Juraat in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | जुर्रत

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जुर्रत

जुर्रत...!!

कामना हफ्ते भर से काम कर करके थक चुकी थी, जिसको देखो वहीं कामना को आवाज लगाता, कामना ये कर दें,कामना वो कर दे,ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर करते करते कामना दिनभर थक जातीं, ननद की शादी हैं, काम तो करने ही पड़ेगे, घर की बड़ी बहु जो हैं,देवरानी भी हैं कामना की लेकिन वह यह कहकर काम को टाल जाती हैं कि दीदी तो बडीं हैं, अठारह साल से इस घर की बहु हैं, उन्हें सब आता हैं, मैं तो नई नई हूं, मुझे कुछ नहीं पता,कामना के पति भी अपने मां बाप के आज्ञाकारी पुत्र हैं, वैसे उनका नाम भी श्रवन हैं, पत्नी के लिए कम अपने भाई,बहन,मां-बाप के लिए ज्यादा जीते हैं।।
कामना की ननद अंजलि भी जिसकी शादी हैं, वो भी कुछ कम नहीं हैं, हमेशा अपनी शान बघारती रहती हैं,शकल सूरत और कामधाम में कामना के आगें कुछ भी नही हैं लेकिन फिर भी बडी़ भाभी कामना को हमेशा झिड़कियां देती रहती है,छोटी भाभी से कुछ भी हिम्मत नही पड़ती उसकी कुछ भी कहने की क्योंकि उसका पति तुरंत अपनी पत्नी का पक्ष लेकर घरवालों को खरी खरी सुना देता हैं और एक कामना का पति श्रवन हैं जो कभी भी घर के किसी सदस्य को कुछ भी नहीं कहता इसलिए सब कामना का फायदा उठाते हैं।।
अंजलि की शादी ठीक से निपट गई, ज्यादातर मेहमान जा चुके हैं,कामना के मम्मी पापा और भाईं भी आए थे शादी में आज सब वापस जा रहें हैं कामना और उसके ससुराल वाले उनकें विदाई की तैयारी कर रहें हैं।।
अच्छा! कामना बिटिया तीन चार दिन के अंदर ही जाना,बहुत काम हैं शादी के,तेरे छोटे भाई की शादी हैं और फिर अभी तो बच्चों की भी छुट्टियां चल रहीं हैं,तेरे पास अभी समय भी हैं, कामना की मम्मी बोली।।
हां...हां..क्यों नहीं, यहां जैसे काम सम्भाला हैं, वहां भी काम सम्भाल लेगी, घर के कामों मे बहुत ही कुशल हैं आपकी बिटिया, कामना की सास बोली।।
हां.. हमने अपनी बिटिया को संस्कार ही ऐसे दिए हैं,समधिन जी!! हमनें आज तक जो कहा, इसने सारी बात मानी,जहाँ कहा वहां शादी कर ली,हमेशा समझाया कि ससुराल के सभी सदस्यों को समझना उनका ख्याल रखना,सबकी बात मानना,कामना की मां बोली।।
वहां सारे मेहमान और घर के सदस्य मौजूद थे,अब कामना से अपना इतना शोषण सहा नही जा रहा था,अचानक पता नहीं उसमें कहाँ से इतनी शक्ति आ गई, उसे लगा कि अगर आज चुप रही तो फिर कभी नहीं बोल पाएगी और कामना ने बोलना शुरू किया।।
आप तो मेरी सगी मां हैं ना! आपको जरा भी नहीं लगा कि मैं यहां इतने दिनों से लगातार बिना थके काम कर रहीं हूँ, फिर भी आप मुझे काम अपने घर में काम करने का न्यौता दे रहीं हैं, मेरे ससुराल वालों को तो मुझ पर जरा भी रहम नहीं आता लेकिन आप लोग भी,इनकी तो मैं बहु हूं लेकिन आपकी तो बेटी हूं ना!!
पिछली बार इसी देवर की शादी मे ऐड़ी मे फ्रैक्चर हो गया था,पैर में कितनी सूजन थी लेकिन किसी को ये नहीं हुआ कि डॉक्टर को दिखा दें,आप लोगों से क्या उम्मीद करूँ, जिसके साथ अठारह साल से रह रही हूं उसको तक ख्याल नहीं आया कि जरा देख लूं, मेरी पत्नी को क्या तकलीफ़ हैं,लंगडा़ लंगडाकर शादी के सारे काम किए,एक महीने बाद डॉक्टर के यहाँ जा पाई तब तक पैर की हालत बिगड़ चुकी थीं, पता है डॉक्टर ने कितना सुनाया था कि कैसे घरवाले हैं आपके,आज भी उस पैर मे दर्द हो जाता हैं ज्यादा काम करने पर।।
इनकी और भी तो एक बहु हैं उसको तो कोई कुछ भी नही कहता, क्योंकि उसका पति सदा उसकी ढ़ाल बनकर खड़ा रहता हैं, मजाल हैं जो छोटी बहु से ये लोग कोई काम करवा पाएं और इनकी बेटी !!इन्होंने कहा कि इनकी बेटी अंजलि इकलौती बेटी हैं, वो तो परी हैं इस घर की तो मैं क्या हूँ? इस घर की गोबर,कूड़ा करकट,मैं भी तो आप लोगों की इकलौती बेटी हूं लेकिन कभी आप लोगों ने मुझे इज्जत नहीं दी तो ससुराल वाले क्यो देने लगें।।
हिंदू धर्म में बेटी का ब्याह करके गंगा नहाने जाते है,शायद इसलिए कि घर का कूड़ा बाहर हो गया हैं, अभी तक अशुद्ध थे, कूड़े को बाहर कर दिया ,चलो गंगा नहा आते हैं, साथ में श्राद्ध भी हो जाता हैं हम बेटियों का।।
तभी कामना का छोटा भाईं बोल पड़ा, जिसकी शादी होने वाली हैं___
क्या दीदी? आप भी क्या लेकर बैंठ गई, ऐसे कौन से दु:ख हैं आपको, जो ऐसी बातें कर रहीं हैं।।
तभी कामना गुस्से से फिर उबल पडी़____
हां ! भाईं तू भी बोल ले,क्यों नहीं बोलेगा, तू !! तुझे हक़ हैं, तू लड़का जो ठहरा,तू ही टोका करता था मुझे, अकेले मत जाओ,दुपट्टा डालकर रखो,तुझे कैसे पता चलेगा,तूने तो हमेशा आजादी देखी हैं, बाप का ए टी एम कार्ड हैं तेरे पास और मां तो अभी तक अपने प्यारे बेटे को बनाकर खिलाती हैं, तुझे तो बाहर भी भेजा गया पढ़ने के लिए और एक मैं मेरी मेहनत से पाई सरकारी नौकरी भी छुड़वा दी ससुराल वालों ने।।
तभी कामना के पापा बोल पडे़___
ये आज कैसीं बातें कर रही हो,बिटिया!! आज तक तो तुमनें कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं किया।।
तभी कामना फिर बोल पडी़___
क्या करूँ पापा!! अठारह साल से बहुत थक चुकी थीँ, कंधे मे दर्द हो गया था,इतना बोझ सम्भालते सम्भालते, अगर आज जुर्रत नहीं करती तो खुद से आंखें नहीं मिला पाती,इतना कहकर कामना की आंखों से आंसू बह निकलें।।
तभी श्रवन,कामना के पास आकर बोला मुझे माफ कर दो, अब कभी भी ऐसा नही होगा।।

समाप्त___
सरोज वर्मा___