Prem do dilo ka - 6 in Hindi Fiction Stories by VANDANA VANI SINGH books and stories PDF | प्रेम दो दिलो का - 6

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प्रेम दो दिलो का - 6

निर्मल खुश तो बहुत है लेकिन वह अपनी ख़ुशी जाहिर नहीं कर सकता, वह चुप चाप जाकर दूसरे कमरे में रमन और रूबी को पड़ने लगता है । नीरू को जाने जैसे किसी ने पानी से भिगो दिया हो वो समझ नहीं पा रही है कि उसने किया क्या है? वह पास में रखी कुर्सी पर बैठ गई क्यों निर्मल चला गया वह क्या सोच रहा होगा कि इस तरह का बरताव कैसे कर सकती हूं! बहुत सोचने के बाद उस कमरे मे जाती है जहा निर्मल उसके भाई बहन को पड़ा रहा होता है नीरू को देख निर्मल थोड़ा सा मुस्कुराता है कहता है क्या तुम्हारा पड़ने का मन हो गया? नीरू धीरे से हा कहती और एक किताब लेकर पास की कुर्सी पर बैठ जाती और चुप चाप किताब में देखने लगती और उसका पड़ने में मन लग कर इस बात पर लगा था कि निर्मल उसके बारे में क्या सोच रहा होगा इतने में रूमी आती कहती है कि निर्मल को चाय पिला दे नीरू , नीरू को तो होश ही कहा था ! बिना मा की बात सुने नीरू ने कहा मा मुझे चाय पीना है अब निर्मल भी पिएगा रूमी बोली वही तो कह रही चाय बना ले !बात खतम नही होती निर्मल भी हा कर देता रूबी चाय पी ला दो आप आज नीरू बिना कहे चाय बनाने चली जाती है इतने में उसके विजयआते जब निर्मल को घर में देखते है तो कहते है कि निर्मल कैसे हो तुम हमरी तो मुलाकात ही नहीं हो पाती है !निर्मल और विजय आपस में बात करने लगते है नीरू चाय लेकर आती है तो भी यही सोचती है कि आज जो हुआ वो निर्मल किसी को बताएगा तो नहीं ये सोचते सोचते विजय के पास पहुंच जाती और विजय देखता नीरू आज कुछ खोई खोई है पूछता क्या हुआ आज मेरी बिटिया को किसी ने कुछ कह दिया है क्या? नीरू कहती नहीं पापा वो बस घर में परेशान हो जाती है उसे अब स्कूल जाना है लेकिन मा मना कर रही है । विजय कहते अभी तुम्हारी सेहत ठीक नहीं तुम इतनी दूर साईकिल कैसे चला पाओगी , विजय कहता निर्मल तुम सुबह क्या करते तुम छोड़ आओ नीरू उसके स्कूल नीरू कहती नहीं पापा आप चलो आप मेरे स्कूल कभी नहीं जाते ! ठीक मै ही चलुंगा लेकिन कल निर्मल छोड़ आयेगा और बाद में लेने भी आयेगा निर्मल को गाड़ी की चाभी देते हुए विजय बोले चलानी आती है ना निर्मल हिचकिचाते हुए हा आती है सहर में कई बार दोस्तो गाड़ी चलाई है ।
नीरू सोचती है कि वह कल निर्मल से माफी माग लेगी और कहेगी जो हुआ उस से गलती से हो गया उसका दिमाग खराब हो गया था उस वक़्त जो उसने इस तरह का बरताव किया। निर्मल की खुशी के चार चांद लग गए हो जैसी निती भी उन दोनों को मिलना चाहती हो ।
अगली सुबह नीरू ने अपनी स्कूल के कपड़े पहने और निर्मल एक नीले रंग की कमीज़ और काली पैंट में आया उसको स्कूल ले जाने के लिए नीरू अपना बैग बीच में रखती है और गाड़ी में सवार होने की कोशिश में निर्मल का कंधा पकड़ा और छोड़ दिया निर्मल सही से हो कोई दिक्कत परेशानी तो नहीं है अब चले! नीरू हा!
घर से दूर जाने पर नीरू मुझे कल के लिए माफी दे दो मेरा एसा कोई उद्देस नहीं था मै कल के लिए सरमिंदा हूं । निर्मल प्यार से नीरू जो तुम्हे महसूस हो रहा है वो मेरे भी दिल में जगह बना चुका है । मै बिल्कुल सच कह रहा हूं कि मैं तुम से प्रेम करता हूं और हमेसा करना चाहता हूं मुझे तुम बहुत प्यारी लगती हो मै तुम्हे बता नहीं सकता मेरा दिल कितना चाहता है तुम्हे।।
बात का जवाब मिलने से पहले ही स्कूल आ जाता है नीरू बिना कुछ बोले स्कूल चली जाती है ।
बाकी कहानी अगले पार्ट में