Adhuri Mannate - 3 in Hindi Fiction Stories by Iqbal Amrohi books and stories PDF | अधूरी मन्नते - 3

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अधूरी मन्नते - 3

अधूरी मन्नते भाग 3

लेकिन मन्नत शायद ये भूल रही है कि ,,एक रिषभ ही ऐसा बन्दा है इस घर मे जो हर नामुमकिन को मुमकिन कर सकता है,, ,, मन्नत अपना उदास चेहरा लेकर कपड़े धोने चली जाती है,,,तभी रिषभ वहां आता है,,और मन्नत को ऐसे उदास देख कर पूछता है,,," अरे क्या हुआ? तुम्हे तो कॉलिज जाना था,,,फिर यहां धोभी घाट खोलकर क्यों बैठ गई,,,,??? और तुम्हारे चेहरे पर 12 क्यों बजे है?? ,,,मन्नत ,,, इधर उधर देखती है फिर दबी आवाज़ में कहती है,," अरे ये सब तुम्हारी हिटलर मॉम का किया हुआ,,, उन्होंने ही फरमान जारी किया है जबतक सारे कपड़े नही धुल जाते मैं कहीँ नही जा सकती,,,, रजनी को पास आता देख मन्नत चुप हो जाती है,,,और रिषभ को हाथ से इशारा करते हुए कहती है,,पीछे से मॉम आ रही है,, रजनी पास आकर रिषभ को डांटते हुए कहती है" रिषभ तुम यहां क्या कर रहे ??? तुम्हे मेने मार्किट भेजा था,,,अभी तक गए नही घर का कुछ ज़रूरी समान लाना है जाओ लेकर आओ,,,रजनी मन्नत को घूर कर देखती है ,,पर बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है,,, रिषभ अभी भी वहीं खड़ा है,,,तभी वहां रश्मि आ जाती है,,, और मन्नत से कहती है," डी मैं आपकी कुछ हेल्प करू,,?? मन्नत उसे मुस्कुराकर कहती,,,है ,"thanks,, but,, मॉम ने देख लिया ना तो बेवजह ही डाट पड़ जाएगी,, ,,, ,उन्हें तो यही लगेगा कि मैं तुमसे ज़बरदस्ती काम करा रही हु,, , तभी रिषभ को एक idea आता है,,,रश्मि को देखते हुए कहता है," रश्मि तुम मन्नत की मद्दद करना चाहती हों ,,, रश्मि सर हिलाकर हा में जवाब देती है,,, उस पर रिषभ कहता है,,, " तो ठीक है,,, फिर तुम दोनों मेरी बात ध्यान से सुनो,, ,, मन्नत , रश्मि, रिषभ की बात ध्यान से सुनती है,,, " रश्मि तुम कद काठी में मन्नत जैसी दिखती हो कभी कभी तो पीछे से मुझे भी धोखा हो जाता है,,,,तो रश्मि तुम मन्नत के कपड़े पहनकर,, बाल ऐसे ही बना लेना जैसे मन्नत ने बनाये हुए है,,,,,और मशीन के पास खड़ी हो जाओ, तुम्हे कुछ ज़्यादा नही करना है,,, जो कपड़े, धुल जाए उन्हें ड्रायर में डालकर ड्राई(सुखाना) करना है,,,मन्नत तुम रेडी हो जाओ और पीछे वाले गेट से बाहर निकल जाना,, थोड़ी देर मॉम मंदिर जाने वाली है,,, उन्हें कुछ पता नही चलेगा,,
और अगर कुछ गड़बड़ होगी ,, तो मैं देख लूंगा,, ,,,, मन्नत और रश्मि दोनों को ही रिषभ का आईडिया, सही लगता है,,फिर मन्नत कुछ देर सोचने के बाद कहती है, " रिषभ तेरा आईडिया तो बढ़िया है,, लेकिन डेड का क्या? वो तो घर मे ही है,,, अगर डेड ने देख लिया तो और तुझे भी तो मार्किट जाना है,, ???
रिषभ मन्नत की बात सुनकर हस्ते हुए कहता है " मेरी प्यारी भोली बहनों तुम दोनों का दिमाग कितना चलता है,, देखो ऐसा कुछ,नही होगा,, इस टाइम डेड अपने रुम में ही रहते है,, वो बाहर नही आयेंगे, और मैं यहां से जब जाऊंगा जब सब काम निपट जाएगा,,, तो तुम टेनशेंन मत लो,, जल्दी से रेडी हो जाओ। देखों 09:30 बज रहे है,,, जल्दी करो,, " रश्मि मन्नत के कपड़े पहन लेती है,,,,और उसी के जैसा हेयर स्टाइल बना लेती,,, पीछे से देखने पर ऐसा ही लगता है जैसे मन्नत खड़ी है,,, मन्नत जाने को तैयार है,,,, रजनी,, मंदिर जाते जाते दूर से ही रश्मि को मन्नत समझकर क्योंकि पीछे से रश्मि का चेहरा नही दिख रहा है,,,कहती है" मन्नत मैं मंदिर जा रही हूँ ,, कपड़े बहुत ध्यान से धोना ,, सफेद कपड़े,, रंगीन कपडो में मत मिला देना,,, वरना सफेद कपडो पर धब्बे पड़ जायेंगे,,," इतना कहकर रजनी गेट से बाहर निकल जाती है,,, रजनी को जाता देख मन्नत गहरी सांस लेती है,,, ,,रिषभ को थैंक्स बोलकर ,, बाहर जाने को होती है,, तभी रजनी भी ,, वापस गेट में एंटर होती है,,,क्योंकि पूजा का कुछ समान घर पर ही छूट ,,गया , ,, रजनी को वापस आता देख मन्नत घबरा जाती है,,इससे पहले की रजनी की नज़र मन्नत पर पड़ती,,, मन्नत,, दौड़ कर गार्डन में लगी फुलवारी के पीछे छुप जाती है, रिषभ अंदर से ही ,,सब देख रहा होता है, वो मन ही मन कहता ," oh shit ! मॉम इतनी जल्दी वापस क्यों आ गयी," ,, रिषभ दौड़कर रजनी के पास जाकर कहता है, " मॉम आप इतनी जल्दी कैसे वापिस आ गई,,, ??? इस तरह सवाल पूछने पर रजनी रिषभ को घूरते हुए कहती है " क्यों ?? नही आ सकती क्या?? और तुम यहाँ क्या कर रहे हों?? तुम्हे मेने मार्किट भेजा था,,!! " रजनी के सवाल पे सवाल पूछने पर ,,रिषभ सकपका कर जवाब देता है" ओह्ह। सो ,,,,,सॉरी !!,, मैं तो बस यही पूछ रहा था ,,अचानक आप वापस आ गई ,, वरना रोज़ तो ,,, आप आधे घण्टे में आती है ना!!! ,,, रजनी अंदर जाने को होती है ,,, चलते, चलते कहती है,,, पूजा की थाली तो यही रह गई,, बस वही लेने आयी हू,,, तू मार्किट क्यों नही गया अभी तक ??? कही मन्नत की मदद तो नही कर रहा था ??? रजनी कि तंज़ भरी सुनकर,,, रिषभ मन्नत की तरफ देखता है,, मन्नत अभी झड़ियो में छिपी हुई है और दोनों की बाते सुन रही है,,, रिषभ मन्नत की तरफ देखकर कन्धे उचकाते हुए ,, इशारों इशारों में पूछता है क्या जवाब दू??? ,, पहले तो मन्नत ना में अपना सर हिलाकर मना कर देती के उसे कुछ नही मालूम कुछ भी बोल दो"" फिर दूसरे ही पल मन्नत हैंड बैग दिखाकर ,,, ईशारा करती है ,,, रजनी अंदर से पूजा की थाली लेकर वापस जाने को होती है,,, ,, तभी रिषभ को एक बाहाना सूझता है,, वो कहता ", मॉम मैं मार्किट जा ही रहा था के तभी मुझे याद आया government ने प्लास्टिक पाली तो बेन कर दी है ,और ,शॉप कीपर कैरी बेग नही देगा तो अपना कैरी बैग लेने आया था, ,,, रजनी बिना कुछ कहे गेट से बाहर निकल जाती है,,,," रिषभ मेरे ,भाई,,किस तरह,, तुझे,, थैंक्स बोलू,, i am so proud that i have a brother like you, ,मन्नत झड़ियो में से कहती हुई निकलती है,,,,,no need for thanks ,,, रिषभ मुस्कुराकर जवाब देता है,, मन्नत,, रिषभ आपस में बात कर रहे होते है कि पीछे से ,,, हॉर्न बजने की आवाज़ आती, है,, मन्नत पीछे मुड़कर देखती है श्रेया स्कूटी लिए खड़ी है ,,,,,फिर एक नज़र अपनी कलाई घड़ी पर डालते हुए कहती है ," अरे श्रेया बिल्कुल सही टाइम पर आई ,है, ठीक 10:00 बजे जैसा तूने बोला था,, ,,श्रेया ( फेयर कलर ब्राउन आँखे, खुले बाल, जीन्स टॉप पहने हुए है,,,मगर आकर्षण मन्नत से कम है) रिषभ एक टूक श्रेया को निहारे जा रहा है,, श्रेया भी तिरछी निगाहों से रिषभ को देख रही है,,,मन्नत दोनों को देखकर समझ तो सब जाती है लेकिन कुछ कहती नही, और श्रेया की स्कूटी पर बैठ जाती है,, श्रेया स्कूटी स्टार्ट कर चलने को होती है कि,, मन्नत उसे रोकते हुए कहती " wait ,,,wait,!!, where is your helmet? How are you so irresponsible?, Must follow the road safety rules,, always wear helmet when you ride on two Wheeler ! " श्रेया मन्नत को देखकर मुस्कुराने लगती है ,,,उफ्फ़,, अरे बाबा हेलमेट है मेरे पास ,, लो ये रहा हेलमेट डिक्की में से निकलते हुए कहती है,, अब चले या और कुछ कहना है ,,, मन्नत कुछ नही कहती और वो दोनों चल देती है,,
भाग 3 समाप्त