इतने ही पल में पुलिस स्टेशन से बहार बाबा के जोर जोर से चिल्लाकर बोलने की आवाज आती है " तूने अपने जीवन के विनाश का आरम्भ खुद शुरू कर दिया है अगर अभी तूने कुछ नहीं किया तो तू अपने परिवार को खोकर जीवन भर पछताता रहेगा" यह वो बाबा जोर जोर से बोल रहा था।
शिवा और उमेश दोनों पुलिस स्टेशन से बहार आते हैं तो उनकी नजर बाबा पर पढती है तो वह देखते हैं कि वह बाबा अपने शरीर पर राख लगाये हुऐ था उसके बाल पेड़ की जड़ की तरहा थे और हाथ में त्रिशूल था।
शिवा " सुनो बाबा क्या बात है और यहां पुलिस स्टेशन के पास क्यों आये हो क्या आपको हमारी जरूरत है।"
बाबा पहले थोड़ी देर खामोश रहता है और फिर शिवा से बोलता है " हमें किसी से कोई आवश्यकता नहीं पढती बल्कि हम खुद किसी सच्चे नेक की मदत करने चले आते हैं इसलिए तुम्हें मेरी आवश्यकता है मुझे तुम्हारी नहीं।"
शिवा " बाबा आप परेशान न हों मै अपनी सुरक्षा खुद कर सकता हूँ और मेरे साथ मेरी वर्दी भी है जो मुझे किसी भी बुराई से लड़ने की हिम्मत देती है।"
बाबा " अगर बुराई इंसानियत की हो तो तुम लड़ सकते हो लेकिन बुराई बुरी शक्तियों की हो तो उससे ईश्वरीय ताकत से लड़ा जा सकता है मेरी बात सुनो और समझने की कोसिस करो।"
शिवा उमेश से कहता है बाबा को उनके घर छोड़ आओ
बाबा " हमारा कोई घर नहीं हम अपने सिद्धि में विलीन रहते हैं लेकिन आज हमें तुम्हारी मदत के लिऐ अपने सिद्धि से उठकर आना पढा क्योंकि भगवान शिव का आदेश था मगर जब तुम्हें हमारी बात का यकीन हो तो बस उसी यकीन के साथ हमें याद कर लेना और फिर हम तुम्हारे समक्ष होंगे अभी हम जा रहे हैं।"
बाबा यह कहकर वहां से चला जाता है और अभी तक गुड़िया के गायब होने से परेशान शिवा अब बाबा की बात से परेशान था क्या सच में मेरे परिवार पर कोई संकट आने वाला है।
शिवा अपने सरकारी बंगले पर था और रात्रि में उसे नींद नहीं आती वो सोने की कोसिस करता लेकिन उसे उस बाबा की बात याद आजाती।
शिवा की बैटी तमन्ना अपने कमरे में सो रही थी और अचानक उसकी आँख खुलती है तो वह अपने सामने एक गुड़िया को देखती है उसे लगा कि सायद अगले दिन उसका जन्मदिन है तो किसी ने उसे गिफ्ट में यह डॉल दी हो और तमन्ना उसी गुड़िया को अपने गले से लगा लेती है,
और उसके बाद तमन्ना अपने बस में नहीं रहती और वो घर से बहार निकलकर काली पहाड़ी गांव की तरफ पैदल चले जा रही थी और वो बहुत जल्दी उस पहाड़ी तक पहुंच गई जहां उस चुड़ैल की गुफा थी।
उसी समय तमन्ना को होश आता है और वो जब अपने आप को उस वीरान जगह पर पाती है तो वह डर से उस गुड़िया को छोडकर चीखती हुई जंगल की तरफ भागती है लेकिन इतने मे तमन्ना हवा में उड़ती नजर आती है जिससे तमन्ना बहुत घबराह जाती है और वो हवा मे ही फिर से वापस उस गुफा तक पहूंच जाती है,
तमन्ना गुफा के दरवाजे के पास थी और वो डर से अपने आँख बंद किये हुऐ थी तभी उसे किसी के जोर जोर से सांस लेने की आवाज आ रही जोकि उसकी ओर बढती जा रही थी,
जैसे ही तमन्ना ने अपनी आँख खोली तो उसकी नजर गुफा से आने वाली चुड़ैल पर गई वो चुड़ैल बिल्कुल जली हुई थी और रेंगते रेंगते तमन्ना की ओर बड़ रही थी,
तमन्ना यह देख वो बहुत घबराह जाती है और वो वहां से उठकर भागने वाली थी लेकिन उसका पैर उस चुडैल ने पकड़ लिया और वो उसे गुफा में खीचती है और तमन्ना अपनी साहयता के लिऐ जोर से दर्द की आवाज में चिल्लाते हुऐ कहती है " डैडी, डैडी मुझे बचाओ डैडी ये मुझे मार देगी"
यह आवाज शिवा के कानों में गूंज रही थी और वो अपनी घहरी नींद से उठ जाता है और उसे पता चलता है कि ये सपना था या हकीकत इसलिए वो अपनी पत्नी रिया को कॉल करता है।
कॉल लग गई और रिया ने रिसीव किया
रिया " क्या हुआ आपको इतनी रात में फोन क्यों किया कोई बात है"
शिवा घबराहते हुऐ रिया से कहता है "रिया सुनो जल्दी मुझे तमन्ना से बात कराओ जल्दी"
रिया " क्या बात कर रहे हो तमन्ना अभी तो सो रही होगी अभी कैसे बात कराओ आप सुबह बात कर लेना"
शिवा गुस्से में " सुना नहीं तुमने अभी बात कराओ जल्दी जाओ उसके कमरे में"
रिया " ठीक है ठीक बाबा जाती हूँ "
और रिया तमन्ना के रूम में जाती है और तमन्ना को उठाती है और कहती है तुम अपने डैडी से बात करो डैडी का कॉल है ।
तमन्ना " डैडी आप कैसे हो और आप कब आओगे मेरे पास अब तो मेरा जन्मदिन आने वाला है आप जल्दी आजाओ"
शिवा को तमन्ना की आवाज सुनकर तसल्ली मिली और तमन्ना से बात करते वक्त शिवा की आँख से आंसू निकल आये अब शिवा तमन्ना से कहता है " बैटी मै जल्दी ही आ रहा हूँ अपनी माँ को फोन दो"
रिया " हा बोलो बात करली न अपनी बैटी से उसकी फिक्र में मुझपर चिल्ला दिया "
शिवा " रिया ऐसी कोई बात नहीं मै जबतक वहां पहुंचता हूँ तब तक रिया पर नजर रखकर उसका खयाल रखना उसे अपनी नजरों ओझल मत होने देना समझे"
रिया " ठीक है मै ऐसा ही करूंगी तुम बस जल्दी ही यहां आजाओ "
शिवा अब फोन रख देता है और फोन रखते ही उसे तमन्ना की बात याद आती है " डैडी मेरा जन्मदिन आने वाला है "
शिवा को जो सपना आया था उस सपने में भी तमन्ना ने अपने जन्मदिन का गिफ्ट समझकर उस गुड़िया को उठाया था।
शिवा को समज आगया मतलव उस बाबा की बात सच थी अब खतरा मेरे परिवार को है मुझे अब यहां से जल्दी निकलना होगा।
शिवा उमेश को कॉल करके बुला लेता है और उमेश सरकारी बंगले पर गाड़ी लेकर आजाता है और शिवा, उमेश गाड़ी से शहर तरफ निकलते हैं तभी उमेश पूछता है शिवा से
" आप बता रहे थी तमन्ना को खतरा है पर किस्से"
शिवा "उस बाबा की बात सच है अब खतरा मेरे परिवार पर है और वो चुड़ैल सबसे पहले तमन्ना को शिकार बनाऐगी "
उमेश " पर कैसे उसको तो हमने जला दिया फिर वो यह सब करेगी कैसे "
शिवा " उस श्रापित गुड़िया की मदत से जो हमारे पुलिस लॉकर से गायब हुई है "
उमेश " पर वो गुड़िया तमन्ना तक पहुंचेगी कैसे "
शिवा " उसके जन्मदिन पर गिफ्ट के रूप में"
उमेश " ओ नो तमन्ना का जन्मदिन कब है "
शिवा " परसों ही है इसलिए अब हमें आज ही हमें वहां पहूंचना होगा।"
उमेश पहाड़ी रास्तों से गाड़ी को ले जा ही रहा था लेकिन अचानक उसके रास्ते में एक बड़ा सा पेड़ आकर गिर जाता है रात काफी थी अंधेरे होने की वजह से उमेश ने गाड़ी से उतर कर टॉर्च से उजाला करके रास्ते को देखता है कि आगे गाड़ी को निकाल सकते है के नहीं।
शिवा " क्या हुआ उमेश रास्ता साफ है के नहीं वहां से गाड़ी निकल सकती है क्या"
उमेश " नहीं निकल सकती पेड़ काफी बड़ा है हमें किसी ओर रास्ते से जाना होगा "
उमेश जाने के लिऐ मुड़ ही रहा होता है तभी वो आवाज सुनता है " बैटा मेरी मदत करदे मै इस पेड़ की साखा में फस चुकी हूँ"
उमेश उसकी मदत के लिऐ आगे बढता और इधर उमेश की तरफ शिवा आ रहा होता है और वो देखता है कि उमेश वापस उस पेड़ की तरफ जा रहा होता है तब शिवा उमेश से पूछता है " क्या हुआ"
उमेश " कुछ नहीं एक बुजुर्ग महिला है जो पेड़ की साखा में फस चुकी है उसकी मदत कर रहा "
शिवा " रूको उमेश मुझे वहां कोई बुजुर्ग महिला नहीं दिख रही लगता है कोई भ्रम है तुम्हें जल्दी से वहां से वापस आजाओ"
उमेश उस बुजुर्ग महिला के करीब ही था और इस बात से हैरान था की वो औरत केवल उसे दिख रही थी शिवा को नहीं वो अब बुजुर्ग महिला की मदत नहीं करता बल्कि लोटने वाला ही था लेकिन जब तक वो बुजुर्ग महिला उस पेड़ एक टहनी को उसके सीने के आर पार कर देती है।
शिवा उमेश को देखकर चिल्लाता रह जाता है और उमेश को जब देखता उसके सीने के आरपार उस टूटे हुऐ पेड़ की टहनी थी।
शिवा को बहुत दुख होता वो उमेश को पकड़े बैठ जाता है और उमेश अपनी आखरी सांस में शिवा से कहता है " मुझे माफ करना सर मै आपकी मदत नहीं कर पाया, पर आप यहां देर मत कीजिए जाऐ जल्दी जाईए अपने परिवार की रक्षा करो और यह कहकर उमेश मर जाता है।
शिवा की आँखों से आंसू थमते नहीं है क्योंकि वो उमेश को अपना भाई मानता था इसलिए वो हमेशा उसकी डियूटी अपने साथ रखता था और यह सोचकर परेशान था कि कास में उमेश को साथ न लाया होता तो उसकी जान बच सकती थी।
और थोड़ी ही देर में उमेश की आँख खुलती है और उसकी आँखों से खून निकल रहा था और चेहरे पर मुस्कुराहट थी यह देख शिवा उसे छोड़ देता है।
उमेश जानवर की तरहा दोनों हाथ और पैर पर होता है और बहुत ही भारी भयानक आवाज में शिवा से कहता है " गांव को तूने बचा लिया पर अपने परिवार को कैसे बचाऐगा और ये भी तेरे परिवार का हिस्सा था जो तेरे करीब जादा रहता है इसलिए पहले इसे मारा अब बाकी सबकी बारी और यह कहकर वो अपनी गरदन को पूरा घुमाकर शिवा की तरफ थोड़ा करीब आकर शैतानी हसी हसता है।
शिवा यह देख घबराह जाता है और वो उसे आता देख पीछे की तरफ चलता चला जाता है और एक पथ्थर से पैर फिसल जाता है और शिवा उस रास्ते के एक तरफ खाई में गिर जाता है।
" इंतजार कीजिए अगले भाग का क्या शिवा अपने परिवार को बचा पाऐगा के नहीं।"