pagl e ishq - 1 in Hindi Classic Stories by Deepak Bundela AryMoulik books and stories PDF | पागल-ए-इश्क़ - 1

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पागल-ए-इश्क़ - 1

दोस्तों.. नमस्कार.. 🙏

आपके सामने एक फिर प्यार की कहानी के साथ मौजूद हूं... मेरा हमेशा से मकसद यहीं रहा हैं कि प्यार को समझें एक दूसरे की भावनाओं को समझें आप कितने खुश नसीब हैं कि आपको प्यार करने का मौका मिला... लेकिन इस दुनियां में ऐसे बहुत से लोग भी हैं जो सच्चा प्यार करते हुए भी एक दूसरे के ना हों सके.. कारण कभी समाज की बेड़िया रही तो कहीं हालात लेकिन ज़रूरी नहीं उसके पीछे हम ज़िन्दगी ही बर्बाद कर लें.. सच्चे प्रेमी कभी जीवन का अंत नहीं करते.. ये कहानी मैंने सन 2001 में फ़िल्म के लिए लिखी थी जिसकी 8 रील और 4 गाने कम्प्लीट हों चुके थे मेन लीड कास्ट न्यू कमर थे बाकी सपोर्टिंग कॉस्ट सारे नामचीन थे फण्डिंग की शॉर्टेज के कारण फ़िल्म बंद हों गयी.. मैंने सोचा चलो फ़िल्म नहीं पढ़ने लायक कहानी ही पेश करुं जो सौभाग्य मुझें मातृ भारती पर मिला यहां पाठक बहुत ही अच्छे हैं जो समय समय पर गाइड भी करते हैं जिनका मैं हमेशा शुक्रगुज़ार रहूंगा.. मैं एक बार फिर इस फ़िल्म को नये सिरे से शुरुआत करने की चाह रखता हूं.. यदि सहयोग मिला तो निश्च्य ही इसे पर्दे पर उतारूंगा... बस आप सभी का आशीर्वाद साथ रहें... मेरी अन्य कहानियों के साथ साथ आप इसे भी पढ़े.. !

धन्यवाद 🙏🙏🙏
आपका
दीपक बुंदेला "आर्य मौलिक"

नोट - ये कहानी पढ़ने के हिसाब से लिखी गयी हैं जो फ़िल्म के हिसाब से शार्ट डिवीजन नहीं हैं. कहानी का शीर्षक फ़िल्म के हिसाब से नहीं हैं..
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दयाल जी रीनू की फ्लाइट का समय हों गया हैं और आप अभी तक ऐसे ही घूम रहें हैं..
मैडम जी गाड़ी तो काफी देर से तैयार हैं लेकिन..?
लेकिन क्या..?
वो बाहर उस पागल ने परेशान कर रखा हैं..
इतना सुनते ही महक के तेवर शांत हों जाते हैं
आप तैयारी करिये मैं देखती हूं..
जी मैडम जी..
और दयाल वहां से चला जाता हैं
रोहन... रोहन.. इस लडके के आलसी पन ने तो नाक में दम कर रखा हैं
तभी आया दौड़ कर आती हैं..
जी मेम सहाब..?
रोहन कहा हैं..?
बाबा सहाब तो काफ़ी देर से आपका लॉन में इंतज़ार कर रहें हैं.
ओह.. इसका मतलब मैं ही लेट हों गयी.. और महक तेज क़दमों से जाते हुए कहती हैं अम्मा सारी तैयारी करके रखना रीनू पूरे 12 साल बाद घर आ रही हैं..
जी मेम सहाब..
जैसा कहा हैं पूरी वैसी ही तैयारी रखना आज उसका बर्थडे भी हैं..
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महक के बगले के बहार मेन गेट पर वो पागल अड़ कर ओधे मुंह लेटा था.. महक उसके पास आती हैं.. और प्यार से कहती हैं.
देखो हमें जानें दो.. !
इतना सुनते ही पागल फ़ौरन उठ कर बैठ जाता हैं और महक को गौर से देखता हैं महक उसके पास बराबरी से बैठती हैं और उसके कान के पास अपना मुंह लाकर बोलती हैं देखो साहिल आज रेनू आ रही हैं..
गुड़िया.. गुड़िया...? हमारी गुड़िया..
महक थोड़ा सा मुस्कुरा देती हैं
साहिल कुछ देर के लिए चुप हों जाता हैं... उसके आंखो में आंसू छलक आते हैं.. और रोता हुआ सा मुंह बना कर उठ कर सड़क के दूसरी तरफ चला जाता हैं.. महक की आंखे भी भर आती हैं अपने साड़ी के पल्लू से अपने आसुओं को पोछते हुए उठती हैं
इधर कार में बैठे बैठे रोहन और दयाल वो नज़ारा देख रहें हैं...
कमाल हैं काका ये पागल तो बिना किसी जोर जवरदस्ती के चुप चाप चला गया..
जी बाबा सहाब मेम सहाब की बात ही अलग हैं
इतने में महक कार में आकर बैठ जाती हैं
चलिए दयाल जी.. वैसे भी हम काफी लेट हों चुके हैं
ओह मम्मा अभी पूरा एक घंटा हैं आप टेंसन ना लें हम एयरपोर्ट टाइम पर पहुंच जाएंगे.. सुबह का वक़्त हैं ट्रैफ़िक भी नहीं हैं..
अच्छा अगर ऐसा हैं तो आज तुम इतनी जल्दी कैसे सो कर उठ गए..
क्या मम्मा आज दीदी जो आ रही हैं आपको पता हैं सारी रात मुझें नींद नहीं आई बस यहीं सोचता रहा कब सुबह हों..
हा.. हा... देख रही हूं सारा उसके ही लाड़ प्यार का नतीजा हैं.. आने दें रेनू को पल पल की शिकायत करूंगी तेरी उससे..
मम्मा प्लीस दीदी से कुछ मत बोलना प्लीस मम्मा..
महक रोहन का मासूम चेहरा देखती हैं और मुस्कुराते हुए बोलती हैं.. इतना बड़ा हो गया हैं लेकिन हरकतें बच्चों जैसी करता हैं.. अच्छा तुम्हे याद हैं ना आज रेनू का जन्मदिन हैं...
हा मम्मा.. आपको क्या लगा मैं भूल गया हूं.. अच्छा मम्मा आज मैं दीदी को सरप्राइज करने वाला हूं
वो कैसे..?
एयरपोर्ट पहुचते ही पता चल जाएगा..
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