Cyber Crime - 4 in Hindi Crime Stories by r k lal books and stories PDF | साइबर क्राइम - 4

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साइबर क्राइम - 4

साइबर क्राइम – भाग चार

आर० के ० लाल

उस सेंटर पर कुछ लड़कियां आसान तरीके से लोन दिलाने के लिए लोगों के मोबाइल नंबर एकत्रित करके बात करती हैं। जो फंस जाते हैं उनसे प्रोसेसिंग फीस के नाम पर पैसे की मांग करते हैं। लोग दे भी देते हैं और बाद में पछताते हैं। । मुझे लगा कि शायद आगे चल कर मुझे भी यही सब करना होगा।

जल्दी ही मैं इन सब में माहिर हो गया था । मेरी कमाई भी बढ़ गयी थी मगर मेरी आत्मा कभी यह सब करने को ठीक नहीं कहती । मैं कहीं न कहीं अपनी आत्मा को मार रहा था। उस रात अचानक नींद उचट गई थी। मुझे न जाने क्यों लग रहा था कि इस तरह से किसी को बेवकूफ बनाकर पैसा वसूलना तो एक तरह का जुर्म है। न जाने साइबर कैफे की आड़ में कितने तरीके के क्राइम यहां हो रहे होंगे? सोचा कि तभी तो यहां का माहौल तड़क-भड़क वाला है और काम करने के बदले मोटी रकम देने का आश्वासन दिया जाता है। मुझे यह भी विचार आया कि किसी गलत काम में एक बार फंस जाने के बाद बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है । अगर गलत काम में रहूँगा तो मेरा पूरा केरियर ही बेकार हो जाएगा। मुझे बहुत डर लग रहा था मगर मेरे मन मस्तिष्क पर मैडम और पैसे का भूत चढ़ चुका था। फिर ख्याल आया कि किसी को कैसे पता चलेगा कि यह सब मैं कर रहा हूँ। कंपनी मेरी नहीं है और बैंक अकाउंट भी मेरा नहीं है। जब मन होगा छोड़ कर चला जाऊंगा। अभी तो मौज कर लूँ । सोचा कि मैडम तो हैं ही । वो किसी को बताएँगी ही नहीं। उनको भी तो खतरा होगा। उन्होंने तो मुझे पैसे और लड़की दोनों की व्यवस्था करने का वादा किया है। यह सोच कर मैंने तरह तरह के साइबर क्राइम में अपनी पढ़ाई का सारा ज्ञान लगाने लगा। मैडम मेरी तारीफ भी करती इसलिए तो रात दिन उनकी आज्ञा का पालन करता रहता । उन्हीं के घर काम करता, खाता पीता और कभी कभी वहीं रुक भी जाता।

मैं सोचता रहता कि आज लोग सोशल मीडिया के माध्यम से ही दुनिया की सभी जानकारियां और जरूरत की हर चीजें प्राप्त करते हैं। इसका फायदा भी साइबर क्रिमनल उठाते हैं। पहले फेक न्यूज़ बनाए जाते हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर किए जाते हैं फिर लोगों से ठगी की जाती है। वे इन्हीं सोशल मीडिया से सब कुछ जान लेते हैं। लिंकेड इन पर सब व्यक्तिगत सूचनाएँ भी वे एकत्रित करते रहते हैं।

मुझे कई घटनाएँ याद आती रही जैसे कि कल ही न्यूज पेपर में छपा था कि किस तरह आजकल साइबर क्राइम किए जाते हैं। पहले फेसबुक पर किसी लड़की के नाम से जान पहचान बनाई जाती है और फिर वह लड़की उसे अपने झांसे में फंसा लेती है और किसी न किसी बहाने से उससे लाखों रुपए ऐंठ लेती है। इसी प्रकार अच्छी-अच्छी डिजाइन वाले फैशन वाले कपड़े, चद्दर,पर्दे आदि को उत्कृष्ट विज्ञापनों के माध्यम से दिखाया जाता है परंतु जब सामान देने की बारी आती है तो रद्दी सामान भेज दिया जाता है। पूरे पैसे देकर लोग कोरियर वाले से अपने ऑर्डर का सामान लेते हैं। पैकेट खोलने पर रद्दी सामान मिलता है। जब लोग के सामान खराब होने के एवज में उन कंपनियों से संपर्क करना चाहते हैं तो कोई फोन उठता ही नहीं।

बैंक के लिए सर्च इंजन पर सबसे ऊपर एक अतिरिक्त नंबर डाल कर कमाल कर देते हैं। मेरा एक दोस्त एक दिन एक एटीएम बूथ में गया उससे कार्ड लगा कर पैसे निकालने के लिए पिन डाला लेकिन मशीन खड़ाखड़ा करके रह गई और कोई पैसा नहीं निकला। उसने अपने मोबाइल पर उस बैंक के कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया और फोन मिलाया तो वहां से एक महिला की आवाज आई, “ नमस्कार, मैं बैंक के कस्टमर केयर से बोल रही हूं। आपकी क्या सहायता कर सकती हूं? मेरे दोस्त ने सब बताया। उसने कहा असुविधा के लिए क्षमा चाहती हूं । इस तरह की कंप्लेंट आजकल कई कस्टमर कर रहे हैं। इस समय हमारा अकाउंट अपडेट हो रहा है इसलिए वेरिफिकेशन के लिए क्या आप अपना कार्ड नंबर, नाम और डेट ऑफ बर्थ बताएंगे ? मेरे दोस्त ने उसे सारा डिटेल दे दिया तो उस महिला ने कहा कि हमारे बैंक ने एक रिमोट टेस्ट एप्प बनाया है जिसे आप को डाउनलोड करना पड़ेगा। आपको एक कोड भेजा जाएगा उसे अगर आप बता देंगे तो 4 घंटे में आपके पैसे आपके अकाउंट में वापस आ जाएंगे। मेरे दोस्त ने वैसा ही किया लेकिन कुछ ही देर में उसके अकाउंट से लाखों रुपए निकल गए। उसने तुरंत पुलिस को कंप्लेंट किया और बैंक से भी तुरंत कार्रवाई करने को कहा। बड़ी मुश्किल से अपराधी पकड़ा गया और मेरे दोस्त का पैसा बच गया। अगर थोड़ी देर हो जाती तो उसे कुछ न मिलता।

अभी खबर छपी थी कि फर्जी हस्ताक्षर और अकाउंट से किसी सरकारी विभाग का टेंडर निकाला गया था। साथ ही ठेका दिलवाने का सिस्टम भी समझाया गया था। उसके बदले में लोगों से मोटी रकम मांगी गई। लोगों ने पैसे दे भी दिए। बाद में पता चलता है कि सब कुछ फर्जी था। यह सब सोचते-सोचते मुझे अपने बारे में फिर चिंता होने लगी कि मैं गलत राह पर चल रहा हूं।

मेरी आत्मा ने कहा अभी भी समय है, निकाल जाओ इससे। मैंने कुछ करने का मन बना लिया। साथ ही ऐसे लोगों को सजा दिलाने की सोची जो इस गलत काम में लिप्त हैं। इसके लिए मुझे सब कुछ जानना था। मैं जानना चाहता था यहां किस तरह के क्राइम किए जाते हैं। मेरे मन में उनके बारे में पता करने का ख्याल बार-बार आ रहा था। मुझे मैडम का भी ख्याल आ रहा था। उन्हें भी तो किसी केई सहारे की जरूरत होगी। मैं उससे प्यार जो करने लगा था। मैं अकेले नहीं जाऊंगा। मैं मैडम को भी वहां से अपने साथ ले जाना चाहता था। सोचा कि इस स्टेज पर यदि किसी पुलिस वालों की मदद लेता हूं तो मामला बिगड़ जाएगा क्योंकि मेरे पास कोई सबूत नहीं था और मेरी मार्क शीट एवं सर्टिफिकट भी तो उनके पास जमा हैं । इसलिए मैंने सोचा कि कुछ दिन तक काम करता रहूं और मैडम को ही इमोशनली ब्लैकमेल करूं ताकि सही बातों का पता चल सके।

दूसरे दिन अवकाश था इसलिए सुबह ही मैंने मैडम को फोन किया और अपने घर बुला लिया। उस दिन मैं उनसे खुलकर बात करने वाला था। मैंने उनसे कहा कि आज हम लोग डेटिंग पर रह कर खूब इंजॉय करें। थोड़ी ना-नुकुर करने के बाद मैडम तैयार हो गईं। वह मेरी पहली डेटिंग थी। पूरे दिन मौज मस्ती का प्रोग्राम बनाया था। बातों बातों में मैंने उससे पूछा कि तुम इस चक्कर में कैसे पड़ गई हो? मुझे तो लगता है कि तुम लोग उस कंपनी में गलत काम कर रहे हो। इसका नतीजा गलत हो सकता है। अगर पुलिस को पता चल गया तो जेल भी जाना पड़ सकता है। फिर उन्हें डराया कि मुझे पता चला है आप लोग बहुत तरह से क्राइम का काम करते हो। सारा बिज़नस आप के ही द्वारा और आपके गाइडेंस में चल रहा है। व्यक्तिगत डाटा के साथ ही साथ प्राइवेट कंपनियों के डाटा हैक करके लाखों की फिरौती मांगने का कार्यक्रम भी किया जा रहा है। इसमें केवल आप ही फंसोगी। फिर मैंने उनसे कहा कि मैडम आप मुझे भी इस गलत काम में क्यों फंसा रही है? आप तो एक अच्छे घर की लगती हैं फिर क्यों इस तरह का काम पर स्वयं करती हैं और दूसरों से करवाती हैं। मुझे समझाइए। आपकी क्या मजबूरी है? मैंने स्पष्टत: उनसे पूछा कि आपको क्या ब्लैकमेल किया जा रहा है? मुझे बताइये मैं आपकी मदद करने का वादा करता हूँ।

क्रमशः