Fir milenge kahaani - 8 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 8

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 8

कुछ दिन बाद बैंक में ....

“अरे आप लोग प्लीज ऐसे भीड़ ना लगाएं, सबका काम होगा मोहित ने बैंक में जमा भीड़ से कहा | भीड़ में से एक शख्स गुस्से में बोला,साहब जी.. आपको क्या है? आप तो आराम से बैठे हो यहां तो खाने के पैसे नहीं है, अभी आप बोलोगे कि टाइम पूरा हो गया” | भीड़ उस युवक के समर्थन में उतर आई और लोग चिल्लाने लगे |


मोहित - अरे आप परेशान मत हो, सरकार हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंचाने की कोशिश तो कर रही है ,बस आप लोग हिम्मत मत हारो और सहयोग करो, देखिए देश एक बहुत बड़ी मुश्किल में फंसा है और हम सबको मिलकर इस मुश्किल से निकलना होगा” | यह कहकर मोहित फिर अपने काम में लग गया |


सरकार के इतना मना करने के बावजूद भी लोग बैंकों के बाहर लम्बी लाइन लगा कर खडे हो गये, हर कोई परेशान था कि क्या करें |


मोहित शाम को काउंटर बंद करने वाला था तो एक बहुत बुजुर्ग महिला आकर खड़ी हो गई, जिसके चेहरे की झुरियां और लाचार आंखें उसके हालातों का चिल्ला चिल्लाकर बखान कर रही थीं, उसे कुछ पैसों की जरूरत थी इसीलिए वह लड्खडाती हुई बोली, बेटा... मेरे खाते में देखो सरकार ने हजार रुपये भिजवाए होंगे, आगये होंगे बेटा मुझे वह रुपए निकालकर दिलवा दो, तुम्हारी बड़ी कृपा होगी” |


मोहित से बुढ़िया की दशा देखी नहीं गई और उसने उसके खाते से पैसे निकाल कर दे दिए, उस बुढ़िया ने मोहित को जाने कितनी दुआएं दे डाली, वह मुड कर जाने लगी कि अचानक गिर गई, मोहित ने उसे दौड़ कर उठाया कि तभी बुढ़िया खांसने छींकने के साथ हांफने लगी | बुढ़िया चली गई और यह देखकर बैंक मैनेजर ने कहा,क्या करते हो मोहित, तुम्हारी जरा सी भी लापरवाही की सजा पूरे बैंक को भुगतना पड़ सकता है, जाओ अपने हाथ धो और खुद को सेनेटाइज करो, भगवान करे वो बुढिया इनफेक्टेड ना हो” |


मोहित जल्दी से बाथरूम में जाकर खुद को सेनेटाइज़ करता है और हाथ धोकर बाहर आता है तभी मैंनेजर ने फिर कहा,अच्छा सुनो अरोड़ा जी की वाइफ का फोन आया था, क्या वह अपना फोन यही भूल गए किसी को आईडिया है” |


मोहित अपने काउंटर से फोन निकालता है और कहता है,हां सर वह यही भूल गये, उनका अभी इस फोन पर कॉल आया था बात हो गई मेरी, अभी मैं घर जाते वक्त उनका फोन दे दूंगा” |


यह कहकर सब बैंक से चले गए |



उधर आफताब रूहानी मस्जिद में जलसे में शामिल हुआ जहां विदेश से भी कई लोग आकर इकट्ठा हुए, कुल दो हज़ार लोग थे |



आफताब अपने दोस्त से,तुम लोगों ने अच्छा किया कि ऐसे मौके पर जलसा करवाया, आजकल इस बन्दी में दुकान का भी कोई नुकसान नहीं होगा वह तो बंद ही रहेगी और साथ ही साथ हम अल्लाह को याद भी कर लेंगे, वाह वाह वाह सुभान अल्लाह” तभी मस्जिद के मौलवी ने कहा, “आप सभी को ये इल्म होगा कि आज हर जगह इस कोरोना का खौफ है, जिससे यह इंसान खौफज़दा है, यह उस खुदा का कहर है यह कोरोना नहीं है, यह कोई बीमारी नहीं है यह एक कहर है जो इंसानों पर टूट पड़ा है, यह नामुराद इंसानों के नापाक इरादों की सजा है, इससे बचना है तो सब लोग मिलकर नमाज अदा करो, इंशा अल्लाह यह हमें छू भी नहीं सकेगा, सरकार कहती है तो कहती रहे लेकिन घर पर मत बैठे रहो, मस्जिद जाओ लोगों को इकट्ठा करो, जितने ज्यादा लोग इकट्ठा होकर दुआ करेंगे उतना ही हम इस बीमारी से दूर रहेंगे और यह बीमारी काफिरों को खा जाएगी, हम सब पर खुदा की रहमत होगी, इंशा अल्लाह हमें तो जन्नत नसीब होगी.. आमीन.. आमीन.. आमीन..” |


आगे की कहानी अगले भाग में...