chor ki chalaki aur balwan ki bevkufi in Hindi Short Stories by Mr.S.S.Patel books and stories PDF | चोर की चालाकी और बलवान की बेवकूफी

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चोर की चालाकी और बलवान की बेवकूफी

आज से करीब २५० साल पहले की बात है। उस वक्त जगन्नाथ नामक महान राजा का राज हुआ करता था। राजा बहॉट दयालु और प्रजा के प्रति उदार भावना रखनेवाला था।

उनके राज्य में राजू नामक एक बलवान रहेता था। बलवान का मुकाबला राज्य में कोई नहीं कर सकता था ।राजू बलवान राजा का अंग रक्षक के स्थान पर था। राजा उनके प्रशंसा सुन कर बाहोत प्रभावित होते थे। इस लिए राजू बलवान अपने आप को अधिक ही बलशाली मानता था।

वैसे कहते है ना भगवान कुछ अच्छा दे कर कुछ अच्छा छीन लेते है,वैसे ही राजू बलवान को बल दे कर बुद्धि छीन ली थी। राजू बलवान बेवकूफ था किसी की भी बात में आ जाता था। पर उसके बल के आधार पर राज्य की प्रजा को बहाॅट सताता था। पैसे दिए बिना किसी की भी वस्तु छीन लेता था। लेकिन प्रजा कुछ बोल नहीं पाती थी क्युकी वो राजा का अंग रक्षक था और बहुत बलवान था। प्रजा बलवान से बहोत नाखुश और घुटन से जीती थी। कई बार तो प्रजा ने राजा को भी सिकायत की पर राजा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।

ऐसे ही चलते चलते वार्षिक प्रतियोगिता का समय आ गया था । इस बार प्रतियोगिता पास के राज्य में होने वाली थी।

इस प्रतियोगिता बाहोत्त रोमांचक होने वाली थी,क्युकी इस बार हर प्रतियोगी को बैल से मुकाबला करके उसको मार डालना था। और इस प्रतियोगिता का नाम था "बैल मार"प्रतियोगिता। इस प्रतियोगिता दूसरे से अलग थी क्युकी जितने के लिए जान भी लगानी पड़ सकती थी।
समय आने पर राजा को भी इसका निमंत्रण मिला ,और राजा सोचने लगे की उसके राज्य से को जाएगा ,इतने में राजू बलवान आया और राजा ने बलवान को सारी बात बताई । राजू बलवान ने राजा से कहा के वे प्रतियोगिता में जाने के लिए तैयार है । राजा ने पलहे तो मना किया क्युकी उसमे जान का खतरा था। मगर राजू बलवान नहीं माना और जाने की जिद करने लगा । राजा ने आखिर में जाने के अनुमति दी।

आखिर प्रतियोगिता का समय आ गया । राजू बलवान पास के राज्य में जाने के लिए उसुक था। पास के राज्य में जाने के लिए जंगल को हो कर रास्ता था। वे जंगल से हो कर पास के राज्य पहुच गया। आस पास के राज्य से कहीं बलवान आने वाले थे। और पत्योगिया का आरमभ हुआ।

देखते ही देखते कई बलवान ने अपने प्राण गवा दिए।
आखिर में राजू बलवान की बारी थी। १० हाथी की ताकत रखने वाले राजू ने बैल को मार दिया । और उसने पत्योगिता जीत ली। इसके इनाम में एक २५ लीटर दूध देने वाली गाय थी। और राजू बलवान को वो गाय मिल गई ।
राजू बलवान खुश हो कर गाय लेकर जंगल वाले रास्ते से आ रहा था। राजू को पता भी नहीं था के जंगल में 5 चोर उसका इंतजार कर रहे है।
चोर गाय को लूटने की साज़िश कर रहे थे। मगर वो बलवान का मुकाबला नहीं कर सकते थे। एक ने युक्ति बताई और कहा के"हम राजू बलवान के रास्ते में थोड़े थोड़े अंतर में खड़े हो जाएंगे और उसको कहेंगे के"के अरे भाई ये क्या आप शेर को लेकर कहा जा रहे हो। कहीं आपको खा ना ले । पल्हे तो उनको यकीन नहीं आयेगा मगर हम सब ऐसा कहेंगे तो वो गाय को छोड़ कर चला जाएगा और हम लूट लेंगे

युक्ति के अनुसार वे राजू के रास्ते में खड़े हो कर इंतजार करने लगे। राजू बलवान पहले चोर के पास पहुंचा और चोर ने कहा के "अरे भाई ये क्या तुम सिंह को लेकर कहा जा रहे हो "राजू बलवान ने कहा के"अरे भाई ये तो गाय है जो मुझे इनाम में मिली है।"वापस चोर बोला के"नहीं नहीं ये सिंह है।ऐसे बात करते करते वो निकल गया ।

आगे के तीन चोर के साथ भी ऐसा ही हुआ।और अब आखिरी चोर की बारी थी। आखिरी चोर ने भी आगे के चोर जैसे ही कहा । मगर इस बार राजू को यकीन हो गया था कि वो सचमे ही शेर है । और राजू डर कर गाय को छोड़ कर भाग गया। चोर ने गाय को लूट लिया।

राजू भागा भागा उसके राज्य में पहोच गया । राजा के पास जाकर उनसे सारी बात बताई ।राजा पहले खुश हुवे क्योंकि उसने पत्योगीता जीत ली थी और उनसे राजू को साबाशी दी। और बाद में गुस्सा हो कर राजू को कहा की" मूर्ख वो तुझे तो गाय ही मिली थी। लगता है किसी ने तुझे बेवकूफ बनाए है।"ये सुनकर राजू को शोक लगा । और उसे अपनी भूल समझ में आ गई।

ये बात पूरे राज्य में गूंज उठी । सबको पता चल गया कि उसमे सिर्फ बल है। मगर बुद्धि बिल्कुल नहीं है। बेवकूफ बेवकूफ कहकर सब राजू को चिढ़ाने लगे । राजू को बाहोंत सर्मिंडगी हुई।

राजू को अहेसास हुआ के बल होना ही सबकुछ नहीं होता। बुद्धि का होना भी आश्यक है।