Addbhut prem - 4 in Hindi Love Stories by Saroj Verma books and stories PDF | अद्भुत प्रेम--(चतुर्थ पृष्ठ)

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अद्भुत प्रेम--(चतुर्थ पृष्ठ)

प्रकाश के आ जाने से सुलक्षणा बहुत ही परेशान हो गई थी और प्रकाश भी उसे वहां देखकर चकित था, उससे अकेले में मिलने के बहाने ढूंढने लगा,सुलक्षणा को ऐसे परेशान देखकर, जीजी ने पूछा ही लिया,क्या बात है?बहु इतनी खोई-खोई और इतनी परेशान क्यो दिख रही हो, तभी सुलक्षणा जीजी के गले लगकर रो पड़ी, बोली जीजी मेरा अतीत मुझे जीने नहीं देता, मैं जितना भूलने की कोशिश करती हूं, घूम-फिर कर सामने आ ही जाता है, कहीं कान्हा के रुप में और कहीं.............
रुक क्यो गई,अब आगे बोलेगी, जीजी बोली।
सुलक्षणा बोली ये जो हमारे घर व्यापारी बनकर आया है,यही कान्हा का बाप है,इसी ने मुझे धोखा दिया था, जीजी मुझे बहुत डर लग रहा है इससे ,ये कहीं कुछ उल्टा-सीधा ना कर दे, वैसे भी ठाकुर साहब ने मुझे अभी तक अपनाया नहीं है, इसके आ जाने से मेरी बसी बसाई गृहस्थी ना बर्बाद हो जाए।
जीजी बोली डर मत बहु, ऐसा कुछ नहीं होगा,प्रकाश तेरा अतीत है और फतेह तेरा आज, तुझे किसी से इतना डरने की जरूरत नहीं है, जीजी और सुलक्षणा के बीच की बातें, दरवाज़े के पीछे खड़े फतेह ने सुन ली।
सुलक्षणा जिस बात से डर रही थीं, वहीं हुआ___
शाम का समय था,सब छत पर बैठकर चाय-नाश्ता कर रहे थे, सभी गरम-गरम पकौड़ियों का आनंद ले रहे थे, पकौड़ियां खत्म हो रही थी, तभी जीजी बोली, बहु पकौड़ियां कम हो रही है,जरा नीचे से और ले आ,सुलक्षणा बोली अच्छा जीजी।
सुलक्षणा जैसे ही नीचे पहुंचीं, वैसे ही पीछे-पीछे प्रकाश लघुशंका के बहाने नीचे आ गया और सुलक्षणा का हाथ पकडने की कोशिश की,सुलक्षणा ने अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली दूर रहो मुझसे,प्रकाश बोला, मुझे तुमसे बात करनी है सुलक्षणा, मैं तुम्हारा वहीं प्रकाश हूं, जिससे तुम बहुत प्यार करती थी,सुलक्षणा बोली चले जाओ यहां से मुझे कुछ नहीं सुनना।
प्रकाश बोला, इतना घमंड, इतनी अकड़, बहुत सती -सावित्री बन रही हो और प्रकाश ने सुलक्षणा को पकड़ने की कोशिश की,सुलक्षणा ने जोर से जीजी को आवाज दी, जीजी बूढ़ी होने की वजह से नीचे जल्दी जाने में असमर्थ थी तो उन्होंने तुरंत फतेह से कहा,जा नीचे जल्दी जाकर देख क्या बात है? बहु क्यो चिल्लाई?
फतेह सिंह ने देखा,प्रकाश सुलक्षणा को छूने की कोशिश कर रहा है और सुलक्षणा उससे खुद को छुड़ाने की, फतेह सिंह ने प्रकाश को पकड़ा और अच्छे से तीन-चार थप्पड़ लगाकर नीचे पटक दिया,प्रकाश उठा और बोला, ठाकुर साहब आप जिसे पवित्र समझ रहे हैं, उसे मैं ना जाने कितने बार अपवित्र कर चुका हूं, ये कोई सती-सावित्री नहीं है, तभी उठते ही ठाकुर साहब ने एक जोर का थप्पड़ प्रकाश के गाल पर और धर दिया और बोले____
खबरदार! जो मेरी पत्नी के बारे में कुछ भी उल्टा-सीधा बोला तेरी जुबान निकाल दूंगा, मेरी पत्नी कितनी पवित्र है और कितनी सती-सावित्री , मुझे ये तुमसे जानने की जरूरत नहीं है,निकल जाओ मेरे घर से और आज के बाद ये मनहूस शक्ल दिखाई,तब तक सब भी नीचे आ गये, प्रकाश ने धमकी देना शुरू कर किया कि मैं किसी को नहीं छोडूंगा, बदला लेकर रहूंगा और दामाद जी ने धक्के देकर प्रकाश को बाहर निकाल दिया और बोले,तुम इतने घटिया आदमी हो, मैंने नहीं सोचा था।
फिर दामाद जी ने माफी मांगी कि मामा जी मुझे क्षमा करें, मेरी वजह से आपको इतनी परेशानी हुई,फतेह सिंह बोले नहीं दामाद जी आप क्यो क्षमा मांग रहें हैं,वो ही घटिया इंसान था।
रात में सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए,सुलक्षणा बहुत डरी हुई थी, अपने कमरे में जाने से डर रही थी, फिर जीजी ने समझाया, तेरी क्या गलती है,तू क्यो डर रही है, फतेह कुछ नहीं कहेगा, उसे कुछ कहना होता तो उस समय प्रकाश के सामने तेरा पक्ष ना लेता,तू अपने कमरे में जा,सुलक्षणा अपने कमरे में गई देखा तो फतेह, अपनी चटाई बिछाकर लेट गए हैं,सुलक्षणा उनके पास गई और पैर पकड़ कर उनके पैरो मे अपना सर रखकर बोली मुझे माफ़ कर दीजिए ठाकुर साहब!
फतेह सिंह ने सुलक्षणा को प्यार से उठाया और बोले मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूं,उस दिन मैंने , तुम्हारे और जीजी के बीच हुई बातें सुन ली थीं, मुझे पता है कि तुम निर्दोष हो लेकिन मुझे थोड़ा और समय चाहिए,अब जाओ सो जाओ।
और बिटिया और दामाद जी भी दो दिन रहने के बाद चले गए।
इसी तरह दस-बारह दिन निकल गये, तभी एक दिन___
बहुत दिन चढ़ आया था लेकिन सुलक्षणा बिस्तर से नहीं उठी,उस दिन भगवान की पूजा भी नहीं हुई थी, तभी जीजी सुलक्षणा के कमरे तक आईं और आवाज दी,बहु........
तभी सुलक्षणा ने कमरे के अंदर से आवाज दी, जीजी अंदर मत आइए, मुझे बहुत तेज बुखार है और साथ में शीतला माता भी निकल आईं हैं, वैसे भी ये छुआछूत का रोग है,आप कान्हा को लेकर अपने साथ रखिए, मेरे पास ना आने पाए।
जीजी ने सब कुछ फतेह को बताया,फतेह ने कहा कैसे उपचार होता है रोगी का मुझे बताये जीजी, मैं करूंगा,रोगी की देखभाल,आप बस कान्हा को दूर रखियेगा, वैसे भी कोई नौकरानी भी नहीं तैयार हो रही , सेवा के लिए तो मुझे ही करनी पड़ेगी,सुलक्षणा की देखभाल और आपकी भी उमर हो गई है,आप बस कान्हा का ख्याल रखिए।
फतेह ने हफ़्ते भर सुलक्षणा का ख्याल रखा, उसे रोज नीम के पानी से स्नान करवाता, बिस्तर पर नीम के पत्ते बिछाता, अपने हाथों से खाना खिलाता,बुखार होने पर,माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखता,उसका सर भी दबाता, उसके बालों में तेल लगाता, उसके बाल भी बनाता, और ये सब देखकर सुलक्षणा मारे खुशी के निहाल हुई जाती, कभी कभी उसकी आंखों से खुशी से पानी भी बहने लगता,फतेह सिंह पूछते कि क्यो रो रही हो तो वो कहती ये तो खुशी के आंसू हैं,आपको पाकर मैं तो धन्य हो गई।
ऐसे ही पन्द्रह दिन के बाद सुलक्षणा ठीक हो गई, जीजी सबको लेकर मंदिर गई और शीतला माता की भी पूजा करवा दी,सुलक्षणा और फतेह के हाथों कन्या भोज भी करवाया, फिर सब घर आए।
जीजी ने घर आकर मालिन को बुलवा भेजा, बोली आज इस कमरे को फूलों से सजाओं,बस कमरे से फूलों की खूशबू आनी चाहिए,जाते समय फतेह को दरवाजे के पास मालन मिली, उससे पूछा भी कि तुम यहां क्यों आई थी?वो बोली, आपकी जीजी ने बुलवाया था, फतेह अंदर आए और जीजी से पूछा, जीजी मालिन को क्यो बुलवाया था? जीजी बोली, तेरी और सुलक्षणा की सुहागसेज सजवाने के लिए,शाम को आएगी फूल लेकर सेज सजाने, इतना सुनकर फतेह सिंह मुस्करा दिए।
जीजी बोली,जब उससे प्यार करने लगा है तो अपना भी ले,जा और बाजार से एक अच्छी साड़ी और मिठाई ले आ, फतेह मुस्कुराते हुए, बाजार चला गया, फिर जीजी बोली अब तू क्या पर्दे की आंड से सुन रही है,चल बाहर आ, और सुलक्षणा शरमाते हुए बाहर आईं और खूशी के मारे जीजी से लिपट गई।
शाम को सारी तैयारियां हो चुकी थीं, कमरा भी सज गया था, तभी हवेली में प्रकाश दाखिल हुआ और बच्चे को ले जाने लगा, जीजी ने देखा और शोर मचाने लगी,फतेह आया उसने कान्हा को छीना ,इतने में प्रकाश ने चाकू निकाला,फतेह को मारने की कोशिश की,फतेह ने अपना बचाव किया लेकिन उसकी बांह में चाकू लग गया, तभी किसी ने मिट्टी खोदने वाली कुदाल से प्रकाश के सर पर वार किया, प्रकाश के सर पर गहरी चोट लगी और वो वही ढेर हो गया,प्रकाश पर वार किसी और ने नहीं सुलक्षणा ने किया था।
तभी सुलक्षणा के हाथ से कुदाल छीनकर,फतेह ने ले ली, पुलिस आई,फतेह ने सुलक्षणा को चुप रहने को कहा और खुद जुर्म कबूल कर लिया, अदालत में केस चला, और ये साबित हो गया कि अपने बचाव में फतेह सिंह ने प्रकाश का खून किया था और फतेह सिंह को सिर्फ एक साल की सजा हुई।
एक साल बाद फतेह सिंह जेल से रिहा हो गया।
आज सुलक्षणा और फतेह सिंह की मधु-चन्द्र रात्रि बेला है, दोनों बहुत खुश हैं और ये थी दोनों की अद्भुत प्रेम कहानी।

समाप्त_____

सरोज वर्मा____🦃