्र हो गई, उसने कहा ’’अरे यशील तुम्हारा फ्रेंड रह गया तो तुम भी नैक्स्ट गोंडोला में जाना। ‘‘
जब तक यशील उतरने की सोचता, गोंडोला चल पड़ा ।
निमिषा ने संजना को देख कर मुस्करा कर आँख मार दी । अगले गोंडोला में संजना ऋषभ, निमिषा, सचिन, अनुभा और रजत बैठे। इन लोगों की साथ बैठने की खींचातानी हर बार का नियम सा बन गयी थी।
गोंडोला में नाविक अपना लोक गीत गा रहा था उसका मतलब भले ही समझ न आ रहा हो पर संगीत वातावरण को मादक अवश्य बना रहा था ।
लोग ग्रैंड कैनाल और माइनर कैनाल में घूम रहे थे चारों ओर तैरते हुये घर थे। संजना बोली ‘‘यहाँ सीन तो इतना अच्छा है पर बैड स्मेल सारा मजा खराब कर रहा है।‘‘
गोंडोला से लौट कर संजना ऋषभ निमिषा, सचिन रजत और अनुभा आगे बढ़े। वहाँ सैन मार्को स्कवेअर, रायल्टो ब्रिज, बैसिलिसा बाइजैनटीन हैरिटेज, सन्त मार्कस, सन्त मारिया फारमोसा, ड्यूक पैलेस आदि चर्च एवं स्मारक थे जो यूरोपीय वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण थे। ड्यूकल पैलेस में दो खम्भे और भूरे रंग के आर्च थे । बांये खम्भे पर घड़ियाल बना था जो वहाँ पर शुभ माना जाता है और दाहिने खम्भे पर पंखों वाला शेर बना था जो रक्षा का प्रतीक है यह 10-11 शताब्दी में निर्मित था । अनुभा ने कहा ’’ इन देशों में प्राचीन काल में भी कला कितनी विकसित थी।‘‘
’’ जब मैं यह कहता हूँ तो तुम मानती नहीं ‘‘ रजत कहने से न चूके।
फिर सुमित सबको मुरानों ले गये जहाँ शीशे के सामान बनाने की फैक्टरी थी । एक कार्मिक ने सबको काँच का घोड़ा बना कर दिखाया । कुछ ही मिनट में अपने सधे हाथों से आग में पिघलते काँच से उसने इतना सुन्दर घोडा़ बना दिया कि सभी उसकी सिद्धहस्तता के कायल हो गये । फिर उनका गाइड काँच के बने हुई कलाकृतियों के शोरूम में ले गया । वहाँ रखी काँच की कलाकृतियों एवं आभूषण देख कर सबकी आँखें चैांधिया गई। सभी स्त्रियों में काँच जड़े आभूषण लेने की होड़ में लग गयीं संजना ने काँच का बना गोंडोला का माडल लिया ।
सचिन ने एक पुष्पदान लिया । अनुभा ने देखा यशील एक काँच का बना अति सुन्दर हृदय के आकार का शोपीज ले रहा था । मन तो हुआ पूछे कि यह अर्चिता के लिये है कि वान्या के लिये पर अपनी आयु की गरिमा का ध्यान रख कर चुप रह गई । यशील भी अनुभा को अपनी ओर देखता पा कर कुछ असहज हो गया और अपनी झेंप मिटाने के लिये बोला ’’आंटी इट्स वेरी ब्यूटीफुल शोपीज। ‘‘
अनुभा ने मुस्करा कर कहा ’’ इट्स ट्रू ।‘‘
’’मैने सोचा अच्छा मोमेंटो है ले लूँ।‘‘
’’हाँ हाँ श्योर यू शुड ‘‘ कह कर अनुभा आगे बढ़ गई।
क्रमशः---------
अलका प्रमोद
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