Mahamaya - 11 in Hindi Moral Stories by Sunil Chaturvedi books and stories PDF | महामाया - 11

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महामाया - 11

महामाया

सुनील चतुर्वेदी

अध्याय – ग्यारह

प्रवचन हॉल में एक प्रौढ़ वय का व्यक्ति गेरूआ चैगा पहने पाँच-सात भक्तों से घिरा बैठा था। पीछे की तरफ एक व्यक्ति लोगों को बता रहा था ‘यह अंजन स्वामी है।’ आप लोग इन्हें बाबाजी की जमात का मामूली साधु मत समझ लेना। इन्हें हनुमान जी का इष्ट है।

इन अंजन स्वामी जी का स्थान कहाँ है ? दूसरे ने प्रश्न किया।

‘‘ये तो हमें नहीं पता, हिम इतना जानते हैं कि ये बहुत बड़े तांत्रिक हैं। अंदर की बात तो ये है कि खुद बाबाजी ने तंत्र विद्या अंजन स्वामी से सीखी है। पर अब यह बात सबके सामने कहने-सुनने की नहीं है। पहले ने दूसरे के थोड़ा करीब झुकते हुए फुसफुसाने वाले अंदाज में कहा।

‘‘सुना है तांत्रिक लोग श्मशान जगाते हैं।’’ तीसरे भक्त ने धीमे स्वर में पूछा।

‘‘भैया जिसे हनुमान जी का इष्ट हो उसके सामने श्मशान-वमशान क्या चीज है। तुलसीदास जी खुद लिख के गये हैं-

भूत, पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे।

फिर स्वामीजी तो हनुमानजी से ऐसे बात करते हैं जैसे हम और तुम करते हैं। भूत प्रेत तो इनके चरणों में पड़े रहते हैं... पहले ने अंजन स्वामी की महिमा का बखान किया।

‘‘कोई कह रहा था कल रात नौगाँव में भी श्मशान जग गया’’ चैथे ने बहुत ही धीमी आवाज में अपनी उत्सुकता प्रकट की।

‘‘सही है। मैंने अपनी आँखों से देखा है। क्या हुआ, रात को बारह-एक के आसपास मुझे पेशाब लगी। मैं पेशाब करने बाहर निकला तो मैंने देखा अंजन स्वामी हाथ में लाल रंग की पोटली लेकर मंदिर से बाहर श्मशान वाले रास्ते पर जा रहे थे।’’ दूसरे ने रहस्योद्घाटन किया।

‘‘देखो, अभी भी आँखें लाल है’’ तीसरे ने अंजन स्वामी की ओर देखते हुए कहा।

सभी एकटक अंजन स्वामी की ओर देखने लगे।

‘‘अरे भैया श्मशान जगाना कोई मामूली काम है क्या ? अभ्भीऽऽ दिन के बारह बजे हमें-तुतुम्हे कोई श्मशान में अकेला छोड़ दे तो लेंडी तर हो जायेगी।’’ पाँचवे ने आखरी वाक्य जरा मजाकिये लहजे में कहा।

सब हँस दिये। अंजन स्वामी एक भक्त के साथ धीमें स्वर में विचार-विमर्श करते हुए प्रवचन हॉल के बाहर निकल गये।

थोड़ी देर चुप्पी छायी रही फिर चर्चायें शुरू हो गई।

’‘आज इस जावरा वाले का काम पक्का हो गया समझो’’ पहले ने रहस्यमयी आवाज में कहा।

‘‘इसको क्या समस्या होगी। खाता-पीता पैसे वाला है’’ चौथे ने जिज्ञासा प्रकट की।

पहले व्यक्ति ने लंबी साँस छोड़ी। फिर फुसफुसाने वाले अंदाज में कहा’’ पैसा खूब है, पर मन में शांति नहीं है। इसकी बीवी का अपने देवर के साथ लफड़ा चल रहा है’’

‘‘तुम्हे कैसे पता चला’’ चैथा पहले के जरा करीब सरक आया।

मैंने खुद अपने कानों से सुना है। स्वामी जी कह रहे थे सम्मोहन की क्रिया हुई है। मूठ चलानी पड़ेगी। पहले ने रहस्योद्घाटन किया।

बापरे, घोर कलयुग है! औरत के पीछे सगे भाई को मरवायेगा। एक स्याना बोला।

‘‘आजकल कायका सगा और कायगा सौतेला। हमारे भाई साहब को देखो पिताजी का सारा माल खुद दबा लिया। हमें दो कमरे का छोटा सा मकान देकर अलग कर दिया।’’ चौथे ने अपनी पीड़ा प्रकट की।

‘‘हम तो कहते हैं कि अंजन स्वामी से अपने भाई पर वशीकरण की क्रिया करवा दो। फिर देखना, तुम्हारा भाई खुद दौड़ा-दौड़ा आधा हिस्सा लेकर तुम्हारे दरवाजे आयेगा’’ पहले ने चौथे को सुझाव दिया।

‘‘जन्तर-मन्तर में हमारा भरोसा नहीं है। चौथे ने थोड़ा पीछे हटते हुए कहा।

‘‘भैया अंजन स्वामी का जंतर-मंतर ऐसा-वैसा नहीं है। सौ टंच पक्का काम है। हमने तो अंजन स्वामी के बहुत से केस देखे हैं। सौ परसेंट ग्यारंटेड। कहो तो आज ही तुम्हारी फाइल चलवा दूँ। पहला आगे खिसक आया था।

‘‘यहां सबके सामने’’ चौथा घबराया।

‘‘नहीं, उनके कमरे में। अकेले में बात करेंगे।’’ पहले ने चौथा की घबराहट दूर की।

‘‘ठीक है, जैसा तुम कहो। वैसे भी कोई नाजायज काम तो करवा नहीं रहे। अपने हक के लिये कौरव-पाण्डव के बीच भी मारा-मारी हुई थी। पाण्डवों के लिये कृष्ण ने भगवान होकर भी छल प्रपंच किया था। फिर हम तो एक छोटी सी क्रिया करवा रहे हैं। जावरा वाले की तरह भाई को मरवा तो नहीं रहे।’’ चौथा ने तर्क के साथ समर्पण किया।

तो तय रहा, कल दिन में एक बजे, प्रवचन हौल के सामने मिल जाना’’ कहते-कहते पहला व्यक्ति उठ खड़ा हुआ।

‘‘अरे जरा नेक रुको तो भैया। हम ये पूछ रहे कि ऊपरी हवा-ववा का इलाज भी करे है का स्वामी जी? एक बुजुर्ग ने पहले आदमी का हाथ पकड़कर वापस बिठाते हुए कहा।

‘‘ऊपरी हवा के तो ये हाल फिलहाल में देश के सबसे बड़े डाॅक्टर है। अभी कुछ दिन पहले ही स्वामी के पास एक ऐसा जबर केस आया कि क्या बतायें? राजगढ़ जिले के सुठालिया गाँव के सैंधव ठाकुर की एक लड़की थी। उसको ऐसा भूत चिपका था कि पूछो मत। सारे देश के तांत्रिक-मांत्रिक, पीर ओलिया, दरगाह, मंदिर सब जगह मत्था टेक आये पर कुछ फायदा नहीं हुआ। सब तरफ से थक हार के अंजन स्वामी के पास पहुँचे। अंजन स्वामी ने यह कहते हुए केस हाथ में लेने से मना कर दिया कि जबरदस्त साया है। बस महिने दो महिने में लड़की को अपने साथ लेके जायेगा।

‘‘बाप रे!........’’

‘‘फिरऽऽ.........’’

फिर क्या, लड़की का बाप स्वामी जी के पैर पड़कर गिड़गिड़ाने लगा।

स्वामी जी पसीज गये। वो दिन है कि आज का दिन है। लड़की एकदम भली चंगी है। नियम से हर महीने के पहले मंगलवार बैठक के लिये अंजन स्वामी के पास आती है। बताओ तुम्हे अभी भी अंजन स्वामी पे कोई संका है क्या?

‘‘नहीं महाराज, हम कल ही लड़की को ले आयेंगे। बुजुर्ग ने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा।

‘‘ले आना बाबा ले आना... भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जायेग’’ अच्छा अब मैं चलू। कहते हुए पहले व्यक्ति ने फिर उठने का उपक्रम किया।

‘‘भैया एक बात और मेरे लड़के की कहीं नौकरी नहीं लग रही है, स्वामी जी उसके लिये भी कोई उपाय कर सकते हैं क्या ? छठा जो अब तक चुप था, उसने प्रश्न किया -

‘‘अरे कैसी छोटी बात कर दी भैया। ईधर स्वामी जी की हनुमान जी से बात हुई नहीं कि उधर नौकरी तुम्हारे दरवाजे।’’

‘‘तो भैया फिर हमारी भी बात करवा देना। यह व्यक्ति उत्साहित था।

‘‘करवा देंगे... करवा देंगे... जिसकी जो भी समस्या हो कल हमको यहीं पे ठीक एक बजे मिल जाना। अच्छा भैया अब हम चलते हैं।’’ कहते हुए पहला व्यक्ति उठा और बाहर की ओर चल दिया।

क्रमश..