Murder @night
2nd part
साब उसके बाद मैं अंधेरे में चुपचाप धीरे धीरे रसोई निकल गया। क्योंकि मैंने अनिरूद्ध साब के पास बहुत महीनों तक काम किया है। घर में काम काम करते अंधेरे में भी आने जाने का अंदाजा हो जाता है। और मैं तो चोर हूं इसलिए मुझे अंधेरे में अंदाजा हो जाता है। इसलिए मैं जल्दी से ऊपर की तरफ जाने लगा। पर जैसे ही मैं ऊपर की तरफ गया। उसी वक्त लाइट वापस आ गई। मैंने देखा कि जिस कमरे में ताला लगा हुआ था। जोकि साब का कमरा था। उसका दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था।
तो तुमने उसको खोल कर देखा। - नागेश ने पूछा।
साब, मैं गया ही चोरी करने की लिए था। और जब तिजोरी वाला ही कमरा खुला हुआ दिखेगा तो वहां जाऊंगा ही न। -राजू ने कहा।
हां, आगे बताओ। क्या हुआ ? - नागेश ने कुछ सोचते हुए कहा।
साब मैं अंदर गया। मैंने देखा कि कमरे में कोई नही था। और कमरे की लाइट जल रही थी। मैंने जल्दी से तिजोरी की तरफ गया। और उसका लॉक खोलने की कोशिश करने लगा। एक बार मैंने साहब को लॉक खोलते हुए चोरी से देख लिया था। इसलिए मुझे ज्यादा दिक्कत नही हुई। मैंने तिजोरी से पैसे निकाले और उन्हें जेब में रखकर मैं जाने ही वाला था लेकिन उसी समय मुझे किसी के पैरो की आहट हुई इसलिए मैं जल्दी से अलमारी में जाकर छुप गया। वो मालकिन थी। और कमरे में आकर वो इधर उधर देखने लगी। जल्दी जल्दी में कुछ नोट जमीन पर गिर गए थे। जिसे मालकिन ने देख लिया था। और उन्हें अंदाजा हो गया कि उस कमरे में कोई और भी है तो वो चिल्लाने लगी। - कौन है यहां ? कोई है ?
उस वक्त मैं सांस रोक कर अलमारी के अंदर खड़ा था।
तुम उस अलमारी मैं आ कैसे गए ? इतने छोटे तो तुम लगते नही - नागेश ने हंसते हुए कहा।
साब वो अलमारी इतनी बड़ी है कि उसमें दो तीन आदमी आकर खड़े हो सकते है। पर जब मैं अलमारी के अंदर छुपा तो मुझे ऐसा लगा कि उसके अंदर पहले से कोई बैठा हुआ था। मेरा तो कलेजा फट कर हाथ में आ जाएगा ऐसा लग रहा था।
ओह नो। कौन था वो ? - नागेश ने पूछा।
साब, वो अनिरूद्ध साब थे। - राजू ने कहा।
अनिरूद्ध। लेकिन वो उसमें क्या कर रहा था। - नागेश ने पूछा।
साब, वो जिंदा होते तो उनसे पूछता। पर वो जिंदा नही थे। उनकी लाश मेरे ऊपर गिर गई। और मैं चीखता हुआ। बाहर आ गया। मेरे बाहर आते ही उनकी लाश भी जमीन पर गिर गई।
मालकिन मुझे भागते देख चिल्लाई। मैंने उनसे कहा कि मालकिन साब को मैंने नही मारा। लेकिन मालकिन चिल्लाने लगी। मार दिया मार दिया।
मैं उनसे हाथ जोड़ कर कहने लगा कि मैंने कुछ नही कहा। मुझे लगा कि ये मेरी बात नही मानेंगी तो मैं डर के कारण वहां से भागने लगा लेकिन उसी वक्त किसी ने मेरे सिर पर जोरदार मारी। जिससे मैं उसी वक्त बेहोश हो गया।
ओह। तुम्हे बिल्कुल भी याद नही कि तुमने उसका चेहरा या उसकी कोई पहचान देखी हो। - नागेश ने कहा।
नही साब। - राजू ने कहा।
नागेश ने कहा - उसके बाद क्या हुआ ?
2 जनवरी 2020 रात 2.30 बजे
उसके बाद जब मुझे होश आया तो मैं लाश के पास बैठा हुआ था और पुलिस मुझे लेने आ गई थी। मैंने उनको भी बहुत समझाया। लेकिन वहां कोई नही था। जो मेरी बात पर विश्वास करता। जब हवलदार मुझे हथकड़ी लगा रहा था तो उस समय मैंने देखा कि एक आदमी नीले सूट में इंस्पेक्टर दिनेश को कह रहा था कि ये हत्यारा छूटना नही चाहिए। - राजू ने कहा।
ओह तो इसलिए तुम केवल मुझे बताना चाह रहे थे। - नागेश ने कहा।
हां साब, मुझे पता था कि मैं उन्हे सब सच सच बताऊंगा तब भी वो मेरी बात पर विश्वास नही करेंगे। - राजू ने कहा।
और अगर मैं भी न करूं तो - नागेश ने कहा।
साब मेरी मरी मां की कसम खाता हूं साब। मैंने ऐसा कुछ नही किया। जो भी था वो सब सच सच बता दिया। और साब, आपको इंसान पहचानने की समझ तो होगी साब। मैं चोरी करता हूं मानता हूं। लेकिन साब किसी की हत्या करना। और वो भी मालिक जैसे अच्छे इंसान की हत्या। साब ऐसा तो मैं सोच भी नही सकता। और साब अगर आपको इतना बताने के बाद भी लगता है कि हत्या मैंने ही की है तो साब अब मैं कर भी क्या सकता हूँ। मेरे कौनसे आगे पीछे कोई है जो मेरे लिए केस लड़ेगा। - राजू ने लगभग रोते हुए कहा।
ओह ओवर एक्टिंग। बस करो। जो तुम बता रहे हो। वो सच या झूठ। सब पता लग जाएगा। तुम चिंता मत करो। अगर तुमने मर्डर नही किया है तो तुम्हे कुछ नही होगा। ये इंस्पेक्टर नागेश का वादा है। तुम अब चुप ही रहना और ये सब बातें किसी और को मत बताना। मैं अभी से ही इस केस से जुड़े हर पहलू पर सोच विचार करता हूं। लेकिन पहली नजर में तुम ही मौके पर मिले हो इसलिए तुम्हे अभी कुछ राहत नही दी जा सकती। कुछ दिन ससुराल के मजे लो। - नागेश ने हंसते हुए कहा।
हां साब - राजू ने धीरे से कहा।
०००
3 जनवरी 2020 दोपहर 12 बजे
नागेश अनिरूद्ध मेंशन के उसी कमरे में खड़ा था जहां मर्डर हुआ था। साथ में संजय भी उसकी मदद के लिए खड़ा था। वो राजू के बताए अनुसार सारी घटना का एक को अपने दिमाग में एक कल्पना करने लगा।
उसे सोचता देख संजय ने कहा - क्या हुआ नागेश ? क्या सोच रहा है ?
संजय मुझे राजू की बातों में सच्चाई नजर आती है। घर के सभी सदस्य आ चुके है क्या ? उनसे पूछताछ कर लेते है। - नागेश ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा।
हां, लेकिन मुझे लगता है कि हमें शुरू से ही देखना चाहिए कि क्या वो जो कह रहा है वो सच में हुआ भी है या नही ?- संजय ने अपने मन की बात कही।
हम्म, सही है। पुलिस की जॉब में किसी पर भी पूरा विश्वास नही किया जा सकता। चलों फिर घर के पीछे की तरफ चलते है। - नागेश ने अपनी टोपी को ठीक करते हुए कहा।
कुछ देर बाद दोनों घर के पीछे खड़े थे। जहां से राजू ने रस्सी फेंक कर छत पर चढ़ने की बात कही थी।
संजय हर छोटी बड़ी चीज को बारीकी से देखना - नागेश ने कहा।
हां - संजय ने कहा।
दोनों वहां घूम कर देखने लगे। अचानक से एक जगह पर आकर संजय ने नागेश से कहा - पंकज, जरा इधर आओ।
हां, क्या हुआ ? - नागेश जल्दी से उस तरफ आया।
तुमसे राजू ने कहा था न कि वो घर के पीछे से छत पर गया था। - संजय ने कहा।
हां - नागेश ने कहा।
लेकिन यहां एक नही दो अलग अलग पैरो के निशान है। ओर दोनो पैरों के निशान छत की तरफ है।- संजय ने मिट्टी की तरफ इशारा करते हुए कहा।
नागेश ने ध्यान से देखा और कहा - हां ये एक निशान चप्पल के है जो जरूर राजू के होंगे। और दूसरे निशान जूते के है।
संजय उस जगह बैठ गया और नागेश को दिखाते हुए कहा - ये पैर के निशान कहीं कहीं चप्पल के निशानों से कट रहे है, इसका मतलब उस रात सच में राजू से पहले कोई और घर के अंदर आया था।
नागेश ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा - हां और इसीलिए छत के ऊपर का दरवाजा खुला हुआ था।
या शायद घर के ही किसी इंसान ने खोल कर रखा था। ताकि ये जिसके भी जूतों के निशान है वो छत से आ सके। - संजय ने कहा।
नागेश ने कहा - मतलब, ये पक्का एक प्लान कर के किया गया मर्डर है। लेकिन जैसा कि राजू ने बताया उस वक्त घर में कोई और नही होगा ये सोच कर राजू आया था। लेकिन अनिरूद्ध की पत्नी ने पहले से ही ये दरवाजा खोल रखा था ताकि हत्या करने वाला छत से आ सके।
तो क्या दीक्षा ही कातिल है ? - संजय ने चौंकते हुए कहा।
हां ऐसा हो भी सकता है और नही भी, इतनी जल्दी पक्का नही कहा जा सकता। लेकिन कोई तो बाहरी इंसान पहले से घर में मौजूद था ये पक्का है। - नागेश ने कहा।
कहीं ये वही आदमी तो नही है जो कि रसोई में पानी पीने आया था। और जिसका चेहरा राजू नही देख पाया था। - संजय ने कहा।
हां, तुमने तो मेरे मुंह की बात छीन ली। ये हो सकता है। तुम इस जगह के और इन फुटप्रिंट्स के फोटो लो। अब मेरे दिमाग में हजारो और सवाल पैदा हो गए है। जिनके सवाल मिलना बहुत जरूरी है। - नागेश ने सोचते हुए कहा।
लेकिन किससे ? - संजय ने खड़े होते हुए कहा।
सभी से, सबसे पहले मुझे गार्ड से बात करना है। आखिर उसके ड्यूटी पर होते हुए दो लोग घर में कैसे आ गए ? - नागेश ने कहा।
मैंने पहले ही पूछ लिया नागेश - संजय ने मुस्कुराते हुए कहा।
कब ? और क्या क्या पूछा ? - नागेश ने चौंकते हुए कहा।
जब तुम यहां नही थे। और जिस दिन मर्डर हुआ था उस दिन गार्ड को 7 बजे ही अनिरूद्ध ने छुट्टी दे दी थी। - संजय ने कहा।
छुट्टी ? लेकिन क्यों ? और सब नौकरों को छुट्टी देने का क्या कारण रहा होगा ? - नागेश ने पूछा।
ये सब तो पता नही ? पर गार्ड का कहना था कि अनिरूद्ध ने कहा है कि एक और गार्ड रख लिया है नाइट के लिए। उसे अब से अंधेरा होने से पहले तक की ड्यूटी दी है।
ओह, हां मैंने देखा। वैसे भी बेचारा बहुत बूढ़ा है। रात में दिखता नही होगा यही सोच कर ऐसा किया हो अनिरूद्ध ने। - नागेश ने कहा।
हां, हो सकता है। अब आगे क्या करना है। - संजय ने कहा।
उसकी फैमिली में कौन कौन है, सभी से बात करना है ? - नागेश ने चलते चलते कहा।
अनिरूद्ध के परिवार में ज्यादा लोग नही है। मां बाप दो साल पहले ही कार एक्सीडेंट में मारे जा चुके है। एक पत्नी है जिससे उसने मां बाप की मर्जी से ही आज से 4 साल पहले लव मेरिज की थी। इसके अलावा तीन नौकर है जो अलग अलग काम करते है। और एक गार्ड है। जो दरवाजे पर बैठा रहता है। - संजय ने बताते हुए कहा।
और कोई बच्चा ? - नागेश ने पूछा।
नही, अभी तक कोई बच्चा नही है। - संजय ने कहा।
ओह, चार साल बाद भी कोई बच्चा नही। ये क्या नॉर्मल है ?- नागेश ने पूछा।
आजकल फैमिली प्लानिंग के नाम पर अक्सर लोग शादी के 4-5 साल तक बच्चे की प्लानिंग नही करते है। - संजय ने कहा।
पर कुछ और वजह भी तो हो सकती है - नागेश ने अपना दिमाग लगाते हुए कहा।
हा हा, अब ये तो पता करना पड़ेगा - संजय ने मुस्कुराते हुए कहा।
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