Let them decide learning Flying Kiss in Hindi Moral Stories by Meenakshi Dikshit books and stories PDF | “फ्लाइंग किस” सीखना उन पर छोड़ दीजिए

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“फ्लाइंग किस” सीखना उन पर छोड़ दीजिए

कोरोना काल है I लॉकडाउन के चलते सभी श्रेणियों के कार्यालयों के साथ साथ विद्यालय भी ऑनलाइन होने का प्रयास कर रहे हैं I लोग घरों में हैं I परिवार और बच्चों के साथ समय बिता रहे हैं I सोशल मीडिया पर समय बढ़ गया है I व्हाट्स एप जैसी जगहों पर खूब धमाचौकड़ी मची रहती है I परिवारों के समूह हैं I मित्रों के समूह हैं I सहकर्मियों समूह हैं I जहाँ –जहाँ भी चर्चा की सम्भावना है सभी जगह समूह हैं I ये समूह झाड़ू- पोछा –बर्तन और भोजन बनाने से लेकर सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, आध्यात्मिक जैसे क्लिष्ट विषयों के भी ज्ञान का अथाह भंडार बने हुए हैं.

ऐसे ही एक व्हाट्स एप समूह में एक दिन समाचार पत्र में प्रकाशित एक घटना (या दुर्घटना) को लेकर पूरे दिन चर्चा होती रही I कक्षा 6 के छात्र ने ऑनलाइन अध्ययन के लिए व्हाट्स एप समूह बनाने वाली अध्यापिका को “सेक्स चैट” के लिए आमंत्रित किया. ये समाचार एक अंग्रेजी दैनिक के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ था I ऐसा लग रहा था कि समूह जन आक्रोशित और उदास हैं I ऐसा लगा कि वो नहीं चाहते कि समाज में इस तरह की घटनाएँ हों I अध्यापिका को ऐसा निमंत्रण, वो भी कक्षा 6 के अबोध छत्र द्वारा I इससे पहले समूह में “बॉयज लाकर रूम” पर भी पर्याप्त चर्चा हुयी थी I कुल मिलाकर परिणाम ये कि, समूह सामाजिक रूप से अत्यंत जागरूक समूह है और सामाजिक मान्यताओं के बिखरने पर चिंतित होता है I

मानव मन के क्रोध, रोष, दुःख, चिंता, उदासी सभी की एक आयु होती है I व्हाट्स एप समूह भी मानव समूह हैं अतः उनमें भी क्रोध, रोष, दुःख, चिंता, उदासी सभी की एक आयु होती है I एक –दो दिनों चिंता व्यक्त करने के पश्चात समूह इस विषय से ऊब गया I कुछ नया चाहिए I

एक सदस्य ने मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए एक छोटी बच्ची का “डांस वीडियो” पोस्ट किया I निस्संदेह वो “डांस स्टेप्स” उस नन्ही बच्ची के लिए नहीं थे I उसे तो पता भी नहीं होगा जो वो कर रही है उसके मायने क्या हैं? उसे संभतः किसी “रियलिटी शो” के लिए तैयार किया जा रहा था I समूह के सदस्य, “वाओ, व्हाट ए फ्लेक्सिबिलिटी”, “सुपर्ब” , “माय शोना” जैसी टिप्पणियां करते हुए बच्ची और परिवार को प्रोत्साहन दे रहे थे I समूह में आज आनंद का वातावरण था I सदस्य पिछले दिन का रोष भूल चुके थे I

अब बच्चों के वीडियो पोस्ट होने लगे I आज इसी का दिन था I शाम ढलते ढलते एक सदस्य ने जिनके परिवार का बच्चा संभवतः सबसे छोटा रहा होगा और अभी नृत्य नहीं कर पा रहा होगा समूह को जीतने का मन बनाया I बच्चे को “फ्लाइंग किस” करना सिखाया और फिर पूरी अदा से “फ्लाइंग किस” करते हुए बच्चे का वीडियो पोस्ट कर दिन अपने नाम कर लिया I उनका ह्रदय अपरिमित आनंद से सराबोर था, वो समूह के सदस्यों को धन्यवाद देते थक नहीं रहे थे I

ये सारे समाज के वो लोग हैं जो हर सामाजिक समस्या को समझने पर विशिष्ट योग्यता और विचार रखते हैं किन्तु ये नहीं जानते कि समस्या का उद्गम कब और कहाँ होता है? इनको ये भी नहीं पता कि समस्याओं के जन्म में इनका कितना योगदान है? इनको ये भी नहीं पता कि इनके छोटे छोटे प्रयास बड़ा बदलाव सकते हैं ? नहीं इन्हें मूढ़ या नासमझ कहकर इन्हें बचाने का प्रयास मत कीजियेगा I

यदि आपको यह दोहरा चरित्र समझ में आता है तो अपने बच्चे को, “प्रणाम” करना सिखाइए, यही आयु है उसकी I “फ्लाइंग किस” सीखना उस पर छोड़ दीजिए I आयु और समय आने पर वह स्वयं सीख लेगा I “फ्लाइंग किस” कोई संख्याओं या संस्कारों का अभ्यास नहीं है जो माता पिता या परिवार को सिखाना पड़े, आयु मूलक व्यवहार है I बढ़ते बच्चों को, यौनाकर्षण बढ़ाने वाली तथाकथित नृत्य मुद्राओं में उलझाकर उनका बचपन मत भ्रष्ट करिए I नृत्य ही सिखाना है तो भारतीय शस्त्रीय नृत्य सिखाइए Iबच्चों के साथ बैठकर, अश्लील द्विअर्थी संवादों वाले शोज़ देखकर ठहाके मत लगाइए, वो उन्हें बॉयज लाकर रूम की दिशा में ही ले जायेंगे उन्हें सुनाने, पढ़ाने और दिखाने के लिए देश में अमर कथाओं की कमी नहीं है I

यदि ऐसा नहीं कर सकते तो खुले मन से बॉयज लाकर रूम को स्वीकार कीजिये I