Hawashi ped - 2 in Hindi Horror Stories by ADARSH PRATAP SINGH books and stories PDF | हवशी पेड़ - 2

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हवशी पेड़ - 2

थाने में नए अफसर का आगमन हो चुका था अफसर पहले से ही वाकिब था छेत्र में हो रहे मौत मंजरों के विषयों में ,आते आते ही अफसर ने सबसे पहले उस पेड़ के पास का दौरा किया और गाँव वालों की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था में लग गया।उसी दौरान अफसर ने उस पेड़ के पास चार पुरुष कॉन्स्टेबल को नियुक्त किया और पूरे छेत्र के लोगो को अवगत कर दिया कि जबतक किसी भी प्रकार की जाकारी उपलब्ध नही हो जाती है तब तक कोई भी व्यक्ति उस पेड़ के पास नही जाएगा और महिलाएं शाम 6बजे के बाद बाहर नही निकलेगी । यह प्रक्रिया कई दिनों तक चली और यह सफल भी रही लोगो के बीच उस पेड़ का डर खत्म हो गया था ,अफसर की बहादुरी तारीफ के काबिल थी लगभग 3 महीनों की कडू मसक्कत के बाद मौत का मंजर थम स गया था ,उसी दौरान गाँव वालों ने इस विषय पर रंगारंग कार्यक्रम की व्यवस्था की जिसमे मुख्यातिथि के रूप में नए दरोगा साहब का स्वागत किया।गाँव मे खुशियो की महफ़िल सी दौड़ आयी थी लेकिन कौन जानता था कि एक छोटी सी छूट एक और मौत का कारण बन सकती है,कार्यक्रम बड़ी धूम धाम से चल रहा था आस पास के गाँव के लोगो को भी बुलाया गया था कार्यक्रम सम्पति पर था कि खबर आई कि बगल वाले गांव के मुखिया की बड़ी बेटी गलती से उस पेड़ तरफ चली गयी है जो कि कार्यक्रम में मेहमान नवाजी में भी थी, लोगो की भीड़ उस पेड़ की तरफ जा दौड़ी लेकिन लोगो की पूरी टोली जब तक वहाँ पहुची तब तक बीते 4महीनों में यह छटवी मौत हो चुकी थी ,गाँव वालों की खुसी को धुकी में बदलने में छड़ भर का समय न लगा ,एक तरफ बगल गाँव के मुखिया अपनी पगड़ी उतार कर अपनी बेटी लाश पर बैठे रो रहे थे माँ और उसका परिवार अपने आशुओ को रोकने में पूरी तरह से नाकाम थे एक मुखिया ने दूसरे मुखिया को उठाया और समझाया कि इस गलती का हम जुर्माना तो नही भर सकते है लेकिन आपको सिर्फ दिल से लगा कर दिलाशा दिला सकते है कि हमारी बेटी भी आपकी ही बेटी है,काफी रात हो चुकी थी इस लिए दाहसंस्कार प्रातः काल ही होना था इस अंधेरी रात ने चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा कर दिया था लेकिन अँधेरे को डूबाने के लिए रोशनी की आवस्यकता होती है, सुबह होती दाहसंस्कार की तैयारी होती है लड़की का दाहसंस्कार होता है उसी दौरान छेत्र के दरोगा साहब भी उस दाहसंस्कार की ज्वाला में प्रण लेते है और कहते है कि इस किस्से का अंत जल्द ही करूँगा
सभी लोगो के बीच मे निराशा अपना माहौल बनाये हुए बैठी हुई है
दरोगा साहब भी निराश थे ,इस कड़ी को जितना आसानी से सुल्जाना चाहो कड़ी उतनी ही बेकार होती जा रही थी दरोगा साहब ने गाँव के मुख्य लोगो की बैठक बुलाई ,लोगो की बैठक में दरोगा साहब ने लोगो से कहा कि हम आप की मदद चाहते है कि आप लोग भी कुछ तरकीब बताये ,गाँव के लोग भय के दौरान उपाय निकलने में असमर्थ थे इस बैठक में कोई उपाय निकलने में सभी असमर्थ थे दरोगा साहब ने कुछ समय के लिए पुराने नियम को लागू कर दिया था कि उपाय के लिए समय मिल सके , दरोगा साहब काफी चिंतित थे तभी दरोगा साहब को पता चलता है कि