rishta ek kagaj ka - 5 in Hindi Love Stories by Dhruv oza books and stories PDF | रिश्ता एक कागज का । - 5

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रिश्ता एक कागज का । - 5

(निशांत एक फ़ूड पॉइंट पे बैठे हुए कुछ सोच रहा है तभी पीछे से केयूर अपना हाथ निशांत के कंधे पर रखता है)

केयूर - अरे यार क्या सोच रहा है , ओर तूने नास्ते का आर्डर दिया या नही ?

निशांत - नही रुक अभी दे देता हूं ,

(निशांत वेटर को बुलाके आर्डर देता है)

केयूर - अब बात क्या बात है , क्या सोच रहा है ।

निशांत - कुछ नही यार , यही सोच रहा था कि एक साल हो रहा है मेरी शादी को ओर पेहली ही एनिवर्सरी पे ये गिफ्ट दे रहा हु क्यारा को अच्छा तो लगेगा ना ।

केयूर - अरे अच्छा अबे बहोत अच्छा लगेगा कि उसे ऐसा पति मिला है , ओर भाई इतना मत सोचा कर क्योंकि तू सोचता है तो मुजे दर लगता है ।

निशांत - नही यार वो बात नही है, तुजे पता है मेरा ओर क्यारा का रिश्ता ऐसे बहोत से सवालो पे खड़ा है जिसका जवाब शायद किसीको पसंद ना आये हम दोनों मेसे ओर ,

में खुद कई ऐसे सवालो का बोझ लिए बैठा जिसका जवाब मेने कभी खुदको नही दिया, ओर नाही देना चाहता हु ।

केयूर - देख भाई बिना सवाली जिंदगी किसी काम की नही होती तो सवाल होने चाहिए वो अच्छे है , ओर सही समय का इंतजार कर मेरे भाई , समय सबकुछ ठीक कर देता है ।

निशांत - हा समय ही तो है मेरे जीवन का सबसे बड़ा पंगा अगर वही सबकुछ ठीक करने पर आया तो फिर तो हो चुका, चल छोड़ ये सह नाश्ता करते है और घर चलते है कल की प्लानिंग भी करनी है ।

(निशांत रूम में क्यारा से बात करता हुआ)

निशांत - क्यारा सुनो ना कल हमे दोपहर को बाहर जाना है तो जल्दी से खाना बानाके रेडी हो जाना ठीक है ।

क्यारा - अच्छा क्यो कल कुछ है क्या ?

निशांत - हा तुम इतने टाइम से जिस पार्टी के बारे में मुझसे लड़ती थी वो है कल शाम को ।

क्यारा - अरे वाह , ठीक है में हो जाऊंगा तैयार लेकिन क्या आपने सबको बुला लिया है , (मन ही मन वो अपनी बहनों ओर सहाब के बारे में सोच रही थी )

निशांत - हा मेरे पूरे स्टाफ ओर दोस्तो को बुला लिया है । ओर माँ के दोस्तो को भी कह दिया है ।

क्यारा - (थोड़ा उदास मुह बानाके) अच्छा ठीक है ,

(निशांत माँ और क्यारा को लेकर एक जगह पहोचता है जहाँ एक बिल्डिंग खड़ी है जिसके उपर कपड़ा ढका हुआ है आंगन में पूरा सजावट किया हुआ है सभी निशांत के स्टाफ ओर दोस्त वहां मौजूद होते है और सभी क्यारा ओर निशांत का स्वागत करते है )

निशांत - क्यारा , हैप्पी एनिवर्सरी ओर ये रहा तुम्हारा गिफ्ट ,

(निशांत अपने पैरों पे बेठता है और क्यारा को एक रिंग पहनाता है , ओर पहली बार आई लव यू कहता है)

(फिर खड़े होकर उस बिल्डिंग के पास ले जाके एक रस्सी का टुकड़ा क्यारा के हाथमें देता है और कहता है)

निशांत - क्यारा मेरी लाइफ में तुम्हारा आना अबतक की सबसे सुखद घटना है , ओर उसके लिए में तुम्हे जितना कहु उतना कम है लेकिन मेरी तरफ से में तुम्हे सिर्फ इतना ही दे सकता हु , प्लीज़ इसे स्वीकार करो और ये रस्सी खींचो ये गिफ्ट मेरे ओर तुम्हारे दोनो के लिए है ।

(क्यारा ये सब देखके हैरान हो जाती है और खुशी के मारे कुछ बोल नही सकती, लेकिन अपनी बहेनो को याद अंदर ही अंदर याद करती हुई वो रस्सी खिंचती है और पर्दा नीचे गिरता है )

(एक नाम लिखा है बिल्डिंग के ऊपर ओर नीचे अपनी बहन और सहाब को देखती है )

(क्यारा दौड़ के अपनी बहेनो को गले लगती है, ओर रोने लगती है , ऊपर देखते हुए नाम को पढ़ती है “आशा का समंदर” क्यारा समज नही पाती और निशांत के पास आके पूछती है इसके बारे में ओर निशांत कहता है)

निशांत - क्यारा पता है एकबार तुमने मुझसे कहा था कि तुम काम करना चाहती हो ओर इसके लिए तुम भाग के हैदराबाद भी गयी थी, अब तुम्हे कही जाने की ज़रूरत नही ये आशा का समंदर तुम सब बहेनो के लिए काम करने की जगह है जहाँ तुम जो बेस्ट कर सकती हो वो काम तुम्हे यहां करना है ,ओर ये संस्था ऐसी हर औरत को काम देगी जिस औरत को इसकी जरूरत है, ओर तुम ये संस्था संभालोगी ।

(क्यारा फुट फुट के रोने लगती है और निशांत के गले लग जाती है)

【आशा करता हु आपको कहानी अच्छी लगी होगी】
【निशांत, क्यारा ओर मेरी तरफ से सबको】
【धन्यवाद】