unknown connection - 33 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 33

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अनजान रीश्ता - 33

सेम अपने घर पहुंचते ही सीधा अपने रूम में चला जाता है । वह बस बाल्कनी में एसा ही खड़ा था । और तारो को देख रहा था । वह बस सोच ही रहा था कि पारुल को अपने दिल कि बात कहे या ना कहे । यह सारे सवाल उसके दिमाग में घूम रहे थे । तभी सेम को पीछे से कोई आवाज़ देता है -"सेम" । सेम आवाज की दिशा में मुड़ते हुए कहता है । " जी मा" । सेम की मोम सेम के पास बालकनी में खड़े होते हुए कहती है - "सेम" । सेम "हम्म" कहते हुए जवाब देता है । " सब कुछ ठीक तो है ना "- सेम की मोम सेम से कहती हैं ।
तभी सेम मुस्कुराते हुए जवाब देता है " और आपको एसा क्यों लगा जैसे कोई समस्या है । " सेम की मोम सेम के सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है । " काफी बाते छुपाने लगे हो तुम सेमजानते है हम की तुम बड़े हो गए हो खुद का ध्यान रख सकते हो पर इतने भी बड़े नहीं हुए की अकेले ही सारी समस्या अपने पास रखो । " यह सुनते ही सेम के आंख में से एक आंसू निकल आता है तो वह चुपचाप उसे हाथो से साफ करते हुए मुस्कुराते हुए कहता है । " मां आप बेकार में ही हमारी चिंता करती हैं आप जानती तो है कि हम किसी भी बात को दिल पर नहीं लेते तो समस्या कहा से होगी।" इसके उतर में सेम की मां सेम से कहती हैं । " समीर ( जिससे सेम अपनी मां की ओर देखता है । क्योंकि वह जान चुका था कि उसकी मां को भनक लग गई थी । कुछ तो हुआ है । ) अभी तैयार नहीं हो बताने के लिए कोई बात नहींलेकिन तुम्हे बताना पड़ेगाक्योंकि हम नहीं चाहते हमारा दूसरा बेटा भी हमसे दूर हो जाए ।" इस बात पर सेम अपनी मां की ओर देखता है तो उसके चहेरे पे दर्द के भाव थे । सेम अपनी मां को गले लगाते हुए कहता है । " ठीक है मै सही वकत आने पर बता दूंगा आपको और रही बात भाई की तो वह अपने काम में व्यस्त वर्ना वो क्यों घर नहीं आना चाहेंगे । " सेम की मां सेम की पीठ थपथपाते हुए कहती हैं । " इतने भी बड़े नहीं हुए बेटा की तुम अपनी मां से बाते बनाओ जानते है हम वो कितना व्यस्त हैं कि किसी ओर के साथ खाना खाने का वक्त है लेकिन अपने परिवार के लिए एक फुरसत की घड़ी भी नहीं है । " यह सुनकर सेम अपनी मां का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहता है । " ठीक है अगर भाई के यहां आने से आपके चहेरे पर मुस्कुराहट आती हैंतो हम वादा करते हैं आपसे भाई हमारे साथ खाना खाने ज़रूर आयेगे । ( मुस्कुराते हुए अपनी मां कि ओर देखता है । ) सेम की मां मुस्कुराते हुए सेम की ओर देखती है और कहती हैं । " इतने बड़े कब से हो गए तुम की हमारी समस्या समझने लगे हो ।" सेम मुस्कुराते हुए कहता है । " बस यूं समझ लीजिए कि हम तो समझदार ही थे आप ही हमे छोटे बच्चो जैसा ख्याल रखती हैं शायद इसलिए आपने नहीं देखा की हम भी अब काबिल है
सेम की मां सेम की ओर देखते हुए कहती है । " सेम जानते है कई बार हमने तुम्हे समझने में गलती कि है शायद तुम्हारे मजाकिया बरताव की वजह से पर एक बात का हमे गर्व है की तुम दोनों हमारे बेटे हो और जो भी समस्या है हम जानते है तुम अच्छी तरह संभाल लोगे । "
सेम मुस्कुराते हुए अपनी मां को सिर हिलाते हुए हा कहता है। तभी सेम की मां सेम का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहती हैं । " जानते है हम सेम कोई साधारण बात नहीं है पर जैसा हो रहा है उसे वैसे होने दो यूं दुखी होके कुछ नहीं मिलेगा अपनी ये मुस्कुराहट को किसी के लिए भी खोने मत देना । " सेम अपनी मां के हाथ पर हाथ रखते हुए कहता है । " शुक्रिया मां काफी अच्छा महसूस कर रहे है हम और हमें रास्ता भी मिल गया की आगे क्या करना है । " सेम की मां मुस्कुराते हुए सेम के बाल बिगाड़ते हुए कहती है । " ऐसे ही मुस्कुराते रहो और अब हम जा रहे हैं सोने तुम भी जल्दी सो जाना । सेम अपनी मां को हां कहते हुए थोडी देर और बालकनी में मुस्कुराते हुए खड़ा रहता है । और आज के दिन पारुल के साथ बिताया वह सारी यादें उसके आंखो के सामने आ रही थी । तभी सेम यह तय करता है कि चाहे जो भी हो। उसे पारुल मिले या ना मिले लेकिन वह इतनी जल्दी हार नहीं मानेगा । क्या पता शायद पारुल भी उससे प्यार करने लगे । वह बेड पे ऐसे ही लेटे हुए अपना मोबाइल देखता है । तो पारुल का नंबर पहले क्रम पर था । वह सोच रहा था कि एक बार कोल करके बात कर ले । लेकिन फिर सोचता है इतनी रात हो गई है । वह आज थक भी गई होगी । इसीलिए वह पारुल को मेसेज करता है।

सेम: हेय पारो आर यूं अवेक ... ;-)
दो मिनिट बाद पारुल का जवाब आता है ।
पारुल: हां बोलो कुछ काम था क्या? ।
सेम: नहीं बस ऐसे ही नींद नहीं आ रही थी और तुम्हारी याद भी आ रही थी । :-)
पारुल: सीरियसली सेम हम आज पूरा दिन साथ में थे । और अभी एक या दो घंटे हुए है तुम अपने घर गए उसे ।
सेम: हां ! तो दो घंटे ! पूरे दो घंटे हो चुके है । और मैंने तुम्हे नहीं देखा । बहोत बड़ी बात है ये मेरे लिए ।
पारुल: ( हंसते हुए सेम के मेसेज का जवाब देती हैं ) गोश.. तुम इतनी रात को भी फ्लर्ट कर रहे हो । पर शुक्रिया मेरा मुड़ फेश कर दिया तुमने ।
सेम: मेरी मासूम सी मोहब्बत को तुम फ्लर्ट कह रही हो । हाय!! किसीने बहुत ही बुरी तरह से मेरा दिल तोड़ दिया । अब तो सांस भी नहीं ली जा रही मुझसे । :-(
पारुल: ( हंसते हुए ) ठीक ठीक है ड्रामे बाज गलती हो गई । माफ भी कर दो । और बताओ क्यों जाग रहे हो इतनी देर तक ?
सेम: चलो ठीक है माफ किया तुम भी क्या याद रखोगी किस इंसान से पाला पड़ा था तुम्हारा । यही सवाल तो में भी तुमसे पुछ सकता हूं । तुम क्यों जाग रही हो ।
पारुल: सवाल पहले मैंने किया था तो पहले तुम जवाब दो ।
सेम: बस ऐसे ही लाईफ के बारे में सोच रहा था ।
पारुल: लाईफ के बारे में क्या? तुम इतने सीरियस हो जाओगे तो हाय! इस दुनिया में प्रलय आ जायेगा ।
सेम: ( शैतानी मुस्कुराहट के साथ ) बस यही की जब हम दोनों की शादी होगी । फिर हमारे बच्चे और फिर तुम मोटी हो जाओगी । बिल्कुल हिप्पो की तरह फिर तुम मुझ पर शक करोगी की कहीं मेरा किसी के साथ अफेयर तो नहीं चल रहा । क्योंकि तुम्हे तो पता है में कितना खूबसूरत हूं । ;-)
पारुल: ( गुस्से में ) सेम के बच्चे, उल्लू के पट्ठे इतनी रात को भी तेरे दिमाग में गंदगी ही भरी है । और तू कुछ ज्यादा ही नहीं उड रहा हवा में । किसने कहा तू हमेशा खूबसूरत रहेगा।
सेम: ( मुस्कुराते हुए ) तो तुम मानती हो की में खूबसूरत हूं?
पारुल: मैंने एसा कब कहा? एसा कुछ नहीं कहा मैने समझे गधे ।
सेम: ( हंसते हुए ) सीरियसली पारो तुम हर बार कहके मुक्कर क्यों जाती हो । अगर में खूबसूरत भी रहूंगा तो चिंता ना करो । तुम्हारी बराबरी कोई नहीं कर सकता ।
पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) बस! बस! ज्यादा मक्खन लगाने की जरूरत नहीं है ।
सेम: सच ही कह रहा हूं। आखिर भला चुरेल की बराबरी कोई कैसे कर सकता है ।
पारुल: ( गुस्से में ) सेम के बच्चे कल मिल्यो मुझे । तेरा सर ना फोड़ा तो मेरा नाम भी पारुल नहीं ।
सेम: ( हंसते हुए ) अच्छा ठीक है । सोरी सोरी!! मज़ाक कर रहा था । वो मैंने इसलिए मेसेज किया था कि कल तुम फ्री हो तो तुम्हे किसी से मिलवाना है ।
पारुल: ये हुई ना बात सीधी लाइन में बात किया करो वरना किसी दिन मेरे हाथो से पिटोगे । और फ्री हूं में पर किस से मिलना है ।
सेम: तुम्हारे हाथो से तो में जहर भी खा लू । ये पिटाई तो बहुत ही छोटी सजा है रे! बसंती !! और रही बात किस से मिलना है तो कल खुद देख लेना । अभी सो जाओ रात बहुत हो गई है । गुड नाईट और हां मेरे सपने देखना मत भूलना । ;-)
पारुल: ठीक है फिर कुछ ज्यादा ही हवा में उड़ रहे हो । कल मिलो फिर ये सारी तुम्हारी हरकतों का बदला दुगी । गुडनाईट .. ।

यह कहते हुए सेम भी लाइट बंद करते हुए । मुस्कुराते हुए सो जाता है । दूसरी ओर पारुल भी मानो थोडी देर के लिए असलियत को भूल गई थी । और सेम की पागलपंती के बारे में सोचते हुए मुस्कुरा रही थी । और फिर लाइट बंद करते हुए वह भी सोने जा रही थी ।