unknown connection - 34 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 34

Featured Books
Categories
Share

अनजान रीश्ता - 34

सेम सुबह सुबह अपने घर से पारुल को लेने जा रहा होता है। तभी सेम की मोम उसे रोकते हुए कहती है की कहां जा रहे हो? तभी सेम अपनी मां से कहता है की वह आज पारो को लेने जा रहा है। सेम की मोम सेम से कहती है की पारो कौन है? तो सेम शर्माते हुए कहता है की पारो वही लड़की है। सेम को इस तरह शरमाते देख वह जोर जोर से हंसने लगती है तभी सेम अपनी मां की ओर देखते हुए कहता है ।

सेम: क्या?
निर्मला: आहाहाहाहाहाहा!!! देखो तो सही खुद को लड़कियों कि तरह शर्मा रहे हो ।
सेम: ( चिल्लाते हुए ) मम्मा!!! हम शर्मा नहीं रहे हैं ओके।
निर्मला: ( हंसी को रोकते हुए ) हां! ठीक ठीक है । मान लेती हूं पर तुम खुद को देखो पूरी तरह शर्म से लाल हो जाते हो जब उसका नाम लेते हो ।
सेम: ( चिल्लाते हुए ) मां!! आप हमें सुबह सुबह परेशान क्यों कर रही है ।
निर्मला: चलो ठीक हमारी गलती है मानते है हम। पर सच में तुम्हे ऐसे कभी नहीं देखा हमने। इसी वजह से परेशान कर रहे है ।
सेम: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) हां! बस यही करते है आप हमारे साथ सारा प्यार भाई को और हमे बस परेशान !!
निर्मला: ( मुस्कुराते हुए ) लगता है हमारी ड्रामेबाज बेटी वापस आ गई है । आहाहाहाहा!!!
सेम: मां!! बस ना अब और हम कभी ड्रामा नहीं करते जो सच है वहीं कह रहे है आपको।
निर्मला: ठीक ठीक है ड्रामेबाज जल्दी नास्ता करने आओ पहले पापा इंतजार कर रहे है हमारा । फिर जाना उसे लेने ।
सेम: ठीक है । पर हमारी बात यही खतम नहीं हुई। काफी शिकायत है हमे आपसे।
निर्मला: ठीक है जब समय मिले आ जाना हमारे पास में लिख लुगी सारी शिकायत मेरी प्रिंसेस की आहाहाहा!!!
सेम: ( चिल्लाते हुए ) मां!!!

निर्मला हंसते हुए डाइनिंग टेबल पर बैठती हैं । तभी सेम के पिता सेम की ओर देखते हैं तो समझ जाते है कि निर्मला सेम को परेशान कर रही थी। यह देखकर वह भी मुस्कुरा रहे थे। जिससे सेम और भी गुस्सा हो जाता है । टेबल पर बैठते हुए कहता है ।

सेम: पापा आप भी कब से मां का साथ देने लगे । जहां तक मुझे पता था आप तो मेरी टीम में थे।
अश्विन: बेटा मै तो हमेशा से तुम्हारी मां की टीम में ही हूं। ये तुम्हे ही गलतफहमी थी की में तुम्हारे साथ हूं।
सेम: डेड मोम !!! हो क्या गया है आप दोनों को? अगर ये सपना है तो फिर सबसे ज्यादा भयंकर सपना है मेरे लिए।
अश्विन: आहहाहाहा!!! सेम तुम लड़कियों जैसे कब से बात करने लगे?
सेम: ( चिलाते हुए) गायस हो क्या गया है आप दोनों को?
यह सुनकर अश्विन और निर्मला दोनों ही जोर जोर से हंसने लगते है । फिर निर्मला कहती हैं।
निर्मला: सोरी बेटा यह सारा सुझाव तुम्हारे पापा का था । हमने मना ही किया था कि ऐसे परेशान नहीं करते पर कल तुम जन्मदिन पर घर देर से आए थे । इसलिए तुम्हारे पापा ने बदला लेने के लिए यह सब किया।
अश्विन: हाहाहाहा!!! अगली बार याद रहेगा तुम्हे की वादा तोड़ना बुरी बात है ।
सेम: ( दोनों की ओर देखते हुए) डेड मोम सोरी !! वो इतनी देर हो जाएगी मुझे पता नहीं था । और फिर....।
अश्विन: और फिर क्या??
सेम: कुछ नहीं!! आप दोनों देर रात तक मेरा इंतजार कर रहे थे क्या?
निर्मला: नहीं तुम्हारे पापा को पता था कि तुम्हे देर हो जायेगी इसलिए उन्होंने हमे भी ज्यादा देर तक जागने नहीं दिया।
अश्विन: सो सेम गुस्सा तो में हूं तुमसे पर ...
सेम: ( डरते हुए ) डेड... सोरी कहा ना मैंने
अश्विन: हा तो सोरी से सब ठीक हो जाएगा। इतना इंपॉर्टेंड कौन है जो तुम्हारे लिए परीवार से बढ़ कर है।
निर्मला: ( सेम जवाब दे उससे पहले ही कहती हैं ।) हां पूछो अपने शहजादे से क्योंकि हमें भी लगता है कि कुछ तो बात है ( सेम को परेशान करते हुए )
सेम: मोम!!! आप जानती है फिर भी हमे परेशान कर रही है।
अश्विन: वो क्या जानती है सेम जरा मुझे भी तो बताओ।
सेम: डेड वो!!! ( गरदन पर हाथ फेरते हुए ) कल में पारो!!!
अश्विन: पारो!!! वो कौन है?
सेम: पारो!!! आई मीन पारुल वहीं लड़की है जिसके बारे में मै.. मैंने आ.. प.. को.. पहले कहा था कि ... मै आपको उससे मिलवाना चाहता हूं... ।
सेम यह कहने के साथ ही अपने पिता की ओर देखता है । उनके चहेरे पे कोई भी भाव नहीं थे । सेम अपनी मां की ओर भी देखता है तो वह भी बिल्कुल पुतले की तरह भावविहीन थी। जिससे सेम का दिल मानो गले तक आ गया था । उसका गला सूख रहा था । वह बस खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था । क्योंकि अगर पापा ने मना कर दिया तो फिर वह पारो के बिना कैसे जीयेगा यह विचार उसके मन में घूम रहे थे। तभी किसी के हंसने कि आवाज सेम के कान में पड़ती हैं । जब वह देखता है तो उसके मोम डेड दोनों ही सेम की ओर देखते हुए पागलों कि तरह हंस रहे थे। जिससे मानो सेम ने चैन की सांस ली हो। उसकी धड़कन अब सामान्य हुई थी । वह बस ऐसे ही बैठा हुए दोनों की ओर देख रहा था । सेम का दिमाग मानो बंद हो चुका था । वह इससे पहले इतना नर्वस कभी नहीं हुआ जितना वह अभी हुआ था। सच पारो कभी जान ही ले लेगी मेरी दिल के साथ - साथ वह सोच ही रहा था कि सेम के पिता उसे कहते हैं ।

अश्विन: सेम तुम सच में डूब चुके है । पर अच्छी बात है काम से कम पारुल तुम्हे अच्छे इंसान में बदल रही है।
सेम: ( यह सुनकर उसके चहेरे पे एक मुस्कान आ जाती हैं ।) तो!! आप पारो से मिलेंगे? राइट!!
अश्विन: जब कोई लड़की इस हद तक हमारे बेटे को सुधार दे की वह किसी लड़की के बारे में बात करते वक्त हमसे डर रहा था कि में क्या कहूगा तो उस लड़की से में किसी भी कीमत पर मिलना चाहूंगा।
सेम: ओह!! प्लीज डेड में डर नहीं रहा था । वो तो बस ऐसे ही मुझे बताते हुए थोडी जीजक हो रही थी बस।
अश्विन: ( मुस्कुराते ) जो तुम समझो मुझे तो डर ही लगा। अब ये सब छोड़ो और तुम्हारी मां ने तुम्हारे लिए खास तुम्हारा पसंदीदा नाश्ता बनाया है । और ये लो तुम्हारा तोहफा !!
सेम: ( टेबल पर बॉक्स देखता है तो वह बॉक्स खोलता है तो उसकी पसंदीदा कार की चाबी थी । जिस वजह से वह खुशी से अपने मोम डेड को थैंक्यू कहता है )
अश्विन: पसंद आया तोहफा?
सेम: ( मुस्कुराते हुए) आप मुझे बेहतर जानते हैं डेड की मुझे कार का कलेक्शन कितना पसंद है । और हा आज शाम को डिनर पर पारो आएगी आप दोनों से मिलने।
अश्विन: ( मुस्कुराते हुए) कुछ ज्यादा ही जल्दी नहीं कर रहे तुम सेम ?? कहीं ऐसा ना हो की तुम आज के आज शादी कर लो !! आहाहाहाहाहा!!!!
निर्मला: अश्विन!!!
अश्विन: सोरी निर्मला पर तुम देखो तो सही अपने लाडले को कितना उत्सुक है । हमे मिलवाने के लिए!!
सेम: डेड प्लीज कोई जल्दी नहीं है । मै तो काफी समय से मिलवाना चाहता था पर सही वक़्त नहीं मिल रहा था । और रही बात शादी कि तो वो भी हो जाएगी अगर पारो हां कहेगी तो ।
अश्विन: हाहाहाहाहा!!!! बिल्कुल सही बेटा खुद को डूबाने में ही लगे हो । अभी बेचलर लाईफ है खुल के जियो फिर मेरी तरह सब बात पे मोहतरमा की मर्ज़ी चलेगी।
निर्मला: ( गुस्से में ) अश्विन!!!
अश्विन: सोरी निर्मला मेरे कहने का वो मतलब नहीं था में तो बस इसे समझा रहा था । वर्ना तुम्हे तो पता है की में कितना खुशनसीब हूं जो तुमसे शादी हुई मेरी।
सेम: डेड मोम आप लोग ये लड़ाई फिर कभी करना अभी डिनर के बारे में मत भूलना !! प्लीज
अश्विन: ठीक है । ( यह कहते हुए सेम के पिता ऑफिस के लिए चले जाते है ।)
सेम: मोम में भी जा रहा हूं पारुल को लेने के लिए और हां में बताना भूल ही गया भाई भी आ रहे हैं आज!!
निर्मला: सच... मै!!!
सेम: हां!! ( यह कहते हुए सेम भी पारुल को लेने के लिए निकल जाता है ।)

निर्मला किचेन में खड़े खड़े सोच ही रही थी कि काफी वक्त हो गया जब सारा परिवार एक साथ मिला हो । वह तो बस अपने दोनो बैटो कि पसंदीदा खाना बनाने में लग जाती हैं। उसके चहेरे पे मुस्कान जा ही नहीं रही थी । वह मन में सोच ही रही थी कि पारुल सच में लक्की है कि जिसकी वजह से निर्मला का परिवार इतने सालो बाद फिर से एक साथ होगा ।