Jo Ghar Funke Apna - 30 in Hindi Comedy stories by Arunendra Nath Verma books and stories PDF | जो घर फूंके अपना - 30 - हाय री किस्मत !

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जो घर फूंके अपना - 30 - हाय री किस्मत !

जो घर फूंके अपना

30

हाय री किस्मत !

बिल्ली के भाग्य से आखीर एक दिन छींका टूटा. पिछली रात को होटल के सबसे अच्छे रेस्तरा में हम पाँचों की रूसी फौजी अफसरों के एक बहुत भारत- प्रेमी ग्रुप से दोस्ती हो गयी थी. राजकपूर की फिल्मों के हिन्दी गाने और उस ज़माने के अतिलोकप्रिय रूसी गीत “रास्विताली याव्ली ना इक्रुश्की,पाप्लिली कमानी नाद रिकोई ------“ जो हम लोग भी सुनते सुनते सीख गए थे एक के बाद एक गाते हुए हम लोग ‘इंदो रूस्कीय द्रूज्बा’ अर्थात भारत रूस मैत्री के नाम जाने कितने शैम्पेन और वोदका के जाम पीते रहे. पर मुझे गाने में अधिक और पीने में कम रूचि थी अतः अगली सुबह पाँचों में से केवल मैं ही नौ बजे सुबह तैयार था. बाकियों ने कहा तू फैक्ट्री हो आ,बता देना हमें कल रात हुए हिमपात से सर्दी ज़ुकाम हो गया है. ” अंधा क्या मांगे दो आँखें. मैं फ़टाफ़ट लीना के साथ चल पडा, इसके पहले कि उनमे से एक भी अपना इरादा बदल दे.

मिन्स्क में वो तबतक का सबसे सुहाना दिन था. हिमपात सुबह रुक गया था और माइनस चौबीस डिग्री के तापक्रम में नीले आसमान में सुबह ग्यारह बजे जब सूरज आँखें मलता हुआ आया तो उसकी आँखें खुद अपनी चमक से चुंधिया रही थीं. फैक्टरी में मैं अकेला क्या करता. बारह बजे से पहले ही हम वापस चल पड़े. दिन का खाना मेरे साथ लीना ने एक रेस्तरां में खाया और शायद मौसम का असर था कि जब मैंने उससे कहा कि मैं उसके साथ एक रूसी फिल्म देखना चाहता हूँ, इससे मेरी रूसी भाषा और सुधर सकेगी तो वो मुस्करा कर मांन गयी. फिर हमने मैटिनी शो में एक फिल्म देखी. याद नहीं क्या नाम था उसका. लीना ने मुझे शुरू में उसके संवाद समझाने की कोशिश की पर जल्द ही उसे समझ में आ गया कि मेरी दिलचस्पी फिल्म देखने में कम, उसे देखने में जियादा थी. वो तन्मय होकर, या तन्मय होकर देखने का अभिनय करते हुए,फिल्म देखती रही और मैं उसे देखता रहा. इतने ध्यान से फिल्म देख रही थी वह कि मेरी हिम्मत ही नहीं पडी कि मैं अपने हाथों में उसके हाथ थाम कर बैठूं. मेरी इस परम मूर्खता और अति-डरपोकपने का एक सुखद नतीजा भी निकला. फिल्म के बाद मैंने कहा कि आज यदि हम रात का खाना साथ खा लें तो किसे पता चलेगा. खाना हम उस होटल में नहीं खायेंगे जहां हम ठहरे थे. मिनी बस की हमने दोपहर में ही छुट्टी कर दी थी ताकि ड्राइवर को हमारे एक साथ फिल्म देखने का भी पता न चले. मौसम का तकाजा था या फिल्म रोमांटिक होने का या सिर्फ मेरे निकम्मेपन और दब्बूपन से मेरे ऊपर उपजे विश्वास का नतीजा. जो भी हो लीना मान गयी. वो शाम मेरी ज़िंदगी की सबसे रोमांटिक शाम थी, बावजूद इसके कि रोमांटिक होने का मेरा स्तर भी बहुत हलके वज़न का था. मैं विदा होने के समय तक सिर्फ गाल पर एक रस्मी किस्म का चुम्बन दे पाने की हिम्मत कर पाया था. हो सकता है लीना ने ही अपने सुर्ख होंठ दूसरी तरफ फेर लिए हों. याद नहीं. क्यूंकि अगली सुबह के भूकंप के कारण मैं उस शाम के अधिकाँश विवरण भूल गया हूँ. कैसा भूकंप? सुनिए.

मैं उस रात चुप चाप अपने कमरे में आ कर सो गया. साथियों ने अगली सुबह पूछा “कहाँ बिताई रैना?” तो मैं साफ़ झूठ बोल गया. कहा “अपनी रूसी भाषा की पकड़ मज़बूत करने के लिए अकेले रूसी पिक्चर देखने चला गया था. ” थोड़ी देर के बाद ही लीना आई तो वह एक बहुत सुंदर सी मैक्सी स्कर्ट पहने हुए थी जबकि रोज़ वह मिडी या ट्राउज़र्स पहनती थी. ये भी संभव है कि पिछली शाम के खुमार में वह मुझे रोज़ से कहीं अधिक सुन्दर लग रही थी. असुंदर महिलाओं तक को उनकी सुन्दरता के लिए काम्प्लीमेंट देना मैं शराफत का तकाजा समझता हूँ और लीना तो वाकई ग़ज़ब ढा रही थी.

मैंने ‘दोब्रोए उतरो’(शुभ प्रभात) कहने के बाद ही रूसी भाषा में कहा “ आज तुमने कितनी सुन्दर स्कर्ट पहन रखी है”

लीना, शायद शर्म से, सुर्ख हो गयी. बोली “क्या मतलब? “

मैंने कहा “मतलब यही कि तुम्हारी स्कर्ट बहुत सुन्दर लग रही है. इतनी सुन्दर कि छूने का मन करता है ”

उसने इस बार ज़रा कड़क रूसी में कहा “ बकवास बंद करो”.

मुझे इतनी नाराज़गी का कोई औचित्य नहीं लगा. बहुत प्यार से समझाते हुए मैं बोला “सच लीना, ये तो कल वाली से भी सुन्दर स्कर्ट लग रही है जिसको पहनकर तुमने कल की शाम को इतना खुशनुमा बना दिया था. पिक्चर देखते वक्त मेरे हाथ से छू जाती थी तो मुझे कितना अच्छा लगता था”

लीना मुझसे रूसी भाषा में बात करती थी और फ्लाईट लेफ्टिनेंट वर्मा के बहुत फॉर्मल संबोधन को छोड़कर मेरे आग्रह पर अरुण कहने लगी थी. पर पता नहीं क्या हुआ. वह मानो तड़प कर अंग्रेज़ी में बोली “फ्लाईट लेफ्टिनेंट वर्मा,मैं तुम्हे एक भला आदमी समझती थी. अब आगे से मुझसे बात मत करना. ”

मैं हक्काबक्का था. आखीर ऐसा क्या कह दिया मैंने? पर स्पष्ट था कि अनजाने में कुछ गलत सलत रूसी शब्द बोल बैठा था. इस बार मैंने भी अंग्रेज़ी में ही जवाब दिया “तुम्हारी स्कर्ट की तारीफ़ कर दी तो ऐसा क्या पाप कर दिया ?”

लीना गुर्राते हुए बोली “ इतने भोले न बनो! तुम काफी अच्छी रशियन बोल लेते हो और खूब समझते हो कि तुम क्या कह रहे हो”

मैंने उसे मनाते हुए पूछा “जिस ‘नीज्न्येये बेलेयो’ की मैं तारीफ़ कर रहा हूँ वह क्या कोई ग़लत शब्द है?”

इस बार लीना बोली “तोचना !“( एकजैक्टली! ).

मैं इज्वीनीते (एक्सक्यूज़ मी )कहकर भाग कर अपने कमरे में गया,रूसी अंग्रेज़ी शब्दकोष उठाया और ‘नीज्न्येये बेलेये’शब्द खोजा. (जिसका शाब्दिक अनुवाद मैंने अपनी समझ से ‘नीचे वाला वस्त्र’ से किया था क्यूंकि मैक्सी या मिडी स्कर्ट के लिए रूसी शब्द मुझे नहीं मालूम था. )शब्दकोष से उत्तर मिल गया – ‘महिलाओं का अधोवस्त्र,लेडीज़ पैन्टीज’. मैं जैसे भागता हुआ आया था वैसे ही भागता हुआ वापस गया पर लीना जा चुकी थी. थोड़ी देर के बाद फैक्ट्री से फोन आया ‘ लीना की तबीयत खराब है,आप के लिए हम दूसरे दुभाषिये तोवारिश (कामरेड) वोरोशिलोव को भेज रहे हैं. ”

नीना मेरे जीवन में जैसे आयी थी उससे भी अधिक तेज़ी से नौ दो ग्यारह हो गयी ये संकेत देते हुए कि अगली मुलाक़ात जिस लडकी से होगी वो गणितज्ञ होगी.

क्रमशः ----------